कविता | बनाया अपने दिलतख्त-नशीन

बनाया अपने दिलतख्त-नशीन, रखा हमे अपने बिल्कुल समीप
मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति

दिल की बातें करके दिलाराम से, दिल को मिला बेहद आराम
प्यार-सागर की प्रीत ने बनाया भरपूर, बांटते सबको ईश्वरीय प्यार
बन गए लवली और प्रभु-प्रेम में लवलीन
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

खुद आकर हमें ज्ञान रत्नों से श्रृंगारा, दिव्यगुणौं से है सजाया
बरसाकर अनंत शक्तियां और वरदान, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान
पायी हमने सच्ची-अविनाशी खुशी
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

शिक्षाओं की उंगली पकड़, अपनी गोद के गलीचे में जीना सिखाया
अपनी निर्मल ममता से है निखारा, शीतल छाया में सवारा
प्रभु पालना में पलते हर घड़ी
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

One Reply to “कविता | बनाया अपने दिलतख्त-नशीन”

  1. I loved your kavita Viral bhai.. How you Potrait feelings with bapdada’s love so accuratly.. It will really melt hearts of baba’s children.. ❤❤❤????om shaanti??????

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