कविता – स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य
स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य
भाग्य की कलम ही दे दी, हमारे हाथों में
योग की श्रेष्ठ स्व-स्थिति से बने सम्पूर्ण स्वस्थ, मन्मनाभव ने दिलाई खुशियों की खान
ज्ञान-धन सर्वश्रेष्ठ है धन, प्रकृति भी जिनकी बनती दासी
तन-मन-धन बने सम्पूर्ण पावन
(स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य, भाग्य की कलम ही दे दी हमारे हाथों में)
एक बाबा से जोड़ सर्व सम्बंध, सुख-शान्ति की फैली दिव्य सुगंध
होलीहंसो का मिला श्रेष्ठ संग, रंग गये प्रभुयादों के रंग
अविनाशी भाग्य का मिला वरदान
(स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य, भाग्य की कलम ही दे दी हमारे हाथों में)
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Very nice ? poem
Om shanti ??