कविता – आया फिर से क्रिसमस मीठा

कविता – आया फिर से क्रिसमस मीठा

आया फिर से क्रिसमस मीठा, बनना हमे है किशमिश सा मीठा
लाल धाम से बना सफेद पोशधारी, लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी
मेरा सांता क्लाज बाबा…

पाया याद का जादुई कंगन, बनाता हमे सर्व दिव्यगुणों से सम्पन्न
मिली ज्ञान शक्तियों की दिव्य खान, लाके हथेली पर स्वर्ग की सौगात
हर दिन बना आनंद उत्सव, हर पल मौज भरी खुशी (लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

होके ज्ञान अमृत से लवलीन, गाए प्रभु यादों के दिव्य गीत खेले खुशियों की सदा रास, निराला ये अपना अलौकिक संसार
जीवन परिवर्तन की करी दिव्य जादुगरी
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

परम बीज का यह सुन्दर मनुष्य झाड़, जिसके हम है दिव्य तना
सजाना सुखशान्ति से हर शाखा, गुण-विशेषता से चमके हर पत्ता
सारा कल्प सब रहे सौभाग्यशाली
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

अंधियारा बदल लाना दिव्य सवेरा, आनंद का हो मौसम सदा सुहाना
फरिश्ता बन जोड़े सबका प्रभु से रिश्ता, सबके दिल में समाये प्रेम और एकता
बड़ा दिन बने सबकी सारी जिंदगानी
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)


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