शारदा बहन (अहमदाबाद) ने एक बार दादी गुलजार जी से पूछा… जब भी आपके पास आते, तो शान्ति की जैसे करन्ट मेहसूस होती, आप ऐसा कौन-सा पुरूषार्थ करते?
दादी का जबरदस्त उत्तर… मैं देह-भान में कभी आती ही नहीं !
अर्थात् सदा आत्म-अभिमानी (Soul Conscious) स्थिति… आज हम भी प्रण करे, दादी समान हम भी एसी सर्वोत्तम स्थिति अवश्य बनायेंगे ! ?
दादी ने एक बार कहा था मैं चलते-फिरते अशरीरी स्थिति में स्थित रहती हूँ !
हम सोचते थे चलते-फिरते तो देही-अभिमानी स्थिति रहती (अर्थात् मैं आत्मा शरीर द्वारा कर्म कर रही)… परन्तु दादी ने तो अशरीरी स्थिति लिए कहा, तो उनका बैठे हुए ही कितना पावरफुल अभ्यास होगा, जो चलते-फिरते भी कायम रहा !
जब भी योग में बैठे, दादी की इस श्रेष्ठ योग की धारणा को अवश्य याद करे..
जब हम अप्रैल ’15 में बाबा मिलन लिए मधुबन में थे, दादी जी की तबियत नर्म होते भी दादी ने हिम्मत रखी थी, बाबा भी आये थे (पार्ला, मुंबई से)
दादी, आपकी अथक सेवाएं सदा हमारे लिए प्रेरणा-स्त्रोत है… आपके पास हम सारे ब्राह्मण परिवार की पद्मापद्म दुआएं सदा है… हम आपके कदमों पर चल, आपसा श्रेष्ठ बाबा के दिल-तख्तनशीन अवश्य बनेंगे!
बहुत वर्ष पहले जब दादी गुलज़ार जी हॉस्पिटल में थे और दादी जानकी उन्हें मिलने गए थे… उनके स्वस्थ्य के पूछने पर, दादी गुलज़ार ने सिर्फ दो शब्द का उत्तर दिया..
साथी (बाबा की) और साक्षी (देह-परिस्थितियों से)!
हम समझते दादी ने इन धारणाओं को अपने जीवन में कूट-कूट कर भरा था, जिस कारण दादी निरन्तर योगी और निरन्तर साक्षी रहे… अब भी दादी साक्षी हो सकाश दे रहे, जो हम भी साथी और साक्षी की धारणा को पक्का कर ले! ?
दादी जी को एक बार एक बहन ने कहा, फलानी ऐसी है..
दादी ने कहा… अरे, राजधानी बन रही, सबका अपना-अपना पार्ट है!
दादी ने कितनी सहजता से सबको स्वीकार किया, विशेषताएं देख आगे बढ़ाकर सर्वश्रेष्ठ महान बनाया… हम भी सदा ऊंची स्थिति में स्थित रह, और प्रभावों से परे, सबकी विशेषताएं देख सबको आगे बढ़ाते रहे! ?
जब 50s में सेवा शुरू हुई, बाबा ने गुलज़ार दादी को लखनऊ भेजा था… दादी को यह भी नहीं पता था लखनऊ कहां आता, फिर भी ट्रेन में चढ़ गये, और इतनी विशाल सेवा की!
कितना परमात्म महावाक्यों पर निश्चय, एक बल एक भरोसा !
हम भी मुरली के हर महावाक्य पर ऐसे निश्चयबुद्धि बने… स्वयं, ड्रामा, परिवार पर भी निश्चयबुद्धि विजयी ! ?
दादी गुलज़ार जी सिर्फ 8-9 वर्ष के थे जब बाबा से मिले, और मिलते ही तुरन्त ध्यान में चले गए, श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हुआ!
अर्थात् दादी के कल्प पहले वाले दिव्यता के संस्कार सेकण्ड में जागृत हो गये। तो सोचने की बात है, दादी का पूरा कल्प ही कितना सर्वश्रेष्ठ, महान, अन्तर्मुखी बीता होगा!
हम भी उनकी दिव्य प्रेरणा ले, सदा “मैं हीरो एक्टर हूँ’ इसी स्मृति से अपना हर कर्म सर्वश्रेष्ठ कला-समान बनाए… अर्थात् सुख, शान्ति, प्रेम, आनंद वा सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बनते-बनाते रहे!.. तो यह सर्वश्रेष्ठ भाग्य हर कल्प रिपीट होता रहेंगा! ?
दादी गुलज़ार जी का मुख्य गुण… असीम शान्ति
दादी प्रकाशमणि का… बेहद प्यार
दादी जानकी (और ईशू दादी)… उमंग-उत्साह, खुशी, आनंद
मम्मा थी… शक्ति स्वरूपा
ब्रह्मा बाबा (और जगदीश भाई)… ज्ञान स्वरूप
दीदी मनमोहिनी थे नियम मर्यादा में पक्के… अर्थात् सम्पूर्ण पवित्रता
तो हमारे पूर्वजों जैसे हम भी सतोगुणी आत्मा (ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, सर्व शक्तियों से सम्पन्न) बन जाएं… मन-वाणी-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क, स्मृति-वृत्ति दृष्टि में ! ?
Deep Silence, unwavering Love for God, & a personality radiating Divinity at every step..
Your illustrious teachings continue to be our guiding light: you’ll keep shining in our hearts & practical life always..
Loving homages to Most Respected Rajyogini Dadi Hridaya Mohini Ji… A true instrument of God, an embodiment of greatness! ??
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Thank u angel..Baba bless u abundantly ??