Murli Yog 20.9.24
नई. पावन, दिव्य, सुहावनी सुख, शान्ति, आनंद, तृप्ति के स्वराज्य ? की प्राप्ति से सिरताज प्रिन्स ?? बनना-बनाना; महादानी, शुभ कामना-धारी, विश्व-कल्याणकारी बन… Murli ? Yog 20.9.24!
उस सर्व आत्माओं के रूहानी, पतित-पावन परमपिता; शान्ति, आनंद सागर ?; सर्व के सद्गति दाता, बीज… उनकी याद, राज-योग-अग्नि से सतोप्रधान बनते…
… साथ में अपना स्वीट, शान्तिधाम घर भी याद करते (जहां जाना हैं!)… फिर प्राप्ति, सुख वा माल-मिलकियत के पावन स्वर्ग, पैराड़ाइज, राम राज्य को भी याद करते!
यह उत्तम बनने का सुहावना, कल्याणकारी ? संगम है; जबकि भगवान् ? शिवबाबा हमें नई दुनिया के मालिक; पवित्र, सिरताज, दैवी प्रिन्स बनाते… हम सच्चे खुदाई खिदमतगार सबको समझाते, एक से अनेक होते; इसलिए यह बड़ी, ईश्वरीय यूनिवर्सिटी ? चाहिए!
आत्मा में ही पार्ट है, वा अच्छे-बुरे संस्कार बनते जिसका फल ? मिलता; अभी हम ग्रेट ग्रेट ग्रांड-फादर के एडाप्टेड़ ब्राह्मण बच्चे है… यह वैरायटी धर्मों का बेहद झाड़, विराट लीला, कुदरती ड्रामा, बाजोली का खेल है जो रिपीट होता; जिसका क्रियेटर, डायरेक्टर स्वयं एक्ट में आया है!
हम समर्थ होने कारण… सर्व शक्तियों ⚡ केे खज़ाने के… अधिकारी है!
फीलिंग, किनारा, परचिंतन नहीं… परन्तु जो बाबा के संस्कार वह हमारे ओरिजनल संस्कार… सदा विश्व-कल्याणकारी, शुभ चिन्तनधारी; और सर्व लिए शुभ-भावना शुभ कामना-धारी! (AV 9.1.96; चार दिन से!)
महादानी कभी किसके प्रति यह बदले, सहयोग दे, कदम आगे बढ़ाये; ऐसी भावना नहीं रखते (वह भी परवश, शक्तिहीन से!)… इन्साफ, आदि मांगने से भी परे रहने वाले ही तृप्त रह सकते!
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