Experiencing all Relations in One | एक में सर्व सम्बन्ध | Sakar Murli Churnings 18-05-2019
1. इस पुरुषोतम संगमयुग पर भगवान् बाप-टीचर-सतगुरू बन सभी आत्माओं को पढ़ाकर श्रेष्ठाचारी देवता बनाते… इसलिए सिर्फ़ अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है, एक बाप के सिवाय और कुछ याद न आए… यह है भी सहज, क्योंकि बाबा हमें सर्व सम्बन्धों का सुख देते, वर्सा देते, खास आकर रुहानी ज्ञान देते
2. हम परमधाम में थे, फ़िर पार्ट बजाते नीचे आए, अब तमोप्रधान बने, इसलिए फिर से पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाबा को याद करना है, तो हम श्री देवता, श्रीकृष्ण बन जाएँगे स्वर्ग (वन्दर ऑफ वर्ल्ड में)… जहां आयु बड़ी, नैचुरल beauty रहती, सबकुछ नया-सुगन्धित होता… यह सब भगवान् के सिवा कोई सीखा नहीं सकता, हम अब भक्ति के राज़ को भी समज गए हैं
3. हम सारा चक्र जानते, मुख्य बात इस एक जन्म की पवित्रता हमें 21 जन्म सुख-शान्ति देती… माया से बचने सिर्फ़ आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की कर, बाबा को याद कर पावन बनते जाना है… ज्ञान भी सहज है, बाबा का परिचय और 84 का चक्र… जीवनमुक्ति में फिर न ज्ञान रहेगा, न विनाश की सामग्री… हम अभी ब्राह्मण कुल है, दैवी राजधानी स्थापन करते
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें बाबा सर्व सम्बन्धों का सुख ऑफर करते, तो हर एक सम्बन्ध उनसे जोड़ (और निभाते) परमात्मा ज्ञान-गुण-शक्तियों से सदा के लिए भरपूर बन, सदा श्रेष्ठ स्थिति के अनुभवी दिव्यगुण-सम्पन्न बन… सबको भी सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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