*Om Shanti*
*Answers from Sakar Murli 19-05-2020*
1. यहाँ तुम सत के _____ में बैठे हो, जिससे तुम सुखधाम में जाते हो। एक सुखधाम, दूसरा है शान्तिधाम। यह है _____ का धाम।
° संग, *ईश्वर*
2. यही भारत गॉर्डन ऑफ _____ था। सुख ही सुख था। सतयुग में कितने होंगे? बहुत थोड़े। आदि सनातन _____ देवी-देवतायें ही होंगे।
° *फ्लावर* , सूर्यवंशी
3. किन 3 बातों की *वाह-वाह* गाते रहना है? _(स्लोगन)_
° सदा वाह *बाबा* , वाह *तकदीर* और वाह *मीठा परिवार* – यही गीत गाते रहो।
4. जो बाप द्वारा समझकर होशियार होते जाते हैं – उनका कर्तव्य है _____ करना।
° *सर्विस*
5. भारत 5 हज़ार वर्ष पहले *कितना साहूकार* था?
° सोने, हीरे-जवाहरों के महल थे। कितना धन था। ( *सिरताज* था)
6. _____ बिगर तो कोई यहाँ आ भी न सकें। तुम आते हो _____ बाप-टीचर-सतगुरू के पास। यहाँ तो एक _____ बाप ही है जो 21 जन्मों के लिए वर्सा देते हैं। बाबा हमको _____ वा _____ दोनों का मालिक बनाते।
° *निश्चय* , रूहानी, निराकार, ब्रह्माण्ड, विश्व
7. तुम आत्मा _____ हो, तुम्हारे में 84 जन्मों का अविनाशी _____ नूँधा हुआ है। भारत में एक भी _____ नहीं जो अपने 84 जन्मों को जानता हो।
° *बिन्दी*, पार्ट, मनुष्य
8. भारत को *अविनाशी खण्ड* क्यूँ माना गया है?
° क्योंकि यहाँ ही *शिवबाबा का अवतरण* होता है।
9. परमपिता परमात्मा। उनका _____ नाम है शिव और तुम बच्चे हो सालिग्राम। स्वर्ग का रचयिता है ही परम आत्मा, जिसको _____ कहा जाता है। आत्मा असुल _____ होती है, फिर सतो-रजो-तमो में आती है।
° सच्चा-सच्चा, *पतित-पावन* , पवित्र
10. हमें *कैसा* बनना है? _(6)_
° पावन, सतोप्रधान, पुज्य *पुरूषोत्तम*, पाउण्ड, देवता (सूर्यवंशी, लक्ष्मी-नारायण)
11. भगवान के मुख- _____ से निकली हुई गीता का ज्ञान। बाप के बच्चे हम _____ हैं। प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे आपस में _____ हो गये। प्रजापिता ब्रह्मा सारी _____ का पिता हो गया। उनको कहा जाता है – ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर।
° *कमल* , भाई-भाई, भाई-बहन, दुनिया
12. इसको *पुरूषोत्तम* संगमयुग क्यूँ कहते?
° कलियुग में रहते हैं पतित मनुष्य, सतयुग में हैं पावन देवता… इसलिए इनको पुरूषोत्तम संगमयुग कहा जाता है, जबकि बाप आकर पतित से पावन बनाते हैं।
13. तुम _____ हो। अब जाना है वापिस इसलिए अपने को आत्मा समझो, मामेकम् याद करो तो पाप भस्म हो जायेंगे। अच्छा।
_____ हूँ – इस स्मृति से सदा उपराम, न्यारे और निर्मोही भव
° वानप्रस्थी, *रूहानी यात्री*