The power of bodyless stage! | अशरीरी स्थिति | Sakar Murli Churnings 17-12-2019

The power of bodyless stage! | अशरीरी स्थिति | Sakar Murli Churnings 17-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम रूहानी-बच्चें (छोटी भ्रकुटी-बीच चैतन्य-बिन्दी पार्टधारी-आत्माएं)… अब पुरानी से नई-पुण्य-सुखमई दुनिया स्वर्ग में जा रहे…

2. इसलिए रोज़ अच्छे से इस कमाई की पढ़ाई पढ़… अशरीरी बन, परमात्मा-बाप भगवान्-अल्लाह-खुदा-गॉड की याद द्वारा… दिव्यगुण-सम्पन्न कैरेक्टर जरूर बनाना है (कोई कुछ भी कहे).. तब ही ऊँच-पद बनेगा

3. कोई भूल हो, तो अविनाशी वैद्य-सर्जन को सुनाकर हल्के रहना है (तब ही उनकी दिल जितेंगे)… स्वयं पर खुद ही कृपा करनी है

चिन्तन

जबकि सारे दुःख का बीज देह-भान है, इसलिए अशरीरी-स्थिति ही माया से बचने का आधार है… तो सदा ज्ञान द्वारा आत्म-चिन्तन परमात्म चिन्तन करते, बहुत हल्कि आत्म-अभिमानी स्थिति सारा दिन मेहसूस करते… योग में बैठते सारा ही समय अशरीरी रह, बाबा की किरणें फील करते… बहुत शक्तिशाली-अचल-अड़ोल खुशी-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले.. ओम् शान्ति!


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Becoming an Authority of Experience in each subject, by stabilising in Swaman in a second! | सेकण्ड में स्वमान के स्वरूप बन, हर सब्जेक्ट में अनुभव की अथॉरिटी बनो | Baba Milan Murli Churnings 15-12-2019

Becoming an Authority of Experience in each subject, by stabilising in Swaman in a second! | सेकण्ड में स्वमान के स्वरूप बन, हर सब्जेक्ट में अनुभव की अथॉरिटी बनो | Baba Milan Murli Churnings 15-12-2019

1.

  • हम ब्राह्मण-आत्माएं, विशेष कोटों में कोई है… जिन्होंने साधारण-रूप में आए भगवान् को पहचान लिया… उनको दिल में समाकर, दिल का प्यार प्राप्त कर लिया (बाबा के प्यारे ते प्यारे बन गए)
  • हम नेचरल योगी-जीवन वाले है… उठते-बैठते-चलते-फिरते-कर्म में निरन्तर-सदा योगी
  • बाबा सदा हमें भाग्यशाली, स्वमान-धारी, स्वदर्शन-चक्रधारी रूप में देखते… हमें कितने स्वमान मिले हुए हैं (जिन्हें याद करने से तुरन्त उनका स्वरूप बन, लवलीन हो जाते, देह-भान से परे)

तो इन स्वमानों में स्थित-स्वरूप-अनुभवी होने में मेहनत न लगे (सदा मोहब्बत में रहकर, जबकि स्वयं आलमाइटी ने हमें यह अथॉरिटी दी है)… हर सब्जेक्ट-पॉइंट-वरदान के अनुभवी-मूर्त बनना हैं (फिर कोई माया-देहभान-व्यक्ति हमें हिला नहीं सकते… कभी-कभी शब्द समाप्त, सदा नेचरल नेचर)… स्वमन-सीट पर अनुभव-स्विच की लाइट से अंधकार समाप्त… तब ही बाप-समान, स्मृति-स्वरूप, समर्थ बनेंगे (हर कर्म में)

2. अचानक में एवर-रेडी अर्थात् ही वरदान-स्वमान का संकल्प किया, और स्वरूप बनें (तब ही वरदान फलीभूत होते, यह करना ही पड़ेगा)… अभी से करने से ही बहुतकाल का अभ्यास समय पर काम आएगा… जैसे देह-भान नेचरल हो गया है, वैसे ही अब बनना है:

  • देही-अभिमानी… स्वमान-धारी
  • ज्ञान-स्वरूप… अर्थात् लाइट-माइट सम्पन्न
  • योग-स्वरूप… अर्थात् कर्मेन्द्रिय-जीत स्वराज्य-अधिकारी, युक्तियुक्त जीवन
  • तो गुणों की धारणा ऑटोमेटिक होगी
  • सच्चे-सेवाधारी (सेवा भी ऑटोमेटिक)… मन्सा-वाचा-कर्म से, सम्बन्ध-सम्पर्क में स्नेह-सहयोग-उमंग-उत्साह देते रहना… चाहे कोई कैसा भी हो संस्कार-वश, हमारी सदा शुभ भाव-भावना हो (कोई और संकल्प-घृणा नहीं)… जबकि हम प्रकृति को भी परिवर्तन करने वाले है, और यह प्रभु-परमात्म परिवार एक ही बार मिलता

बाप-समान निराकारी-निरहंकारी-निर्विकारी, फरिश्ता-भव के वरदानी बनना है… जबकि हमें बाबा पर इतना स्नेह है (स्नेह के विमान में ही पहुंचे है), बाबा भी हर एक को मेरे कहते

3. हम सेवा अच्छे उमंग-उत्साह से करते-कराते, सेवा का मेवा-फल-कमाई प्राप्त करते रहते (मधुबन के ज्ञान-स्नेह-परिवार-एकान्त के वाइब्रेशन-वायुमण्डल में सदा ज्ञान-स्नान है, योगी-प्रभु प्यार वाली आत्मायें है)…. बाबा हमें देख खुशी में गीत गाते रहते, वाह बच्चे वाह (हम उनके दिल में, वह हमारे दिल में है)

सार (चिन्तन)

सदा बाबा की मोहब्बत में, सेकण्ड में अपने भिन्न-भिन्न स्वमान-वरदानों के अनुभवी-स्वरूप बन… बहुत सहज स्वयं को ज्ञान-योग-धारणा-स्वरूप सच्चे सेवाधारी अनुभव करते, अपनी शुभ भावना-सेवा द्वारा सर्व को भी अंधकार से दूर करते… सम्पूर्ण निराकारी-निर्विकारी-निरहंकारी फरिश्ता-स्वरूप बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

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Being in God’s spiritual army! | Avyakt Murli Churnings 15-12-2019

Being in God’s spiritual army! | Avyakt Murli Churnings 15-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज रूहानी-सेनापति-बाप, हम नई-विश्व-रचना वाले रूहानी-सेना को देख रहे, कहाँ तक नॉलेज द्वारा शक्तिशाली-शस्त्रधारी बने है, कि … एक जगह बैठे दूर आत्माओं को टच कर सके… ऐसा विजय-चक्र हमें मिला हुआ है, ऐसे हम निश्चयबुद्धि स्वदर्शन-चक्रधारी है

2. एक पढ़ाई होते भी नम्बर-वार होने का कारण है, कोई ज्ञान को पॉइंट-रूप में धारण करते, कोई शक्ति-रूप से… जैसे कि:

  • कोई ड्रामा की पॉइन्ट समझते-वर्णन करते भी रोते रहते (क्या हो गया)… कोई सदा एकरस-अचल-अडो़ल बन जाते
  • आत्मा की पॉइंट (मैं शक्ति-स्वरूप आत्मा हूँ, सर्वशक्तिमान की सन्तान).. फिर कोई परिस्थिति बड़ी नहीं

ऐसे ही परमात्मा, 84 चक्र का पॉइंट, आदि… बुद्धि में धारण कर सेवा में लगने कारण सेफ तो रहते (लेकिन सदा मायाजीत नहीं रह सकते)… इसलिए ज्ञानवान (नॉलेजफुल) के साथ शक्तिशाली (पावरफुल) बनना है, लाइट-माइट सम्पन्नसमय पर विजयी बनना अर्थात्‌ ही, नॉलेज को शस्त्र के रूप में धारण (मायाजीत बनने लिए तो शस्त्र मिले है)

3. जैसे कोर्स-प्रोग्राम सब प्यार-लगन-अथक हो करते (तन-मन-धन से), वैसे अब फोर्स भरना है… इसलिए कोर्स को फिर से revise करना (हर पॉइंट में क्या-कितनी शक्ति है, किस समय काम आती)… फिर चेक करना, सारा दिन कितना प्रैक्टिकल में रहा (परिस्थिति में भी)

4. यूथ में बुद्धि-शरीर दोनों की शक्ति है, जिसे हम शान्त-स्वरूप बन, दुःख दूर कर बिगड़ी बनाने लिए प्रयोग कर रहें… जबकि हम दुःखधाम से संगम पर आ गए, तो दुःख का एक भी संकल्प न हो

5. जैसे पढ़ाई-बाप-सेवा से प्यार है (नॉलेजफुल-सर्विसएबुल-तीव्र पुरूषार्थी भी है)… ऐसे अब सदा निर्विघ्न-खुश-हल्के-बाबा की छत्रछाया में रहना है (सदा साफ़, कोई दाग-जोड़ नहीं)… सब सहज है (जबकि समय का भी साथ है, अव्यक्त-मदद है, निमित्त की पालना है, सब बना-बनाया है)

6. अनन्य-रत्न सदा आगे बढ़ते, हर कदम पद्मो की कमाई जमा करते-कराते रहते… उनके हर संकल्प से सेवा होती, सब उमंग-उत्साह में आ जाते.. बाबा हमें देख निश्चिंत है (faith है), सब एक-दो से आगे, विशेष है

चिन्तन

सदा अपने को बाबा की रूहानी-सेना के शक्तिशाली-शस्त्रधारी समझ, बाबा की छत्रछाया-मदद-पालना का अनुभव करते… ज्ञान के हर पॉइंट को शक्ति-रूप से धारण कर, सदा एकरस-अचल-अडो़ल मायाजीत-वजयी बन… सदा हल्के-खुश-निर्विघ्न रहते, सब की बिगड़ी को बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The divine refreshment! | Sakar Murli Churnings 14-12-2019

The divine refreshment! | Sakar Murli Churnings 14-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम मीठे-मीठे बच्चों (मन-बुद्धि वाली छोटी-आत्मा पार्टधारी) के बुलावे पर, इस संगम-स्कुल-ब्रह्मा तन द्वारा… स्वयं सदा-पावन अविनाशी-परलौकिक जादूगर-बाप, हमें अपनी गोद मे ले... सत्य ज्ञान-पढ़ाई द्वारा देही-अभिमानी बनाते, जिससे ही याद सहज होती

2. जिस याद से नई-पावन दुनिया स्वर्ग-सुखधाम-परिस्तान वर्से-दिन के मालिक बनते… सतोप्रधान-श्रेष्ठ देवता लक्ष्मी-नारायण रूप में… सदा विश्राम की, सतोप्रधान-शोभनीक दुनिया में

3. तो बहुत खुशी में रहना है… याद की ताकत द्वारा पारस-बुद्धि बन, सब को समझाना है (जबकि हम सारे चक्र-ड्रामा को अच्छे से जानते)

चिन्तन

जबकि बाबा के संग में आकर, हम सब पुराने दुःख-थकावट से परे हो गये है… तो अब ऐसे अति प्यारे ते प्यारे बाबा की श्रीमत पर चल, सदा बाबा के ज्ञान-योग की अनोखी बातों से स्वयं को घेर… हर पल स्वयं-सर्व के बुद्धियोग को बाबा से जुड़ाते-समीप लाते, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Charity begins at home! | Sakar Murli Churnings 13-12-2019

Charity begins at home! | Sakar Murli Churnings 13-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ओम् शान्ति अर्थात्‌ मैं आत्मा शान्त-स्वरूप, शान्ति के सागर की सन्तान हूँ… पवित्रता से ही सुख-शान्ति-चैन है, पावन दुनिया-स्वर्ग-वैकुण्ठ सचखण्ड-सुखधाम के मालिक बनते… यह वर्सा स्वयं परमात्मा-गॉड-खुदा बाप-ट्रथ हमें देते, ब्रह्मा-आदि देव-आदम द्वारा… वाया शान्तिधाम-ब्रह्माण्ड, हम सारे चक्र को जानते

2. तो इस ज्ञान-सागर सत्-चित-आनंद बीजरूप बाबा के… ज्ञान वा याद-योग-तपस्या द्वारा सच्ची कमाई अवश्य करनी-करानी है (कमल-फुल समान रह… हम ही वह ब्रह्मा के कुमार-कुमारी है, जो 21 कुल का उद्धार-सुखी करती)

चिन्तन

जबकि चैरिटी बिगिन्स एट होम… तो सदा पहले स्वयं को शुभ-भावना ज्ञान-चिन्तन याद द्वारा सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न श्रेष्ठ स्थिति वाला सदा खुश बनाए… तो स्वतः हमारे दिव्य वाइब्रेशन, चमकते हुए श्रेष्ठ चेहरे-चलन द्वारा, मधुर-ऊँच बोल-व्यवहार द्वारा सबकी सेवा होते… सतयुग बनता रहेगा… ओम् शान्ति!


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Smiling always! | सदा हर्षित | Sakar Murli Churnings 12-12-2019

Smiling always! | सदा हर्षित | Sakar Murli Churnings 12-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम लाड़ले-मीठे सपूत-फरमानवरदार बच्चें… हंसते-खेलते-नाचते-खुशी से… भविष्य में प्रिंस-प्रिंसेस बन रहे (पावन दुनिया-स्वर्ग के वर्से में, देवता-रूप में… जहां सब फुल-प्रूफ होंगा, अकाले मृत्य भी नहीं)

2. तो श्रीमत पर (निश्चय-सच्चाई से, बुद्धि से समर्पित हो, फॉलो-फादर कर)… अच्छे से पढ़कर, बाकी सब भूल अपने को आत्मा समझ रूहानी-शिवबाबा की याद-राजयोग में रहना है… तो उल्टे-संकल्प समाप्त हो (भल माया आएं), हम सदा हर्षित बन जाएंगे

3. साथ में, सबकी सेवा जरूर करनी है (बरसना-समझाना-सुख देना)

चिन्तन

जबकि स्वयं भगवान् ने हमें अपना लाड़ला-बच्चा बनाकर मुस्कुराना सीखा दिया है… तो सदा अपने को सपूत-सच्चा बच्चा समझ, उठते ही बाबा के प्यार में समाकर, उनकी शान्ति-प्रेम-आनंद की शक्तियों से सम्पन्न बन… सारा दिन बाबा के ज्ञान चिन्तन-यादों में रहकर कार्य-व्यवहार करते, अपने श्रेष्ठ चेहरे-चलन-बोल से सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The most wonderful Crown, Throne & Tilak! | (86th) Avyakt Murli Revision 01-02-71

The most wonderful Crown, Throne & Tilak! | (86th) Avyakt Murli Revision 01-02-71

1. अकाल-तख्त से purity की लाइट का ताज स्वतः मिलता, और बाबा के दिल-तख्त के साथ जिम्मेवारी का ताज… इन्हें सदा धारण कर सकते, कर्मेन्द्रियों कंट्रोल में रहती (इसलिए अपना सम्पूर्ण ताज-तख्त का चित्र सदा सामने रखना है, नशा-निशाना स्पष्ट), फिर वहां भी डबल-ताज मिलेंगा… अभी नहीं तो कभी नहीं, इसको छोड़ने से कांटों के जंगल में चले जाएंगे

2. जैसे तिलक श्रृंगार-सुहाग-भक्त की निशानी है, आत्मिक-स्मृति का तिलक योगी की निशानी है… फिर औरों के मन का भावों को भी कैच करेंगे, इसलिए संकल्पों में mixture न हो, बाप से समानता के समीप रहना है

3. सदा याद रखना है, स्टेज (मैं स्टेज पर हूँ, तो attention रहेगा, ऊँच कर्तव्य की प्रेरणा मिलती) और स्टेटस् (तो एसे-वैसे कर्म नहीं होंगे)… मधुबन वरदान-भूमि है, वायुमण्डल में भी वरदान, और निमित्त आत्माओं के प्रैक्टिकल कर्म (स्नेह-सहयोग-सेवा-त्याग) से भी बहुत सहज सीख सकते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को अकाल-मूर्त पवित्र-आत्मा समझ, बाबा की दिलतख्त-नशीन सजनी बन, कर्मेन्द्रिय-जीत हो सारे विश्व की सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 11-12-2019

The wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 11-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ड्रामा-अनुसार इस संगमयुग (ट्रांसफ़र हो पुरुषोत्तम बनने के युग) में… रूहानी-बाप हम रूहानी-बच्चों को सत्य-समझ देते, अपनी वा हमारी:

बाप:

  • कौन है?… स्वयं भगवान् (नाम-रूप सहीत, शिव निराकार)
  • कहां रहते?… परम-शान्ति-मुक्ति-निर्वाणधाम घर में
  • किस तन में आते?… ब्रह्मा-तन
  • क्या करते?… पुरानी दुनिया को नई-सतोप्रधान दुनिया स्वर्ग-सुखधाम बनाते… जिसमें हम सदा सुखी-सतोप्रधान देवता-रूप में होंगे

हम:

  • अविनाशी-आत्मा है… 84 जन्मों के अविनाशी पार्टधारी… हीरो-हीरोइन
  • बाबा के मीठे-बच्चें है… जिन्हें अब बेहद-वर्सा मिल रहा

2. जबकि हमनें इतना बाबा को पुकारा-वायदा किया था, तो अब उनका बनअच्छे से पढ़ना है (मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई)… सबकुछ भूल अपने को आत्मा समझ बाबा की याद में लग जाना हैं… टीचर बन करावनहार-बाप के साथ सबको समझाना-कल्याण करना है, तो सबकी आशीर्वाद-ऊँच पद मिलेगा

चिन्तन

जबकि हमें ड्रामा का सर्वश्रेष्ठ-ज्ञान मिला है… तो सदा वर्तमान में श्रेष्ठ स्मृति रख (जो श्रेष्ठ पुरूषार्थ-प्राप्ति अब करेंगे, वह कल्प-कल्प रीपीट होगा), श्रेष्ठ-पुरूषार्थ द्वारा सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न बन… पास्ट को कल्याणकारी-सीन समझ फुल-स्टॉप लगाए, सब पार्टधारी को सहज स्वीकार करते… स्वयं-सर्व का सर्वश्रेष्ठ-स्वर्णिम भाग्य बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being Sheetla Devi! | Sakar Murli Churnings 10-12-2019

Being Sheetla Devi! | Sakar Murli Churnings 10-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम सब आत्माएं भाई-भाई है, एवर-प्योर सर्वशक्तिमान शिवबाबा की सन्तान… सतयुग में बहुत ताकतवर-निर्विकारी थे, अब फिर सर्वशक्तिमान पतित-पावन की याद द्वारा पावन-शीतल-सतोप्रधान-बैटरी चार्ज बन सम्पूर्ण वर्से के अधिकारी बनते (नई दुनिया-स्वर्ग-सचखण्ड के मालिक, देवी-देवता रूप में)… वाया शान्तिधाम-घर, हम सारे चक्र को जानते

2. हम निश्चय-बुद्धि बच्चें है, आत्मा में श्रेष्ठ संस्कार भर रहें (और कोई ममत्व नहीं)… फिर शीतला-देवी पण्डा बन, सबको ज्ञान के छिटें दाल पवित्र बनाते (जिससे वह भी घर-स्वर्ग योग्य बनें)

चिन्तन

जबकि बाबा ने हमें शीतला-देवी बना दिया है… तो सदा ज्ञान-कलश द्वारा पहले स्वयं सदा योगयुक्त शान्ति-प्रम-आनंद सम्पन्न बन… फिर हमारे दिव्य-वाइब्रेशन, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न चेहरे, सुखदाई चलन द्वारा… सबको आप-समान बनने की प्रेरणा देते, ज्ञान-छिटें द्वारा सर्व खजानों से भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ड्रामा-अनुसार इस संगम पर, हम फिर से दुर्भाग्यशाली से सौभाग्यशाली (सूर्यवंशी 16 कला सम्पूर्ण देवता, स्वर्ग-हेवन-सतयुग के मालिक, 21 जन्म सदा-सुखी) बनते… फिर जितना पुरूषार्थ करे

2. इसलिए ब्रह्मा-बाप-समान देही-अभिमानी बन, हमारे गॉड-फादर मीठे-सलोने शिव-साजन को याद करते रहना है (उन्हें खिलाकर फ़िर खाना, नहीं तो माया खाकर बलवान बन जाएंगी… इस याद के लिए पहले बैठकर अमृतवेला अच्छा अभ्यास करना)… तो सदा तन्दुरूस्त-अथक-हल्के-निश्चयबुद्धि विजयी रहेंगे… कछुए-समान कार्य करना है (फिर याद में बैठ जाना), भ्रमरी-समान भूं-भूं (सेवा) करते रहना

चिन्तन

जबकि हम सभी बाबा को याद करने की युक्तियां ढूंढते रहते… तो अपने भोजन के समय को तो पूरा ही याद का समय बनाकर… मौंन में रहकर, बाबा से मीठी-मीठी बातें करते भोजन को स्वीकर करे… तो धीरे-धीरे आसपास सभी भी स्वीकर-फॉलो करेंगे, हम अपने स्थान को ही योग-शान्ति कुण्ड बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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