Becoming number one! | Sakar Murli Churnings 26-10-2019

The Importance of One | एक का महत्व | 25-11-2018 Avyakt Murli Churnings image

Becoming number one! | Sakar Murli Churnings 26-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. बाबा हमें सारे सृष्टि का पास्ट-प्रेजेंट-फ्यूचर सुनाते… मुख्य बात, सतयुग-त्रेता की हिस्ट्री-geography और वर्तमान आबू की सर्वश्रेष्ठ महिमा (जिस महान-तीर्थ से ऊँच-ते-ऊँच निराकार बाप-टीचर-सतगुरु शिवबाबा सारे विश्व की सद्गति करते)

2. बाबा से योग द्बारा ही बुद्धि रिफाइन होती… सबकी पढ़ाई-पवित्रता-सेवा-आज्ञाकारीता तो नम्बर-वार ही होती, हमें श्रेष्ठ जरूर करना है… ज्ञान को उगारते, कोई भी उल्टा कर्म नहीं करना है, अपनी जीवन ईश्वरीय सेवा में सफल करना है

चिन्तन

नम्बरवार होते भी नम्बर-वन बनने लिए… सदा बाबा की श्रीमत को सर्व-प्रथम महत्व देते, प्रवृत्ति-व्यवहार में रहते भी बुद्धि में बाबा की श्रेष्ठ स्मृतियों को रखते, सदा अपना तीव्र आंतरिक पुरूषार्थ करते… योग के लिए समय निकालते, सदा दिव्यता-शान्ति प्रेम आनंद से सम्पन्न अलौकिक स्थिति का अनुभव करते-कराते, सब को आप-समान बनने की प्रेरणा दिलाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘Becoming number one! | Sakar Murli Churnings 26-10-2019’

The power to transform! | परिवर्तन शक्ति |(80th) Avyakt Murli Revision 31-12-70

The power to transform! | परिवर्तन शक्ति |(80th) Avyakt Murli Revision 31-12-70

नये वर्ष में नये उमंग-उत्साह-संकल्प-स्वभाव-संस्कार धारण करने के लिए, वा विश्व कल्याणकारी सो विश्व राज्य अधिकारी बनने लिए चाहए, परिवर्तन-शक्ति:

  1. अमृतवेला-आदिकाल में प्रथम-श्रेष्ठ-समर्थ संकल्प, “मैं आत्मा हूँ”… मैं ब्राह्मण आत्मा, भगवान् से मिलन मनाने पधारी हूँ
  2. सम्बन्ध का परिवर्तन… मेरे सर्व सम्बन्ध-प्राप्तियां बाबा से है, जिससे सहजयोगी-अधिकारी बनते 
  3. फिर कर्म में… यह मन्दिर है, जिसमें बाबा की अति-प्रिय मूर्ति (मैं आत्मा) विराजमान हूँ, जिसकी बाबा महिमा करते… मैं इसका ट्रस्टी हूँ, सम्भालने-सजाने
  4. फिर मैं श्रेष्ठ गोडली स्टूडेंट हूँ, स्वयं भगवान्-श्री श्री, दूरदेश से मुझे पढ़ाने आते… हर एक बोल पद्मों की कमाई कराने वाला हैं… सुनाने वाले को नहीं देखो, अव्यक्त-निराकार को देखना
  5. सेवा में… सम्बन्ध सेवा के है, तो स्वीकार करना सहज होता, तंग होने के बजाय तरस से विश्व कल्याण करते… अटैचमेंट के बदले त्याग-तपस्या… धन कमाने के साथ याद भी, व्यवहार के साथ परमार्थ, डबल कमाई करने वाले कर्मयोगी
  6. व्यक्ति के साथ आत्मिक-भाव… वस्तु-वैभव के साथ अनासक्त-भाव
  7. साधन-दृश्य में साधना नहीं भूलना, मैं सिद्धि-स्वरूप आत्मा हूँ… हर बात से ज्ञान-अलौकिकता उठाना
  8. सोना बाबा की गोदी में… स्वप्न फरिश्तों की दुनिया के

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अमृतवेला से रात तक परिवर्तन-शक्ति का प्रयोग कर… सदा अपने को आत्मा समझ, बाबा से सर्व सम्बन्ध अनुभव करते… सारा दिन योगयुक्त-स्थिति, अनासक्त-भाव से साधनों का प्रयोग करते, आत्मिक-भाव से सबसे व्यवहार करते… मन्दिर की मूर्ति समान दिव्य-पवित्र बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Revision:

Thanks for reading this article on ‘The power to transform! | परिवर्तन शक्ति |(80th) Avyakt Murli Revision 31-12-70’

The spiritual labour! | Sakar Murli Churnings 25-10-2019

The spiritual labour! | Sakar Murli Churnings 25-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमारे निमन्त्रण पर आकर, बाबा ने हमें इस कुम्भी पाक नर्क से निकाल दिया है… अब हम रोज़ शिवबाबा की पाठशाला में जाते, वह हमारा बाप (वर्सा), टीचर (पढ़ाई), सतगुरु (सद्गति) पतित-पावन है… जिन्हें श्रीमत पर हम सहज याद करते (अपने को आत्मा समझ, हम परमधाम से यहां आये है पार्ट बजाने)…

2. जिस याद से हमारे पाप कट हो, हम पावन-सतोप्रधान-दिव्य बनते… और दुनिया भी नई-सतोप्रधान स्वर्ग-सुखधाम-कृष्णपुरी बनती…

3. यह पढ़ाई बहुत ऊँची है, और समय थोड़ा है… तो हमें अपना समय सफल कर, ऊँच पद जरूर प्राप्त करना है (पवित्र बन, ज्ञान-चक्र-बाबा के चिन्तन द्बारा)

चिन्तन

जबकि याद से ही सारा नया विश्व स्थापन हो जाता (शक्तिशाली परमात्म-प्रकंपन से)… तो सदा अपनी याद की percentage को सारे दिन में बढ़ाते रहे, बैठे हुए शक्तिशाली अनुभव करने के साथ-साथ, सारे दिन के कर्मयोग में भी श्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति कायम रख… सबके लिए प्रत्यक्ष-प्रमाण उदाहरण बन, आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The spiritual labour! | Sakar Murli Churnings 25-10-2019’

Strengthening the elevated memories! | शक्तिशाली स्मृति | (79th) Avyakt Murli Revision 09-12-70

Strengthening the elevated memories! | शक्तिशाली स्मृति | (79th) Avyakt Murli Revision 09-12-70

1. बाबा देख रहे, हम कितना नोलॅफूल-पावरफूल बनें है, तब ही सर्विसएबुल बनेंगे… मुख्य है catching पावर, अपने आदि संस्कार-चलन को कैच कर स्वरूप में लाना… स्मृति को इतनी शक्तिशाली-श्रेष्ठ-स्पष्ट बनाना, कि कल की बात मेहसूस हो, कमजोरी समाप्त … एक आंख में निराकार (वा फ़रिश्ता) रूप, दूसरी में दिव्यगुण-धारी देवता रूप, ऎसा चलता-फिरता लाइट-हाउस माइट-हाउस बनना है

2. सदा माया को गेट-आउट (वापिस अन्दर नहीं आने देना) और गेस्ट-हाउस (यह पुरानी दुनिया है) याद रखना है… ऎसा परिवर्तित हो, जो पुरानी कमझोरी स्मृति में भी न हो

3. जबकि 21 जन्म रेस्ट मिलना है, तो अभी एक सेकण्ड भी मन्सा-वाचा-कर्मणा रेस्ट नहीं लेना, तो वेस्ट से बचे रहेंगे… ऎसे हार्ड-वर्कर रूहानी-सेवाधारी बनना है, सेवा में ऑफर कर बाबा की आफरीन लेनी है… माया का सामना कर, पुराने संस्कारों को समाना है

4. तिलक अर्थात सम्पूर्णता (प्रतिज्ञा) को याद रखना, फिर मिलेंगा राज-तिलक (प्रत्यक्षता)अधिकार लेने के पहले सत्कार देना, यह याद रखना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने निराकारी-आकारी-देवता रूप को शक्तिशाली स्मृति में रख, इस गेस्ट हाउस में माया को गेट आउट कर… लाइट हाउस बन सबकी अथक सेवा करते, सत्कार देते, बाबा की आफरीन लेते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Revision:

Thanks for reading this article on ‘Strengthening the elevated memories! | शक्तिशाली स्मृति | (79th) Avyakt Murli Revision 09-12-70’

The unlimited renunciation! | Sakar Murli Churnings 24-10-2019

The unlimited renunciation! | Sakar Murli Churnings 24-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमें अब शान्तिधाम-निवासी शान्ति-सागर शान्ति-देवा बाबा से शान्ति का वर्सा मिलता… शान्तिधाम-घर तो जाएंगे, साथ में जितना आत्मा समझते (छोटी-अविनाशी आत्मा जो भ्रकुटी-अकालतख्त में बैठ शरीर को चलाती) और बाबा को याद करते, तो सजाओं से छूटते, पवित्र बन पवित्र दुनिया-सुखधाम सद्गति-जीवनमुक्ति में ऊँच पद पाते सच्चा सोना, सतोप्रधान आत्मा-शरीर पाते

2. इस संगम पर सत्य-बीज़रूप (सुख-शान्ति सागर) बाप हमें रोज़-रोज़ सत्य बातें सुनाते… हमें संगम का काफी समय मिला है, तो बुद्धि से अब कहीं अटकना नहीं है

चिन्तन

जबकि हम बुद्धि से ही बाबा को याद कर सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते… तो अब बुद्धि को कहीं भी असार-भौतिक-लौकिक-सांसारिक-व्यर्थ बातों के प्रभाव में न उलझाते, सदा बाबा को साथ रख तोड़ निभाते… हर दिन ज्ञान-योग द्वारा तेज़ प्रगति-उन्नति का अनुभव करते-कराते, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The unlimited renunciation! | Sakar Murli Churnings 24-10-2019’

Becoming victorious over Maya! | (78th) Avyakt Murli Revision 05-12-70

How to overcome Weaknesses image

Becoming victorious over Maya! | (78th) Avyakt Murli Revision 05-12-70

1. आवाज से परे जाने (और ले जाने) के अभ्यास से… सब के दिलों पर विजय प्राप्त करते, विजयी रत्न बनते, बाप-समान

2. हाँ-जी की प्रतीज्ञा की है, तो जरूर पास विद आनर होना चाहिए, अर्थात संकल्प में भी फेल नहीं… इसलिए माया का सामना करने की भी शक्ति चाहिए (अष्ट-शक्तियां, ज्ञान-मुर्त, गुण-मुर्त), सूक्ष्म परखना है… सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न तृप्त कामना-मुक्त बनना है… पुरानी वृत्तियों से निवृत्त, सम्पूर्ण क्लियर, डोंट-केएर की शक्ति धारण करनी है

3. हिम्मतवान-शक्तिवान बनना है… साथियों से भी सर्टिफिकेट लेना… मैं विजय माला का मणका हूँ, इसी नशे में रहना है, तो हार नहीं होगी… सम्पूर्ण बलि चढ़ने वाले महाबलि के सामने, माया का बल नहीं चलता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा आवाज़ से परे रहने के अभ्यास द्बारा, हिम्मतवान-शक्तिवान बन सदा श्रेष्ठ विजय-पन की स्मृति के नशे में रह… मायाजीत सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बन, सब के दिलों को जीतते… आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Revisions

Thanks for reading this article on ‘Becoming victorious over Maya! | (78th) Avyakt Murli Revision 05-12-70’

The legal opinion | श्रीमत | Sakar Murli Churnings 23-10-2019

The legal opinion | श्रीमत | Sakar Murli Churnings 23-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ओम्-शान्ति के अर्थ-स्वरूप में टिकने (अपने को निराकार शान्त-स्वरूप आत्मा समझने) से स्वतः निराकार पतित-पावन सर्वशक्तिमान की याद आती (परिचय-सहित)… जिससे कैरेक्टर-चलन दैवी बनता, और हम पावन-सतोप्रधान नई दुनिया-अमरलोक-सचखणड-सुखधाम-सद्गति के वर्से में ऊँच पद पाते, देेवता रूप में…

2. यह ज्ञान-सागर बाबा के ज्ञान-अमृत की पढ़ाई-श्रीमत सिर्फ अब संगम पर मिलती… जिसका हमें काफी समय मिला है, हम निश्चयबुद्धि भी है, तो अपने पर रहम कर नम्बर-वन पद जरूर प्राप्त करना है… सबकी सेवा कर मददगार बनना है, अपना सबकुछ ट्रान्सफर कर

चिन्तन

जबकि आधा-कल्प बाद बनें सम्पूर्ण लीगल रास्ता (श्रीमत का) मिला है… तो सदा अपने जीवन-दिनचर्या को श्रीमत अनुसार सेट करते, ज्ञान-योग की सम्पूर्ण प्राप्तियों को अपने जीवन में अनुभव कर… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The legal opinion | श्रीमत | Sakar Murli Churnings 23-10-2019’

The most elevated stage! | (77th) Avyakt Murli Revision 03-12-70

The most elevated stage! | (77th) Avyakt Murli Revision 03-12-70

1. निरहंकारी-निराकारी-अलंकारी बनना है (तो देह-अहंकार नहीं आएँगा), यह भी मन्मनाभव है… तब ही सर्व का कल्याण होगा (स्वयं का भी)… हम है ही विजयी रत्न, संकल्प-कर्म में विजयी

2. मास्टर सर्वशक्तिमान की श्रेष्ठ स्व-स्थिति में स्थित रहने से, परिस्थिति से पार रहेंगे… अपने स्व के भाव में रहने से, भाव-स्वभाव के चक्कर से परे रहते… कामना से मुक्त होने से ही सामना करने की शक्तियां आती

3. हमारा अन्तिम स्टेज है ही इच्छा मात्रम अविद्या… अपना सम्पूर्ण स्वरूप बिल्कुल स्पष्ट दिखाई दे, अभी-अभी पुराना चोला छोड़ा, और यह श्रेष्ठ वस्त्र धारण किया… एसी प्रतिज्ञा (प्रयत्न नहीं!) करनी है, तब साक्षात्-रूप साक्षात्कार-मूर्त बन प्रत्यक्षता करेंगे

4. मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात कभी हार खाने वाले नहीं, मार-हार से परे… नहीं तो देवता-मूर्तियों के हार बनाने padenge… हम तो बलिहार होने वाले हैं, complaint से परे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा पर बलिहार हो, अपने निराकारी स्थिति वा मन्मनाभव का अभ्यास कर… सदा विजयी स्थिति का अनुभव कर, इच्छा-मात्रम्-अविद्या साक्षात्-रूप सम्पूर्ण बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Revisions

Thanks for reading this article on ‘The most elevated stage! | (77th) Avyakt Murli Revision 03-12-70’

This wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 22-10-2019

This wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 22-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. अब ड्रामा अनुसार हमें भक्ति का फल मिला है, इस संगम-स्कुल-ब्रह्मा तन द्बारा… स्वयं निराकार पतित-पावन ज्ञान-सागर शिवबाबा हमें सारे चक्र का ज्ञान देते… और देवता बनाते, नई दुनिया-हेवन-सुखधाम का

2. तो हमें भी श्रीमत पर दिव्यगुण जरूर धारण करने है (अवगुण, झूठ, दुःख देना, अपवित्रता, खान-पान, आदि से परे)… सबका कल्याण भी करना है (हमारे भाई-बहनें कितनी सेवा करते)… छोटी बिन्दी बाबा को याद करना सहज है, सिर्फ समझ की बात है… तब ही इस wonderful ड्रामा में श्रेष्ठ पार्ट बजा सकेंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा को ड्रामा इतना wonderful लगता, तो हम भी ड्रामा के कल्याण को सहज देख सके… इसके लिए सदा सदा ज्ञान-योग-प्रभु प्रेम द्बारा श्रेष्ठ-ऊंची-फरिश्ता स्थिति का अनुभव करते (नीचे की बातों से बिल्कुल न्यारे), सदा बाबा के साथ सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न रहते, सब को भी आप-समान सर्वश्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘This wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 22-10-2019’

The power of Brahma Bhojan! | Sakar Murli Churnings 21-10-2019

The power of Brahma Bhojan! | Sakar Murli Churnings 21-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. बैहद का बाप हम आत्माओं को पढ़ाते, सेवा की भिन्न-भिन्न युक्तियां बताते (हमें भी सेवा का शौक होना चाहिए)… हम पूछ सकते देवताओं के चित्र काले क्यूँ है, क्यूंकि वही पावन से पतित बने है, अब फिर पतित-पावन बाप-सतगुरु आकर हमें पावन-जीवनमुक्त-देवता बनाते, यही उसका जादू है… घर-गृहस्थ में तो रहना ही है, बाकि सबका कल्याण भी जरूर करना है, हम सारे चक्र को जानते

2. पवित्रता से ही सुख-शान्ति है (जिससे शरीर-प्रकृति-विश्व सब सतोप्रधान बनता)… इसके लिए बहुत सहज है चलते-फिरते अपने को छोटी आत्मा समझ बाबा को याद करना (जिससे सुख से भर जाते, सभी मनोकामनाएं पूरी, कलह-क्लेश समाप्त होते)

3. याद में रहकर भोजन बनाने-खाने से… भोजन में ताकत भरती, ह्रदय शुद्ध होता

चिन्तन

जबकि याद में बने हुए भोजन में इतनी ताकत है… तो सदा अपना भोजन बनाने-स्वीकर करने के पूरे समय को योग का समय समझ… बाबा के गीत सुनते भोजन बनाए, भोग लगाकर दृष्टि देकर भोजन स्वीकार करे (जैसे कि बाबा स्वयं माँ-रूप में मुझे खिला रहे, गिट्टी-गिट्टी)… तो हमारा तन-मन सम्पूर्ण स्वस्थ होते, हमारे घर का वातावरण भी मन्दिर जैसा बन, सबको श्रेष्ठ जीवन बनाने की प्रेरणा मिलते, हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘The power of Brahma Bhojan! | Sakar Murli Churnings 21-10-2019’