Being the Master! | (72nd) Avyakt Murli Revision 23-10-70

Being the Master! | (72nd) Avyakt Murli Revision 23-10-70

1. रूहानी ड्रिल अर्थात रूह को जिस स्थिति में स्थित कराना चाहे, करा सकते… हम ही अपने ड्रिल-मास्टर है, ठीक न करने से हम अपने अधिकारों से डिसमिस हो जाते… हम तो सर्वशक्तिमान के बच्चे वारिस है, व्यक्त-अव्यक्त पालना लिए हुए, कच्चे नहीं बच्चें है… अब बीती सो बीती

2. महारथी अर्थात सारथी (देह का) और साथी… वायदे प्रमाण हर कर्म में बाबा को साथी रखने से, बाबा-मिलन में मग्न रहने से, शक्ति से भरपूर रहते, माया आ नहीं सकती… गफलत से ही गलतियां होती

3. रूह के बदले रूप को देखना अर्थात मुर्दों से प्रीत रखना, अर्थात मुर्दा-घाट में भविष्य निश्चिन्त करना, हर संकल्प का परिणाम होता… दुबारा गलतियां की 100 गुणा सजा से बचने लिए, बाबा को सदा सामने-साथ रखना है, हर संकल्प-कर्म उनसे verify कर, फॉलो करना (औरों को नहीं देखना, बाबा के गुण-कर्तव्य ही हमारा निशाना है, हम मर्यादा-पुरुषोत्तम है)… तो सब को परख सकेंगे, प्रभावित नही होंगे

4. हमारा रंग-रूप-रौनक बदला है… सदा एकरस रूप बनाना है, उलझन के बदले उज्ज्वलप्रतीज्ञा को सदा काल कर, पुराने को परिवर्तन करना है, जैसे पिछले जन्म की बात हो

5. तख्तनशीन बनने लिए समीप सहना है, तब समान बनेंगे… नयनों में मुक्ति-जीवनमुक्ति (त्रिमूर्ति), मस्तक से ज्योति-बिन्दु बाबा दिखे, हर कर्मेंद्रीय सेवा करे, यही serviceable का सबूत है… सुबह से हर संकल्प-बोल-कर्म-चलन-स्वप्न रेगुलर, श्रीमत प्रमाण

सार

तो चलिए आज सारा दिन…. सदा बाबा को एकरस सामने-समीप रख, हर संकल्प श्रीमत प्रमाण करते … सदा सारथी बन, बाबा से सर्व शक्तियों का अधिकार लेते, हर कर्मेन्द्रिय से सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The wonderful salvation army! | Sakar Murli Churnings 27-09-2019

The wonderful salvation army! | Sakar Murli Churnings 27-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम के ईश्वरीय संसार में बाबा हम रूहानी मिलिट्री को कहते… अटेन्शन प्लीज, अर्थात एक प्राणेश्वर-मोस्ट Beloved-सतगुरु-शिवबाबा की याद में हो?… क्योंकि तब ही पावन-सतोप्रधान-विकर्माजीत-बन्धनमुक्त बनेंगे

2. हम तो सबको विकारों-पाप-दुःखधाम से लिबरेट करने का रास्ता दिखाने वाले लाइट-हाउस है, एक आँख में मुक्ति दूसरी में जीवनमुक्ति… इसके लिए पहले खुद अच्छे से पढ़कर, कांटे से फूल बनना है, तब ही गार्डन ऑफ अल्लाह-paradise के मालिक बन-बना सकेंगे

चिन्तन

जबकि बाबा ने हमें इतने महान विश्व परिवर्तन-उद्धार के कार्य के निमित्त बनाया है… तो सदा स्वयं को छोटी व्यर्थ बातों से परे रख, ज्ञान-योग द्बारा सदा अपनी ऊँची-बेहद की विश्व-कल्याणकारी स्थिति में स्थित रह, सबको शुभ भावना से सशक्त-श्रेष्ठ बनाते-बचाते, सतयुग की स्थापना करते रहें… ओम् शान्ति!


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Being Master Knowledgeful! | (71st) Avyakt Murli Revision 22-10-70

Being Master Knowledgeful! | (71st) Avyakt Murli Revision 22-10-70

1. जब बाप-समान मास्टर नॉलेजफुल बनेंगे, तब फूल-फ्लोलेस कहेंगे, नहीं तो फेल

2. बाबा हमें देख रहे, लाइट-माईट-राईट (यथार्थ और अधिकारी)… अभी तक आवाज फैला है, अब आत्माओं का आह्वान कर बाबा के समीप लाना है… इसके लिए खुद आवाज से परे जाकर अपनी सम्पूर्णता का आह्वान करना है (आवागमन में नहीं जाना, आहुति देनी है)… नॉलेज के साथ नॉलेजफुल पर आकर्षित कराना

3. शक्ति-शूरवीर अर्थात कोई भी आसुरी व्यक्ति-वाइब्रेशन-वायुमण्डल-समस्या आकर्षित न करेकारण देने से कारागार में चले जाते, अब तो प्रत्यक्ष कार्य दिखाना है… अभी तो बाबा ने सुना, स्नेह-रहम-रियासत की, फिर तुरन्त एक का सौगुणा-दण्ड मिलेगा

4. अब मास्टर रचयिता के नशे द्बारा रचना के भिन्न-भिन्न आकर्षण से परे जाना है, तब कहेंगे फूल, बचपन-बेपरवाही-आलस्य-अलबेलापन से परे, शक्ति-रूप शस्त्रधारी-रुप सदा जागती ज्योत… भक्त-आसुरी दोनों सामने आएंगे, उन्हें परखना, अब रियासत के बदले रूहानियत का समय है

5. समय की पहली सिटी बज गई है, अब ईश्वरीय मर्यादाओं में पक्के रहना है… सम्पूर्णता को समीप लाना है, समस्याओं का सामना करना है, अंश भी समाप्त… नाजुक समय का सामना करने लिए नाजुक-पन छोड़ना है… फिर गुप्त प्रत्यक्ष हो जाएँगा, सूरत-सीरत में

6. आत्मा को सदा हर्षित रखने से माया आकर्षित नहीं करेंगी… आदि-रत्नों पर आदि-देव का विशेष स्नेह है, इस सर्वशक्तिमान के स्नेह को स्मृति में साथ रखने से बचे रहेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मास्टर नॉलेजफुल मास्टर रचयिता बन, लाइट-माईट शक्ति-सम्पन्न बन, मर्यादाओं में पक्के रूहानीयत से सम्पूर्णता का आह्वान करते… समस्याओं से परे रह, सब की आगे बढ़ाते, बाबा को प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Experiencing divine characters! | Sakar Murli Churnings 26-09-2019

Experiencing divine characters! | Sakar Murli Churnings 26-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमारे बुलावे पर, स्वयं बेहद का बाप परमधाम-घर से आकर ब्रह्मा-तन द्बारा (भारत-आबू में)… हमें सहज राजयोग सिखाते (अर्थात घर-गृहस्थ में रहते, चलते-फिरते भी अपने को आत्मा समझ पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाबा को याद करना), जिससे पाप-कट हो पावन-सतोप्रधान बन वापिस घर जाते… साथ में दिव्यगुण-सम्पन्न मीठे-उत्तम-पवित्र कैरेक्टर्स भी बनते, जबकि हम नई-पावन-जीवनमुक्त दुनिया स्वर्ग का मालिक बन रहे

2. माया आए तो भी हमारी बाप से प्रीत-बुद्धि है, हम कल्प-कल्प के विजयी रत्न है… जबकि इस स्कूल में हमारी पद्मों की कमाई हो रही, हम देवता बन रहे, तो सुस्ती-उबासी आँख-बंद आदि से बचना है

चिन्तन

जबकि यही समय है दिव्य कैरेक्टर्स बनाने का… तो सदा अपने दिव्य एम-object को सामने रख, व्यर्थ बातों से अन्तर्मुखी बन, सदा ज्ञान-योग के भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ स्मृति-अभ्यास द्बारा ऊँची सदा-खुश स्थिति का अनुभव करते रहे… तो स्वतः हमारी हर चलन दिव्यगुण-सम्पन्न श्रेष्ठ बन… हम सबको श्रेष्ठ उदाहरण द्बारा आप-समान बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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A divine drishti! | (70th) Avyakt Murli Revision 06-08-70 (2nd)

A divine drishti! | (70th) Avyakt Murli Revision 06-08-70 (2nd)

1. बाप-समान दृष्टि-वृत्ति-संकल्प-वाणी धारण करनो है, अव्यक्त स्थिति में रहकर व्यक्त में आना है… जितना समीप, उतना समान… ऎसी दिव्य-आत्मिक-अलौकिक वृत्ति-दृष्टि बनानी है, कि सृष्टि बदल पावन बन जाए… हमारी यथार्थ दृष्टि (देही देखने की) से सबको साक्षात्कार कराना है (अपने स्वरूप-घर-राजधानी का)

2. हम विशेष आत्माएं है, इसी ईश्वरीय नशे में रहना है, तो नयनों से दिखेगा… ऎसा कोरा-कागज़ बनना है, कि उसमें स्पष्ट-श्रेष्ठ लिखत हो सके, स्पष्टता अर्थात जो बात जैसी है उसी रूप में धारण करना… समान-अल्लाह अर्थात आधार-मूर्त (जो कर्म हम करेंगे, हम देख सब करेंगे), उद्घार-मूर्त (स्व-सर्व का उद्धार)

3. टीका अर्थात:

  • जो बातें सुनाई, उसमें टिक जाना
  • injection अर्थात तन्दुरूस्ती, शक्तिशाली
  • सुहाग-भाग्य की निशानी
  • प्रतीज्ञा (सदा हर बात में पास विद आनर, संकल्पों में भी उलझेंगे नहीं, हिम्मत-वान)

4. सहयोगी बनने से स्नेह मिलता रहेगा… कोमल के साथ कमाल करना, ईश्वरीय चरित्रों पर सब को आकर्षित करना

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाप-समान अव्यक्त-स्थिति वा आत्मिक-दृष्टि धारण कर, बाबा के समीप-स्पष्ट-श्रेष्ठ रह, शक्तिशाली-भाग्यवान बन, आधार-मूर्त उद्धार-मूर्त की स्मृति द्बारा सबको स्नेह-सहयोग देते, ईश्वरीय चरित्रों का अनुभव कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Benefits of remembering Baba! | Sakar Murli Churnings 25-09-2019

Benefits of remembering Baba! | Sakar Murli Churnings 25-09-2019

गीत: तुम्हारी याद बाबा एक…

1. नई-दुनिया स्थापन करने वाला विदेही बाप, संगम पर ब्रह्मा तन द्बारा हमें पढ़ाकर, राजयोग सीखाते (याद की यात्रा, मन्मनाभव)… जिसमें ही safety-खुशी है, कर्मेन्द्रियां शीतल होती, मायाजीत बनते, पावन-सतोप्रधान मीठे-सुखदाई characters बनते, कोई नाराज नहीं होता, याद का जौहर-बल भरता… Battery चार्ज हो, ऊंच पद बनता

2. साथ में बाबा से निश्चयबुद्धि-सच्चा रहना है, सबकी सेवा करते रहना है… विस्मृत होना माना पुरानी दुनिया-कलियुग में चले जाना, अब तो माया के pomp का अन्त है… बाकी बहुत थोड़ा समय है, फिर हम दैवी दुनिया स्वर्ग-हेवन-paradise-अमरलोक-शिवालय के मालिक होंगे, देवता-रूप में

चिन्तन

जबकि याद में ही सर्व-प्राप्तियां समाई हुई है… तो सदा ज्ञान-मनन की शक्ति से समर्थ बन, सहज एकाग्रता का अनुभव करते, गहराई से आत्मिक स्थिति वा बाबा की याद में पवित्रता-शान्ति-प्रेम-सुख-आनंद के शक्तिशाली अनुभवों से सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

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Going beyond the bondage of body-consciousness | (69th) Avyakt Murli Revision 06-08-70

Going beyond the bondage of body-consciousness | (69th) Avyakt Murli Revision 06-08-70

1. बन्धन-मुक्त अर्थात अव्यक्त ने व्यक्त का आधार लिया है, जब चाहे प्रयोग करे-छोड़े, बाप-समान… जितना बन्धन-मुक्त, उतना योगयुक्त, उतना जीवनमुक्त… जितना न्यारा, उतना बाप-सर्व का प्यारा

2. सर्विस में सफलता अर्थात सब को बनाना स्नेही (बाबा से), सहयोगी (बाबा के कर्तव्य में), शक्तिशाली (पुरुषार्थ में)…. इसके लिए साक्षी बनना है, तो स्वतः साक्षात्-रूप (ज्ञान-योग का प्रत्यक्ष प्रमाण) व साक्षात्कार-मूर्त (बाप का साक्षात्कार कराने वाले) बनेंगे… वृत्ति-दृष्टि-वाणी-कर्म में पहले आप लाने से बाप-समान बना सकते, विश्व महाराजन् बन सकते… regard देने से हमारा रिकॉर्ड ठीक रहता, सर्व के स्नेही बनते… निर्माण बनने से प्रत्यक्ष-षप्रमाण दे, विश्व का निर्माण कर सकते

3. सम्मेलन अर्थात सब को बाप से मिलाना… जितना खुद प्राप्ति-स्वरूप, उतना सब को प्राप्ति करा सकेंगे… कब के बदले अब, ऎसा परिवर्तित हो, नजदीक प्रजा बनाने लिए नाज़ुकपना-अलबेलापन छोड़ राजयुक्त बनना है… शरीर छोड़ने के अभ्यास से रूहानियत कायम रहती… जितना संकल्प-बोल-कर्म सब में रेगुलर, उतना रूलर बनेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अभी से सदा रूहानीयत का अभ्यास कर बाबा से जुड़े रहने में रेगुलर रह, प्राप्ति-स्वरुप जीवनमुक्त साक्षात्-रूप बन… सब को regard देते, निर्माणता से सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Creating beautiful sanskars! | Sakar Murli Churnings 24-09-2019

Creating beautiful sanskars! | Sakar Murli Churnings 24-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर ब्रह्मा-तन द्बारा… हमारा सच्चा सतगुरु शिवबाबा, हम धरती के लक्की सितारों को जन्मसिद्ध-अधिकार के रूप में, सच्चा बनाकर सचखण्ड का मालिक बनाते (जीवनमुक्ति-सद्गति, स्वर्ग-हेवन, भक्ति का फल)… पहले जाएंगे घर (निराकारी-दुनिया, शान्तिधाम… लिब्रेशन, मुक्ति)

2. मुख्य बात, हमें ज्ञान-गुण-पवित्रता के संस्कार ले जाने है, इसलिए योगबल से पुराने संस्कारों को परिवर्तन करना है… यह मिलन-मेला है, जिसमें बाबा से पक्का हथियाला बाँधना है

चिन्तन

जबकि हमें संकल्प-संस्कारों का सम्पूर्ण ज्ञान मिल गया है… तो सदा ज्ञान-योग के पक्के फाउंडेशन द्बारा हर दिन कोई-न-कोई श्रेष्ठ संस्कार बनाते रहे, तो पुराने संस्कार स्वतः समाप्त हो जाएंगे… मुख्य बात, अपनी दिनचर्या के संस्कार को श्रीमत प्रमाण बनाते, श्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर जीवन का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Finishing the old sanskars! | (68th) Avyakt Murli Revision 30-07-70

Finishing the old sanskars! | (68th) Avyakt Murli Revision 30-07-70

1. महारथी अर्थात संकल्प-कर्म समान महान, जिसके लिए चाहिए controlling पावर… पुराने संस्कार-कमझोरी समाप्त, इसके बदले कमाल के संकल्प… हम तो विश्व के लिए आधार-उद्धार-उदाहरण मूर्त है, सब को बाबा पर फिदा कर, वर्सा दिलाने वाले

2. हम है सर्व के सहयोगी (और स्नेही), सफलता-मूर्त… इसके लिए पुराने संस्कार को मिटाना है, बस मैं और बाबा तीसरा कुछ नहीं, यही ऊँगली देनी है… कोई न कोई स्लोगन स्वरूप में लाना है

3. माला का मणका अर्थात एकमत-एकता-एकरस स्थिति… इसके लिए भिन्नता को समाना है… विशेषताएं देखने से विशेष आत्मा बन जाएँगे, कमी देखने से ग्रहण-ग्रहचारी लगती… ऎसा सच्चा सोना बनना है, जिससे दूसरों पर प्रभाव पड़़े

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मैं और बाबा इसी एकरस स्थिति में स्थित, controlling पावर से सम्पन्न महारथी सच्चा-सोना बन… हर कार्य में सफलता पाते, सबकी विशेषताएं देख एकमत बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming full of happiness in a second! | Sakar Murli Churnings 23-09-2019

Becoming full of happiness in a second! | Sakar Murli Churnings 23-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. नॉलेजफुल बाप-टीचर-सतगुरू ने हमें ज्ञान (कैसे आत्मा ऊपर से आकर 84 का all-round पार्ट बजाती, पहले स्वर्ग-सुखधाम का वर्सा था) और योग (बाबा की याद, मन्मनाभव के मंत्र) द्बारा सेकण्ड में जीवनयुक्ति-सुख-खुशी से भरपूर कर दिया है… जितनी हमारी धारणा है (ज्ञान-गुण-पवित्रता की)

2. तो औरों को भी त्रिमूर्ति-गोले के बड़े चित्र द्बारा (मुख्य स्थानों पर) समझाना है, बाप से सतयुगी जीवनमुक्ति का वर्सा आपका जन्मसिद्ध अधिकार है (एसी अच्छी लिखत के साथ), बैज़ पर भी समझा सकते

3. बाकी थोड़ा समय है, फिर तो चक्र फिर जाएगा… तो विनाशी चीजों के पीछे नहीं दौड़ना है, समय-सहित सबकुछ सफल करना है 

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें ज्ञान-मन की सम्पूर्ण समझ दी है… तो सदा दिनचर्या को accurate रख, श्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर संकल्पों को अनुभव कर, सदा खुश-शान्ति-सर्व प्राप्ति सम्पन्न रह… सबको आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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