Finishing the margin! | (54th) Avyakt Murli Revision 21-05-70

Finishing the margin! | (54th) Avyakt Murli Revision 21-05-70

1. बाबा हमारी मार्जिन (कितना आगे जाना बाकी है) और माइट (शक्ति) देख रहे

2. ज्ञान का बीज अविनाशी है, उसमें जितना बाबा के संग (पुरुषार्थ) का जल देते, उतना फल-स्वरूप बनते… पुरूषार्थ की भिन्नता मिटाने लिए चाहिए एकता, जिसके लिए:

  • एकनामी (एक का ही नाम लेने वाले)
  • इकॉनमी (संकल्प-समय-ज्ञान की)

तो मैं-पन बाबा-बाबा में समा जाएँगा, जो ही माया-विघ्न से बचने की ढाल है

3. स्पष्टता से आती सरलता… जो जितना सरल, उतना याद भी सरल होगी, औरों को भी सरल पुरूषार्थी बना देगा… यही यादगार दे जाना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जो भी मार्जिन बाकी है, उसे सम्पन्न करने ज्ञान से भरपूर बन बाबा के संग में रहते शक्तिशाली बन… सबके साथ सरलता-एकता से चलते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Giving Baba’s parichay! | Sakar Murli Churnings 07-09-2019

Giving Baba’s parichay | Sakar Murli Churnings 07-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. बेहद-बाप ब्रह्मा-तन में आकर हमें अपना परिचय दे, राजयोग सिखाया है, पावन बनाने … तो हमें भी अपने आत्मा-भाइयों को बाबा का परिचय जरूर देना है (कैसे वह निराकार बाप-टीचर-सतगुरु ज्ञान-सागर, कलियुग-अन्त में आकर सर्व की सद्गति करते, सतयुग स्थापन करले, देवता बनाते)… हम भी आत्मा अकाल-तख्तनशीन है (जिसमें 84 जन्मों का पार्ट नुन्धा है), अभी हम ब्राह्मण है, बाप से वर्सा ले रहे

2. बाबा धोबी बन हमें पावन बनाने आए है, फिर वहां शरीर भी पावन मिलेगा… जबकि बाबा हमें इतनी मिल्कियत देते, तो उन्हें सदा याद रखना है… कमल-फूल समान रहना है, फ़िर वहां कर्म अकर्म रहते

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा का परिचय देने लिए सदा याद रखे, बाबा का:

  • नाम है… शिव (जिसका अर्थ है बिन्दी, शान्ति, कल्याणकारी)
  • रूप… निराकर ज्योति-बिन्दु स्वरूप (यही रूप सभी धर्मों को स्वीकार है)
  • देश… ऊंच ते ऊंच परमधाम (इसलिए उसे उपर-वाला कहते)
  • गुण… ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों का सागर
  • कर्तव्य… ब्रह्मा तन में आकर, राजयोग सिखाकर, मनुष्य से देवता बनाकर, कलियुग को सतयुग बनाते
  • समय आने का… संगमयुग (उसके आने से ही चढ़ती कला होती, सतयुग आता… तो जरूर वह कलियुग-अन्त और सतयुग-आदि के संगम पर आएँगे)

तो सदा बाबा के याद से जो प्राप्तियों होती है (सेकण्ड में शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर हो जाते, जिस शान्ति-खुशी के लिए सारी दुनिया भाग रही है, ऎसा सहजयोग तो सिर्फ भगवान् ही सीखा सकते)… इन्हीं प्राप्तियों का अनुभव सुनाते हुए सबको बाबा का परिचय देते रहें, तो सभी भी बाबा से सहज जुड़ते, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनतेे, सतयुग बनता रहेंगा… ओम् शान्ति!


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Getting married to God! | (53rd) Avyakt Murli Revision 14-05-70

Getting married to God! | (53rd) Avyakt Murli Revision 14-05-70

1. बाबा दर्पण लाए हैं, जिसमें अपने अर्पण-मय होने का मुखड़ा देख सकते… सम्पूर्ण अर्पण (समर्पण) अर्थात देह-भान (कर्मेंद्रीयां), स्वभाव-सम्बन्ध सब अर्पण, तब सम्पूर्ण कहेंगे… ऎसे सदा सुहागिन (बिंदु रूप) बनने से श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त होता

2. पुरूषार्थ तेज़ करने लिए 4 बातें याद रखनी है:

  • उद्देश्य
  • बाबा का आदेश (जिससे सफलता मिलती)
  • बाबा का सन्देश (सेवा)
  • स्वदेश (अब घर जाना है)

3. हम लाॅ-मेकर्स है (जस्टिस), इसलिए हर संकल्प-कदम संभाल के उठाना है… क्योंकि वह जैसे कि लाॅ बन जाता, सब फोलो करते… ऎसी अपनी जिम्मेदारी समझने से, छोटी बातों से सहज परे रहते

4. संगम के तिलक-तख्तनशीन, सर्विस का ताज, और गुणों के गहने से हम सम्पन्न है (संगम पर ही बीजरूप बाबा द्बारा सभी दैवी रीति-रस्म के बीज पडते)… समर्पण-समारोह अर्थात मधुबन के मन्दिर में आत्मा-परमात्मा का लगन होना, लॉ-मेकर्स का (कोर्ट)

5. हम है उपकारी (भल कोई कितने भी अपकार करे), अधिकारी और निरहंकारी… तब ही ताज-तख्त कायम रहता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को बाबा पर अर्पण, श्रेष्ठ भाग्यवान सुहागिन आत्मा समझ… सदा अपनी श्रेष्ठ लाॅ-मेकर की स्मृति द्बारा निरहंकारी बन सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 06-09-2019

The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 06-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगमयुग (कलियुग-अन्त वा सतयुग-आदि के बीच का सुहावना-कल्याणकारी समय, जहा बाबा ईश्वरीय युनिवर्सिटी खोलते, हम उत्तम पुरुष बनते) पर… बाबा (ज्ञान-सुख सागर, पतित-पावन, सर्व का सद्गति दाता, बीजरूप) की राजयोग की शिक्षाओं के अनुसार, हम याद करते है:

  • बाप को (जिससे पावन-सतोप्रधान बनते)
  • घर को (जहां जाना है)
  • नई दुनिया-स्वर्ग को (जो माल-मिलकियत-सुख मिलना है)… फ़िर वहां चले जाएंगे

फिर चक्र फिरता, झाड़ बढ़ता रहेंगा, फिर बाबा पावन बनाएंगे संगम पर… य़ह आत्मा का wonderful कुदरती पार्ट है, जो रिपीट होता रेहता

2. मुख्य बात, अपने को पवित्र ब्राह्मण बनाना है (तब ही देवता बनेंगे)… सबकुछ भूल, अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करने से पाप भस्म होते

चिन्तन 

जबकि यह कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग चल रहा… तो सदा बाबा के संग-combined रह शान्ति-प्रेम-आनंद की सर्वश्रेष्ठ शक्तियों से भरपूर बन… बहुत सहज अपने में परिवर्तन अनुभव करते, दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power to pack-up! | (52nd) Avyakt Murli Revision 05-04-70

The power to pack-up! | (52nd) Avyakt Murli Revision 05-04-70

1. सभी पॉइंट का सार है पॉइंट बनना, अर्थात विस्तार को समेटना-समाना… बीज-रूप स्थिति का अभ्यास, अभी-अभी आवाज में, अभी देह से परे

2. हम उम्मीद की विशेषता वाली विशेष आत्मा है, अभी श्रेष्ठ बनना है, अलंकारी और आकारी (जिसके लिए चाहिए लाइट)… निर्भयता-एकता-एकरस (ज्योति-ज्वाला और हल्केपन-शीतलता का बैलेंस, लाइट हाउस) … मेहनत कम, सफलता ज्यादा… सुनने के साथ स्वरूप बनना, सेन्स के साथ इसेन्स

3. तिलक अर्थात… आत्मिक स्मृति और भविष्य राजतिलक की निशानी-नशा

4. भक्ति में जो फूल चढ़ाए थे, उसका रिटर्न बाबा न्यारा (देह से)-प्यारा का पुष्प देते… हर्ष के साथ आकारी, यही आकर्षण-मूर्त है… हमारे पास पुरुषार्थ-सेवा दोनों का बल है… जितना बाबा के कर्तव्य में सहयोगी, उतना स्नेह मिलता… जितना बाप-समान निर्माण, उतना स्वमान

5. सम्पूर्ण अर्पण के दर्पण से बाबा का साक्षात्कार होंगा, सूरत से ही अल्लाह-समान दिखेंगे… जो ओते सो अर्जुन… तृप्त आत्मा अर्थात निर्भय-सन्तुष्ट… सहनशक्ति की कमी अर्थात सम्पूर्णता की कमी, तो अभी सदा अपने को शक्ति समझ विजयी बनना है, कमजोरी समाप्त

6. हम जादूगर बच्चे अव्यक्त को व्यक्त में लाते… अब ज्ञान-स्वरूप याद-स्वरूप बनना-बनाना है, समय के इन्तज़ार के बदले इन्तज़ाम करना है, एवर रेडी (पुरुषार्थ-संस्कार से भी)… नर्म (कोमल) और गर्म (शक्तिशाली), कोमल के साथ कमाल

7. श्रेष्ठ-मणि अर्थात सब कार्य श्रेष्ठ (सरलता-सहनशीलता… शीतल-मधुर के ज्वाला शक्ति)… मस्तक-मणि अर्थात मस्तक पर विराजमान, आस्तिक, सदा हाँ-जी… हम लक्की सफलता के समीप सितारे है

8. जितना विदेही बनेंगे (देह-भान से न्यारे), उतना स्नेह दे-ले सकेंगे, समीप रहेंगे (बाबा से भी)… कमजोरी को स्मृति में भी नहीं लाना, मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात सब कुछ सम्भव, मुश्किल भी आसान… अकेले है तो भी बाबा साथ है, संगठन मैं है तो भी अकेले (न्यारा-प्यारा)

9. जितना स्थिति एकरस, उतना पूजन-योग्य… तीव्र पुरूषार्थी अर्थात कब के बदले अब दिखाना… सम्पूर्ण अर्थात सर्वशक्ति-सम्पन्न, फिर वहां सर्वगुण-सम्पन्न

10. स्नेह-सहयोग-सम्बन्ध-सहन, सभी शक्तियां धारण करनी है… साहस-हिम्मत से मदद मिलती है (बाबा-परिवार की)… शक्ति (माया पर विजयी बनने लिए) और स्नेह (सम्बन्ध में), दोनों चाहिए

सार

तो चलिए आज सारा दिन… विस्तार को समेटकर बीजरूप विदेही बन, सदा अव्यक्त को साथ रख याद-स्वरूप बन… सबके स्नेही-प्यारे बन, हर कार्य में सहज सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The easiest way of becoming virtuous! | Sakar Murli Churnings 05-09-2019

The easiest way of becoming virtuous! | Sakar Murli Churnings 05-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आत्मा समझ बाप-टीचर-सतगुरु की याद द्बारा ही पावन-सतोप्रधान बनते, मुक्तिधाम जाते, ऊंच पद बनता… ज्ञान समझाना तो सहज है (आत्मा ही सबकुछ करती, सतयुग में हम देवता थे, अब 84 का चक्र पूरा हुआ, स्वदर्शन चक्र)

2. मुख्य है श्रीमत पर याद करना, बाकी और बातों मे नहीं जाना है (जानवर, भाषा, आदि)… हम भगवान् की सन्तान है, तो हममें दिव्यगुण जरूर होने चाहिए, खूब पुरुषार्थ करना है, सबकुछ ट्रांसफ़र करने, बाकी थोड़े रोज़ है… बाबा की सभी विशेषताओं को अपने में समाकर, ऊंच-श्रेष्ठ पद बनाना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा इसी स्मृति में रहे, हम सर्व गुण-शक्तियों के सागर शिवबाबा (भगवान्) के बच्चे है… तो स्वतः हममें ज्ञान-योग द्बारा सर्व खूबी-विशेषताएं-दिव्यगुण आते, हम सबको आप-समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Being a shining star! | Sakar Murli Churnings 04-09-2019

Being a shining star! | Sakar Murli Churnings 04-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम धरती के चमकते सितारे है, जो सारे विश्व को रोशनी देते, पूज्य-देवता बनते-बनाते… जबकि संगमयुग पर स्वयं बाप-टीचर-सतगुरु हमे भाग्यशाली रथ गो-मुख माता ब्रह्मा द्बारा पढ़ाते (वा ज्ञान दूध पिलाते)… जिससे कंचन काया बनती, हम विश्व का मालिक बनते, सुख-दिन-अमरलोक में पहुँच जाते… हम इस सारे ड्रामा के विशेष पार्टधारी है

2. हमारा मुख्य पुरुषार्थ है, श्रीमत पर अपने को आत्मा समझ (देह-भान से परे) बाबा को याद करना है, जिससे ही पवित्र-सतोप्रधान बनते, कैरक्टर सुधरते… सेवा की भिन्न-भिन्न युक्तियां सोचनी है, जिससे सब को समझा सके

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम धरती के विशेष सितारे है, तो सदा ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा के समीप रह… ज्ञान-योग द्बारा अपनी-सर्व की जीवन को चमकाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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Abu, the most wonderful pilgrimage place! | Sakar Murli Churnings 03-09-2019

Abu, the most wonderful pilgrimage place! | Sakar Murli Churnings 03-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. संगम पर स्वयं भगवान् हमें बेहद का वर्सा देते, राजयोग सिखाते (अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना), तो हमें भी तुरन्त निश्चयबुद्धि, देही-अभिमानी, बाबा के प्यार-शक्तियों से सम्पन्न बन, सबको sensible योग-युक्त हो समझाकर, विश्व में सुख-शान्ति स्थापन करनी चाहिए

2. जिसका यादगार यह लक्ष्मी-नारायण का चित्र और देलवाड़ा मंदिर (नीचे तपस्या, ऊपर स्वर्ग) है… आबू महान-तीर्थ की महिमा सबको सुनानी है (जहां स्वयं भगवान् आकर सारे विश्व की सद्गति करते)… जगदम्बा का भी यादगार यहा है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमने सबसे महान तीर्थ आबू का अनुभव किया है, तो सदा उस स्मृति द्बारा अपने ज्ञान-योग-धारणा को मजबूत कर… सदा खुश, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, दिव्यगुण-सम्पन्न बन, सबको आप-समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being Master of all Powers! | मास्टर सर्वशक्तिमान | (51st) Avyakt Murli Revision 02-04-70

Being Master of all Powers! | मास्टर सर्वशक्तिमान | (51st) Avyakt Murli Revision 02-04-70

1. बाबा एक सेकण्ड में आवाज से परे ले जाना सिखाते, यही सम्पूर्णता (वा मास्टर सर्वशक्तिमान) की निशानी है, फिर याद-सेवा सब सहज हो जाएँगा, प्राप्ति ज्यादा… हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता, साथ में गार्ड बन औरों को भी आगे बढ़ाना है 

2. फिर सबकी सूरत से ही उनकी संकल्प-स्थिति समझ जाएंगे… और हमारी सूरत से भी अन्तिम-भविष्य स्वरूप स्पष्ट दिखेगा, साक्षात् साकार बनेंगे तब साक्षात्कार होंगे… जितना पुरुषार्थ स्पष्ट, उतना प्रालब्ध भी स्पष्ट, सन्तुष्ट होंगे, इसके लिए सरल-साफ बनना है… ऎसे एग्जाम्पल बनने से एग्ज़ाम में पास होंगे… चारों बल (याद-स्नेह-सहयोग-सहन) समान चाहिए, तब समीप कहेंगे

3. जितना बहुतकाल से हिम्मतवन बनने की लिंक जुटी हुई होगी, उतनी अन्त में एक्स्ट्रा मदद मिलेगी… सर्विस में ईन-चार्ज बनने के साथ योग में बैटरी चार्ज करनी है, बाबा-समान जिम्मेवारियां की लहरे में भी तले में जाना, इसलिए बीच-बीच में आवाज से परे जाना है, जितना साहस है उतनी सहन-शक्ति भी हो

4. श्रेष्ठ पुरूषार्थी बनना है, निश्चयबुद्धि विजयी, विजय के संकल्प से भी सर्वस्व त्यागी… जैसे यहां सहयोगी है, वैसे वहां भी बनेंगे… बाबा को पूरा फालो करना है

5. स्वयं को पहले सम्भालने से ही यज्ञ को संभाल सकते… सेवा में ललकार करने लिए अंगीकार (स्वीकार) नहीं करना है (मैं-मेरा, तू-तेरा का), जैसे बाबा… बाबा-बाबा कहते रहने से परम बल मिलता

6. बाबा सम्पूर्ण होने कारण, जो होने वाला है, वह उन्हें पहले ही टच हो जाता… बाप-समान साक्षी-उपराम बनने से सबके प्यारे रहेंगे, अभी सो भविष्य में

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हिम्मतवान साफ-दिल मास्टर सर्वशक्तिमान बन, सेकण्ड में आवाज़ से परे जाने की ड्रिल करते… अपनी बैटरी को चार्ज कर, सदा सन्तुष्ट बन, साक्षीनिमित्त भाव से सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a pure fairy! | Sakar Murli Churnings 02-09-2019

Becoming a pure fairy! | Sakar Murli Churnings 02-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. एक बाप के बच्चे हम भाई-भाई है, प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान भाई-बहन, पवित्र चोटी है (हमारे पास सारा ज्ञान है)… एवर-pure खूबसूरत ज्ञान-सागर में ज्ञान-स्नान कर, हम भी परि-परीजा़दा बनते… औरों को भी पढ़ाकर देवता-पुज्य बनाना है, नई दुनिया-स्वर्ग में (जहां अपार सुख-धन है)

2. माया के तूफान तो आएँगे, हमे महावीर बन पढाई पर पूरा ध्यान देना है… हमारे सामने बेहद सुख खड़े है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें पवित्र परी बनाने आए है, तो सदा अपने को परि-परीजा़दा समझ, ज्ञान-योग-धारणा से स्वयं को खूब श्रृंगारते… सबको सर्व खजा़नों से भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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