The complete stage! | (46th) Avyakt Murli Revision 26-01-70

The complete stage! | (46th) Avyakt Murli Revision 26-01-70

1. जैसे बाबा स्वयं को मेहमान समझते (आना और जाना)… ऎसे समझने से न्यारा-उपराम-अव्यक्त-अलग कर्मातीत रहेंगे… संकल्प किया और हुआ

2. अपने को परमधाम-निवासी (यहां पर ईश्वरीय कार्य लिए अवतरित) समझनै से मधुरता-स्नेह-वैराग्य सम्पन्न बनेंगे, सब भी सहज मेहसूस करेंगे… सफलता स्वरूप बन-बनाएंगे (यही संगम की प्रारब्ध है, जबकि हम सर्वशक्तिमान की सन्तान है), इसी स्मृति में रहना है… स्मृति में निश्चय-शक्ति है, तो स्थिति-कर्म भी ऎसे रहेंगे, कभी हार नहीं होगी

3. फर्ज-भाव से माया का मर्ज नहीं लगता… बाबा की मदद सदा रहती… औरों को आगे बढ़ाते रहना है

4. जितनी सेवा कर सकते, उतनी करनी है… एकान्त में गहराई में जाकर परिवर्तन करना है… ईश्वरीय स्नेह-सहयोग देने से मायाजीत बनने का सहयोग मिलता… यहां के ईश्वरीय स्नेह से वहां का स्नेह जुटता, अनेकों के बजाय एक से स्नेह

5. जो ज्ञान मंथन के लिए ख़ज़ाना मिला है, उसे सदा प्रयोग मे लाने से, बुद्धि को बिजी रखने सेे, माया से बचे रहेंगे… जैसे समय बीती को बिंदी लगाता, हमें भी लगाना है कमजोरीयों को, तो हम समय-समान तेज भागेंगे, शक्ति भरेगी, समय से पहले पहुंच जाएंगे

6. बन्धन हो तो भी लगन से याद कर, चरित्रों का अनुभव कर सकते, तो विघ्न भी समाप्त हो जाएंगे… हमारा एक से जुड़ा हो, अनेकों से टूटा हो, तो सहज सर्वशक्तिमान से शक्ति मिलेगी, चेहरा अव्यक्त खुशी से भरपूर रहेंगे सब की सेवा होंगी (रहमदिल बन)… सिर्फ संकल्प शक्तिशाली चाहिए, यह समय वापिस नहीं आएँगा, पूरा अटेंशन चाहिए, होश में रहना है, प्रतीज्ञा से प्रत्यक्ष फल मिलता 

7. चलन की अलौकिकता से, लौकिक की सेवा होंगी… अपने परिवर्तन से example बनना है

8. बाबा मिलन सबसे बड़ा भाग्य है, कब को अब करना है, सर्वशक्तिवान साथ है तो स्थिति से परिस्थिति-वायुमंडल बदलना सहज है… सेकंड में पदमों की कमाई, हिम्मत रखना है, माया-शेर पर विजयी, स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बीती को बिंदी लगाए, सदा अपने को परमधाम से अवतरित मेहमान समझ शक्तिशाली स्मृति द्बारा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव कर… अलौकिक बन, सबको ईश्वरीय स्नेह-सहयोग देते, खुश-शक्तिशाली बनते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The injection of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 26-08-2019

The injection of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 26-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम सभी एक भगवान् के भक्त थे, अब भगवान् हमें पढ़ाकर ज्ञानी बना रहे… ज्ञान (रोशनी) की मुख्य पॉइंट्स देते:

  • हम आत्मा-सितारा, भ्रकुटी के बीच विराजमान, शरीर द्बारा बेहद पार्ट बजाने वाले एक्टर्स है… सभी आत्माए भाई-भाई है
  • भगवान् सुख का सागर हमारा बेहद का बाप है… जो बेहद सुख का वर्सा देते, स्वर्ग का मालिक बनाते… हमें सम्पूर्ण तृप्ति दिलाते
  • आत्मा तमोप्रधान बनी है, अब फिर सतोप्रधान बनना है… अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करके
  • यह ड्रामा है, जिसमें 5 युगों का चक्र फिरता रहता… इस धरती पर

2. जीनको ज्ञान injection लगा हुआ है, वह औरों की सेवा अवश्य करता… सदा बाप-वर्से को याद कर खुशी में रहना है, सब को खुशियां बांटना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें ज्ञान का injection दिया है, तो सदा आध्यात्मिक स्वास्थ्य का अनुभव करते रहे… अर्थात सदा योगयुक्त, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद-खुशी से भरपूर रह… सबको खुशियां बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The importance of time! | (45th) Avyakt Murli Revision 25-01-70

The importance of time! | (45th) Avyakt Murli Revision 25-01-70

1. कर्म करते भी अव्यक्त स्थिति कायम रखनी है… इसके लिए बुद्धि की लाइन सदा clear चाहिए, अपने पर attention-निश्चय, बातों को सेकंड में परिवर्तन करना… समय कम है (तकदीर बनाने का, सतयुगी मंजिल पर पहुंचने का), इसलिए एक सेकंड भी व्यर्थ न जाए, जम्प लगानी है … बाबा से गुण-ग्रहण करते, सर्वगुण सम्पन्न बनना, फिर स्नेह की सौगात वापिस ले जाना है, जिससे विजयी बनते

2. जिस्म देखने से दुःख होता, रूह देखने से राहत मिलती… शूरवीर अर्थात स्वयं के विघ्न सेकंड मे समाप्त (परिस्थित-वायुमंडल को परिवर्तन करने वाले बहादुर), सारा समय सेवा के लिए… सम्पूर्णता का नक्शा तैयार कर तेज पुरुषार्थ करना है, तो बाबा की पूरी मदद मिलेंगी… सम्पूर्ण आहुति (मन-वचन-कर्म से) देने से ही सम्पूर्ण सफलता मिलती, इसका यही समय है

3. नयों को समय-परिस्थिति का सहयोग है, सिर्फ हिम्मत-निश्चय पक्का चाहिए, सेकंड में जन्मसिद्ध अधिकार मिलता… सदा सुखदाई बन रहना है, हम न्यारे-अलौकिक है, कुछ खिंच नहीं सकता… बाबा से compare करते रहने से, चलन श्रेष्ठ होती जाएंगी

4. हम एक मधुबन घर के है, सबका कनेक्शन एक से है, ऎसे एकरस रहेंगे… एक की ही याद से सर्व प्राप्ति है, माया सिर्फ आखिरी शो कर रही, घबराकर कमझोर होने से ही माया का वार होता-बेहोश करती, हमारे साथ तो सर्वशक्तिमान है… हमें स्मृति-स्वरूप रहना है (बाबा हमें कितना ऊंच देवता बनाते), विस्मृति के संस्कार-गंदगी समाप्त करने है (अन्त से पहले)… व्यर्थ संकल्प-समस्या का बिस्तरा बन्द, कब के बदले अब

5. बाबा से स्नेह है, तो जल्दी सम्पूर्ण बनना है, औरों को भी आगे बढ़ाना है… कर्म के पहले (वा बीच-बीच) में भी चेकिंग करने से स्थिति एकरस रहेंगी, आदत पड़ जाएंगी

सार

तो चलिए आज सारा दिन… समय कम है, इसलिए सभी पुरुषार्थ की युक्तियों को प्रैक्टिकल में लाते, सेकंड में परिवर्तन का जम्प लगाकर, सदा सर्वशक्तिमान बाबा से combined… सर्व गुण-प्राप्ति सम्पन्न-सम्पूर्ण बनते, सबको सुखदाई बनते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति


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The powerful day! | समर्थ दिवस | Avyakt Murli Churnings 25-08-2019

The powerful day! | समर्थ दिवस | Avyakt Murli Churnings 25-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज समर्थ दिवस पर, समर्थ बाप हम शिव-शक्तियों को समान-समर्थ भव के वरदान द्बारा विजयी बनाए, स्टेज पर प्रत्यक्ष कर रहे… यह दिन है स्नेह-स्वरूप को नयनों में समाने का, अविनाशी मिलन का वरदान प्राप्त करने का… अमृतवेले से स्नेह-महिमा-मिलन-लगन की मालाएं बाबा को मिल रही, बाबा भी हम सहज योगीयों को समय की समीपता का आश्वासन दे रहे

2. य़ह दिवस है स्नेह-सेवा के दृढ़ संकल्प से सहज सफलता पाने का दिन… प्रतीज्ञा की प्रत्यक्षता अवश्य होती, बाबा हमें बढ़ाई भी देते, सिर्फ इसे रोज़ उमंग-उत्साह से revise करना है… ट्रेफिक कंट्रोल द्बारा चेकिंग तीव्र, और याद की स्थिति को लंबी करते रहना है

3. स्नेह को स्नेह का रिटर्न अवश्य मिलता, लेकिन साथ में पढ़ाई-सेवा द्बारा राज्य-अधिकारी भी बनना है… थोड़ी सी हिम्मत-उमंग चाहिए, बाबा की मदद-सहयोग है ही

पार्टियों से मुलाकात 

1. हम लाइट सो फास्ट-फर्स्ट के शक्तिशाली उमंग-उत्साह वालों को, बाबा डबल लाइट का वरदान दे उड़ती कला में लते… सिर्फ स्वयं को निमित्त समझ हल्के रहना है

2. यह दिन (समर्थ) और वरदान (समर्थ भव) की स्मृति से… सदा समर्थी-हिम्मत-उत्साह से भरपूर रहेंगे

चिन्तन (सार)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को समर्थ-समान भव की वरदानी आत्मा शिव-शक्ति समझ… बाबा के स्नेह में डूबे, दृढ़ प्रतीज्ञा द्बारा स्वयं को परिवर्तन कर प्रत्यक्षता लाते सदा डबल लाइट रह… सबकी सुन्दर सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power of Shrimat! | (44th) Avyakt Murli Revision 24-01-70

The power of Shrimat! | (44th) Avyakt Murli Revision 24-01-70

1. बाबा के वर्से के अधिकारी बनना अर्थात, देह-सम्बन्ध-वस्तु-माया से अधीन नहीं… बाबा को नैया देना अर्थात, श्रीमत पर हर कर्म को अलौकिक बनाना (जिससे सबको प्रेरणा मिलती) … सदा आत्म-अभिमानी रहने से सदा सुखी रहते

2. सदा अव्यक्त-स्थिति का वरदान याद रखने से, सहज अव्यक्त आनंद-स्नेह-शक्ति अनुभव होता… इसके लिए सिर्फ वरदान-वरदाता को याद रखना है, जो कि सबसे प्रिय वस्तु है… विस्मृती का कारण है कमजोरी, जो श्रीमत पर न चलने से आती, इसलिए सदा कर्म पहले चेकिंग करनी है, तो कर्म-जीवन श्रेष्ठ रहेंगा

3. औरों को बाबा का परिचय देने से वर्तमान-भविष्य दोनों श्रेष्ठ बनता… स्वयं को जगत-माता समझना (जिससे कल्याण होता) वा शिव-शक्ति समझना है (कमझोरी समाप्त), दोनों साथ याद रखने से मायाजीत बनते… नष्टोमोहा (देह से भी) बनने से स्मृति-स्वरूप बनेंगे, इसके लिए स्वयं को समर्पित-निमित्त समझना है, तो बाबा भी गुण-सहित हम पर समर्पण होंगे

4. सदा स्वयं को विजयी रत्न समझना है, निश्चयबुद्धि की कभी हार नहीं हो सकती… विघ्नों को पेपर समझना है (जो भिन्न-भिन्न होते), घबराने के बजाय गहराई में जाना है, अव्यक्त वातावरण बनाने में बिजी रहना है

5. शिव-शक्ति सबकुछ कर सकती, भल माया शेर-रूप में आए, हमें स्वयं को बदलना है… हम ही कल्प पहले वाली विजयी आत्माएं है, हिम्मत रखने से मदद मिलती, संकल्प का फाउण्डेशन मजबूत रखना है… कोशिश समाप्त कर अव्यक्त कशिश लानी है… संकल्प-बोल-कर्म समान, यही है तीव्र पुरूषार्थी

6. बाबा को याद करना सहज है… जिससे ज्ञान emerge होता, सहयोग मिलता, और स्मृति वहां भी काम आती… मैं परमधाम-निवासी आत्मा अवतरित हुई हूँ, ऎसी योगयुक्त स्थिति में, दो बोल भी भाषण-समान है

7. जो एम रखा है, उसे प्राप्त जरूर करना है… कोशिश शब्द समाप्त, निश्चय-बुद्धि विजयन्ती..

8. समय से पहले तैयार रहने से, एकरस स्थिति रहेंगी… सम्पूर्ण लक्ष्य रख, सम्पूर्ण पुरुषार्थ करना है, बाप-समान… जानना, और तुरन्त स्थिति बनना-धारणा में आना

9. यहां का सुख-शान्ति-विश्राम साथ ले जाना है… हम सर्वशक्तिमान के बच्चे, वातावरण भी परिवर्तन कर सकते… सिर्फ एक बाबा और मैं, तीसरा कोई नहींं, एसी ऊँची स्थिति में रहना है

10. बाबा-साथ की याद-अग्नि द्बारा, माया दूर से ही भाग जाएंगी, शक्तिशाली-विजयी रहेंगे… फिर कम समय में, ज्यादा सेवा होंगी

11. हम थके हुए हैं (आधा-कल्प से), इसलिए बाबा को विशेष स्नेह है… कहां भी याद कर सकते (जिससे मन के भाव शुद्ध) होते… सेवा के बंधन में अपने को बांधने से, और सब बंधन समाप्त हो जाते, श्रेष्ठ कर्म से श्रेष्ठाचारी बनते, ललकार करनी है

12. अव्यक्त में बाबा की छत्रछाया नीचे सब होता, हम भी वहां आते-जाते रहने से अव्यक्त-फ़रिश्ता समान रहते… हल्के, बन्धन-मुक्त… एक आँख में सम्पूर्ण स्थिति, दूसरे में राज्य पद

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा श्रीमत पर बाबा की छत्रछाया के नीचे, आत्म-अभिमानी अव्यक्त स्वमान-धारी स्थिति में स्थित रह, वरदाता बाप कि याद-अग्नि द्बारा… संकल्पों को मजबूत रख, हर कर्म अलौकिक-विजयी बनाते… सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The grain of world sovereignty! | Sakar Murli Churnings 24-08-2019

The grain of world sovereignty! | Sakar Murli Churnings 24-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. भगवान् हमारा बाप (नई दुनिया-स्वर्ग का वर्सा देते), टीचर (शिक्षा देते, ब्रह्मा तन द्बारा), सतगुरु (पावन बनाए, सद्गति करते) है, उसे ही याद करना है (और कोई नहीं)… जिसके लिए बुराइयों-माया से परे रहना है… संगम पर ऎसे श्रेष्ठ पढ़ाई-पुरुषार्थ कर, ऊंच पद जरूर प्राप्त करना है

2. जो मित्र-सम्बन्धि आए, सबकी सेवा करनी है, सेवा से ही पद्मापद्म-पति बनते… शिव के चित्र-बैज पर भी बहुत अच्छा समझा सकते (वह हमारा बाप-टीचर-सतगुरू है, नई दुनिया स्थापन करते, उसे याद कर पावन बनना है)… गंगा जी पर (कैसे बाबा पतित-पावन है)… आदि

चिन्तन

जबकि बाबा हमें विश्व की बादशाही का दाना देते… तो सदा उनके ज्ञान रत्नों से भरपूर, योगयुक्त, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, धारणा-मूर्त बन… सबको बहुत प्यार से अविनाशी ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर-सम्पन्न कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The Supreme company! | Sakar Murli Churnings 23-08-2019

The Supreme company! | Sakar Murli Churnings 23-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. अपवित्रता-दुःख सब समाप्त हुआ, अब संगम पर (बुद्धि से) और सबकुछ भूल सिर्फ अपने पतित-पावन विदेही बाप को याद करने से पाप नाश हो, हम पुण्य-आत्मा अहिंसक दिव्यगुण-सम्पन्न देवता लक्ष्मी-नारायण समान बनते… नई सुख की दुनिया-सुखधाम में

2. ऎसी कमाल सिर्फ जादूगर बाबा कर सकते… तो हमें भी विजयी रत्न बन, बाबा से अविनाशी ज्ञान रत्नों का व्यापार कर, पण्डा बनना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनी मन-बुद्धि से सिर्फ एक बाबा और उसको मुरली के संग में रह, सदा हल्की-अलौकिक-योगयुक्त स्थिति का अनुभव करते… सबको आप समान शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being children of the Supreme Teacher! | Sakar Murli Churnings 22-08-2019

Being children of the Supreme Teacher! | Sakar Murli Churnings 22-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. रावण राज्य में उतरते बहुत रोगी-दुःखी हो गए हैं… अब संगम पर निराकार बाप-टीचर-सुखदाता बाबा, ब्रह्मा तन द्बारा राजयोग का ज्ञान पढ़ाकर, हमें फिर से दिव्यगुण-सम्पन्न (निर्विकारी-विकर्माजीत) देवता बनाते, नई सुख की दुनिया-स्वर्ग मे

2. तो हमें भी (ज्ञान-योग द्बारा) उत्तम पुरुष जरूर बनना है… टीचर-सतगुरु के बच्चे होते, हमें भी टीचर बन सबको पढ़ाते रहना है… माया से डरना नहीं है 

चिन्तन 

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम स्वयं सुप्रीम टीचर के बच्चें है, तो सदा स्वयं का टीचर बन सदा अपने ज्ञान-योग के पुरुषार्थ को तीव्र कर… सर्वश्रेष्ठ धारणा-मूर्त बन जाए, तो स्वतः हमारे चेहरे-चलन से सबकी सेवा होते, हम सभी साथ में सतयुग स्थापन कर लेंगे… ओम् शान्ति! 

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Doing spiritual service! | (43rd) Avyakt Murli Revision 23-01-70

Doing spiritual service! | (43rd) Avyakt Murli Revision 23-01-70

1. आवाज में आना मजबूरी लगे, एसे अशरीरी होकर सबको सुनाने से उन्हें मनरस-आंतरिक सुख का अनुभव होगा… जो ऎसे अव्यक्त अनुभवों द्बारा आए हैं, वह अभी भी निर्विघ्न है… खुद सहज पुरूषार्थी बनकर, सबको भी लक्ष्य तक पहुंचा सकेंगे

2. सेवा की युक्तियां:

  • चित्रों में अव्यक्त चैतन्यता चाहिए… जो दूर से आकर्षित करे
  • टॉपिक कोई भी हो, स्थिति टॉप की चाहिए… तो सहज मोड़ सकेंगे
  • वायुमण्डल अव्यक्त चाहिए, शुरू से अंत तक… ऎसे सेवाकेंद्र चिराग समान लगेंगे
  • व्यक्त मूर्त में, अव्यक्त आकर्षण चाहिए
  • तब सबके आगे sample बनेंगे… हमारी अव्यक्त स्थिति से, समय का घंटा बजे

3. बाबा-परिवार के स्नेह के सूत्र में बंधे रहना है… सबको पहले से मददगार बनाना है (वाणी से अहंकार तकरा सकता, प्रैक्टिकल लाइफ से नहीं)… जितनी बुद्धि-पुरुषार्थ की लाइन clear होगी, तो संकल्प किया और हुआ… इसके लिए व्यर्थ से बचना है, तो अव्यक्त स्थिति बढ़ेंगी, और बाबा की शुभ प्रेरणाएं स्थाई रहेंगी

4. यह अव्यक्त अनुभव साथ ले जाना है, इसलिए लौकिक को अलौकिक बनाना है, पुराना-पन समाप्त… अलौकिक सेवा करना अर्थात, सब को लाइट से जुड़ाना, इसलिए खुद देह से न्यारा रहना… आत्म-अभिमानी बनने से सबकी आशीर्वाद मिलती

5. Godly स्टूडेंट को अपने लक्ष्य-प्रमाण लक्षण चाहिए, ऎसी शक्तिशाली प्रैक्टिकल स्टेज में रहने से बड़ो से भी अच्छी सेवा कर सकते, इच्छा-हिम्मत रखने से मदद भी मिलेंगी… स्थूल सेवा भी अलौकिक सेवा करने का साधन समझना है… जितना योगयुक्त होंगे, कम बोलने से ज्यादा काम होगा, विघ्न समाप्त हो अटल-एकरस-example बनेंगे बाप-समान… नयन-मस्तक से निराकार प्रगट हो

6. जो सदा दुःख में साथ देता, जिससे स्नेह हैं… उसको अपना युगल बना देना है, कभी अलग न हाना… तो साहस मिलेगा, माया दूर रहेंगी, स्थिति-कर्म मजबूत रहेंगे… अकेले में आत्मा और साथ में रूहानी युगल, वही सबसे प्रिय वस्तु है

7. मधुबन खान है, इसलिए जितना हो सके भरना चाहिए, जितना वहां सम्पन्न … हर कदम में पदमों की कमाई

8. हम निर्बंधन है, उल्टी सीधी से बचे हुए… इसलिए हमें lottery मिली है, तो सदा श्रेष्ठ स्थिति में रहना है

9. तन की सर्जरी करने से तन्खा मिलती… और मन ठीक करने से दुआओं द्बारा अतिन्द्रीय सुख मिलता

10. संगम का समय बहुत कम है, इसलिए जितने दिन मिले, लास्ट सो फास्ट जाना है… हमें सिर्फ हिलना नहीं, बाप से पूरा सुख-शान्ति का वर्सा लेना है

11. अब बाबा सदा साथ है, इसलिए एकमत रहना है, गुणदान करना है… अपनी original स्थिति याद रखनी है… अर्पण होने से वरदान मिलते

12. महाबली अर्थात, त्याग का संकल्प भी न आए, तो महान शक्ति मिलती… सर्वशक्तिवान हमारा साथी है, तो कमझोरी आ नहींं सकती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बुद्धि की लाइन clear रख, सदा आत्म-अभिमानी अशरीरी अव्यक्त अलौकिक स्थिति का अनुभव करते… सबको बाबा से जुड़ाते, सर्व प्राप्तियों से भरपूर करते… सब की दुआएं कमाते, सब को और आगे बढ़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Inaugurating the new world! | Sakar Murli Churnings 21-08-2019

Inaugurating the new world! | Sakar Murli Churnings 21-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. मधुबन (वा ईश्वरीय विश्व विद्यालय) में भगवान् पुराने ब्रह्मा तन द्बारा मुरली सुनाते (वा राजयोग सिखाते)… जिससे नई-सतोप्रधान-सुख की दुनिया स्थापन होतो (बाबा ने उद्घाटन तो कर दिया है, अब सिर्फ branches खुल रहे)

2. तो हमें सिर्फ… अपने को आत्मा समझ पवित्र बनना है, और पुराने पापों के बोझ को पतित-पावन बाप की याद द्बारा भस्म करना है… तो सम्पूर्ण पावन-सुखी बन जाएँगे

3. खूब सेवा करनी है, अनेकों को आप-समान योग्य बनाना है, सब से दिल की दुआएं मिलेंगी… हड्डी सेवा भी करनी है, पूरा फूल बनना है

4. हम शूद्र से ब्रह्मा मुख-वंशावली ब्राह्मण बनें है, देवता बनने… तो ब्रह्मा (वा सेंटर) से पूरा कनेक्शन रखना है, बाबा ब्रह्मा तन द्बारा ही हमें पढ़ाते-शिक्षा देते

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने नई दुनिया का उद्धतन कर दिया है, तो हम भी अपने श्रेष्ठ परिवर्तन का उद्घाटन करें… अर्थात सदा ज्ञान-योग के पक्के फाउंडेशन द्बारा सर्वश्रेष्ठ सदा-खुश योगयुक्त स्थिति में स्थित रह, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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