Achieving True Independence! | Sakar Murli Churnings 15-08-2019

Achieving True Independence! | Sakar Murli Churnings 15-08-2019

सार

1. हमने अज्ञान में रावण-वश (देह-अभिमान, विकार, पाप, आदि) बहुत दुःख उठाया है… अब संगम पर सर्व का सद्गति दाता बेहद का बाप हमें डायरेक्ट समझाते, की अब निर्विकारी बन अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करो, इसी पवित्रता द्बारा पवित्र दुनिया का वर्सा मिल जाएंगा (बुद्धि में धारणा भी होगी, बहुत-बहुत खुशी में रहेंगे)… भल माया के तूफान आए, हम कल्प-कल्प के विजयी रत्न है

2. सबकी सेवा करनी है… सच्ची स्वतंत्रता तब मिलती जब देह-भान (रावण) से मुक्त होते, यह तो केवल बाप ही करा सकते… फिर सतयुग में सम्पूर्ण स्वतंत्र-सुखी-धनवान होंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… देह भान (दुःख) से सम्पूर्ण स्वतंत्र बनने के लिए, सदा आत्मिक स्थिति का अभ्यास करते, बाबा का सर्वश्रेष्ठ साथ-रक्षा का अनुभव करते, बहुत ऊँची-श्रेष्ठ-दिव्य शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति का अनुभव करते रहे… सभी मिलने आने वाले हमारे रूहानी भाई-बहनो को खुशियां-रूहानी प्यार बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming successful in service! | (39th) Avyakt Murli Revision 20-12-69

Becoming successful in service! | (39th) Avyakt Murli Revision 20-12-69

1. जैसे शुरू में हिम्मतवान बन बाबा के समीप रहे, स्नेह-मदद ली (जिस अव्यक्त-पालना के कारण एक-समान अलौकिक आकर्षण-मूर्त व्यक्ति दिखाई दिए)… ऎसे अभी 5 बातें (एकता-स्वच्छता-महीनता-मधुरता-महानता) धारण कर विशेष बनना है, जिस सम्पूर्ण संस्कार द्बारा बाबा प्रत्यक्ष होंगे

2. प्लान्स बनाने के साथ प्लेन याद चाहिए (सिर्फ एक बाबा), तब सफलता मिलती… अब फेल नहीं होते, लेकिन छोटी बातें फील करते, इस अन्तर को मिटाने से सब हमपर मिटेगे… हम ही समझदार हिम्मतवान थे, जो सागर में नहाये

3. एवररेडी अर्थात कोई भी direction मिले, सेकण्ड में तैयार… अभी तो हमारे पास स्नेह-शक्ति दोनों है… सेवा-लोगों के साथ रहते भी नीर्बन्धन… अभी तो बहुत पेपर आने है, जिनको पास करना है महीन-बुद्धि बन

4. महीन-बुद्धि अर्थात हर परिस्थित का सामना कर मोल्ड करे… इसके लिए चाहिए हल्का, नर्म (सेवा-भाव, स्नेह-भाव, रहमदिल, निर्माण) और गर्म (शक्तिशाली, मालिक-पन}… दोनों की समानता से महानता आएंगी… तब कहेंंगे अव्यक्त स्थिति, रस्सियाँ छूटी हुई

5. सबसे बड़ा बन्धन है शरीर का, अन्त मती जिसके परे जाने से ही पास विद आनर होंगे… जिसके लिए देह-चोले को लूज़ (लगाव-मुक्त, न्यारा) रखना है बहुतकाल से, जिससे सेकण्ड में छोड़ सके, एवर-रेडी, सोचा और हुआ)… ऎसे आत्माओं की मृत्यु भी सेवा करती, सन शोज फादर, यह अनोखा मेडल है

6. सेवा में आते भी न्यारे-अलौकिक-अव्यक्त रहने से सबकी बीच हीरे-समान चमकेंगे… औरों को भी अलौकिक बनाएंगे, तब ही सब कुर्बान हो वारिस बनेंगे

7. अन्त में रिजल्ट announce होंगी, 3 बातों से… कितना विजयी रहे, कितने वारिस बनाए, अन्त में कैसे गए… अभी भी मेकउप का समय है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… महीन-बुद्धि हिम्मतवान बन देह से न्यारे बन एक बाबा की याद में रह… अलौकिक निर्बंधन हीरे समान चमकते-चमकाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Sparkling the soul! | Sakar Murli Churnings 14-08-2019

Sparkling the soul! | Sakar Murli Churnings 14-08-2019

सार

1. बाबा ने हमें स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है… कैसे सतोप्रधान आए थे, अब आत्मा हीरा-ज्योति डल हुई, इसलिए संगम पर फिर निराकार ज्ञान-सूर्य शिवबाबा राजयोग का ज्ञान पढ़ाते, और हम उन्हें याद करते (जो विकर्म विनाश, कर्मेंद्रीयां वश करता), जिससे आत्मा में लाइट आती-चमकीली बनती… यही दीपमाला है अर्थात नई दुनिया की स्थापना होती (हम सतयुग-शिवालय में मालिक बन जाते)

2. सबको भी सुनाना है (भिन्न-भिन्न टॉपिक्स से), हम कितने ऊंच थे, अब बाबा फिर से ऎसा श्रेष्ठ हमें बनाने आए है… सभी बहुत खुश होंगे (जो आने वाले होंगे, बाकी ड्रामा)

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा आए है हम आत्माओं की चमक बढ़ाने, तो सदा उसके wonderful ज्ञान-घृत की गहराई में जाते, महाज्योति बाबा को बहुत प्यार से याद करते, सर्व खजानों की लाइट से भरपूर-सम्पन्न बनते-बनाते, सच्ची दीपमाला सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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The power of Simplicity! | (38th) Avyakt Murli Revision 06-12-69

The power of Simplicity! | (38th) Avyakt Murli Revision 06-12-69

1. एवर-रेडी अर्थात जैसे ही बुलावा आये, तुरन्त समेट कर जम्प दे सके… ऎसी पहले से ही तैयारी करनी है, सरल स्वभाव बनाना है

2. सरलता से:

  • समेटने की शक्ति आती
  • सबके सहयोगी बनते, सबको प्रिय लगते
  • सब का स्नेह-सहयोग प्राप्त होता… इसलिए सामना-समाना सहज हो जाता
  • माया-समस्या कम सामना करती, समय-संकल्प व्यर्थ नहीं जाते… इसलिए बुद्धि विशाल-दूरांदेशी रहती
  • स्वच्छता अर्थात सच्चाई-सफाई आती, जो सबको आकर्षित करती
  • बहुरूपी बनते, अर्थात मोल्ड हो सकते… अर्थात सेकंड में ब्रेक-मोड़ने की शक्ति, जिनके फल-स्वरूप हमारे संकल्प-बोल-कर्म सिद्ध होने लगते… इसे ही कहेंगे सर्विसएबुल… ऎसे हम हमारे संकल्पों की वैल्यू को समझेंगे, तो सभी हम रत्नों की वैल्यू को परखेगे

3. अपने चेहरे को चैतन्य म्यूज़ियम बनाना है, जिनमें 3 मुख्य चित्र फिट है (नैन-मुख-भृकुटी), जो स्मृति-वृत्ति-दृष्टि-वाणी से प्रत्यक्ष होता, सब आकर्षित होते… इसलिए जो सुना है, उसकी गहराई में जाकर अपनी चलन के रग-रग में समाना है, कूट-कूट कर (अर्थात महिनता से)… बाप सो स्वयं को प्रत्यक्ष करना है

4. हम ऎसी शक्तिशाली आत्माएं है, जो चाहे कर सकते… संकल्प से सृष्टि रच सकते

5. मधुबन है स्नेह-सौभाग्य की लकीर, जिसके अन्दर सब नहीं आ सकते… हम भाग्यवान है, जो स्नेह के सागर से सर्व सम्बन्धों का रस अनुभव किया है, इसका रिटर्न अवश्य देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ, इस स्मृति से सरलता का सर्वश्रेष्ठ गुण धारण कर, सबके प्रिय-स्नेही बने… हमारे चेहरे को चैतन्य म्यूज़ियम बनाकर सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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A divine lottery! | Sakar Murli Churnings 13-08-2019

A divine lottery! | Sakar Murli Churnings 13-08-2019

सार

1. आत्मा-परमात्मा अविनाशी है, तो अविनाशी से ही प्यार करना चाहिए (जिससे अमर-सुखी बनते)… बाकी सब विनाशी है (देह-दुनिया-सम्बन्ध), जिसको प्यार करने से रोते-दुःखी-पागल हों जाते

2. य़ह wonderful शिक्षा-पढ़ाई-ज्ञान रत्न स्वयं भगवान् देते संगम पर, पारस-बुद्धि भगवान्-भगवती सम्पूर्ण-सुखी बनाने, सतयुग में… पवित्र बन, सबकी सेवा करते रहना है, खुशी से भरपूर रह, सब नज़र से निहाल होंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय lottery मिली है, भगवान् हमें रोज़ अविनाशी ज्ञान रत्नों से सम्पन्न करते, हमारे याद के हर कदम में पदमों की कमाई है… तो इस lottery से सम्पूर्ण प्राप्ति करें, अर्थात ज्ञान-योग द्बारा अपने को सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय धारणाओं से बहुत सुन्दर श्रृंगार-सुशोभित कर, सबको आप-समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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The True Meaning of Surrender | (37th) Avyakt Murli Revision 28-11-69

The True Meaning of Surrender | (37th) Avyakt Murli Revision 28-11-69

1. सम्पूर्ण समर्पण अर्थात दृष्ट-वृत्ति में रूहानियत (रूह को देखना), तो दृष्टि स्वतः शुद्ध पवित्र बन, वृत्ति कहीं नहीं जाएंगी… देह को देखते हुए न देखे, अर्थात लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करे:

  • सम्बन्धि ब्रह्मा-वंशी है
  • पाँव चलाने के साथ बुद्धि को अलौकिक कार्य (वा याद की यात्रा) में चलाना
  • भोजन के साथ आत्मा को याद की शक्ति देना
  • देखना-बोलना भी अलौकिक

तो सबको देह से न्यारे-प्यारे अनुभव होंगे… स्वयं-प्रभुु-लोक प्रिय, इसलिए पहले स्वयं को परिवर्तन करना है

2. जैसे छोटे वामन ने माया बलि से तीन-पैर पृथ्वी से सम्पूर्ण समर्पण कराया, ऎसे:

  • मन्सा में… देह-सम्बन्ध भूल मामेकम् याद
  • वाचा से… सिर्फ रत्न निकालने है
  • कर्मणा में… जैसा हम करेंगे (वह पाएंगे), और हमें देख सब करेंगे

अपने समर्पण को अविनाशी करना है, नहीं तो डगमग हो, सबके आगे तमाशा हो जाएँगा

3. बाबा का सहयोग सदा मिलता है, अन्तिम सांसो में भी जान भरते, मांगने के बदले हम तो अधिकारी है… बीती से सीख बिन्दी लगाकर आगे बढ़ना है, क्यों-क्या में नहीं जाना

4. भट्ठी के बाद मन्सा-वाचा-कर्मणा तन-मन-धन से सम्पूर्ण मददगार-वफादार होने से बाबा-परिवार के स्नेही-सहयोगी बनेंगे:

  • समय-तन भी प्रवृत्ति के साथ सेवा में लगाना, अपना समाचार शॉर्ट-स्पष्ट लिखने से स्थिति-पुरुषार्थ भी स्पष्ट रहता
  • जो भी कमझोरी है, उन्हें सम्पूर्ण रीति भूल जाना… पुरूषार्थी-समय-औरों को देखने के बहाने नहीं

5. 4 शक्तियां धारण करनी (समाने, समेटने की अर्थात 10 के बदले 2 शब्द, सहन, सामना)… जैसे बाबा ने हमें प्रत्यक्ष किया, हमें उसके कर्तव्य को प्रत्यक्ष करना है, सबके अन्दर बाबा के प्रति स्नेह-सम्बन्ध जगाना है… अब गुप्त कार्य को प्रत्यक्ष करने के प्लान्स रचने है, एक दो के स्नेही-सहयोगी बन

6. मुख्य है मन का समर्पण (व्यर्थ संकल्प भी नहीं), बाकि सब कुछ आपेही ठीक रहेगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… कमझोरी-पुरानी बातों को बिन्दी लगाकर… सम्पूर्ण समर्पण अर्थात अपनी स्थिति-दृष्टि-वृत्ति में रूहानियत भर अपने हर कार्य में अलौकिकता लाते रहे… तो बाबा-परिवार की सम्पूर्ण स्नेह-मदद मिलते, हम सब का कल्याण करने, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Remembering the Bodyless! | Sakar Murli Churnings 12-08-2019

Remembering the Bodyless! | Sakar Murli Churnings 12-08-2019

सार

1. पढ़ते हुए भल साकार शरीर देखते, बुद्धि निराकार-शिवबाबा में लगी रहे (जो बाप-टीचर-सतगुरु-लिबरेटर-गाइड है… सुख-शान्ति का सागर, जिसकी याद से विकर्म विनाश होते, मायाजीत बनते)

2. बाबा ने हमें सारे चक्र का सत्य ज्ञान दे श्रृंगारा है, तो इस शृंगार को सदा कायम रखना है, यही साथ जाएंगा… फिर हम सचखण्ड-सुखधाम-सतयुग पहुँच जाएँगे 21 जन्मों के लिए, सर्व दिव्यगुण-सम्पन्न देवता बन… ड्रामा accurate है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा विदेही बाप की प्यार भरी याद-संग में रहने लिए, हम भी बार-बार बीच में एक-एक मिनट अशरीरी बनने का अभ्यास करते रहे (और कर्म करते भी करावनहार समझे)… तो हम बहुत सहज बाबा से combined रह, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Becoming alert & attractive! | (36th) Avyakt Murli Revision 17-11-69

Becoming alert & attractive! | (36th) Avyakt Murli Revision 17-11-69

1. भट्टी में आए ही है देह में रहते विदेही बनने, इसका ही अभ्यास-attention रखना है… तो पुरानी स्मृतियों की उल्टी-सीधी जल्दी उतर जाएंगे, लास्ट सीधी है देह-भान की… पुराने संस्कार ही टाइट करते, उनसे न्यारा होना है… जिससे ऊपर चढने की लिफ्ट में बैठ जाते

2. लिफ्ट मे बैठने के लिए गिफ्ट देनी है (पुराने-पन की) और गिफ्ट बनना है (श्रेष्ठ बच्चा), तो बाबा शोकेस में आगे रखेंगे (गुणों से श्रृंगार कर)… अलर्ट और attractive बनना है, तो activity भी ऎसी परिवर्तन हो जाएंगी

3. अलर्ट अर्थात:

  • एवर-रेडी… कोई भी सेवा हो, तुरन्त करके सफलता पाने वाले… परख कर
  • अपने पुरूषार्थ-संस्कार-कमझोरी में भी हल्के-ईजी… जिससे सबकुछ ईजी ही जाता

4. attractive अर्थात:

  • विशेषता-सम्पन्न
  • हर्षित (जो आकर्षित करता) अर्थात… ज्ञान-सिमरण वा अव्यक्त-स्थिति द्वारा सदा अतिन्द्रीय-सुख में झूमने वाले

5. माया-प्रकृति-संकल्प-संस्कार के अधीन होने के बजाय अपनी पवित्रता-सुख-शान्ति के अधिकारी बनना है… जब छोटी बातों से प्रभावित नहीं होंगे, तब प्रभाव निकलेगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… पुरानी बातें छोड़, सदा देह में रहते विदेही बनकर… विशेषता-सम्पन्न गुणवान बन, सदा हर्षित-हल्के रह अधिकारी बन सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a pure thinker! | Avyakt Murli Churnings 11-08-2019

Becoming a pure thinker! | Avyakt Murli Churnings 11-08-2019

स्व-चिन्तन, शुभ-चिन्तन से बनते शुभ-चिन्तक!

  • स्व-चिन्तन अर्थात… अपने आदि-अनादि स्वरूप के स्मृति-स्वरूप बनना… कमझोरी का चिन्तन नहीं
  • शुभ-चिन्तन अर्थात… ज्ञान के राज को जान, सदा उसके मनन-खेलने-अनुभवों से भरपूर रहना… व्यर्थ के लिए समय-स्थान ही नहीं
  • शुभ-चिन्तक… जिनके स्वयं के संकल्प-स्वभाव-संस्कार शुभ है, उनकी औरों के प्रति दृष्टि-वृत्ति स्वतः शुभ रहती… अशुभ-घृृणा नहीं

शुभ-चिन्तक अर्थात:

  • कमझोर को उमंग-उत्साह-शक्ति के शुभ भावना-कामना का सहयोग देना, भरपूर करना
  • नाउम्मीद को उम्मीदवार बनना
  • दिलशिकश को दिलखुश
  • गिरे को पंख दे उड़ाना
  • कमझोरी न देख विशेषताओं की समर्थी भरते
  • अपने खजानों को सेवा में लगाने वाले नम्बर-वन सच्चे सेवाधारी

माताओं से

1. भगवान् ने हमें अपना बनाकर, चरणों की दासी से सिरताज, चार दिवारों के बीच से विश्व का मालिक, खाली से भरपूर किया है… ऎसे सदा खुश मायाजीत बनना हैै… सदा बाबा के संग में रंगे नष्टोमोहा

2. सबसे बड़ा पुण्य है अपने खजानें-शक्ति को औरों के प्रति दान करना, जितना देते उतना बढ़ता, सदा काल का जमा होता … इसी उमंग से सेवा में आगे बढ़ते, सेवा का गोल्डन चान्स लेने वाले चांसलर बनना है

और पॉइंट्स

1. बाबा अपने स्नेही बच्चों को बहुत स्नेह-सहयोग-याद-प्यार देते… बाबा से मिले हुए स्नेह के स्वरूप बन सेवा करने से, सब बाबा के स्नेही बनेंगे, स्नेह ही आकर्षित करता

2. सबसे बङा भाग्य है स्वयं भाग्यविधाता ने अपना बना लिया, हम लक्की सितारे है… औरों का भी दीप जगाकर दीपमाला-राजतिलक मनाना है

3. नम्रचित्त-निर्माण-गुणग्राही बनने से सहज सिद्ध होंगे… जिद्द करने से प्रसिद्ध नहीं होंगे

4. स्वयं-दूसरों के प्रश्नों से परे रह, सब को देते रहने से… प्रशंसा-योग्य बनेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख, अपने आदि-अनादि स्वरूप का स्व-चिन्तन करते, ज्ञान रत्नों के शुभ-चिन्तन से भरपूर बन, सबका कल्याण करने वाले शुभ-चिन्तक निर्माण बन, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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A subtle intellect! | (35th) Avyakt Murli Revision 13-11-69

A subtle intellect! | (35th) Avyakt Murli Revision 13-11-69

1. जैसे बाबा अशरीरी होकर शरीर में आते (अव्यक्त से व्यक्त), वैसे ही हमें भी आना है… हम सारे विश्व की श्रेष्ठ आत्माएं है, जिन्हें भगवान् मिलने आते, इसी नशे में रहना है

2. बाबा हमारे भ्रकुटी पर तीन प्रकार के सितारे देखते:

  • लक्की सितारे
  • नयनों के सितारे
  • उम्मीदों के सितारे (बाबा की उम्मीद है, हम अनेकों को योग्य-क्वालिटी बनाए, quantity अपने आप हो जाएंगी… क्वालिटी बनाने के लिए स्वयं में divine क्वालिटी चाहिए)

3. मेहनत से बचने के लिए महीनता में जाना है, चाहे श्रीमत-पालना के पुरूषार्थ में वा सेवा में (महीनता से समझाना है)… जैसे दही से महीन है माखन, भोजन से महीन है खून, जो शक्ति देता

4. गहराई में जाने से रत्न निकलते, जितना ज्ञान-सेवा की वैल्यू रखते, उतना वैल्यूबल बनते… ऎसे वैल्यूबल रत्न को बाबा माया से छिपाकर अपने सर्वश्रेष्ठ दिल-तख्त (सो विश्व-तख्त) पर बिठा देते, जहां सदा माया के बन्धनों से मुक्त रहते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने श्रेष्ठ नशे में स्थित, अपने को लक्की सितारा समझ… बहुत सुन्दर अशरीरी-अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर बाबा के दिलतख्त-नशीन, वैल्यूबल हीरा बन… सबको आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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