Making God our child! | Sakar Murli Churnings 14-09-2019

Making God our child! | Sakar Murli Churnings 14-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. निराकार:

  • बाप… (जो बेहद का वर्सा देते, सुख-धन-आयुश्य सम्पन्न)
  • टीचर… (बेहद की सृष्टि-चक्र की पढ़ाई पढ़ाते)
  • सतगुरु… (साथ ले जाते)

की एकान्त में मामेकम्-याद से पाप-कट हो पवित्र-सतोप्रधान बनते

2. य़ह राजयोग, बाबा अभी कल्याणकारी-संगमयुग पर ही सीखाते, नई दुनिया-स्वर्ग-सुखधाम के लिए… हम सारे ड्रामा को जानते, तो अच्छे से समझकर औरों को भी समझाना है, बाबा को अपना वारिस बनाना है, पवित्र जरूर बनना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को अपने बच्चे के रूप में अनुभव करते, हर पल बुद्धि से उसके ही बारे में सोचते-देखते, सम्पूर्ण बलिहार हो… उसके ज्ञान-गुण-शक्तियों से भरपूर-सम्पन्न बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Sakar Murli Churnings:

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Making our ideals & acts equal! | कथनी-करनी समान | (29th) Avyakt Murli Churnings 28-09-69

Making our ideals & acts equal! | कथनी-करनी समान | (29th) Avyakt Murli Churnings 28-09-69

1. कोर्स का सार (वा सबसे शक्तिशाली पॉइंट) है कथनी-करनी-रहनी एक करना (जो भी हम कहते… हम BK है, सर्वशक्तिवान की सन्तान, आज्ञाकारी, मददगार, न्यारे, आदि)… इससे विघ्न एक सेकेण्ड में समाप्त होंगे, कर्मातीत बनते जाएँगे, उलाहना समाप्त हो अल्लाह-समान बन जाएँगे… नहीं तो निंदक से भी खौफनाक कहे जाएँगे, कोई पास नहीं आएँगा

2. सच्चाई अर्थात मन्सा-वाचा-कर्मणा एक समान… सफाई अर्थात संकल्प में जरा भी विकर्म-पुराने संस्कार का अन्श नहीं, तब ही सच्चाई आएंगी, बाबा-परिवार के प्रिय बनेंगे, नजर-वाणी-कर्म में अचल-परिपक्व… कर्म में भी सर्विसएबुल अर्थात हर सेकण्ड-संकल्प-शब्द-कर्म-चलन से सेवा, तब स्नेही बनेंगे

3. निश्चय (स्वयं-बाप-ज्ञान-परिवार पर) से ही विजय होती, जो कर्म में भी दिखता, संकल्प भी कमझोर नहीं होते… भट्टी अर्थात रूप-गुण-कर्तव्य सब परिवर्तन, इसे उमंग-निश्चय-स्नेह पर बाबा का सहयोग-मदद सदा रहता

4. हमार मस्तक पर निश्चयबुद्धि-नष्टोमोहा का तिलक है… बाबा ने हमें ज्ञान रत्नों से श्रृंगारा है, जो चमकते रहते, सबकी सेवा करते, तो इन्हें सदा धारण रखना है

5. हमारा पुरुषार्थ-परिवर्तन-हिम्मत-सेवा अब तेज है, अब वाणी के साथ चलन द्बारा डबल सेवा से डबल ताज की सफलता मिलेंगी… अव्यक्त रहकर फिर सेवा में आना है, फिर वापिस ऊपर

6. बलि चढने वाले को ईश्वरीय बल मिलता… स्वाहा सदा सुहागिन रहते, सदा आत्मा-बिन्दी याद रहती और मर्यादा का कंगन साथ रहता… सबको अविनाशी संग का रंग लगाना, यह जम्प कर आगे बढ़ने का समय है

7. एकरस रहने के लिए स्नेही-सर्विसएबुल बनना है, खुद बदलकर औरों को सिखाना है, अपने से भी आगे बढ़ाना है… निश्चयबुद्धी-नष्टोमोहा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सच्चाई-सफाई से अपनी कथनी-करनी समान कर निश्चयबुद्धि-विजयी स्थिति का अनुभव करते रहे… अव्यक्त स्थिति में स्थित रह अपनी चलन-संग से सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Strengthening the foundation of purity! | Avyakt Murli Churnings 30-11-08

1. महानता अर्थात पवित्रता के परिवर्तन के दृढ़ संकल्प का व्रत लेना (जिससे दुनिया असम्भव समझती), व्रत अर्थात वृत्ति द्बारा परिवर्तन करना, सिर्फ एक संकल्प से हम भाई-भाई है… यह पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन का foundation है, जिससे परमात्म प्यार-सर्व प्राप्तियां होती… पवित्रता अर्थात:

  • मन-वचन-कर्म-सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें पवित्रता
  • पवित्र वृत्ति अर्थात… सबके लिए शुभ भावना, शुभ कामना
  • पवित्र दृष्टि अर्थात… सबको आत्मिक स्वरूप में देखना, और स्वयं को भी सहज आत्मिक स्थिति में अनुभव करना
  • अपने को दुआ देना अर्थात… सदा खुश रहना और सबको करना

हमें 3 वरदान मिले हैं:

  1. स्वयं को स्वयं से वरदान, जिससे बाबा के प्यारे बनते
  2. बाबा से nearest dearest होने कारण, बाबा से दुआएं मिलती
  3. निमित्त द्बारा दुआएं मिलती

जिनके फल स्वरूप हम सदा उड़ती कला-नशे में रहते और सबको करते

2. जबकि हम अपने को BK कहलाते, मास्टर सर्वशक्तिमान (मास्टर अर्थात बाबा से भी ऊंच), तो सकल्प-बोल-कर्म सम्बन्ध-सम्पर्क-स्वप्न सब शक्तिशाली, सदा अतिन्द्रीय सुख की अनुभूति होनी चाहिए… इसके लिए पवित्रता की foundation मजबूत करना है, वृत्ति-बोल-समबन्ध-सम्पर्क में भी शुभ भावना-कामना से विपरित कुछ न हो, संकल्प भी व्यर्थ नहीं, बोल में भी व्यर्थ रूप अर्थात रोब नहीं… हम विश्व परिवर्तक है, 5 तत्वों और आत्माओं-साथियों-परिवार को भी परिवर्तन करने वाले

3. अन्त में second ही मिलेगा, second में परिवर्तन का फूल-स्टाप लगाने से ही अन्त मती सो श्रेष्ठ-ऊंची गति होगी… इसमे ही कमी है, तुरन्त फूल स्टाप नहीं लगा सकते, इसलिए क्या से क्या हो जाता… क्वामा (दूसरों को देखना), आश्चर्य वा क्वेश्चन मार्क की क्यू से बचे रहना है… एक सप्ताह वा 18 जनवरी तक यह सेकंड में फूल स्टाप का अभ्यास करना है, अभी चाहिए तीव्र पुरुषार्थ, अलबेलापन से मुक्त… अब मन्सा स्थिति-सेवा और अव्यक्त बोल-कर्म चाहिए

4. समय-भक्त-सब आत्माएं पुकार रही है… हमें परदर्शन-परचिन्तन-परमत से मुक्त रह, पर उपकार करना है… अभी समय है मन्सा सकाश द्बारा दुःखी आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली देना

5. हमारी पवित्रता की पर्सनैलिटी की realty वा royalty है:

  • अनादि काल… हम बाबा के पास, विशेष सितारा चमकते रहते
  • आदि काल… सतयुग-देवता रूप में लाइट का ताज
  • मध्य काल… चित्रों और उनकी विशेषता-पूजा सबकुछ रॉयल… ऎसे कोई नेता-अभिनेता-धर्म आत्मा का नहीं होता… चित्र को देख कर ही खुशी-दुआयें लेते
  • पवित्रता ब्राह्मण जीवन का जन्मसिद्ध अधिकार है… जन्मते ही बाबा ने वरदान दे दिया “पवित्र भव (फूल-स्टाप) योगी भव”.. हमारे वायब्रेशन दूर से ही आकर्षित करते (क्यूंकि डबल पवित्रता है, आत्मा-शरीर दोनों की)

6. बाबा ने attention खिंचवाया, क्यूंकि उनका हमपर बहुत प्यार है… हमें जल्दी ही सम्पन्न बनाकर, साथ ले जाने चाहते (बाबा वा एडवांस पार्टी सब हमारा इन्तज़ार कर रहे), फिर सतयुग में साथ आएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपनी पवित्रता के foundation को मजबूत कर, शुभ भावना-कामना सम्पन्न बन, सदा अतिन्द्रीय सूख की अनुभुती द्बारा शक्तिशाली स्थिति बनाए… तो स्वतः हमारी मन्सा द्बारा सबको सुख-शान्ति की अंचलों मिलतेे ऊँ, हम सतयुग बनाने की निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Churnings:

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योग कमेंटरी | बेहद स्थिति | Avyakt Murli Churnings 28-04-2019

योग कमेंटरी | बेहद स्थिति | Avyakt Murli Churnings 28-04-2019

यह देह बाबा की है… मैं इस देह-घर से भी बेघर… अशरीरी-निराकार आत्मा हूँ

साधन भी बाबा की सेवा के लिए है… मुझे इसे न्यारा बन use करना है… बाबा करा रहा है

मेरे संकल्प बेहद में… बोल निःस्वार्थ… सदा करावनहार करा रहे हैं, इसी रूहानी मस्ती में… मैं रमता योगी… उड़ता योगी हूँ

यह साधन सिर्फ़ एक विधि है… श्रेष्ठ तीव्र-पुरूषार्थ… और सेवा की वृद्धि के लिए

मैं मास्टर शान्ति सागर-सूर्य हूँ… सबको शान्ति-शक्ति का दान देते… बाबा से जुड़ाकर… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाता हूँ… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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The power of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 20-04-2019

The power of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 20-04-2019

1. इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर ईश्वरीय मत मिलती, जिससे सम्पूर्ण सुख-हेल्थ-वेल्थ-हैपीनेस की दुनिया (स्वर्ग शिवालय) स्थापन हो जाती… जबकि बाबा आएं हैं हमें रावण से छुड़ाने, तो उस पवित्रता-सुख-शांति के सागर को याद कर सतोप्रधान जरूर बनना है

2. हम प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारीयां शिव शक्ति है, जो विश्व में दैवी स्वराज्य स्थापन करते (बृहस्पति की दशा)… तो भाई-भाई की दृष्टि और बाबा की निरन्तर याद द्वारा विकल्प-जीत अवश्य बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय मत मिली है, तो उसी अनुसार अपनी दिनचर्या को सेट कर, सदा सुरक्षित श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते, हर पल उन्नति को पाते रहे… औरों को भी आगे बढ़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Accepting the Guarantee | Sakar Murli Churnings 17-04-2019

Accepting the Guarantee | Sakar Murli Churnings 17-04-2019

1. इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर समझ मिली है, कैसे सुबह हम अमीर थे अब फकीर बनें है, अब फिर अमीर स्वर्गवासी बनने लिए सिर्फ़ है मन्मनाभव (सर्वशक्तिमान बाप से योग, बाबा से सर्व सम्बन्ध) और मध्याजीभव (दिव्यगुणों की धारणा, स्वयं की चेकिंग, और ज्ञान-योग में रेग्युलर रहना है संग से बचकर)

2. बाबा की मत अनुसार और सब तरफ से बुद्धि हटाए एक बाबा में लगानी है, तो सम्पन्न बन औरों को भी दे पाएंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमें देवता बनने की guarantee दी है, तो इसे use कर ज्ञान-योग की ऎसी तीव्र दौड़ी लगाए… कि हम सर्वश्रेष्ठ पद के अधिकारी सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित दिव्यगुण-सम्पन्न बन… औरों के जीवन को भी श्रेष्ठ-सुन्दर बनाते, सतयुग बनाते चलेंगे… ओम् शान्ति!

The safety of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 16-04-2019

The safety of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 16-04-2019

यह वानप्रस्थ का समय है, जितना अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करते, सतोप्रधान बनते जाते… माया तो अन्त तक आएंगी, इसलिए सदा श्रीमत पर चलते विजयी बनना है, तो हमारा पद भी ऊंचा हो जाएँगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के श्रीमत रूपी हाथ को सदा साथ रख, सदा निश्चिंत रह नाचते-कूदते जीव न के हर सीन क्रॉस करते रहे… हर पल बाबा की यादोंं में उन्नति करते, सदा खुश दिव्यगुण-सम्पन्न बन… सबको आप समान श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 04-04-2019

Sakar Murli Churnings 04-04-2019

बाबा हमें राजयोग सिखाते (तो बुद्धि उनके तरफ ही रहनी चाहिए!), और हम आत्माओं को पढ़ाते (तो सदैव आत्म-अभिमानी हो रहना है)… यह अलौकिक पढ़ाई सिर्फ अभी संगम पर चलती, जिस ज्ञान से सद्गति हो हम 21 जन्म सुखी रहते… इसलिए, पतित-पावन बाप को याद करते पावन जरूर बनना, तो ज्ञान सागर का सारा ज्ञान हममें धारण हो जाएँगा, बाबा को बच्चा जरूर बनाना है… श्रीमत पर यह जो श्रेष्ठ पुरूषार्थ हम करते वह कल्प-कल्प की श्रेष्ठ नूंध बन जाती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा श्रीमत पर मनमनाभव का मंत्र जपते, स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी बन जाएँ… औरों के भी दुःख दूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं सर्व अविनाशी खजा़नों का मालिक हूँ | Baba Milan Murli Churnings 02-04-2019

योग कमेंटरी | मैं सर्व अविनाशी खजा़नों का मालिक हूँ | Baba Milan Murli Churnings 02-04-2019 image

योग कमेंटरी | मैं सर्व अविनाशी खजा़नों का मालिक हूँ | Baba Milan Murli Churnings 02-04-2019

बाबा ने मुझे… सर्व ज्ञान-गुण-शक्ति-संकल्प के खजा़नों का अधिकारी… बालक सो मालिक बना दिया है

याद और सेवा के बल से… मेरे प्रालब्ध-प्राप्तियों का… पुण्य-दुआओं का सर्वश्रेष्ठ खाता जमा हो रहा है

मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ… मुझसे चारों ओर सुख-शान्ति की शक्तिशाली किरणें फैल रही है… सबके दुःख दूर हो… वातावरण शुध्द हो रहा है

मैं श्रेष्ठ… विश्व कल्याणकारी… विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ

मैं पद्मापद्म भाग्यशाली हूँ… सदा वाह मेरा भाग्य वाह का गीत गाते… हर श्वास-संकल्प-कर्म को सफल करता हूँ… सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Sakar Murli Churnings 02-04-2019

Sakar Murli Churnings 02-04-2019

1. हमारे बाप-टीचर-सतगुरु बाबा नें हमें सम्पूर्ण ज्ञान देकर सबसे सहज रास्ता बताया है… सबकुछ भूल सिर्फ अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, तो पावन दिव्यगुण-सम्पन्न बन जाएंगे

2. जो बाबा से ही बातें करते, बहुत सुखदाई सर्विसएबुल है, वह सदा बाबा की आंखों के सामने है, बाबा उन्हें याद करते… तो सदा श्रेष्ठ कर्म करते पदमों की कमाई जमा करते सदा हर्षित रहना है, फिर यह संस्कार सतयुग में भी कायम रहेंगा

3. माया रावण पर पूरी विजय पानी है, बीमारी-परिस्थितियां के अन्तिम हिसाब-किताब से घबराना नहीं है… हमें तो रूहानी नशे में रहना है, कि बाबा हमें अपना बनाकर शान्तिधाम-सुखधम के लायक बना रहे हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें सदा हर्षित देखना चाहते, तो ऎसा ऊंच ज्ञान-योग का अभ्यास करे, कि हमारी खुशी कभी न जाई … इससे हमारी स्थिति भी श्रेष्ठ रहेंगी, औरों को भी लाभ होता रहेंगा, और हम साथ में सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!