स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान – कविता
क्या किस्मत है, स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान
महक उठे दिव्यगुणों से, बने रूहे गुलाब मूल्यवान
(स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान)
प्रेम के शितल जल से है सिंचा, ज्ञान सूर्य ने अपनी शक्तियों से सवारा
देकर श्रेष्ठ धारणाओं की धरती, योग्यताएं सदा हममे है बढ़ती
अपने गुणों से बनाया शक्तिवान
(स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान)
भरके शान्ति खुशी के रंग, फैलाई दिव्यगुणों (दिव्यता) की सुगंध
ऐसी जगाई ज्ञान योग की वासधूप, निखर उठा हमारा स्वरूप
सर्व प्राप्तियों से बनाया गुणवान
(स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान)
थे कलियुगी कांटे, करके मीठी मीठी बाते
जोड़के प्यारे नाते, अब हम धन्यवाद के गीत है गाते
जबकि बनाया महान सौभाग्यवान
(स्वयं भगवान बना हमारा बागवान)
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