The Joy of God’s pull! | बाबा की कशिश | Sakar Murli Churnings 17-05-2019
1. जितना आत्मा समझ बाबा को याद करते, उनके समीप जाते चमकते रहे, बाबा भी हम सर्विसएबुल बच्चों को याद करते… याद से ही पावन बनते, कर्मेंद्रीयां शीतल होते (अभी सो 21 जन्मों के लिए), कर्मातीत बनते
2. एक है योग का ज्ञान, दूसरा है सृष्टि चक्र का ज्ञान (हम ही देवता थे, अब ब्राह्मण बने है, फिर देवता बनना है, जिसके लिए दैवीगुण भी चाहिए)… इसलिए भी मामेकम् याद चाहिए, फिर अच्छे-अच्छे पॉइन्ट्स emerge हो, अच्छा समझेंगे, सेवा होगी… ड्रामा की टिक-टिक होती रहती है, हम भक्ति के विस्तार को भी समझ गए है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें कशिश करते, तो अपना सबकुछ उसे सौप, उसके ज्ञान-योग में मग्न हो जाएँ… तो सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित, सर्व प्राप्तियों-दिव्यगुणों से सम्पन्न बन, सबको शान्ति प्रेम खुशी बांटते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
Recent Sakar Murli Churnings:
Thanks for reading this article on ‘The Joy of God’s pull! | बाबा की कशिश | Sakar Murli Churnings 17-05-2019’