आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Soul Conscious drishti

आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Soul Conscious drishti

अपने को आत्मा समझ, सबको आत्मिक दृष्टि से देखना, यह हमारे सहज राजयोगी जीवन के मुख्य पील्लर्स है… आज भी मुरली में बाबा ने इसपर बहुत जोर दिया

तो आज आपको आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां भेज रहे हैं… इस सतगुरूवार की सौगात को बहुत प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

स्वयं को

  • देह भान-अभिमान-अहंकार से सहज परे, न्यारा-प्यारा, उपराम रहते
  • मन हल्का, शान्त, एकरस, अचल, अडो़ल… बुद्धि स्थिर, एकाग्र… स्थिति अच्छी, श्रेष्ठ, महान, ऊंची रहती
  • आँखें शीतल, निर्मल, पवित्र, अलौकिक, दिव्य… विशेषताएं देखना सहज, अपनापन-एकता रहती
  • बोल स्वतः कम, धीरे, मीठे, योगयुक्त, युक्तियुक्त, यथार्थ, आवश्यक निकलते… कर्म दिव्य-अलौकिक… स्वभाव मीठा-रॉयल-सम्मान पूर्वक रहता
  • औरों की बुरी दृष्टि-वृत्ति परिवर्तन हो जाती

औरों को

  • उन्हें करन्ट, शक्ति, वाइब्रेशन मिलते… जिससे उनको सहयोग मिलता, अनुभुती-परिवर्तन सहज होता
  • सम्पर्क हल्के, सन्तुष्टता पूर्वक रहते… उन्हें स्वीकार कर, सम्मान-रूहानी स्नेह-शुभ भावना दे सकते, सम्बन्ध मीठे-सुखदाई रहते… पास्ट मर्ज हो जाता, व्यर्थ बातें तुरन्त समाप्त हो जाती,
  • समान भाव, भेद-भाव से परे (जाती, धर्म, रंग, देश, भाषा, धन, पोस्ट-पोज़ीशन, पढ़ाई, व्यवसाय)
  • बुरे, व्यर्थ, नकारात्मक, अपवित्र विचार से बचे रहते… नाम-रूप से उपर रहते… प्रभाव-परमत से परे… डिस्टर्ब-चिड़चिड़े नहीं होते

ब्राह्मण जीवन में

  • योग में गिना जाता, सच्ची पवित्रता, श्रीमत, फॉलो फादर है… सभी योग के अभ्यास (आत्मिक स्थिति, बाबा की याद, फरिश्ता स्वरूप, बाबा की दृष्टि लेना) सहज हो जाते… अशरीरी सेकण्ड में, योग तुरन्त लग सकता, अच्छा होता
  • सबसे ऊंच सब्जेक्ट में पास होते, विश्व का मालिक बनते … पावन, सतोप्रधान, दिव्य बनते जाते
  • आभामण्डल दिव्य, वायुमण्डल शुध्द, मन्सा सेवा होती… वाणी में जौहर भरता, प्रभाव पड़ता, बुद्धि में बैठता, सहज आगे बढ़ते, सेवा होती
  • दृष्टि-टोली देने की सेवा भी मिल सकती… भाषण का डर नहीं रहता, आत्म-विश्वास बढ़ता, सफलता मिलती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने को आत्मा समझ, सबको आत्मिक दृष्टि से देखते रहे… इससे सम्पूर्ण पावन बनते जाते, सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह… औरों का भी कल्याण करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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