Murli Yog 19.9.24

Murli Yog 19.9.24

सर्वगुण सम्पन्न ?, दिव्य; बाप समान सुख, आनंद के सागर ? बनने की बेहद उन्नति, फायदा, कल्याण ? के लिए पवित्र याद की ताकत ??; बाबा के पास रहना… Murli Yog 19.9.24!

बेहद टीचर ने हम आत्माओं ? से बात कर, बहुत सहज ज्ञान का तीसरा नेत्र दे स्वदर्शन चक्रधारी ? बनाया है… अभी मुख्य श्रीमत है अपनी उन्नति, कल्याण, फायदे लिए अपने से बातें कर… अटेन्शन से, और भूल; अपने बुद्धि की याद, योग अपने बेहद बाप के साथ रखना!

?? इस ताकत से ही पावन, सतोप्रधान बन… लिबरेट हो; मुक्ति, घर में बाबा के पास जाते… फिर नये स्वर्ग की बादशाही, राज्य के मालिक बनने का ऊंच पद ? पाते; वर्से में (सद्गति!)

आत्मा ही सुखी, सर्वगुण सम्पन्न वा बाप समान ज्ञान, सुख, आनंद सागर बनती (सबको सुख देने वाली!)… तो डायरेक्ट मदद करने युक्ति से ट्रांसफर करना; बाबा ही बागवान, खिवैया, सर्व का सद्गति दाता, ऊंच ते ऊंच भगवान् ? है; सबको कशिश होंगी!

हम दृढ़ प्रतिज्ञा से… सब सहज पार करने वाले… मास्टर सर्वशक्तिमान ✊? है!

कामनाओं से न्यारे होने से सर्व कामनाएँ पूरी होती… तो facilities मांगने के बजाए मास्टर दाता बन सैल्वेशन, आदि दो… तो सदा के लिए महान बन; सदा की उन्नति, सफलता ✅, प्राप्ति होती!

छोटी-सी व्यर्थ बात, दृश्य, वातावरण ? का प्रभाव… पहले मन ? पर होता; फिर बुद्धि सहयोग देती, करते-करते संस्कार बनता (जो युद्ध कराता, खुशी गुम करता!)… ब्राह्मण अर्थात् रूलर इनसे मुक्त है! (AV 9.1.96; तीन दिन से!)


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