Murli Yog 21.9.24

Murli Yog 21.9.24

मीठे, पावन मिलन से श्रृंगारे, दिव्य ✨, प्यारे प्रिन्स ?? बनने का रूहानी नशा; ‘सब अच्छा है’ की मज़बूत स्मृति ? से अचल-अड़ोल रहना… Murli Yog 21.9.24… आज विश्व शान्ति दिवस पर; शान्ति सागर ? में समाये शान्त स्वरूप, शान्तिदूत बन; सबको शान्ति की अंचली देते रहना!

हम मीठी-मीठी रूहानी आत्माएं ?️… अपने रूहानी, निराकार, पतित-पावन बाप के पास, कल्याणकारी ? मिलन मेले में अर्थात् मामेकम् याद, राजयोग ?‍♀️ की अग्नि में है… तो बाबा धोबी बन हमें योगबल से शुद्ध, पावन बनाने का श्रृंगार कर घर ले जाते; फिर सद्गति!

हम इस अकाल-तख्त पर निराकार, अविनाशी आत्मा है जो श्रेष्ठ कर्म करती… हम आत्मा ? ही एक शरीर छोड़ दूसरा लेती; ऐसी अविनाशी पार्टधारी है…

… हम आत्मा भाई-भाई अपने बेहद बाप से बेहद वर्सा, मिलकियत, प्रॉपर्टी में… गोल्डन, कंचन दुनिया ?; स्वर्गिक, नई बादशाही, राजधानी के मालिक बनते… हम देवता होंगे; श्रीकृष्ण स्वर्ग का पहला, प्यारा, नम्बरवन प्रिन्स; पानी भी कितना शुद्ध होंगा!

तो कितना नशा हो; फिर ऐसे पारलौकिक बाप को भूल कैसे सकते; औरों को भी परिचय क्यों नहीं दे! … ज्ञान सागर वा सूर्य ☀ हमें पढ़ाकर नॉलेजफुल बनाते; तो जरूर बोलने लिए मुख चाहिए… तो श्रीकृष्ण के ही अन्तिम जन्म के भाग्यशाली रथ में प्रवेश कर; उन्हें ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर, प्रजापिता बनाते; जिनके हम एडाप्टेड़ ब्राह्मण बच्चे है… यह अनादि, अविनाशी बना, बनाया ड्रामा है!

हम बालक ?? सो मालिक, अधिकारी ✊? है… जिनके पास मन-घोडे को वश करने श्रीमत की मज़बूत लगाम है… तो मन-बुद्धि ? साइडसीन देखने में लग भी जाए; फिर श्रीमत की लगाम टाइट करने से मंजिल पर पहुंच जायेंगे! (AV 9.1.96; पांच दिन से!)

जो हो रहा अच्छा, जो होने वाला और भी अच्छा; इस स्मृति से अचल-अड़ोल ?? रहते… अपने परिवार के सहयोगी आत्माओं, भाई-बहनों को वस्तु, सैल्वैशन, नाम, मान, शान दे… स्वयं निर्मान रहना; यह देने में ही सदाकाल का लेना समाया हुआ है!


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