Sitting in God’s eyes | Sakar Murli Churnings 23-05-2019
1. इस पुरुषोतम संगमयुग पर बाबा साधारण तन में आकर, हमें पढ़ाकर पारस-बुद्धि बनाते, फिर स्वर्ग में सम्पूर्ण सुख-धन-साधन एकता होंगी… ऎसे सुखधाम में जाना है, बाकी सब तो शान्तिधाम जाएँगे, इस दुखधाम-अपवित्रता को छोड़ना है (हम आत्मा भाई-भाई है, भ्रकुटी के बीच, बाप से वर्सा मिलता)… जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे, हमें भी समझाते रहना है (दो बाप, आदि)
2. हमें सम्पूर्ण ज्ञान मिल गया है, तो कैसे भी करके (हर जगह, भोजन करते, आदि) बाबा को याद करना है, तो विकर्म-विनाश हो माया-जीत बन पवित्र-सतोप्रधान विश्व का मालिक बन जाएँगे… बाकी थोड़ा समय है, गुल-गुल बनने से बाबा नयनों में बिठाकर ले जाएँगे, कमाई बड़ी भारी ही (घाटा भी!) देही-अभिमानी बनने से सब सहज होता… चिन्तन भी करना है कैसे हम आत्मा है, फिर घर जाएँगे, फ़िर सतयुग में आएँगे
सार
तो चलिए आज आरा दिन… जबकि बाबा ने हमें अपने नयनों में बिठा दिया है, तो हम भी उन्हें अपने नैनों में समाकर, अपनी दिनचर्या के हर पहलू को योगयुक्त बना दे… तो सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित दिव्यगुण-सम्पन्न बन, औरों को भी श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
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