The three Om Shantis! | Sakar Murli Churnings 11-06-2019

The three Om Shantis! | Sakar Murli Churnings 11-06-2019

हमें समझ मिली है.. कि:

मैं कौन?

  • मैं आत्मा हूँ (आत्मा अविनाशी, शरीर विनाशी है)
  • ईश्वरीय परिवार का

मेरा कौन?

  • बाबा
  • जो बेहद का बाप (वर्सा), टीचर (ज्ञान का सागर), सतगुरू (साथ ले जाते) है
  • उनको हमपर कितना प्यार है, हमारी कितनी निष्काम सेवा करते
  • वही हमारा पाण्डव-पति है

मुझे क्या करना है?

  • बाबा की याद द्बारा पाप कट करने है
  • स्वदर्शन चक्रधारी बनना है (हम अभी पढ़ रहे हैं, फिर जीवनमुक्ति स्वर्ग के मालिक सम्पूर्ण सुखी बनेंगे, वहां केवल हम ही होंगे)
  • सेवा भी करनी है, सबकी (नौकर-चाकर-अहिल्याएं-गरीब-आदि सब):
    • मूल सेवा है बाबा का परिचय देने का सहज कर्म करना, जिससे सबका कल्याण होता
    • सूक्ष्म सेवा है बाबा की याद में रहना (जिससे पवित्र प्रकंपन फैलते), भोजन याद में बनाना, आदि
    • स्थूल सेवा तो बहुत है, जैसे भण्डारा सम्भालना

क्या सम्भाल करनी है?

  • पवित्रता (विष छोड़, ज्ञान-अमृत पीना)
  • भोजन की शुद्धता
  • विकार (5 भूत) वा अवगुण (झूठ बोलना, चोरी करना, आदि) छोड़ना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… ज्ञान-योग की वास-धूप को सदा जलाए रख, सभी विकारों के भूतों को भगाए, सदा शान्ति प्रेम आनंद के अनुभवी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहे… औरों को भी ऎसी श्रेष्ठ विधि सिखाकर कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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