कविता – ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन
ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन, सबको आकर्षित करता यह ईश्वरीय भवन
यहां हर कली है प्रभु प्रेम से खिली, हर फूल है गुण-शक्तियों से भरपूर
जहां नित दिन सुनते परमात्म महावाक्य, जो प्रेरित करते अनेक मनभावन काव्य
यहां बैठकर प्रभु यादों में, पाये ईश्वरीय साथ के दिव्य अनुभव लाखों
जिसकी सेवाओं की सुगंध फैलती सारे भुवन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )
यहां न जाने कितने फूल है महके, बनाया गुलदस्ता बड़ा प्यारा
सिंचकर ज्ञान अमृत से, शक्तिशाली वातावरण की धुप से है नीखारा
निर्मल प्रेम ने बनाया हमे पावन-पावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )
सेवाओं के चांस ने बनाया हमे chancellor, श्रेष्ठ भाग्य के बने हम wholesaler
जहां कण-कण में समाई योग की खुशबू, जगाती जो सदा नये आशाओं की आरजू
जिसकी महक ने जीवन में बरसाया सुख सावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )
बहनों ने देकर श्रेष्ठ धारणाओं का सबूत, बनाया हमे भी बाबा का बच्चा सपूत
ज्ञान-योग से होके स्व परिवर्तन, करेंगे हम विश्व परिवर्तन, अब यही है उमंग
मुंबई में मधुबन का माडल मिला मनभावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )
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