Stories of BK Manmohini Didi | Brahma Kumaris

Stories of BK Manmohini Didi | Brahma Kumaris

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दीदी मनमोहिनी जी कहते थे, रोज़ सवेरे उठकर 5 (आध्यात्मिक!) खेले खाने चाहिए, तो सदा शक्तिशाली रहेंगे। ?

यह 5 केले हैं:

अकेले आये थे,
अकेला जाना हैं,
अकेले में (एकान्त में),
अकेले (आत्मा) हो,
अकेले (बाबा) को याद करना!

तो हम भी रोज़ यह 5 केले स्वीकार कर, सदा शक्तिशाली शान्ति, प्रेम और आनंद से भरपूर रहें! ?


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7 Qualities of Soul | Brahma Kumaris | In Hindi

7 Qualities of Soul | Brahma Kumaris | In Hindi

Q. ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति – आत्मा के 7 अनादि गुणों को आप इसी क्रम में क्यों सुनाते?

A. दादी जानकी जी ने एक बार यह क्रम सुनाया, और मधुबन के कई वरिष्ठ भाई-बहने इसका ही प्रयोग करते… क्योंकि परमात्मा की भी मुख्य महिमा है ज्ञान सागर, पतित-पावन अर्थात् पहले ज्ञान फिर पवित्रता ?

और जहां पवित्रता हैं, वहां ही स्थिरता व सच्ची शान्ति है… इस शान्ति की मीठी अनुभूति से स्वतः, यह प्राप्ति कराने वाले प्रति परमात्म-प्यार जागृत होता… इसी प्रेम में सुख है… और सुख का ही ऊँच स्तर, आनंद है… इसी सतोगुणी अनुभूति में शक्ति है; जिससे स्वराज्य अधिकारी व सेफ रहते ?

तो भल कई सिधा मास्टर सर्वशक्तिमान, शिव शक्ति, आदि स्वमान का अभ्यास करते; वास्तव में है यह शान्ति-प्रेम-खुशी आदि की सतोगुणी शक्ति का ही शक्तिशाली रूप… तो इसी क्रम की कम्बाइन्ड गुणों की अनुभूति से हमें बहुत-बहुत प्राप्ति व लाभ हुआ है; सबको भी अवश्य होंगा… बहुत-बहुत दिल से शुभकामनाएं! ?


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Stories of BK Mamma | Brahma Kumaris | Mateshwari Jagadamba Saraswati

Brahma Kumaris Mama Photos | BK Mamma Images | Stories of BK Mamma | Brahma Kumaris | Mateshwari Jagadamba Saraswati

Stories of BK Mamma | Brahma Kumaris | Mateshwari Jagadamba Saraswati

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दादी जानकी ने एक बार मम्मा से पूछा, आपको पूरी मुरली कैसे याद रहती हैं?

मम्मा ने कहा, मैं बिल्कुल प्लेन-बुद्धि हो सुनती… कितना सहज उत्तर (जो कोई भी धारण कर सके!), परन्तु कितनी महान धारणा दर्शाता… मम्मा का कितना जबरदस्त योगबल होंगा, जो मन को इतना शान्त कर दिया, कि माया (पुराने संस्कार) रिंचक भी हलचल न ला सके!

हम भी मुरली क्लास पहले 3-5 मिनट योग में अवश्य बैठा करे… तो पूरी मुरली सहज याद-धारण-अनुभव हो जायेंगी! ?


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Best Avyakt Murlis on Swaman

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Best Avyakt Murlis on Swaman

#AvyaktMurliResearch स्वमान का विषय हम सभी बाबा के बच्चों को अति प्रिय है… तो इन 8 अव्यक्त मुरली को पढ़ने से आप सम्पूर्ण रीति से स्वमान में स्थित रहना, और सबको सम्मान देना, इस कला में नम्बरवन बन जायेंगे! ???

23.1.75 – स्वमान की सीट पर सेट होकर कर्म करने वाला ही महान
22.9.75 – स्वमान में स्थित होना ही सर्व खजानें और खुशी की चाबी है
14.5.77 – स्वमान और फ़रमान
30.11.79 – स्वमान में स्थित आत्मा के लक्षण
1.12.89 – स्वमान से ही सम्मान की प्राप्ति
18.2.94 – स्वमान की स्मृति का स्विच ऑन करने से – देह भान के अंधकार की समाप्ति
16.11.06 – अपने स्वमान की शान में रहो और समय के महत्व को जान एवररेडी बनो
30.1.10 – चारों ही सबजेक्ट में स्वमान के अनुभवी स्वरूप बन अनुभव की अथॉरिटी को कार्य में लगाओ


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14-01-88: उदासी आने का कारण – छोटी-मोटी अवज्ञायें | 14th January 1988: The reason of sadness – Small Disobediences | how to walk in obedience to god

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14-01-88: उदासी आने का कारण – छोटी-मोटी अवज्ञायें | 14th January 1988: The reason of sadness – Small Disobediences | how to walk in obedience to god

Amulya Ratan

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

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Meditation / Essence

बेहद का बड़े से बड़ा बाप, जो ऊंचे से ऊंचा बनाते… उनके कदमों पर चलने वाली मैं सच्ची सीता, व सदा आज्ञाकारी बच्चा हूँ… बाबा ने कहा, और तुरन्त स्मृति-स्वरूप बन चलता

इसका विशेष प्रत्यक्षफर बाबा के दिल की दुआएं व आशीर्वाद से… हर कर्म शक्तिशाली फलदायक ? हो… स्वयं-कर्म-सर्व के सन्तुष्टता की सफलता, आंतरिक शक्तिअतीन्द्रिय सुख (शक्तिशाली याद से पिछला सब भस्म! ?), आनंद व खुशी से सम्पन्न शान्तिअनुभव करता


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23-11-89: वरदाता को राज़ी करने की सहज विधि | 23rd November 1989: Easy Method of satisfying the Bestower of Blessings | None but One

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Q&As / Essence

Om Shanti

  1. भोलानाथ वरदाता के पास अखुट वरदान हैं जो जितना लेने चाहे खुला ___ है, वरदानी बच्चों को वरदानों की झोली भरकरके देते, जिससे हमें सम्पन्न बनना है।
    ° भण्डार

2. वरदाता को राज़ी करने की सबसे सहज विधि – संकल्प-स्वप्न में भी सर्व सम्बन्ध से एकव्रता, अर्थात् सदा ___ में एक, मेरा तो एक दूसरा न कोई – यह पक्का व्रत हो।
° वृत्ति

3. स्वयं की ___-निराकारी स्थिति हो (बोझ-बातें नहीं जो सुनाये), साथ हैं-रहेंगे-चलेंगे-पार्ट बजायेंगे! (सब साथी, विशेष नहीं), तो जिम्मेवारियां बाप उठाते (सहज पास विद आनर!)
° आकारी

4. एक बल एक भरोसा (एक का भरोसा दूजे का बल नहीं), एकमत (न मनमत न परमत), ___ (न कोई व्यक्ति-वैभव का रस), ऐसे एकता और एकान्त-प्रिय; एक शब्द प्रिय हुआ ना।
° एकरस

5. सिर्फ एक का पाठ पक्का तो हर दिनचर्या के कर्म में ___ से पलते-चलते-उड़ते रहेंगे, हर संकल्प-सेकण्ड कर्म-कदम में वरदाता-वरदान समीप-सम्मुख-साकार-हाजिर अनुभव होंगे।
° वरदानों

6. सेवा में वृद्धि होनी ही है (आत्माओं को सन्देश पहुंचता जाता), चक्रवर्ती बन चक्र लगाने में मजा आता (कितनी ___ जमा कर आये!), एक एक को विशेषता-लगन की मुबारक।
° दुआयें

7. जितना बाप का प्यार ❤️ बांटते और प्यार का भण्डार बढ़ता (सदा प्यार की बरसात! ), एक ___ प्यार दो बार-बार प्यार लो (सबको प्यार-शक्ति चाहिए), अभी उनका उमंग बना रहे।
° कदम

8. हर एक महान् वा ऊंचे ___ चोटी है, शक्तियों को ज्यादा खुशी है (शक्ति रूप में रहना, निर्मोही) पाण्डव विजयी हैं (अब शान्त स्वरूप पाण्डव, नैन-चैन संकल्प-बोल कर्म में भी)।
° ब्राह्मण

9. बापदादा सेवा स्व-उन्नति दोनों देख खुश होते, बिना कहे-मांगे इतना मिला जो मांगने की इच्छा-आवश्यकता नहीं ऐसे ___ हो, और सर्व को सन्तुष्ट कर प्राप्ति स्वरूप बनाने वाले।
° सन्तुष्ट

10. मन पावरफुल ___ से उड़ने वाला ?️ है (सेकेण्ड में जहाँ चाहें पहुंचे),अमृतवेले अपने भाग्य (खज़ाने, ज्ञान, गुण, शक्ति, टाइटल) भिन्न स्मृति रख रमणीक-नवीन-वैरायटी पुरुषार्थ करो।
° पंखों


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23-03-88: दिलाराम बाप के दिलतख्त-जीत दिलरूबा बच्चों की निशानियाँ | 23rd March 1988: Signs of Beloved soul seated on heart-throne of Comfortor of Hearts | and let the peace of god rule in your heart

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23-03-88: दिलाराम बाप के दिलतख्त-जीत दिलरूबा बच्चों की निशानियाँ | 23rd March 1988: Signs of Beloved soul seated on heart-throne of Comfortor of Hearts | and let the peace of god rule in your heart

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Video

Meditation

मैं दिलाराम की दिलतख्त-नशीन दिलरुबा हूँ… मेरे दिल से सदा स्नेह-भरी यादों व ‘मैं बाबा का, बाबा मेरा’ यह साज़-गीत बजता रहता… मैं बाबा की दिल-जीत आत्मा; स्वयं बाबा मेरे गुण गाते – वाह मेरे मायाजीत, जगतजीत बच्चे!

मेरे सम्पर्क में बाबा दिखते… दृष्टि की रूहानियत बाबा की अनुभूति कराती… दिल का आवाज़, व शक्तिशाली स्नेह-भरे बोल बाबा से सम्बन्ध जोड़ते… हर कदम फरिश्ता-चाल व परमात्म-मत दिखती

मैं ‘सन शोज़ फादर’ करने वाली समीप, समान, नम्बरवन आत्मा… सदा प्यार के सागर की शुभ भावनाओं से उड़ती रहती… दाता का बच्चा; दाता, राजा, रहमदिल बन सबको देते रहता

बाबा के याद की शक्ति से सदा शक्तिशाली, आगे बढ़ता, सफलता पाता हूँ

Q&As / Essence

  1. दिलरुबा=दिल में सदा दिलाराम की याद-स्नेह के मधुर साज से दिलाराम के दिल-जीत (बाप उनके गुण गाते, माया-जगतजीत), हर ___ सिवाए बाप-सेवा कोई गीत नहीं (मेरा बाबा, मैं बाप का)
    ° सेकेण्ड

2. सम्पर्क में बाप दिखे; शक्तिशाली स्नेह-बोल ___ याद दिलाये, प्रत्यक्ष करें, सम्बन्ध जोड़े; दृष्टि-रूहानियत बाप अनुभव कराये; कदम परमात्म-मत, फरिश्ते; सन शोज फादर वाला समीप समान
° बाप की महिमा

3. देवता, राजा, रहमदिल – सब रीति ‘दाता’ के बच्चे दाता बन दो (दाता की याद दिलाते); सब नम्बरवन हैं, स्वयं में निश्चय रख ___, इस दो बोल में भी प्यार-सागर व श्रेष्ठ-शुभ कामनायें समाए है।
° उड़ते चलो

4. याद के शक्ति की सर्वश्रेष्ठ अनुभूति-सहयोग सदा लिए शक्तिशाली बनाए, आगे बढ़ाए, सफलता अनुभव कराती – यह ___ में रख जितना आगे बढ़ना चाहो बढ़ सकते।
° स्मृति


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28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Meditation

मैं बाबा की सदा सुहागिन आत्मा हूँ… मेरे मन ?में सदा “साथ रहेंगे, साथ जियेंगे”… नयन, सूरत में बाबा की ही सूरत और सीरत है

कानों ??में बाबा का अनहद स्वर ? “मनमनाभव” गूंजता रहता… जैसेकि बाबा सम्मुख बोल रहे

लगन में सदा रहता – तुम्हीं से बोलूँ, तुम्हीं से सुनूँ, तुमसे ही सुना हुआ बोलूँ… एक बाबा दूसरा ना कोई, बाबा ही संसार है

सम्पूर्ण पवित्रता, खुशी, मधुरता व सर्व ज्ञान-गुण-शक्तियों के ईश्वरीय भाग्य से सदा सम्पन्न… मैं लाइट-ताजधारी सदा लाइट आत्मिक रूप में स्थित, कर्म में भी हल्का रहता… निरन्तर कर्मयोगी हूँ

मुझ पूज्य रत्न से चमकती सर्व शक्तियां ?सबको निर्विघ्न बनाती… सब खेल लगता

Q&As / Essence

  1. सदा सुहाग=अविनाशी स्मृति-तिलक (1 श्वांस साथ न छुते);मन में साथ रहेंगे-जीयेंगे, नैन-मुख में उनकी ___, कान ?? में मन्मनाभव स्वर ?(सम्मुख), तुमसे बोलूं-सुनूं-तुम्हारा बोलूं (एक दूसरा न कोई)
    ° सूरत और सीरत

2. सदा ईश्वरीय भाग्य = सम्पूर्ण पवित्रता & बाप से सर्व ज्ञान, गुण, शक्तियों की प्राप्तियां व खुशी = ___ क्राउन (राजाई); स्वयं सदा लाइट-आत्मिक रूप अनुभव करता (कर्म में भी लाइट)।
° लाइट का

3. ऐसे निरन्तर रहते रत्नों की पूजा होती; उनसे ज्ञान वर्षा व सायलेन्स द्वारा प्राप्त, सर्व ___ के रंग दिखते, जिससे सभी भी निर्विघ्न बनते; बाबा सेवाधारी को सदा सम्मुख देखते।
° शक्तियों

4. अलौकिक जन्म भूमि आये तो जैसी धरनी वैसे कर्म-संस्कार, निरन्तर कर्मयोगी; स्थिति में ___ (बाप ही संसार, बाप की सम्पत्ति अपनी), सम्पर्क मधुर; स्मृति से समर्थी से सब खेल लगता।
° बेहद की वैराग्य वृत्ति


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02-02-72: प्रीत बुद्धि की निशानियाँ | 2nd February 1972: Signs of a God-loving Intellect | do i love god quiz

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Meditation

मैं प्रीत-बुद्धि आत्मा, लक्की सितारा ⭐, अलौकिक फ़रिश्ता हूँ… सदा अव्यक्त स्थिति में स्थित, हर संकल्प-कर्म अलौकिक न्यारे-प्यारे हैं

मैं सदा ज्ञान-सूर्य ? के सम्मुख रह, सर्व गुणों ? की किरणें स्वयं में अनुभव-धारण करता… मेरे नैन-सूरत में अन्तर्मुखी की झलक, वा सर्व स्वमानों की हर्षितमुख फलक दिखती ?

मेरी बुद्धि की प्रीत-लगन सदा एक प्रीतम से एकरस लगी है… मन में सदा “तुम्ही से बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सर्व सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं” के गीत ? बजते… स्मृतियों से सदा बाबा के चरित्र-कर्तव्य की प्रैक्टिकल अनुभूति करता

Q&As / Essence

  1. ___ स्थिति में हर संकल्प-कार्य अलौकिक न्यारा-प्यारा होता, (ऊंची स्टेज से चेक) कितना समय प्रीत बुद्धि विजयी बनते (श्रीमत विपरित संकल्प नहीं), बुद्धि की लगन-प्रीत प्रीतम साथ एकरस….
    ° अव्यक्त

2.. सदा ज्ञान-सूर्य ___ सर्व गुणों की किरणें अनुभव-धारण करना (तुमसे बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं), नैन-मुख न बोलते हुए बोलते, सूरत पर अन्तर्मुखी झलक वा स्वमान फलक (हर्षित)।
° सम्मुख

  1. इस अन्तिम घड़ी चलते-फिरते बाप के चरित्र-कर्त्तव्य की ___ से प्रैक्टिकल मिलने का अनुभव कर, जन्मों की प्यास बुझाए सौ गुणा लाभ पाते (नहीं तो सजा, सावधान!), ऐसे लक्की सितारों को नमस्ते।
    ° स्मृति

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BK Avyakt Murli PDF, Essence, Meditation, Q&As

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