योग कमेंटरी | मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ | I’m a Ruler over the Self
मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ… भ्रकुटी सिंहासन पर विराजमान… बहुत शक्तिशाली हूँ
मन, बुद्धि, संस्कारों की मालिक… शरीर और कर्मेन्द्रियों की भी मालिक हूँ
मैं अपने संकल्पों का रचता हूँ… हर संकल्प मेरा चुनाव हैं…
मैं अपने मन-बुद्धि को जहां चाहे, जितनी देर चाहे, वहां टिका सकती हूँ… मैं मायाजीत हूँ… निरन्तर योगी हूँ
बाबा ने मुझे माया से छुड़ाकर स्व का राजा बना दिया है… मैं बाबा का राजा बच्चा हूँ… स्वराज्य मैं ही सच्ची शान्ति, सच्ची खुशी हैं
मैं अपनी श्रेष्ठ स्थिति और व्यवहार द्वारा , सर्व को सन्तुष्ट करती हूँ (अर्थात सर्व के दिलों पर राज करती हूँ!)… मैं स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी आत्मा हूँ… ओम् शान्ति!
गीत: मस्तक सिंहासन पै हम आत्माएं…
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