Sakar Murli Churnings 30-01-2019
1. अभी बुद्धि को भटकाने के बजाए एक बाबा में लगाना है (अपने को आत्मा समझकर), तो विकर्म विनाश हो जाएंगे (घर जाने के लिए) और दिव्यगुण धारण हो जाएंगे (सतयुग जाने के लिए)… हम राजऋशी है, राजाई का पुरूषार्थ कर रहे है!
2. जीतना स्वयं दिव्यगुणों की धारणा करेंगे… उतना औरों को भी करा सकेंगे, बहुत सुख देंगे, सेवा करेंगे, और अपना श्रेष्ठ भाग्य बनाएंगे (golden spoon in mouth!)
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा यही रूहानी नशे में रहे कि अब हमारी बुद्धि को सत्य ठिकाना मिल गया है, अब हम उड़ती कला में आ गए हैं… और सबको भी उड़ती कला में लाते रहे, जिससे सहज ही हम सतयुग लाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!
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