14-01-88: उदासी आने का कारण – छोटी-मोटी अवज्ञायें | 14th January 1988: The reason of sadness – Small Disobediences | how to walk in obedience to god

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Amulya Ratan

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

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Meditation / Essence

बेहद का बड़े से बड़ा बाप, जो ऊंचे से ऊंचा बनाते… उनके कदमों पर चलने वाली मैं सच्ची सीता, व सदा आज्ञाकारी बच्चा हूँ… बाबा ने कहा, और तुरन्त स्मृति-स्वरूप बन चलता

इसका विशेष प्रत्यक्षफर बाबा के दिल की दुआएं व आशीर्वाद से… हर कर्म शक्तिशाली फलदायक ? हो… स्वयं-कर्म-सर्व के सन्तुष्टता की सफलता, आंतरिक शक्तिअतीन्द्रिय सुख (शक्तिशाली याद से पिछला सब भस्म! ?), आनंद व खुशी से सम्पन्न शान्तिअनुभव करता


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23-11-89: वरदाता को राज़ी करने की सहज विधि | 23rd November 1989: Easy Method of satisfying the Bestower of Blessings | None but One

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Q&As / Essence

Om Shanti

  1. भोलानाथ वरदाता के पास अखुट वरदान हैं जो जितना लेने चाहे खुला ___ है, वरदानी बच्चों को वरदानों की झोली भरकरके देते, जिससे हमें सम्पन्न बनना है।
    ° भण्डार

2. वरदाता को राज़ी करने की सबसे सहज विधि – संकल्प-स्वप्न में भी सर्व सम्बन्ध से एकव्रता, अर्थात् सदा ___ में एक, मेरा तो एक दूसरा न कोई – यह पक्का व्रत हो।
° वृत्ति

3. स्वयं की ___-निराकारी स्थिति हो (बोझ-बातें नहीं जो सुनाये), साथ हैं-रहेंगे-चलेंगे-पार्ट बजायेंगे! (सब साथी, विशेष नहीं), तो जिम्मेवारियां बाप उठाते (सहज पास विद आनर!)
° आकारी

4. एक बल एक भरोसा (एक का भरोसा दूजे का बल नहीं), एकमत (न मनमत न परमत), ___ (न कोई व्यक्ति-वैभव का रस), ऐसे एकता और एकान्त-प्रिय; एक शब्द प्रिय हुआ ना।
° एकरस

5. सिर्फ एक का पाठ पक्का तो हर दिनचर्या के कर्म में ___ से पलते-चलते-उड़ते रहेंगे, हर संकल्प-सेकण्ड कर्म-कदम में वरदाता-वरदान समीप-सम्मुख-साकार-हाजिर अनुभव होंगे।
° वरदानों

6. सेवा में वृद्धि होनी ही है (आत्माओं को सन्देश पहुंचता जाता), चक्रवर्ती बन चक्र लगाने में मजा आता (कितनी ___ जमा कर आये!), एक एक को विशेषता-लगन की मुबारक।
° दुआयें

7. जितना बाप का प्यार ❤️ बांटते और प्यार का भण्डार बढ़ता (सदा प्यार की बरसात! ), एक ___ प्यार दो बार-बार प्यार लो (सबको प्यार-शक्ति चाहिए), अभी उनका उमंग बना रहे।
° कदम

8. हर एक महान् वा ऊंचे ___ चोटी है, शक्तियों को ज्यादा खुशी है (शक्ति रूप में रहना, निर्मोही) पाण्डव विजयी हैं (अब शान्त स्वरूप पाण्डव, नैन-चैन संकल्प-बोल कर्म में भी)।
° ब्राह्मण

9. बापदादा सेवा स्व-उन्नति दोनों देख खुश होते, बिना कहे-मांगे इतना मिला जो मांगने की इच्छा-आवश्यकता नहीं ऐसे ___ हो, और सर्व को सन्तुष्ट कर प्राप्ति स्वरूप बनाने वाले।
° सन्तुष्ट

10. मन पावरफुल ___ से उड़ने वाला ?️ है (सेकेण्ड में जहाँ चाहें पहुंचे),अमृतवेले अपने भाग्य (खज़ाने, ज्ञान, गुण, शक्ति, टाइटल) भिन्न स्मृति रख रमणीक-नवीन-वैरायटी पुरुषार्थ करो।
° पंखों


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23-03-88: दिलाराम बाप के दिलतख्त-जीत दिलरूबा बच्चों की निशानियाँ | 23rd March 1988: Signs of Beloved soul seated on heart-throne of Comfortor of Hearts | and let the peace of god rule in your heart

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

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Meditation

मैं दिलाराम की दिलतख्त-नशीन दिलरुबा हूँ… मेरे दिल से सदा स्नेह-भरी यादों व ‘मैं बाबा का, बाबा मेरा’ यह साज़-गीत बजता रहता… मैं बाबा की दिल-जीत आत्मा; स्वयं बाबा मेरे गुण गाते – वाह मेरे मायाजीत, जगतजीत बच्चे!

मेरे सम्पर्क में बाबा दिखते… दृष्टि की रूहानियत बाबा की अनुभूति कराती… दिल का आवाज़, व शक्तिशाली स्नेह-भरे बोल बाबा से सम्बन्ध जोड़ते… हर कदम फरिश्ता-चाल व परमात्म-मत दिखती

मैं ‘सन शोज़ फादर’ करने वाली समीप, समान, नम्बरवन आत्मा… सदा प्यार के सागर की शुभ भावनाओं से उड़ती रहती… दाता का बच्चा; दाता, राजा, रहमदिल बन सबको देते रहता

बाबा के याद की शक्ति से सदा शक्तिशाली, आगे बढ़ता, सफलता पाता हूँ

Q&As / Essence

  1. दिलरुबा=दिल में सदा दिलाराम की याद-स्नेह के मधुर साज से दिलाराम के दिल-जीत (बाप उनके गुण गाते, माया-जगतजीत), हर ___ सिवाए बाप-सेवा कोई गीत नहीं (मेरा बाबा, मैं बाप का)
    ° सेकेण्ड

2. सम्पर्क में बाप दिखे; शक्तिशाली स्नेह-बोल ___ याद दिलाये, प्रत्यक्ष करें, सम्बन्ध जोड़े; दृष्टि-रूहानियत बाप अनुभव कराये; कदम परमात्म-मत, फरिश्ते; सन शोज फादर वाला समीप समान
° बाप की महिमा

3. देवता, राजा, रहमदिल – सब रीति ‘दाता’ के बच्चे दाता बन दो (दाता की याद दिलाते); सब नम्बरवन हैं, स्वयं में निश्चय रख ___, इस दो बोल में भी प्यार-सागर व श्रेष्ठ-शुभ कामनायें समाए है।
° उड़ते चलो

4. याद के शक्ति की सर्वश्रेष्ठ अनुभूति-सहयोग सदा लिए शक्तिशाली बनाए, आगे बढ़ाए, सफलता अनुभव कराती – यह ___ में रख जितना आगे बढ़ना चाहो बढ़ सकते।
° स्मृति


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28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god

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Meditation

मैं बाबा की सदा सुहागिन आत्मा हूँ… मेरे मन ?में सदा “साथ रहेंगे, साथ जियेंगे”… नयन, सूरत में बाबा की ही सूरत और सीरत है

कानों ??में बाबा का अनहद स्वर ? “मनमनाभव” गूंजता रहता… जैसेकि बाबा सम्मुख बोल रहे

लगन में सदा रहता – तुम्हीं से बोलूँ, तुम्हीं से सुनूँ, तुमसे ही सुना हुआ बोलूँ… एक बाबा दूसरा ना कोई, बाबा ही संसार है

सम्पूर्ण पवित्रता, खुशी, मधुरता व सर्व ज्ञान-गुण-शक्तियों के ईश्वरीय भाग्य से सदा सम्पन्न… मैं लाइट-ताजधारी सदा लाइट आत्मिक रूप में स्थित, कर्म में भी हल्का रहता… निरन्तर कर्मयोगी हूँ

मुझ पूज्य रत्न से चमकती सर्व शक्तियां ?सबको निर्विघ्न बनाती… सब खेल लगता

Q&As / Essence

  1. सदा सुहाग=अविनाशी स्मृति-तिलक (1 श्वांस साथ न छुते);मन में साथ रहेंगे-जीयेंगे, नैन-मुख में उनकी ___, कान ?? में मन्मनाभव स्वर ?(सम्मुख), तुमसे बोलूं-सुनूं-तुम्हारा बोलूं (एक दूसरा न कोई)
    ° सूरत और सीरत

2. सदा ईश्वरीय भाग्य = सम्पूर्ण पवित्रता & बाप से सर्व ज्ञान, गुण, शक्तियों की प्राप्तियां व खुशी = ___ क्राउन (राजाई); स्वयं सदा लाइट-आत्मिक रूप अनुभव करता (कर्म में भी लाइट)।
° लाइट का

3. ऐसे निरन्तर रहते रत्नों की पूजा होती; उनसे ज्ञान वर्षा व सायलेन्स द्वारा प्राप्त, सर्व ___ के रंग दिखते, जिससे सभी भी निर्विघ्न बनते; बाबा सेवाधारी को सदा सम्मुख देखते।
° शक्तियों

4. अलौकिक जन्म भूमि आये तो जैसी धरनी वैसे कर्म-संस्कार, निरन्तर कर्मयोगी; स्थिति में ___ (बाप ही संसार, बाप की सम्पत्ति अपनी), सम्पर्क मधुर; स्मृति से समर्थी से सब खेल लगता।
° बेहद की वैराग्य वृत्ति


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02-02-72: प्रीत बुद्धि की निशानियाँ | 2nd February 1972: Signs of a God-loving Intellect | do i love god quiz

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(From the official ‘Madhuban Murli’)

Meditation

मैं प्रीत-बुद्धि आत्मा, लक्की सितारा ⭐, अलौकिक फ़रिश्ता हूँ… सदा अव्यक्त स्थिति में स्थित, हर संकल्प-कर्म अलौकिक न्यारे-प्यारे हैं

मैं सदा ज्ञान-सूर्य ? के सम्मुख रह, सर्व गुणों ? की किरणें स्वयं में अनुभव-धारण करता… मेरे नैन-सूरत में अन्तर्मुखी की झलक, वा सर्व स्वमानों की हर्षितमुख फलक दिखती ?

मेरी बुद्धि की प्रीत-लगन सदा एक प्रीतम से एकरस लगी है… मन में सदा “तुम्ही से बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सर्व सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं” के गीत ? बजते… स्मृतियों से सदा बाबा के चरित्र-कर्तव्य की प्रैक्टिकल अनुभूति करता

Q&As / Essence

  1. ___ स्थिति में हर संकल्प-कार्य अलौकिक न्यारा-प्यारा होता, (ऊंची स्टेज से चेक) कितना समय प्रीत बुद्धि विजयी बनते (श्रीमत विपरित संकल्प नहीं), बुद्धि की लगन-प्रीत प्रीतम साथ एकरस….
    ° अव्यक्त

2.. सदा ज्ञान-सूर्य ___ सर्व गुणों की किरणें अनुभव-धारण करना (तुमसे बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं), नैन-मुख न बोलते हुए बोलते, सूरत पर अन्तर्मुखी झलक वा स्वमान फलक (हर्षित)।
° सम्मुख

  1. इस अन्तिम घड़ी चलते-फिरते बाप के चरित्र-कर्त्तव्य की ___ से प्रैक्टिकल मिलने का अनुभव कर, जन्मों की प्यास बुझाए सौ गुणा लाभ पाते (नहीं तो सजा, सावधान!), ऐसे लक्की सितारों को नमस्ते।
    ° स्मृति

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BK Avyakt Murli PDF, Essence, Meditation, Q&As

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Ensuring conviction on family, by empowering the mind through spiritual efforts! | Baba Milan Murli Churnings 03-04-2020

Ensuring conviction on family, by empowering the mind through spiritual efforts! | Baba Milan Murli Churnings 03-04-2020

1. हम स्नेह-लगन से बाप-समान समर्थ बन रहे, बाबा भी वाह-वाह कर हमे सिरताज कह आगे बढ़ाते… हमारे जीवन का फाउण्डेशन ही है निश्चय, जिससे विजयी होते… चारों निश्चय:

  1. बाबा पर निश्चय… सबको अटूट है ही (तब तो उनके बने-मिलने आए)… मैं बाबा का बाबा मेरा, इस स्मृति द्वारा बाबा-सर्व खजानो के अधिकारी बन गए
  2. स्व पर निश्चय… हम बाप-समान स्वमान-धारी, स्वराज्य अधिकारी, कोटों में कोई है (कितने स्वमान-टाइटल स्वयं भगवान् ने हमे दिए है)… इनकी स्मृति में खुशी-भाग्य-नशे में उड़ते रहते (जो चेहरे-चलन में भी दिखता), सदा विजयी-सफल रहते
  3. ड्रामा पर निश्चय… जिससे समस्या भी परिवर्तन हो समाधान होती, हम अचल-अडोल रहते… कल्प-पहले भी सफल हुए थे, अब भी और सदा रहेंगे (इस नशे में रहना है)
  4. परिवार पर निश्चय… जबकि स्वयं भगवान् ने यह परिवार दिया है, सबसे बड़ा परिवार, जो 21 जन्म साथ चलेगा… भिन्न संस्कार भल हो (माला हमारा ही यादगार है, एक बाप-परिवार-राज्य), बड़ी दिल-शुभ भावना से चलना… क्योंकि भल बाबा सकाश देते, परन्तु साकार साथी तो परिवार ही है, इसलिए संस्कार मिलाकर कल्याण-भाव से चलना है (ऐसे बाप-समान नॉलेजफुल-साक्षी ही फर्स्ट आते, सदा स्वभाव-संस्कार क्यों-क्या की गलतियों से परे, कैसे के बदले ऐसे)… छोड़कर तो जाना नहीं, उन्हें भी आप-समान बनाना है (हमारा ही ईश्वरीय-परिवार है)

एक भी निश्चय में कमी है, तो हलचल होंगी, इसलिए सदा वाह-वाह… समय की समीपता प्रमाण प्रकृति पर बोझ बहुत है, माया भी जाने बाली है (हम ही उसका आह्वान करते), इसलिए अब एवर-रेडी बनना है

2. परिवार पर निश्चय ही मुख्य सब्जेक्ट है… जबकि बाबा लास्ट बच्चे की भी विशेषता देखते (सदा मीठे-मीठे मेरे कहते, महात्मा से भी ऊँच समझते), ब्रह्मा-बाबा ने भी कितना बड़ा संगठन सम्भाला (भागन्ती भी कुछ हुए)… तो जबकि हमारा दोनों बाबा पर 100% प्यार हैं (तो दिन में 12-12 बार शिवबाबा-समान निराकारी-स्वरुप, ब्रह्मा-बाबा समान फरिश्ता स्वरुप में स्थित होना)… कोई के कैसे भी संस्कार हो, हमारे संस्कार तो अच्छे है ना

3. बहुतकाल का अभ्यास ही अचानक के लिए एवर-रेडी बनाता … तीव्र-पुरुषार्थ द्वारा कारण को निवारण कर, सबको तीव्र-सन्देश दे मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाना है

4. (यादप्यार)… हम स्नेही-सब बातों में सहयोगी, लवलीन है… समय-संकल्प के अमूल्य ख़ज़ाने को बाबा के कार्य में लगाकर प्रालब्ध बनाने वाले तीव्र-पुरूषार्थी… सर्व गुण-शक्तियों को जीवन में लाकर गुण-शक्ति सम्पन्न बनने वाले

सार (चिन्तन)

जबकि हम दिन में 12-12 बार बाप-समान निराकारी वा फरिश्ता स्थिति का अनुभव करने वाले है… तो सदा स्वयं को स्वमान-धारी स्वराज्य-अधिकारी अनुभव कर, मेरा बाबा की स्मृति द्वारा सर्व गुण-शक्ति-खजानों से सम्पन्न बन… हर समस्या का समाधान कर, परिवार में बड़ी दिल-शुभ भावना-कल्याण भाव से चलते, चारों ही प्रकार के निश्चयबुद्धि-विजयी बन… ऐसे बहुतकाल एवर-रेडी हो, सबको भी मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Combating the Corona virus through the power of silence! | Baba Milan Murli Churnings 18-03-2020 | Rev. 18-02-2008

Combating the Corona virus through the power of silence! | शान्ति की शक्ति द्वारा हलचल पर विजयी | Baba Milan Murli Churnings 18-03-2020 | Rev. 18-02-2008

1. बाबा अपने आशाओं के दीपक-विश्व परिवर्तक बच्चों को देख रहे (हम-बाबा का एक-दो से अति-पदमगुणा प्यार है, जो पूरा संगमयुग रहेंगा), सबके दिल में कुछ करने का उमंग है … आज धर्म-राज्य-साइंस सभी सत्ताएं हलचल में है (प्रकृति कंट्रोल में नहीं), अब परिवर्तन हम परमात्म-पालना की अधिकारी सहयोगी-साथी-शान्ति-देव आत्माएं ही कर सकेंगी… इसलिए साइलेन्स की शक्ति से सम्पन्न बनना है, शक्तिशाली-साइलेन्स के प्रयोग द्वारा शान्ति के वाइब्रेशन फैलाने… (बाबा-मम्मा-बड़ी दादी ने कैसे गुप्त पुरुषार्थ किया, सेवा-जिम्मेदारी होते भी… तब ही सेवा-वाणी में भी सफलता होती, सारे कल्प की प्रालब्ध भी बनती… ऐसे फॉलो करना)

2. इस शान्ति की शक्ति से ही आने वाले नाजुक समय में बाबा की टचिंग कैच कर सकेंगे (ऐसा बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, मन-बुद्धि की लाइन क्लीन-क्लीयर, निगेटिव से परे)… इसलिए सेवाओं में बीच-बीच में भी शान्ति की शक्ति को चेक कर सम्पन्न करना है… थक जाओ तो बाबा के पास परमधाम-टॉप पर (वा संगम-टॉप पर), फिर सेवा फिर ऊपर… तब ही शान्ति सबको दे सकेंगे (सब अपने इष्ट-गुरू को याद कर रहे, साइंस कब-क्यों में है… गोल्डन-मॉर्निंग का इंतजार कर रहे, जिसको लाने के हम निमित्त है)

3. जैसे बाबा (नाजुक समय पर) हमारे बुलावे पर आए, हमे भी सबकी बातें-स्वभाव-वृत्ति को जान हाँ-जी द्वारा संगठन शक्तिशाली करना है… तो यह शान्ति की ज्वाला सबको मदद करेंगी

4. (यादप्यार) हम बाबा के दिल-तख्तनशीन सो विश्व राज्य तख्त-नशीन, शान्ति की शक्ति को बढ़ाते, लक्की-लवली बच्चें है… सदा खुश रह, खुशी की गिफ्ट सबको देने वाले

सार (चिन्तन)

(कोरोना-वायरस कारण) इस हलचल के समय पर शान्ति की शक्ति से सम्पन्न बनने… सेवाओं में बीच-बीच में भी शान्ति की शक्ति को चेक कर, वतन में बाबा के दिल-तख्तनशीन लक्की-लवली बन शान्ति की शक्ति से सम्पन्न हो (संगठन में भी समझ-हाँ जी द्वारा शान्ति की शक्ति को बढ़ाते)… सबको शान्ति देते, विश्व-परिवर्तन का कार्य वा बाबा की आशाओं को सम्पन्न कर, गोल्डन-मॉर्निंग सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!


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Exercising the mind to regain full control! | Baba Milan Murli Churnings 02-02-2020

Exercising the mind to regain full control! | Baba Milan Murli Churnings 02-02-2020

1. बाबा हमारे ओरीज्नल-प्यारे घर से हमें मिलने आए है (जिसकी हमें-बाबा को खुशी है)… बाबा हमारे 5 प्यारे रूप देख रहे:

  • चमकता-प्यारा ज्योति-बिन्दु स्वरूप
  • न्यारा-प्यारा देवता रूप
  • पूज्यनीय रूप
  • महान संगमवासी-ब्राह्मण
  • फरिश्ता

इन्हें सामने लाकर-अनुभव करने की, मन की रूहानी एक्सरसाइज-ड्रिल सारा दिन करते रहना (1 घंटे में 5 सेकण्ड, वा 5 मिनट)… तो मन खिंचकर व्यर्थ-अयथार्थ जाकर अलबेला नहीं होंगा, सदा एकरस-शक्तिशाली… यह सहज होना चाहिए, जबकि बार-बार अभ्यास किया है (हर कल्प), 5 मिनट सब निकाल सकते… कार्य-सेवा तो करना ही है, उसमें और नशा भरेंगा, मन्मनाभव सहज

2. इस मन्मनाभव के मंत्र से, मन को मायाजीत का यंत्र बनाना… मन को कहां भी लगा सके (कर्मेन्द्रियों का उदाहरण), आगे चल मन (वा बुद्धि-संस्कार) को सेकण्ड में स्टॉप करने की प्रैक्टिस करनी पड़ेगी… इसमें पास होने से बाबा भी वाह-वाह करेंगे

3. बाबा कहते मेरे बच्चे, हम भी दिल से कहते मेरा बाबा (जिससे बाबा का हज़ार बार शक्तिशाली-सहयोग मिलता, माया के वार से परे रहते)… जबकि बाबा ही हमारा संसार है, तो संस्कार विघ्न-रूप न बने (दृढ़ संकल्प-पुरूषार्थ से समाप्त, करना ही है!)… बाबा लक्ष्य देते, हमे उसे पूरा करना है (डेट-फिक्स कर), संस्कार सम्पर्क में वेरीफाय हो ही जाता

पार्टियों से

  • (पहली बार).. मधुबन आने की मुबारक (तू-लेट से पहले)… परिवार की शुभ-आश है, हम लास्ट सो फास्ट सो फर्स्ट(क्लास) में आएं… सिर्फ निश्चय-हिम्मत चाहिए
  • (दिल्ली)… पुरुषार्थ में नंबर-वन लेना (सेंटर को निर्विघ्न बनाकर, इनाम लेना)… सर्विस में नई-इन्वेन्शन निकालनी (जैसे आदि से करते आए है)… सदा सन्तुष्ट (नियम-सेवा से)
  • (आगरा)… जैसे मशहूर है, वैसे नवीन कार्य-सेवा से आलमाइटी गवर्मेन्ट में मशहूर होना… अमृतवेले खास बैठने से टचिंग होंगी
  • (विदेशी)… देश से दूर, दिल के समीप है (कल्चर में ढल गए, आदि से भारत के हैं)… आसपास की सेवा अच्छी कर रहे
  • (याद-प्यार)… सभी दुलारे बच्चों का संकल्प-उमंग है बाबा को प्रत्यक्ष करना (हमारा बाबा आ गया)… कोई वंचित न रहे (कम से कम मुक्ति का वर्सा पाए)

सार (चिन्तन)

सदा बाबा की दिल के समीप रह, 5 स्वरूप की सहज-रूहानी एक्सरसाइज सारा दिन करके मन को एकरस-शक्तिशाली-आर्डर में चलाकर… दृढ़ता-दिल से मेरा बाबा की स्मृति द्वारा सदा माया-संस्कार से परे, बाबा को अपना संसार अनुभव करने वाले निर्विघ्न बन… नवीनता से सेवा कर, बाबा को प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power of good wishes! | Avyakt Murli Revision 27-11-89

The power of good wishes! | Avyakt Murli Revision 27-11-89

1. हम ज्ञानी तू विश्व-कल्याणकारी आत्माओं की चलते-फिरते-कार्य करते शुभ-शक्तिशाली भावना है, कि सर्व विश्व की परेशान आत्माओं का सदाकाल-कल्याण हो (सुख-सर्व प्राप्तियों से अनेक जन्म सम्पन्न बन जाए).. इसका आधार है शुभ-कामना (रहम भाव-तरस… सब हमारे ही ईश्वरीय-परिवार के, वर्से के अधिकारी है)

2. इसका प्रत्यक्षफल (स्नेह-शान्ति) सम्पर्क वालों को मिल रही, विश्व की आत्माओं-प्रकृति का परिवर्तन कर रही… (साइंस का उदाहरण) हम दूर बैठी आत्माओं का भी, बाबा में भावना बिठाकर उन्हें फल दिला सकते… सिर्फ साइलेन्स की शक्ति जमा चाहिए (आगे इस सेवा के अलौकिक-अनुभव देखेंगे)

3. शुभ-भावना अर्थात शक्तिशाली-शुभ-शुद्ध संकल्प (संकल्प सबसे तीव्र-साधन है, कम समय-शक्ति-सम्पत्ति में कार्य करने लिए)… तो उन्हें भी महसूस होगा हमे कोई सहयोग से स्नेह-शक्ति मिल रही (जैसे हमे बाबा की मदद मेहसूस होती)… इसलिए सिर्फ मन-बुद्धि फ्री चाहिए, छोटी-छोटी बातों से ऊपर, सूक्ष्म सेवा लिए लाइन-क्लीयरएकान्तप्रिय आत्माएं बीच-बीच में भी एकान्त का अनुभव कर शक्तिशाली बनते… फिर मन-बुद्धि को जहा-जिस समय चाहे, एकाग्र कर सकते, भल बाहर हलचल हो (सागर का उदाहरण)

4. (टीचर) सेवा तो हम करते, अब सिर्फ वाणी के साथ शुभ-भावना द्वारा डबल जमा करना है… यह अभ्यास बहुतकाल अर्थात् अभी से करना है (आगे परिस्थितियां याद-सेवा के बैलेंस में रहने नहीं देगी) … योग्य-टीचर अर्थात् निरन्तर मन्सा-वाचा-कर्मणा बिजी रहना (तो और बातों से बचे रहेंगे)

5. (कुमारी) नौकरी-टोकरी से सिर्फ स्वयं की पालना के बदले, भगवान के घर-सेवा स्थानों द्वारा सारे विश्व की पालना कर दुआएं कमाना (यही साथ जाएंगा)… इसलिए सिर्फ हिम्मत चाहिए (यह संगमयुग का गोल्डन-चांस है, बाप स्वयं ऑफर कर रहे)… योग्य-टीचर अर्थात मेरा तो एक बाबा

6. (कुमार) सेवा में अच्छा दौडते, अब निर्विघ्न-कुमार की महानता-सैम्पल दिखाना (न समस्या बनना, न हार खाना, बल्कि समस्या मिटाना)… हम तो सिर्फ बाबा को companion बनाकर, उनकी कम्पनी में रहने वाले हैं (सारा परिवार भी कम्पनी है), ऐसे सदा सुखी रहते (विश्व भी गुणगान कर झुकेगी)

7. (पत्रों) स्नेह-सहयोग की छत्रछाया से बाबा मुबारक दे, स्व-विश्व-सेवा में सफलता-भव का वरदान देते… ऐसे सदा स्वयंं-संगठन के संस्कारों से राजी-राज़युक्त (राज़ जानने वाले)… पत्र लिखना अर्थात्‌ पिछला समाप्त कर, स्नेह से समीपता का अनुभव करना… पत्र होने चाहिए शॉर्ट-स्वीट (जिसको पढ़ खुश हो जाए), सबसे सहज पढ़ना-लिखना है ओ. के. (अगर हो तो!)

सार

सदा मन-बुद्धि को फ्री रख, साइलेन्स की शक्ति से सम्पन्न बन… सदा सर्व के लिए शुभ-शुद्घ-शक्तिशाली संकल्प-भावना-कामना द्वारा सबको बाबा से जुड़ाने वाले एकान्तप्रिय-एकाग्र बन… सदा याद-सेवा में बिजी, परिस्थियों से परे रहते, बाबा को कम्पनी अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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