1. आज बापदादा हर बच्चे के मस्तक में भाग्य की रेखायें देख रहे, इतना बड़ा भाग्य सारे कल्प में किसी का नहीं क्योंकि भाग्य देने वाला स्वयं भाग्य दाता है। हर एक के:
- मस्तक में चमकता हुआ सितारा।
- मुख में मधुर वाणी।
- होठों पर मधुर मुस्कान।
- दिल में दिलाराम बाप के लवलीन।
- हाथों में सर्व खज़ानों के श्रेष्ठता।
- पांव में हर कदम में पदम।
इसलिए आपके यादगार चित्रों का भी भाग्य वर्णन होता। बापदादा मुबारक दे रहे – वाह बच्चे वाह! सतयुग का भाग्य भी संगम के पुरूषार्थ की प्रालब्ध है इसलिए संगमयुग की प्राप्ति ज्यादा है। अपने भाग्य में खो जाओ। भाग्य स्मृति में लाओ तो वाह मेरा भाग्य! सदा नशा रहता है? पाना था वह पा लिया। कोई अप्राप्त वस्तु ही नहीं।
2. सिर्फ बाप को जाना, माना, अपना बनाया तो भाग्य मिल गया। इस भाग्य को जितना स्मृति में लाते रहेंगे, भाग्यवान आत्मा का चेहरा सदा हर्षित रहेगा। उनकी दृष्टि-वृत्ति-प्रवृत्ति सदा स्वयं भी सन्तुष्ट, दूसरों को भी सन्तुष्ट बनायेगी। सन्तुष्टता का आधार है सर्व प्राप्ति। आपने कहा मेरा बाबा और बाप ने कहा मेरा बच्चा। सिर्फ एक को जानने से कितना वर्सा मिल गया, आपकी जीवन ही सुख शान्ति सम्पन्न हो गई!
3. बापदादा यही चाहते कि सदा स्वराज्य अधिकारी रहो, यह वरदान बाप ने इस संगमयुग लिए पूरा दिया है। सभी कर्मेन्द्रियों के मन बुद्धि संस्कार के भी मालिक हो। सबके लिए मेरा शब्द बोलते, तो मेरे के ऊपर सदा अधिकार रहता इसके लिए चलते फिरते कार्य करते मालिकपन का निश्चय-नशा होना चाहिए।
4. अब तो आत्माओं को मन्सा द्वारा सेवा देने का समय है। चिल्लाते हे पूर्वज हमें थोड़ा सा सुख-शान्ति की किरणें दे दो। कुछ भी आपदा अचानक आनी है इसके लिए सेकण्ड में फुलस्टाप, वह प्रैक्टिस कर रहे हो, फिर प्रैक्टिकल करने का समय होंगा। कितना सहज है मैं भी बिन्दी, लगाना भी बिन्दी, सिर्फ अटेन्शन देना।
5. बापदादा विशेष बच्चों को सौगात देते बच्चे मैं आपके सदा साथ हूँ। बाबा कहा और सदा हजूर हाजिर। तो जहाँ भगवान साथ है वहाँ विजयी बनना क्या मुश्किल है, विजय आपका जन्म सिद्ध अधिकार। सिर्फ मेरा बाबा कहा तो विजयी है ही। इसलिए सदा विजयी बनना जो याद में रहता उसके लिए अति सहज है।
6. मधुबन में आके आपस में भी मिलते, बाप से भी मिलते और सर्विस की लेन देन भी करते। और तो कहाँ इतना बड़ा परिवार इकठ्ठा देख नहीं सकते। तो दिल में आता वाह बाबा और वाह मेरा ईश्वरीय परिवार!
7. बापदादा की रोज यादप्यार मिलती रहती, अगर रोज विधिपूर्वक मुरली पढ़ते। यह है बापदादा के प्यार की निशानी। मुरली नहीं मिस करनी, क्योंकि बाप रोज परमधाम से आते हैं कितना दूर से आते। जैसे खाना नहीं मिस करते हो तो यह भी आत्मा का भोजन है।
8. रोज रात्रि को अपने को बापदादा का यादप्यार-मुबारक देना। साथ रहेंगे साथ चलेंगे और साथ आयेंगे।
9. सब बापदादा की कमाल देखते जाओ और दुनिया की धमाल सुनते जाओ। आप तो बेफिकर बादशाह हो। जो होगा अच्छा होगा आपके लिए। संगम अमृतवेला, तो अमृतवेले बाद दिन आता है ना! क्या होगा! यह संकल्प भी नहीं, अपना राज्य होना ही है। निश्चित बात कभी बदल नहीं सकती।
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