सदा मुरली में यादप्यार लेते, स्वराज्य अधिकारी बन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति से सदा खुश रह, सुख शान्ति की किरणें फैलाओ | Baba Milan Murli Churnings 23-03-2021

1. आज बापदादा हर बच्चे के मस्तक में भाग्य की रेखायें देख रहे, इतना बड़ा भाग्य सारे कल्प में किसी का नहीं क्योंकि भाग्य देने वाला स्वयं भाग्य दाता है। हर एक के:

  • मस्तक में चमकता हुआ सितारा। 
  • मुख में मधुर वाणी। 
  • होठों पर मधुर मुस्कान। 
  • दिल में दिलाराम बाप के लवलीन। 
  • हाथों में सर्व खज़ानों के श्रेष्ठता। 
  • पांव में हर कदम में पदम। 

इसलिए आपके यादगार चित्रों का भी भाग्य वर्णन होता। बापदादा मुबारक दे रहे – वाह बच्चे वाह! सतयुग का भाग्य भी संगम के पुरूषार्थ की प्रालब्ध है इसलिए संगमयुग की प्राप्ति ज्यादा है। अपने भाग्य में खो जाओ। भाग्य स्मृति में लाओ तो वाह मेरा भाग्य! सदा नशा रहता है? पाना था वह पा लिया। कोई अप्राप्त वस्तु ही नहीं। 

2. सिर्फ बाप को जाना, माना, अपना बनाया तो भाग्य मिल गया। इस भाग्य को जितना स्मृति में लाते रहेंगे, भाग्यवान आत्मा का चेहरा सदा हर्षित रहेगा। उनकी दृष्टि-वृत्ति-प्रवृत्ति सदा स्वयं भी सन्तुष्ट, दूसरों को भी सन्तुष्ट बनायेगी। सन्तुष्टता का आधार है सर्व प्राप्ति। आपने कहा मेरा बाबा और बाप ने कहा मेरा बच्चा। सिर्फ एक को जानने से कितना वर्सा मिल गया, आपकी जीवन ही सुख शान्ति सम्पन्न हो गई! 

3. बापदादा यही चाहते कि सदा स्वराज्य अधिकारी रहो, यह वरदान बाप ने इस संगमयुग लिए पूरा दिया है। सभी कर्मेन्द्रियों के मन बुद्धि संस्कार के भी मालिक हो। सबके लिए मेरा शब्द बोलते, तो मेरे के ऊपर सदा अधिकार रहता इसके लिए चलते फिरते कार्य करते मालिकपन का निश्चय-नशा होना चाहिए। 

4. अब तो आत्माओं को मन्सा द्वारा सेवा देने का समय है। चिल्लाते हे पूर्वज हमें थोड़ा सा सुख-शान्ति की किरणें दे दो। कुछ भी आपदा अचानक आनी है इसके लिए सेकण्ड में फुलस्टाप, वह प्रैक्टिस कर रहे हो, फिर प्रैक्टिकल करने का समय होंगा। कितना सहज है मैं भी बिन्दी, लगाना भी बिन्दी, सिर्फ अटेन्शन देना।

5. बापदादा विशेष बच्चों को सौगात देते बच्चे मैं आपके सदा साथ हूँ। बाबा कहा और सदा हजूर हाजिर। तो जहाँ भगवान साथ है वहाँ विजयी बनना क्या मुश्किल है, विजय आपका जन्म सिद्ध अधिकार। सिर्फ मेरा बाबा कहा तो विजयी है ही। इसलिए सदा विजयी बनना जो याद में रहता उसके लिए अति सहज है। 

6. मधुबन में आके आपस में भी मिलते, बाप से भी मिलते और सर्विस की लेन देन भी करते। और तो कहाँ इतना बड़ा परिवार इकठ्ठा देख नहीं सकते। तो दिल में आता वाह बाबा और वाह मेरा ईश्वरीय परिवार! 

7. बापदादा की रोज यादप्यार मिलती रहती, अगर रोज विधिपूर्वक मुरली पढ़ते। यह है बापदादा के प्यार की निशानी। मुरली नहीं मिस करनी, क्योंकि बाप रोज परमधाम से आते हैं कितना दूर से आते। जैसे खाना नहीं मिस करते हो तो यह भी आत्मा का भोजन है। 

8. रोज रात्रि को अपने को बापदादा का यादप्यार-मुबारक देना। साथ रहेंगे साथ चलेंगे और साथ आयेंगे।

9. सब बापदादा की कमाल देखते जाओ और दुनिया की धमाल सुनते जाओ। आप तो बेफिकर बादशाह हो। जो होगा अच्छा होगा आपके लिए। संगम अमृतवेला, तो अमृतवेले बाद दिन आता है ना! क्या होगा! यह संकल्प भी नहीं, अपना राज्य होना ही है। निश्चित बात कभी बदल नहीं सकती।


Thanks for reading this article on ‘सदा मुरली में यादप्यार लेते, स्वराज्य अधिकारी बन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति से सदा खुश रह, सुख शान्ति की किरणें फैलाओ | Baba Milan Murli Churnings 23-03-2021’

Recent Baba Milan Murli Churnings:

इस शिवरात्रि पर अज्ञान मैं-पन की नींद से जाग, सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत पक्का कर, सम्पन्न कर्मातीत लाइट हाउस बन प्राप्ति की किरणें फैलाओ | Baba Milan Murli Churnings 10-03-2021

1. आज शिव बाप अपने सालिग्राम बच्चों के साथ अपनी और बच्चों के अवतरण की वन्डरफुल जयन्ती मनाने आये हैं। आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है। इसलिए जन्म भी साथ-साथ, रहते भी सारा जन्म कम्बाइण्ड अर्थात् साथ, आक्युपेशन भी एक ही विश्व परिवर्तन करने का और वायदा है परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे। न बाप अकेला कुछ कर सकता, न बच्चे। इसलिए इस अलौकिक अवतरण के जन्म दिवस पर पदमापदम बार मुबारक दे रहे। चारों ओर बच्चे खुशी में झूम रहे हैं। वाह! बाबा, वाह! हम सालिग्राम आत्मायें! वाह! वाह! के गीत गा रहे।

2. भगत भी पवित्रता का व्रत लेते लेकिन हर वर्ष लेते एक दिन के लिए। आप सभी ने तो जन्म लेते एक बार सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत ले लिया है! चार (क्रोध, आदि) का भी व्रत लिया कि सिर्फ एक का? बच्चों को यह 5 विकार महाभूत से प्यार कम हो गया लेकिन इनके बाल बच्चे छोटे-छोटे अंश मात्र, वंश मात्र, उससे थोड़ा-थोड़ा प्यार है। पवित्रता आप ब्राह्मणों का सबसे बड़े से बड़ा श्रृंगार है, प्रापर्टी है, रॉयल्टी है, पर्सनाल्टी है। दूसरा खाने-पीने का व्रत पक्का है? तीसरा आप अज्ञान नींद से जागने का व्रत लेते। कभी भी अज्ञान अर्थात् कमज़ोरी की, अलबेलेपन की, आलस्य की नींद नहीं आये। आपने जन्म से व्रत ले लिया है इसीलिए आज के दिन पिकनिक करेंगे।

3. बापदादा से सभी बच्चों का दिल से प्यार है 100% से भी ज्यादा। परन्तु प्रतिज्ञा कमज़ोर होने का एक ही कारण-शब्द है – `मैं’। मैंने जो कहा-किया-समझा, वही राइट है। वही होना चाहिए। जब पूरा नहीं होता तो फिर दिलशिकस्त, मैं कर नहीं सकता, चल नहीं सकता, बहुत मुश्किल है। एक बॉडीकॉन्सेसनेस का `मैं’ बदल जाए, `मैं’ स्वमान भी याद दिलाता। `मैं’ दिलशिकस्त भी करता, `मैं’ दिलखुश भी करता। अभिमान अपमान सहन नहीं करायेगा। शिवरात्रि पर यह “मैं” “मैं” की बलि चढ़ा दो, फुल सरेण्डर।

4. सेवा जोर-शोर से करना अर्थात् सम्पूर्ण समाप्ति के समय को समीप लाना। ब्रह्मा बाप सभी बच्चों से पूछते हैं कि गेट खोलने की डेट बताओ। आज मनाना अर्थात् बनना, मैं को समाप्त करेंगे। सम्पन्न बनने का प्लैन बनाओ। धुन लगाओ, कर्मातीत बनना ही है। कुछ भी हो जाए बनना ही है, करना ही है, होना ही है। सब बहुत दु:खी हैं, बापदादा को इतना दु:ख देखा नहीं जाता। सिवाए आपके कोई रहम नहीं कर सकता। अभी रहम के मास्टर सागर बनो, स्वयं पर भी अन्य प्रति भी। अभी अपना यही स्वरूप लाइट हाउस बन भिन्न-भिन्न लाइट्स की किरणें दो। सारे विश्व की अप्राप्त आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दो। अच्छा।


Recent Baba Milan Murli Churnings:

Thanks for reading this article on ‘इस शिवरात्रि पर अज्ञान मैं-पन की नींद से जाग, सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत पक्का कर, सम्पन्न कर्मातीत लाइट हाउस बन प्राप्ति की किरणें फैलाओ| Baba Milan Murli Churnings 10-03-2021’

परमात्म-प्यार में आज व्यर्थ-मुक्ति दिवस मनाकर सदा खुश रह विश्व को सुख-प्यार-सन्तोष की अंचली देने की डबल सेवा करो| Baba Milan Murli Churnings 25-02-2021

1. आज बापदादा अपने परमात्म प्यारे बच्चों को देख रहे। ऐसे कोटो में कोई बच्चे हैं क्योंकि परमात्म प्यार सिर्फ संगमयुग पर अनुभव होता। कोई पूछे परमात्मा कहाँ है? मेरे साथ ही रहते हैं। हमारे दिल में बाप, बाप के दिल में हम रहते। जानते हो यह परमात्म प्यार का नशा हमें ही अनुभव करने का भाग्य प्राप्त है।

2. किसी से प्यार होता तो निशानी है उसपर कुर्बान होना। बाप की चाहना है मेरा एक एक बच्चा बाप समान बने। वह श्रेष्ठ स्थिति है सम्पूर्ण पवित्रता। ऐसी पवित्रता जो स्वप्न में भी अपवित्रता का नामनिशान आ न सके। समय समीपता अनुसार व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता है। अगर बाप की दी हुई विशेषताओं को अपनी विशेषता समझ अभिमान में आते, मेरेपन के अशुभ संकल्प मैं कम नहीं हूँ, मैं भी सब जानता हूँ, यह भी व्यर्थ संकल्प हुआ। अभी पवित्र दुनिया-राज्य की स्थापना का समय समीप लाने वाले आप निमित्त हो, आपका वायब्रेशन चारों ओर फैलता।

3. अभी डबल सेवा चाहिए। वाणी की सेवा तो धूमधाम से चल रही, उल्हना निकाल रहे। लेकिन अभी चाहिए मन्सा सेवा द्वारा सकाश, हिम्मत, उमंग-उत्साह देना। आप इस कल्प वृक्ष का फाउण्डेशन पूर्वज और पूज्य हो। बापदादा तो दु:खी बच्चों का आवाज सुनते, आपके पास उन्हों के पुकार का आवाज पहुंचना चाहिए। आपको अभी प्यार-सन्तुष्टता-खुशी की अंचली देने की आवश्यकता है।

4. अपने नयनों-चेहरे-चलन द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो। अभी तक यह आवाज हुआ है कि ब्रह्माकुमारियां मनुष्य आत्मा को अच्छा, अशुद्ध व्यवहार से मुक्त कर देती। लेकिन अभी परमात्मा बाप आ गया है, परमात्म ज्ञान यह दे रही, मेरा बाप वर्सा देने आ गया है, अभी बाप की तरफ नजर जाने से उन्हों को भी परमात्म प्यार, परमात्मा की आकर्षण आकर्षित करेगी। अच्छा-अच्छा तो हो गया है लेकिन परमात्मा बाप की प्रत्यक्षता आकर्षित कर अच्छा बनायेगी। तो अभी मन्सा द्वारा बाप के समीप लाओ। अभी वर्सा नहीं लिया तो कब लेंगे! समाप्ति को समीप लाने वाले कौन? हर एक बच्चा समझता है ना मैं ही निमित्त हूँ। सन शोज फादर

5. अभी से व्यर्थ को समाप्त कर सदा समर्थ बन समर्थ बनाओव्यर्थ का समाप्ति दिवस मनाओ। दूसरा दु:ख और अशान्ति की समाप्ति का दिवस समीप लाना। दूसरों को वर्सा दिलाने के ऊपर रहम आना चाहिए। छोटी छोटी बातों में क्यों, क्या के क्यूं में टाइम नहीं देना। अभी हे बापदादा के सिकीलधे पदम पदम वरदानों के वरदानी बच्चे! अभी संकल्प को दृढ़ करो। कर्मयोगी बनो, लाइफ सदाकाल होती है। तो अभी अपना कृपालु-दयालु, दु:खहर्ता-सुख देता स्वरूप को इमर्ज करो। अचानक के पहले भक्तों की पुकार पूरी करो। दु:खियों के दु:ख के आवाज तो सुनो। अभी हर एक छोटा बड़ा विश्व परिवर्तक, विश्व के दु:ख परिवर्तन कर सुख की दुनिया लाने वाले जिम्मेवार समझो।

6. अभी चारों ओर के परमात्म प्रेमी बच्चों को जो सदा बाप के प्यार में उड़ते रहते तीव्र पुरूषार्थी हैं और सेवा में निर्विघ्न सच्चे सेवाधारी हैं, ऐसे चारों ओर के बच्चों को बापदादा भी देख रहे, सदा खुश रहो और खुशी बांटों, यह वरदान दे रहे। खुश चेहरा, कोई भी देखे खुश हो जाए। सभी के लिए एक वरदान है। कभी चेहरा मुरझाया हुआ नहीं। अगर आप मुरझायेंगे तो विश्व का हाल क्या होगा! आपको सदा खुशनुमा चेहरा-चलन में रहना-रहाना है।

स्नेह के सागर में समाया हुआ फरिश्ता बन, सर्व ख़ज़ानो से भरपूर हो अपने चेहरे-चलन से विश्व परिवर्तक बनो | Baba Milan Murli Churnings 13-02-2021

1. आज चारों ओर के सर्व खज़ाने जमा करने वाले सम्पन्न बच्चों को देख रहे। खज़ाने तो बापदादा द्वारा बहुत अविनाशी प्राप्त हुए हैं:

  • सबसे पहले बड़े ते बड़ा खज़ाना है ज्ञान धन, जिससे पुरानी देह-दुनिया से मुक्त-जीवनमुक्त स्थिति और मुक्तिधाम में जाने की प्राप्त है।
  • साथ में योग का खज़ाना है जिससे सर्व शक्तियों की प्राप्ति होती।
  • साथ-साथ धारणा करने का खज़ाना जिससे सर्व गुणों की प्राप्ति होती।
  • साथ साथ सेवा का खज़ाना जिससे दुआओं-खुशी का खज़ाना प्राप्त होता।

साथ-साथ सबसे बड़े ते बड़ा अमूल्य खज़ाना वर्तमान संगमयुग के समय का है। इसका एक-एक संकल्प वा एक-एक घड़ी बहुत अमूल्य है, क्योंकि संगम समय पर बापदादा द्वारा सर्व खज़ाने प्राप्त होते। खज़ाना जमा होने का समय संगमयुग ही है, जितना जमा करने चाहो उतना अनेक जन्मों लिए कर सकते।

2. बाप देने वाला भी एक, एक जैसा सबको देता, एक ही समय पर देता लेकिन धारण करने में हर एक का अपना अपना पुरूषार्थ रहता। खज़ाने को धारण करने लिए:

  • एक तो अपने पुरूषार्थ से प्रालब्ध बना सकते।
  • दूसरा सदा स्वयं सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना
  • तीसरा सेवा से क्योंकि सेवा से सर्व आत्माओं को खुशी की प्राप्ति होती।
  • और सम्बन्ध-सम्पर्क में निमित्त-निर्माण-नि:स्वार्थ भाव, हर आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखने की आवश्यकता है।

खज़ाने बढ़ाने का साधन है, जो खज़ाने मिले वह समय पर परिस्थिति अनुसार कार्य में लगाना। जो कार्य में लगाते, स्थिति द्वारा परिस्थिति को बदल सकते, उसका जमा होता, अनुभव की अथॉरिटी एड होती जाती। समाया हुआ फुल होगा, जितना खज़ाना भरपूर होगा उतना ही अचल अडोल होंगे, उसकी चलन-चेहरा ऐसे लगेगा जैसे खिला हुआ गुलाब का पुष्प, हर्षित खुशमिजाज़! नयनों से रूहानियत, चेहरे से मुस्कराहट और कर्म से हर एक गुण सभी को अनुभव होता है।

3. बापदादा की यही शुभ भावना है हर एक बच्चा अनेक आत्माओं को खज़ानों से सम्पन्न बनावे। आज विश्व को खुशी, आध्यात्मिक शक्ति, आत्मिक स्नेह की आवश्यकता है। आपके शक्ति द्वारा थोड़ा सा दिल का आनंद सुख की प्राप्ति हो, आप विश्व लिए आशाओं के सितारे हो। तो मन्सा से शक्तियां दो, वाचा से ज्ञान, कर्मणा से गुणदान। मन्सा द्वारा निराकारी, वाचा द्वारा निरहंकारी, कर्मणा द्वारा निर्विकारी। आप सबका वायदा है हम विश्व परिवर्तक बन विश्व का परिवर्तन करेंगे, तो चलते-फिरते भी सेवाधारी सेवा में तत्पर रहते।

4. होलीएस्ट हाइएस्ट और रिचेस्ट आप आत्मायें ही हैं:

  • होलीएस्ट भी सब आत्माओं से ज्यादा आप हो।
  • (हाइएस्ट) आप आत्माओं की पूजा जैसे विधिपूर्वक होती है वैसे और किसकी भी नहीं होती।
  • और आप जैसा खज़ाना रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड, आप ब्राह्मण आत्माओं का एक जन्म का खज़ाना गैरन्टी 21 जन्म चलना ही है, क्योंकि अविनाशीी बाप द्वारा अविनाशी खज़ाने का वर्सा मिला है।

5. स्नेह में मेहनत भी मुहब्बत के रूप में बदल जाती, तो बाप के सदा स्नेही बनना अर्थात् सहज पुरूषार्थ करना, जो अपने को सदा स्नेह के सागर में समाये हुए समझते। बापदादा का बच्चो से अति स्नेह है क्योंकि जानते कि यह एक-एक आत्मा अनेक बार स्नेही बनी है, अभी भी बनी है, हर कल्प यही आत्मायें स्नेही बनेंगी। नशा है खुशी है? बापदादा ऐसे अधिकारी आत्माओं को देख दिल की दुआयें दे रहे हैं। सदा अथक बन उड़ते चलो। स्व-स्थिति के आगे परिस्थिति कुछ नहीं कर सकती। स्नेही स्नेही को कभी भूल नहीं सकता।

6. फरिश्ता रूप अपना इमर्ज करो, चलते फिरते फरिश्ता डे्रस वाले अनुभव कराओ। (ड्रिल) जैसे शरीर की डे्रस बदली करते ऐसे ही आत्मा का स्वरूप फरिश्ता बार-बार अनुभव करो। जैसे ब्रह्मा बाप अव्यक्त फरिश्ता रूप में वतन में बैठे हैं, क्योंकि फरिश्ता रूप होगा तभी देवता बनेंगे। अपने भी तीन रूप याद करो – ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता। कभी ब्राह्मण की डे्रस पहनो, कभी फरिश्ते की, कभी देवता। इस तीनों रूप में स्वत: ही त्रिकालदर्शा के सीट में बैठ साक्षी होके हर कार्य करते रहेंगे। तो सभी से बापदादा यही चाहते सदा बाप के साथ रहो, अकेले नहीं। साथ रहेंगे तब साथ चलेंगे।

अपनी आदि-अनादि पवित्रता की महानता से सर्व प्राप्तियां अनुभव करने-कराने लिए फुलस्टाप योगी सम्पूर्ण पवित्र बनो | Baba Milan Murli Churnings 30-01-2021

अपनी आदि-अनादि पवित्रता की महानता से सर्व प्राप्तियां अनुभव करने-कराने लिए फुलस्टाप योगी सम्पूर्ण पवित्र बनो | Baba Milan Murli Churnings 30-01-2021

1. आज बापदादा चारों ओर के महान बच्चों को देख रहे। क्या महानता की? जो दुनिया असम्भव कहती है उसको सहज सम्भव कर दिखाया वह है पवित्रता का व्रत। परिवर्तन का दृढ़ संकल्प का व्रत लिया है। व्रत करना अर्थात् वृत्ति द्वारा परिवर्तन करना। क्या वृत्ति परिवर्तन की? संकल्प किया हम सब भाई-भाई हैं। पवित्रता की वृत्ति अर्थात् हर एक आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना। दृष्टि हर एक आत्मा को आत्मिक स्वरूप में देखना स्वयं को भी सहज सदा आत्मिक स्थिति में अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन का महत्व मन वचन कर्म की पवित्रता है।

2. ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है पवित्रता और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां हो रही। सदा पवित्रता के बल से पवित्र आत्मा को 3 विशेष वरदान मिलते:

  1. एक स्वयं स्वयं को वरदान देता जो सहज बाप का प्यारा बन जाता।
  2. वरदाता बाप का नियरेस्ट और डियरेस्ट बच्चा बन जाता इसलिए बाप की दुआयें स्वत: प्राप्त होती हैं और सदा प्राप्त होती हैं।
  3. तीसरा – जो भी ब्राह्मण परिवार के विशेष निमित्त बने हुए हैं उन्हों द्वारा भी दुआयें मिलती रहती।

तीनों की दुआओं से सदा उड़ता और उड़ाता रहता। सदा रूहानी नशा दिल में फलक रहती है? पवित्रता का फल ही अतीन्द्रिय सुख है। सभीअपने को मास्टर सर्वशक्तिवान कहते हो। मास्टर हैं इसका अर्थ ही है मास्टर तो बाप से भी ऊंचा होता पवित्र आत्मा का मन-वचन-कर्म सम्बन्ध-सम्पर्क स्वप्न स्वत: शक्तिशाली होता है। अमृतवेले विशेष हर एक अपने को चेक करना – कितनी परसेन्टेज़ में पवित्रता का व्रत निभा रहे हैं?

3. समय की पुकार, भक्तों की पुकार, आत्माओं की पुकार सुन रहे हो और अचानक का पाठ तो सबको पक्का हैै। विश्व परिवर्तक अर्थात् आत्माओं को प्रकृति को सबको परिवर्तन करना। पर उपकारी वा विश्व उपकारी बनने के लिए तीन शब्द को खत्म करना – पराचिंतन, परदर्शन, परमत। अभी आवश्यकता है हर एक दु:खी आत्मा को मन्सा सकाश द्वारा सुख शान्ति की अंचली देना। संस्कार ऐसे बनाओ जो दूर से ही आपको देख पवित्रता के वायब्रेशन लें

4. बच्चों से प्यार तो है ना और बच्चों के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। बाप यही चाहते हैं कि मेरा एक बच्चा भी रह नहीं जाए। अमृतवेले से लेके रात तक जो भी हर कर्म की श्रीमत मिली है वह चेक करना। मजबूत है ना! साथ चलना है ना! समान बनेंगे तब तो हाथ में हाथ देकर चलेंगे ना। करना ही है बनना ही है यह दृढ़ संकल्प करना।

5. एक सेकण्ड में परिवर्तन कर फुलस्टाप लगाना इसकी कमी है। लगाना फुलस्टाप है लेकिन लग जाता है क्वामा दूसरों की बातें याद करते यह क्यों होता यह क्या होता इसमें आश्चर्य की मात्रा लग जाती। और क्वेश्चन की क्यू लग जाती। तो इसको चेक करना। अगर फुलस्टाप लगाने की आदत नहीं होगी तो अन्त मते सो गति श्रेष्ठ नहीं होगी। एक सप्ताह फुलस्टाप सेकण्ड में लगाने का बार-बार अभ्यास करो। अभी फास्ट तीव्र पुरूषार्थ करो। अभी ढीला-ढाला पुरूषार्थ सफलता नहीं दिला सकेगा।

6. प्युरिटी को पर्सनैलिटी, रीयल्टी, रॉयल्टी कहा जाता है। तो अपनी रॉयल्टी को याद करो:

  • अनादि रूप में भी आप आत्मायें बाप के साथ अपने देश में विशेष सितारा चमकते हो।
  • फिर सतयुग में जब आते हैं तो देवता रूप की रॉयल्टी याद करो। सभी के सिर पर रॉयल्टी की लाइट का ताज है।
  • द्वापर में आपके चित्रों की पूजा और आपके चित्रों की विशेषता कितनी रॉयल है। चित्र को देख कर ही सब खुश हो जाते हैं। चित्रों द्वारा भी कितनी दुआयें लेते हैं।
  • यह सब रॉयल्टी पवित्रता की है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार है। बच्चा पहले आता है तो बाप का वरदान कौन सा मिलता? पवित्र भव योगी भव। तो दोनों बात को एक पवित्रता और दूसरा फुलस्टाप योगी।

इस स्मृति-समर्थी-ताजपोशी दिवस से मन के टाइमटेबल द्वारा भिन्न स्वमानों के स्मृति-स्वरूप बन, बाप समान अशरीरी स्थिति के अभ्यास द्वारा नष्टोमोहा फरिश्ता स्वरूप बनो | Baba Milan Murli Churnings 18-01-2021

इस स्मृति-समर्थी-ताजपोशी दिवस से मन के टाइमटेबल द्वारा भिन्न स्वमानों के स्मृति-स्वरूप बन, बाप समान अशरीरी स्थिति के अभ्यास द्वारा नष्टोमोहा फरिश्ता स्वरूप बनो | Baba Milan Murli Churnings 18-01-2021

1. आज के दिन को कहते ही हैं स्मृति दिवस। सभी के दिल में बाप के स्नेह की तस्वीर दिखाई दी, अनेक स्नेह के मोतियों की मालायें देखी। हर बच्चे के दिल में आटोमेटिक यह गीत बज रहा – मेरा बाबा, ब्रह्मा बाबा, मीठा बाबा। और बापदादा के दिल में मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे। यह परमात्म स्नेह, ईश्वरीय स्नेह सिर्फ संगमयुग पर ही अनुभव होता, सहजयोगी बना देता, आपका जन्म का आधार स्नेह है। कुछ भी करना पड़ा लेकिन स्नेह के प्लेन में सभी पहुंच गये

2. आज के दिन को समर्थी दिवस भी कहा जाता, क्योंकि यह दिन विशेष स्नेह से समार्थियों का वरदान प्राप्त करने का दिन है। आज के दिन को ताजपोशी का दिन भी कहा जाता। ब्रह्मा बाप ने निमित्त बने हुए महावीर बच्चों को विश्व सेवा का ताज पहनाया। खुद अननोन हुए और बच्चों को विश्व सेवा के स्मृति का तिलक दिया। बच्चों को करनहार बनाया, स्वयं करावनहार बनें। अपने समान फरिश्ते रूप का वरदान देकर लाइट का ताज पहनाया।

3. जैसे अमृतवेले शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करते, वैसे कर्म में फर्क पड़ जाता। तो अपना जीवन काल समाप्त कब होना है, मालूम है? अचानक कुछ भी हो सकता। तो विश्व के डेट के संकल्प से अलबेला नहीं बनना। कब नहीं कहो, अब। मुझे एवररेडी रहना ही है। तो इतनी तैयारी सबके अटेन्शन में है? अपना कर्मों का हिसाब चुक्तू किया है? चारों ही सबजेक्ट में ऐसी तैयारी है? पूरा बेहद के वैराग्य का अनुभव चेक किया है? नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप

4. ब्रह्मा बाप ने भी स्वयं को पुरूषार्थ करके ऐसा बनाया, अचानक अशरीरी बनने का अभ्यास अशरीरी बनाकर उड़ गये। नष्टोमोहा, बच्चों के हाथ में हाथ होते कहाँ आकर्षण रही? फरिश्ता बन गये। बच्चों को फरिश्ते बनाने का तिलक दे गये। इसका कारण बहुत समय अशरीरीपन का अभ्यास रहा। कर्म करते-करते ऐसे अशरीरी बन जाते।

5. तो जो कर्मयोग में अन्तर पड़ता, कारण स्मृति में इमर्ज नहीं, मैं कौन सी आत्मा हूँ? मैं करावनहार हूँ और यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, इस सीट पर सेट है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय आर्डर में रहेगी। आपको भी चेक करना चाहिए आज विशेष मन-बुद्धि संस्कार का क्या हाल रहा? हर एक को बाप ने मास्टर सर्वशक्तिवान भव का वरदान दिया है। जब आलमाइटी अथॉरिटी का वरदान है, तो वरदान के स्थिति में स्थित रहकरके अगर आर्डर करो तो हो नहीं सकता कि आप आर्डर करो और शक्ति न मानें।

6. हर समय जो काम करते तो भी अपने मन का टाइमटेबल बनाके रखो। यह काम करते हुए मन का स्वमान क्या रहेगा? आज के दिन कौन सा लक्ष्य रखूंगा, भले भिन्न-भिन्न टाइमटेबल बनाओ। बहुत माला है स्वमान की। इतनी बड़ी माला है जो स्वमान गिनती करते जाओ और माला में समा जाओ

7. कर लेंगे, हो जायेगा, यह अलबेलापन है। जिनको पीछे सन्देश देंगे वह भी आपको उल्हना देंगे, आपने पहले क्यों नहीं बताया तो हम भी कुछ कर लेते। मातेश्वरी जगत अम्बा सदा यह लक्ष्य रखती थी बापदादा ने जो श्रीमत, चाहे मन्सा वाचा कर्मणा दी है, वह हमें करना ही है। ऐसे पूरा वर्सा लेने वाले यही लक्ष्य बुद्धि में रखो कि अचानक एवररेडी और बहुत समय, तीनों ही शब्द साथ में याद रखो।

8. अब फोर्स का कोर्स कराओ। जो वह आत्मायें बाप के सिर्फ स्नेही-सहयोगी नहीं बनें लेकिन हर श्रीमत को पालन करने वाली, सर्व फोर्स भरने वाली समीप का रत्न बनें। क्योंकि अभी प्रकृति कोई न कोई प्रभाव दिखा रही और दिखाती रहेगी, जो ख्याल ख्वाब में बातें नहीं। आप सब तो वारिस हो ना, फुल अधिकारी। हर एक को बापदादा की यह आज्ञा – मुझे कभी शब्द नहीं कहना है। अभी-अभी, कल भी किसने देखा, आज। जो करना है वह करना ही है, सोचना नहीं।


Also read:

नव वर्ष की गिफ्ट यूज कर सन्तुष्टमणि बन, समाधान-स्वरूप की वाइब्रेशन विश्व में फैलाकर दैवी राजधानी स्थापन करना | Baba Milan Murli Churnings 31-12-2020

नव वर्ष की गिफ्ट यूज कर सन्तुष्टमणि बन, समाधान-स्वरूप की वाइब्रेशन विश्व में फैलाकर दैवी राजधानी स्थापन करना | Baba Milan Murli Churnings 31-12-2020

1. हर एक सन्तुष्टमणियों की लाइट बहुत अच्छी चमक रही। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ और शक्तियाँ भी आ जाती (कोई अप्राप्त शक्ति नहीं)। यह किसी भी समस्या को सहज समाप्त कर सकती। सन्तुष्टता की शक्ति कैसा भी वायुमण्डल (माया-प्रकृति की हलचल) को सहज परिवर्तन कर सकती। हर एक अपने को देखे हम सन्तुष्टमणि बने हैं? (स्वयं भी सन्तुष्ट, साथी भी सन्तुष्ट, जो बापदादा चाहते हैं वैसे ही सन्तुष्ट रहे?)

2. सहनशक्ति से स्थानों को सदा निर्विघ्न बनाने की आवश्यकता है! सबसे सहज साधन सम्पूर्ण बनने का है – फॉलो फादर। आदि से लेके अन्त तक ब्रह्मा बाप ने सन्तुष्टता की शक्ति से हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त की। तो बापदादा आज सभी को विशेष इशारा दे रहे, हर एक सन्तुष्टमणि बन सन्तुष्टता की शक्ति को विशेष कार्य में लगाओ। क्योंकि आजकल दुनिया में असन्तुष्टता बढ़नी ही है।

3. बापदादा ने नये वर्ष लिए विशेष अमृतवेले सहज वरदान देने का प्लैन बनाया है। बापदादा का विशेष दृढ़ सकल्प वालों को पुरुषार्थ में सहयोग (स्नेह-शक्ति) प्राप्त होगा, यह नये वर्ष की गिफ्ट से सहज हो जायेगा। सन्तुष्टता चेक करना तो आगे स्वत: ही बढ़ते जायेंगे। अगर हर एक सन्तुष्ट रहेगा तो चारों ओर वाह वाह! का गीत बजेगा। इस वर्ष अपने में समस्या प्रूफ, समाधान स्वरूप की विशेष रिजल्ट देखनी है।

4. कोई भी ऐसी प्रॉब्लम छोटी-मोटी आवे ना तो आप मन से मधुबन में पहुंच जाना, बापदादा बच्चों के मन में एकस्ट्रा खुशी की खुराक भर देंगे। मधुबन में आना अर्थात् पुरुषार्थ में आगे कदम बढ़ाना। मधुबन में सहज सारा दिन क्या याद रहता? बाबा, बाबा, बाबा..। सुनते भी बाबा की बातें, चलते हैं तो मधुबन का पावन स्थान, खाते हैं तो ब्रह्मा भोजन, पावरफुल। इसलिए मधुबन में आना अर्थात् अपने में ज्ञान, योग, धारणा, सेवा में कदम को आगे बढ़ाना।

5.

(दिल्ली) लाइट-माइट का रूप बनके आये, अच्छा हॉल में रौनक हो गई। देहली वालों को तो राजधानी तैयार करनी है क्योंकि सभी को राज्य तो करना है ना, होंगे तो राज्य अधिकारी। अभी दिल्ली को नम्बरवन निर्विघ्न जोन यह रिजल्ट देनी है। सेवा का उमंग उत्साह चारों ओर है और यह सेवा का उमंग बढ़ाते जायेंगे तो क्या होगा? भारत महान बन जायेगा।

(डबल फॉरिनर्स) मधुबन का फायदा बहुत अच्छा उठाया है। संगठन में एक दो को सहयोग-हिम्मत मिली उसकी रिजल्ट अच्छी है इसीलिए बापदादा डबल फरिनर्स को 100 बार मुबारक दे रहे। और डबल फॉरिनर्स को बापदादा ने क्या टाइटल दिया! डबल पुरुषार्थी। आगे जा रहे हैं और आगे जाते रहेंगे।

(यादप्यार) हर जोन अपने जोन को निर्विघ्न बनावे। आप निर्विघ्न बनेंगे तो उसका वायुमण्डल विश्व में फैलेगा। इस वर्ष में पुरुषार्थ में चारों ओर सब तरफ नम्बरवन हो, ऐसा अभी एक दो के सहयोगी बन रिजल्ट निकालो। यह संकल्प करो करना ही है और जो बहादुर होंगे वह तो कहेंगे बाबा बड़ी बात क्या है, हुआ ही पड़ा है।

अपने स्वमान-धारी स्वराज्य-अधिकारी स्वरूप की स्मृति के अनुभवी-मूर्त बन अपनी किरणो-चेहरे द्वारा सेवा करना | Baba Milan Murli Churnings 19-12-2020

अपने स्वमान-धारी स्वराज्य-अधिकारी स्वरूप की स्मृति के अनुभवी-मूर्त बन अपनी किरणो-चेहरे द्वारा सेवा करना | Baba Milan Murli Churnings 19-12-2020

1. यह संसार है छोटा लेकिन अति प्यारा है क्योंकि एक-एक श्रेष्ठ, कोंटों में कोई, बाप के वर्से के अधिकारी आत्मायें हैं, राजा बच्चा है। सभी स्वराज्य अधिकारी हैं अर्थात् मन-बुद्धि, संस्कार, कर्मेन्द्रियों के राजा हैं। मन के भी मालिक हैं, कहते ही हो मेरा मन, तो मेरे के आप मालिक हो।

2. कितने स्वमानों की लिस्ट आपके सामने आती। अनादि स्वरूप में बाप के साथ-साथ चमकती हुई आत्मा। सतयुग आदि में कितना श्रेष्ठ सुख स्वरूप, सर्व प्राप्ति स्वरूप है। पूज्य स्वरूप, कितने सभी भावना से कायदे प्रमाण पूजा करते हैं। संगम पर स्वयं भगवान आप बच्चों में पवित्रता की विशेषता भरता, जो पवित्रता आपके सर्व अविनाशी सुखों की खान है।

3. पवित्रता सर्व प्राप्तियों का आधार है, पवित्रता से आप सभी मास्टर सर्वशक्तिमान बन गये, तो सर्वशक्तियां प्राप्त हैं? स्मृति की सीट पर स्थित हो जाओ तो सर्व शक्तियां आपके पास समय पर बंधी हुई हैं आने के लिए क्योंकि सर्वशक्तिमान बाप ने आपको मास्टर सर्वशक्तिमान बनाया है। तो इतने पावरफुल स्वमानधारी बन चल रहे हो ना?

4. अपनी दिनचर्या सेट करो, बीच-बीच में यह अपने स्वमान के स्मृति स्वरूप में स्थित रहो। यह चलते फिरते भी कर सकते क्योंकि मन को सीट पर बिठाना है। अपने पुराने संस्कारों के लिए ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। एक स्वयं के लिए और दूसरा ज्वालामुखी योग द्वारा औरों को भी लाइट-माइट रूप होने कारण, उन्हों को भी अपनी किरणों द्वारा सहयोग दे सकते, समय अनुसार अभी आत्माओं को आपके सहयोग की आवश्यकता है।

5. आप सिर्फ योग लगाने वाले नहीं हो, योगी जीवन वाले हो। तो जीवन सदा रहती है, कभी-कभी नहीं। प्यार में तो बहुत करके पास हैं, तो प्यार माना क्या? प्यार वाला जो कहे वह करना ही है। लक्ष्य रखो कि हमें बाप समान बनना ही है! एक-एक बच्चा ऐसा खुशनुमा, खुशनसीब दिखाई दे, अभी आपका चेहरा बहुत सेवा करेगा, आपका चेहरा आत्माओं को चियरफुल बना दे

6. अमृतवेले बैठते सभी अपने रूचि से हैं लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी है अनुभव की। स्मृति स्वरूप अनुभव हो, अनुभव में खो जाये इसको अभी और आगे बढ़ाना होगा, क्योंकि अनुभव कभी भी भूलता नहीं, अपने पुरूषार्थ में भी बहुत मदद करता। अनुभव स्वरूप की स्थिति सदा समाई हुई रहती है, उसकी शक्ल, चलन सेवा करती है।

7. बापदादा यादप्यार के साथ स्मृति दिला रहे कि अब संगम का समय कितना श्रेष्ठ सुहावना हैं, सर्व खज़ाने बाप द्वारा प्राप्त होते, एक-एक सेकण्ड महान है इसलिए संगम के समय का मूल्य सदा बुद्धि में रखो। अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के दिल में। पाना था वो पा लिया। अब उसको कार्य में लगाते हुए तीव्र पुरूषार्थी बन समय को समीप लाओ। अच्छा।

सार (चिन्तन)

इस अति-सुहावने संगम-समय के श्रेष्ठ योगी जीवन में… अमृतवेले स्मृति-स्वरुप के अनुभव में खो जाने के साथ, बीच-बीच में भी भिन्न-भिन्न स्वमान की स्मृति द्वारा शक्तिशाली स्वराज्य अधिकारी स्थिति का अनुभव कर… अपने लाइट-माइट स्वरूप की किरणों और खुशनसीब चेहरे द्वारा सबको स्वर्णिम बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Being free from efforts by remaining immersed in the magnetic Ocean of Love! | Baba Milan Murli Churnings 01-11-2020

Being free from efforts by remaining immersed in the magnetic Ocean of Love! | Baba Milan Murli Churnings 01-11-2020

1. बाबा ने हमे श्रेष्ठ-स्वराज अधिकारी-स्वमानधारी बनाया (चरणों से सिरताज, इतनी बड़ी अथॉरिटी हमारा सेवाधारी बना) … ऐसे स्वमान में रहने से औरों को सम्मान देंगे (विशेषताएं देख, कोटों में कोई तो है, अपने भाई-बहन), निर्मान होंगे, सर्व के प्यारे बनेंगे (जैसे बाबा को सब मेरा कहते) … बाबा सबको स्वमान देते (बच्चों से लेकर वृद्ध):

  • यूथ को विश्व-कल्याणकारी-महान बनाया
  • प्रवृत्ति-वालो को पर-वृत्ति द्वारा महात्माओं से भी ऊँच बनाया
  • कन्याओं को शिव-शक्ति स्वरूप का स्वमान
  • बुजुर्ग को ब्रह्मा बाबा के हमजिन्स कहा

ऐसे स्वमान में रहना (और स्वमान से औरों को भी देखना, सम्बन्ध-सम्पर्क में आना)… यह देह-अभिमान मिटाने का साधन है

2. सभी बाप को पहचानकर उनके बने (बाबा कहा), इसलिए बाबा को सब प्रिय है, स्नेह के पात्र… ऐसे बाबा से 100% दिल का स्नेह ही चुम्बक है, जिस मोहब्बत में लवलीन रहने से सम्पंन-सम्पूर्ण मेहनत-मुक्त मौज में रहेंगे (अनुभव के मोती ज्ञान-सागर के तले में अनुभव करने सागर में लवलीन रहो… ज्ञान-बीज़ में चाहिए स्नेह-पानी, तब ही रमणीक-प्रश्नों से पार होंगे)… ऐसे सबसे भी स्नेह हो (कमजोरी न देख, हम तो वशीभूत को छुड़ाने वाले हैं, खराब चीज़ नहीं देखना), सर्व के स्नेही का सर्टिफिकेट लेना है (धर्म-राज्य दोनों की स्थापना हो रही)

3. कोई लीकेज न हो, लगाव भी नहीं (व्यक्ति-विशेषता-एक्स्ट्रा सैलवेशन से)… तो सदा सन्तुष्ट-प्रसन्न-मुस्कराता खिला गुलाब रहेंगे (डबल लाइट, मूड ऑफ नहीं होंगा)

4. साथ चलने के वायदे लिए बाप-समान और एवररेडी बनना (चाहे कल भी ऑर्डर आये)… किये वायदा का फायदा लेने उसे रोज रिवाइज-रियलाइज् करना है (अमृतवेले बाद वायदा-फायदा दोनों का बैलेन्स चेक करना)

5. (डबल विदेशी) सभी टर्न में चांस लेने वाले होशियार चांसलर है… भिन्न देश-धर्म-कल्चर होते भी पहचान, बाप-परिवार-कल्चर को अपना लिया … सेवा से भी प्यार, तीन-तीन सेवा करने वाले (जॉब, ज्ञान की सेवा, सेंटर में कर्मणा)

सार (चिन्तन)

अपने वायदों को पूरा करने… सदा बाबा से मिले भिन्न-भिन्न स्वमानों को स्मृति में रख, स्नेह के सागर की मोहब्बत में लवलीन रह, सन्तुष्ट मेहनत-मुक्त मौजों में रहे… सबको सम्मान देते, सर्व के स्नेही का सर्टिफिकेट लेते, दैवी धर्म-राज्य सतयुग बनाते रहेे… ओम् शान्ति!


Also read:

Coming in the rosary of victory through long-time spiritual efforts & service through mind! | बहुतकाल के तीव्र-पुरुषार्थ और मन्सा-सेवा द्वारा माला का मणका बनना | Baba Milan Murli Churnings 18-10-2020

Coming in the rosary of victory through long-time spiritual efforts & service through mind! | बहुतकाल के तीव्र पुरुषार्थ और मन्सा सेवा द्वारा माला का मणका बनना | Baba Milan Murli Churnings 18-10-2020

1. मेरा बाबा कह स्नेह के सागर को हमने अपना बनाया, और बाबा ने भी मेरे बच्चे कह दिल में समा लिया (लास्ट तक लास्ट बच्चे से भी प्यार है, लाडले-सिकीलधे)… स्नेह मे आकर्षण है, अपना बनाता, क्या से क्या बनाता.. बाबा हमारे मस्तक पर स्नेह की लहरे देख हर्षित-खुश हो रहे

2. (ड्रिल).. पुकारते हुए भक्त-दुःखी-अशान्त आत्माओं को मन्सा द्वारा सुख-शान्ति-शक्ति की कीरणें पहुंचानी (हम ही उनको सुख देने वाले रहमदिल है)… ऐसे मन को बीजी रखने से फालतू-व्यर्थ संकल्पों से बचे रहेंगे (अपना भी फायदा)… भिन्न-भिन्न सेवाओं में मन को बिजी रखना है (हम कितने ख़ज़ाने से रिचेस्ट है, जितना देंगे उतना बढ़ेगा):
° मन द्वारा शक्तियां देना
° वाणी द्वारा ज्ञान-दान
° कर्म द्वारा गुण-दान
° सम्बंध-सम्पर्क द्वारा खुशी

आपस ब्राह्मणों में भी सहयोगी बनो (हम तो संस्कार की टक्कर से छुड़ाने वाले है)

3. पुरुषार्थ में कभी-कभी शब्द समाप्त, गे-गे (करेंगे, हो जाएंगा) बदल करना ही है, एवररेडी (ऐसे बहुतकाल मन वा मायाजीत रहने से ही जगतजीत-विजयी-पास विध आनर-माला का मणका बनेंगे, यह शुद्ध संकल्प सदा रखना)… बाबा ऐसे तीव्र-पुरुषार्थी बच्चों को रोज़ अमृतवेले देखते-मिलते (गायन-योग्य, पूजन-योग्य, राज्य अधिकारी के साथी रूप में)

4. हम शुद्घ संकल्प-धारी, मन की हलचल से परे अचल-अडो़ल है… समय पर होगा नहीं (हमारा टीचर बाबा है, समय नहीं), समय तो रचना है… बिन्दु लगाना और बिन्दु को देखना तो कोई व्यर्थ नहीं चलेगा

5. (यू.पी.) भक्तों को परिचय देना हमारा कर्त्तव्य, फिर उनका भाग्य (नहीं तो उल्हना देंगे, हमारा बाबा आया वर्सा देने, और आप ने नहीं बताया)… वारिस-नामिग्रामी द्वारा प्रभावशाली सेवा होती (कर रहे हैं, अब थोड़ा और फास्ट)

6. (मुरली रेग्युलर नहीं उन्हें)… मुरली में चारों सब्जेक्ट के डायरेक्शन आते… तो जबकि बापदादा परमधाम-सूक्ष्मवतन से आते, मुरली एक दिन भी मिस वहीं करना… नहीं तो बाबा का दिलतख्त छूट जायेगा (और दो तख्त भी यथाशक्ति)… मुरली मुरली मुरली, साइंस के साधन यूज करो

सार (चिन्तन)

बीती सो बिन्दी कर रोज़ मुरली सुनने के साथ-साथ… सदा बाबा के दिल में समाये रह, सदा अपनी श्रेष्ठ मन्सा द्वारा सबको सुख-शान्ति-शक्ति की किरणें पहुंचाते… व्यर्थ-मुक्त विजयी, गायन-पूजन योग्य, बाबा के राज्य अधिकारी साथी बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Thanks for reading this article on ‘Coming in the rosary of victory through long-time spiritual efforts & service through mind! | बहुतकाल के तीव्र पुरुषार्थ और मन्सा सेवा द्वारा माला का मणका बनना | Baba Milan Murli Churnings 18-10-2020’

Also read: