Spinning the Cycle! | Sakar Murli Churnings 28-05-2019

Spinning the Cycle! | Sakar Murli Churnings 28-05-2019

1. हमारे अति-मीठे रत्नागर सौदागर जादूगर ज्ञान के सागर (बीज) बाबा ने हमें स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है, कैसे हमने ऊपर से आकर 84 जन्मों का पार्ट बजाया है, हम ही देवता थे और फिर से बनेंगे… तो एकदम गदगद् हो, खुशी में नाचते रहना चाहिए… सबको को भी यह wonderful ज्ञान सुनाकर, आंखें खोल सदा सुखी बनाना है, जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे

2. विकारों को छोड़, बाबा को याद करते रहना है… ज्ञान चिन्तन से सब सहज हो जाता… नि:स्वार्थ भाव से सेवा में मग्न रह, जहां हो सके सेवा का प्रबंध करते रहना है, माँगना नहीँ है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का सम्पूर्ण ज्ञान दे दिया है, तो सदा स्वदर्शन चक्रधारी बन पाँचों स्वरूपों का अभ्यास करते रहे (अनादि, आदि, पुज्य, ब्राह्मण, फरिश्ता)… तो सदा स्वमान-धारी शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह, सबको देते, सतयुग बनाते चलेंगे… ओम् शान्ति!


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We’re most lucky stars! | ज्ञान सितारे | Sakar Murli Churnings 27-5-2019

We’re most lucky stars! | ज्ञान सितारे | Sakar Murli Churnings 27-5-2019

1. शिवबाबा सूर्य, ब्रह्मा बाबा चन्द्रमा, और हम है most wonderful लक्की ज्ञान सितारे, सो भी नम्बरवार (कोई ज्यादा चमकते, बाबा के समीप रहते)… सर्विसएबुल बच्चे बाबा को बहुत प्यारे हैं, दिल पर चढ़ते, उन्हें ज्यादा करंट सर्चलाइट कैच होती

2. सत्य ज्ञान समझने, वर्सा पाने में टाईम नहीँ लगता, याद से पवित्र बनने में ही टाईम लगता… भल माया कितना भी तूफान लाएं भुलाने की कोशिश करे, हमें याद में मस्त रहना है, माया पर विजयी…

3. हम आवाज से परे बाबा की याद में मस्त रहते हैं, सेन्टर-मधुबन पर यह सहज होता… बाबा संगम पर ब्रह्मा-तन में आकर राजयोग सिखाकर मनुष्य से देवता बनाए स्वर्ग का वर्सा देते

4. उसे बच्चा भी बनाना है, वह बहुत अच्छी सम्भाल करता, 21 जन्मों के लिए मालामाल बनाता… अभी हम माला को भी समझ गए हैं, हमारा पुरुषार्थ ही है विजयी रत्न, वैजयंती माला का मणका बनने लिए, मेरू बाबा हमें आप समान बनाते!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमें चुना है, तो सदा इसी रुहानी नशे में रहे, हम पद्मापद्म भाग्यशाली भगवान् की choice है… इसी उमंग से ज्ञान-योग के पुरुषार्थ की तीव्र दौड़ी लगाते, बहुत जल्द सर्व प्राप्ति सम्पन्न आनंद-मय बन… सबको खुशी बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The enchanting Murli! | Sakar Murli Churnings 25-05-2019

The enchanting Murli! | Sakar Murli Churnings 25-05-2019

1. बाबा मधुबन में ब्रह्मा-तन में आकर मुरली सुनाते, जिससे हमें सत्य ज्ञान मिलता, पुज्य बनते

2. मुख्य है योग अग्नि वा याद की यात्रा, जिससे पिछले विकर्म विनाश होते, इस जन्म का भी बाबा को सबकुछ बताने से हल्का करना है… बाबा बेहद में सबको देखते, करंट देते, जितना हम भी याद करेंगे, उतना सहयोग मिलता-पावन बनते… सारे विश्व को भी हमारे योग का सहयोग मिलता, फिर हम ही विश्व का मालिक बनते, इसी नशे में रहना है

3. बैज़ सदा लगा रहे (जिसमें बहुत सहज समझनी है… बेहद का बाबा, कल्याणकारी हमें स्वर्ग का वर्सा देते, यह संगमयुग चल रहा)… सुनकर फिर सुनाना-पढ़ाना भी है, ऎसा लायक बनना है कि मुरली भी सुना सके, सेन्टर भी चला सकें

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम रोज शिवबाबा की ज्ञान मुरली की मधुर तान सुनते, तो सदा उसीके चिन्तन में अतिन्द्रीय सुख-खुशी में नाचते रहे… सबको भी ज्ञान-गुण-शक्तियों का महादान-वरदान देते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

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A refreshing fan! | Sakar Murli Churnings 24-05-2019

A refreshing fan! | Sakar Murli Churnings 24-05-2019

1. जितना स्वदर्शन चक्र का पंखा चलाते (जो एक सेकण्ड में चलता), तो रिफ्रेश होते और भविष्य चक्रवर्ती राजा, विष्णुवंशी-सूर्यवंशी बनते… सबको समझाना है, यही इस Spiritual यूनिवर्सिटी का एम-ऑब्जेक्ट है, पहले भी हम देवता थे

2. वृक्षपति बीजरूप बाबा (जो हमारा बाप, टीचर, सतगुरु है) नें हमें सारे चक्र का ज्ञान दिया है कि कैसे हम ही पूज्य-श्रेष्ठ-पारस थे और वर्सा भी देते, तो उनको तो बहुत याद करना है, विकारों-दुःख को छोड़… तो बाबा भी हमको याद करते, यही संगम का श्रेष्ठ भाग्य है… सतयुग में हमारी आयु भी लंबी होंगी

3. एक बाबा ही सत है जो सम्पूर्ण निर्विकारी, सतोप्रधान, ऑलमाइटी, विश्व का मालिक बनाते और कल्प बाद मिले हैं, तो उसके प्यार में डूबे रहना है, कलियुग को भूल… सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राज्य मस्ट रिपीट, यही हमारा एम ऑब्जेक्ट है, जो पाते श्रीमत-याद द्वारा… तो भारत भी फिर धनवान-गुणवान महिमा-योग्य बन जाएंगा.. हम भक्ति को भी समझ गए है, भगवान् आए ही है भक्ति का फल देने

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ स्वदर्शन चक्र का पंखा मिल गया है, तो उसे सदा स्विच ऑन रख बिल्कुल शीतल-शान्ति का अनुभव करते रहे… औरों को भी श्रेष्ठ वाइब्रेशन से सहयोग मिलते, सतयुग बन जाएंगा… ओम् शान्ति!


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Sitting in God’s eyes | Sakar Murli Churnings 23-05-2019

Sitting in God’s eyes | Sakar Murli Churnings 23-05-2019

1. इस पुरुषोतम संगमयुग पर बाबा साधारण तन में आकर, हमें पढ़ाकर पारस-बुद्धि बनाते, फिर स्वर्ग में सम्पूर्ण सुख-धन-साधन एकता होंगी… ऎसे सुखधाम में जाना है, बाकी सब तो शान्तिधाम जाएँगे, इस दुखधाम-अपवित्रता को छोड़ना है (हम आत्मा भाई-भाई है, भ्रकुटी के बीच, बाप से वर्सा मिलता)… जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे, हमें भी समझाते रहना है (दो बाप, आदि)

2. हमें सम्पूर्ण ज्ञान मिल गया है, तो कैसे भी करके (हर जगह, भोजन करते, आदि) बाबा को याद करना है, तो विकर्म-विनाश हो माया-जीत बन पवित्र-सतोप्रधान विश्व का मालिक बन जाएँगे… बाकी थोड़ा समय है, गुल-गुल बनने से बाबा नयनों में बिठाकर ले जाएँगे, कमाई बड़ी भारी ही (घाटा भी!) देही-अभिमानी बनने से सब सहज होता… चिन्तन भी करना है कैसे हम आत्मा है, फिर घर जाएँगे, फ़िर सतयुग में आएँगे

सार

तो चलिए आज आरा दिन… जबकि बाबा ने हमें अपने नयनों में बिठा दिया है, तो हम भी उन्हें अपने नैनों में समाकर, अपनी दिनचर्या के हर पहलू को योगयुक्त बना दे… तो सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित दिव्यगुण-सम्पन्न बन, औरों को भी श्रेष्ठ बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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हमारे wonderful चित्र | Sakar Murli Churnings 22-05-2019

हमारे wonderful चित्र | Sakar Murli Churnings 22-05-2019

1. जबकि बाबा हमें फूल-हीरा कहते, और हम ही देवता बनते… तो सदा अपने एम ऑब्जेक्ट को सामने रख, चेक करते रहें, क्या हममें ऎसे गुण है? (खुशी, अतिन्द्रीय सूख, आदि), औरों को भी आप समान बनाते हैं?… यह सब सहज हो जाता याद की यात्रा से (जो बाबा हमें शान्तिधाम-सुखधाम ले जाते, एसी याद जो अंत में और कुछ याद न आए)

2. जबकि बाबा हमें इतनी ऊँची जबर्दस्त प्राप्ति कराते (और समय भी कम है), तो देह-सहित सबकुछ भूल उसकी याद में मग्न हो जाएँ… वह भी बहुत प्रेम से, तो ऊंच पद बन जाएँगा

3. अभी हम नम्बरवार पुरूषार्थी है, फिर वैकुण्ठ नई दुनिया के मालिक बनते… इसमें कोई संशय की बात नहीं, यह खेल तो बना हुआ है… हमारे ज्ञान-योग के हर कदम में पद्मों की कमाई है, धन भी सफल जरूर करना है 

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमारे लिए इतने wonderful चित्र बनवाए हैं, तो सदा गोला-झाड-सीडी को सामने रख, इसी नशे में रहे कि बाबा संगम पर हमें कितना ऊंच ते ऊंच दिव्यगुण सम्पन्न विश्व का मालिक बनाते… इसी नशे से ज्ञान-योग का तीव्र पुरूषार्थ कर सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह, सबको भी सम्पन्न करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Our All-in-One Baba! | Sakar Murli Churnings 21-05-2019

Our All-in-One Baba! | Sakar Murli Churnings 21-05-2019

1. हम आत्मा पार्टधारी ही, इस स्मृति से बाबा को याद करना है, तो कल्याण होता… सबको समझाना है, कैसे वह है:

  • परमपिता (बेहद सुख का वर्सा दे, विश्व का मालिक बनाते)
  • परम शिक्षक (ज्ञान का सागर, राजयोग सिखाते… मनुष्य सृष्टि का बीजरूप, सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान सुनाते),
  • सतगुरू (दुःखों से liberate कर, गाइड बन साथ ले जाते, सद्गति भी करते)
  • सत्-चित्त-आनंद स्वरूप, सुख-शान्ति का सागर… जो हमें सर्वगुण सम्पन्न देवता बनाते

इससे स्वतः सिद्ध होता कि भगवान् सर्वव्यापी नहीं (टीचर-स्टूडेंट जरूर अलग होंगे)

2. श्रीमत से ऎसा श्रेष्ठाचारी बनते, कि अब तक देवताओं की पूजा होती है, और रावण एकदम अनराइटियस बना देता … मुख्य बात, कलियुगी अपवित्र मर्यादा जोड़ सम्पूर्ण पावन जरूर बनना है… रावण राज्य में सब दुःखी है, इसलिए औरों को भी भूँ-भूँ करते, सत्य ज्ञान दान देते रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें बाबा सर्व सम्बन्धों (मात-पिता, शिक्षक-सतगुरू, सखा-साजन, सर्जन-बच्चा) के रूप में मिल गए हैं, तो सदा उनके प्यार में डूबे हुए, सुखों के झूले में झूलते रहे, माया से अनजान… सबको भी यह सुख-खुशियां बांटते, सतयुग बनाते चले.. ओम् शान्ति!


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The fastest rocket! | Sakar Murli Churnings 20-05-2019

The fastest rocket! | Sakar Murli Churnings 20-05-2019

1. जैसे बगीचे में फूल है, हम भी बाबा के पास आए हैं श्रीमत पर कांटे से फूल बनने… देह अभिमान मुख्य काँटा है (जिससे और विकार आते), इसलिए देही-अभिमानी बनना है, फिर सतयुग में भी ऎसे रहेंगे (जिससे सर्वगुण-सम्पन्न भी रहते)

2. विकारों-वश जो पाप किए है, उसे सर्वशक्तिमान बाप साथ योग लगाकर भस्म करना है… तो पावन-शक्तिमान नई दुनिया के मालिक लक्ष्मी-नारायण ऊंच ते ऊंच बन जाएँगे, यह दैवी sapling लग रहा है संगम पर… इसलिए हम सर्वोत्तम विद्यालय-टीचर के पास स्टूडेंट बने है

3. बाबा ने सारे ड्रामा का ज्ञान हमें समझाकर परिपक्व बना दिया है… औरो को भी बहुत अच्छे से समझाना है, बाबा (रॉकेट) को साथ रख… संस्कार साथ जाते, इसलिए दैवी संस्कार बनाते रहना है

4. बाबा ब्रह्मा-तन में प्रवेश उन्हें विष्णु-समान बनाते, तत्वम् हमें भी देवता बनाते, पवित्र-समझदार-लायक… भक्ति में बहुत शो, दलदल है… बाबा का सेवा-साथी खुदाई-खिदमतगार बन, सबको बाबा का परिचय देकर आप समान जरूर बनाना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सबसे तीखा रॉकेट बाबा मिल गए हैं, तो बार-बार उसका आह्वान कर बुलाकर, अपने जीवन को बिल्कुल आसान, सुखमय, अलौकिक बनाते रहे … ऎसे बाबा के संग रह सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रह, सबको भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for strengthening soul conscious drishti

आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for strengthening soul conscious drishti

आज बाबा ने पूरी मुरली में आत्मिक दृष्टि पक्की करने को कहा… तो आज आपको आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प भेज रहे हैं… इन्हें प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

आत्मा है!

  • वह आत्मा है… शान्त स्वरूप, प्रेम स्वरूप, आनंद स्वरूप, सुख स्वरूप, पवित्र स्वरूप, ज्ञान स्वरूप
  • आँखों द्वारा देखने वाली, कानों द्वारा सुनने वाली, मुख द्वारा बोलने वाली, शरीर द्वारा कर्म करने वाली, सबकुछ आत्मा ही करती है
  • प्रकाश का पुंज, चमकती मणि, दिव्य सितारा है

हमारा उनसे सम्बन्ध

  • एक बाबा के बच्चे… हम सभी भाई-बहन, भाई-भाई है
  • मुझे उनको देना है, शुभ-भावना, सकाश, गुण देखना है… शान्ति, रुहानी स्नेह, सुख, खुशी, सम्मान देना है
  • उनकी कोई गलती नहीं, वह खुद अपने संस्कारों से परेशान हैं, यह कलियुग है, मुझे उनको देना है

सम्पर्क में!

  • मेरा सम्बन्ध आत्मा के साथ है, लेन-देन हिसाब-किताब, आदि
  • (बातें सुनते) वह आत्मा बोल रही, शरीर द्वारा, भ्रकुटी के बीच बैठे… मैं आत्मा सुन रही हूँ, कानों द्वारा, भ्रकुटी में बैठ
  • (बातें करते) मैं आत्मा बात कर रही हूँ, मुख द्वारा, भ्रकुटी में बैठ… आत्मा को सुना रही हूँ, भ्रकुटी में, वह कानों से सुनती है
  • (फोन की रिंग बजते) आत्मा का फोन है, आत्मा से बात करनी है
  • जो गुस्सा, झगड़ा, तंग करते, वह आत्माएं है

सभी मित्र-सम्बन्धी

  • सभी मित्र (स्कूल, कॉलेज, बिल्डिंग, पड़ोसी) आत्माएं है
  • सभी सम्बन्धी (मात-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची, मौसा-मौसी, दादा-दादी, नाना-नानी, बच्चा-बच्ची, आदि) आत्माएं है
  • ऑफिस में सभी (बॉस, साथी, जूनियर) आत्माएं है
  • विश्व में सभी, आत्माएं है… वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, प्रधान-मंत्री, नेता, अभिनेता, धनवान, आदि

दिन-चर्या में!

  • (उठते) मैं आत्मा हूँ, बाबा परम-आत्मा है, घर में सभी आत्माएं है
  • (सेन्टर पर मुरली) सुनाने वाली टीचर आत्मा है, सुनने वाले सभी आत्माएं है, जिज्ञासू सभी आत्माएं है 
  • (बाबा का कमरा) बाबा मुझे दृष्टि दे रहे, मुझ आत्मा को देखते, मैं भी उनके मस्तक पर शिवबाबा को देखता
  • (भोजन) परोसने वाले आत्मा है, मैं जिसको परोस रहा वह आत्मा है, भोजन पर बैठे सभी आत्माएं है 
  • (रास्ते में) सभी रास्ते पर आत्माएं है, गाड़ी में भी आत्माएं है, ट्रेफिक पुलिस भी आत्माएं है 
  • (ऑफिस) ईमेल, फोन, मीटिंग में सभी आत्माएं है
  • (छुट्टी के दिन) जो मेहमान आए, वह आत्माएं है… जिसके घर जाते, वह आत्माएं है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, अपनी frequency को बहुत ऊँची, आत्मिक बनाके रखे… जिससे सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर-सम्पन्न रहते, सबको भी यह खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते रहते… ओम् शान्ति!


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Experiencing all Relations in One | एक में सर्व सम्बन्ध | Sakar Murli Churnings 18-05-2019

Experiencing all Relations in One | एक में सर्व सम्बन्ध | Sakar Murli Churnings 18-05-2019

1. इस पुरुषोतम संगमयुग पर भगवान् बाप-टीचर-सतगुरू बन सभी आत्माओं को पढ़ाकर श्रेष्ठाचारी देवता बनाते… इसलिए सिर्फ़ अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है, एक बाप के सिवाय और कुछ याद न आए… यह है भी सहज, क्योंकि बाबा हमें सर्व सम्बन्धों का सुख देते, वर्सा देते, खास आकर रुहानी ज्ञान देते

2. हम परमधाम में थे, फ़िर पार्ट बजाते नीचे आए, अब तमोप्रधान बने, इसलिए फिर से पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाबा को याद करना है, तो हम श्री देवता, श्रीकृष्ण बन जाएँगे स्वर्ग (वन्दर ऑफ वर्ल्ड में)… जहां आयु बड़ी, नैचुरल beauty रहती, सबकुछ नया-सुगन्धित होता… यह सब भगवान् के सिवा कोई सीखा नहीं सकता, हम अब भक्ति के राज़ को भी समज गए हैं

3. हम सारा चक्र जानते, मुख्य बात इस एक जन्म की पवित्रता हमें 21 जन्म सुख-शान्ति देती… माया से बचने सिर्फ़ आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की कर, बाबा को याद कर पावन बनते जाना है… ज्ञान भी सहज है, बाबा का परिचय और 84 का चक्र… जीवनमुक्ति में फिर न ज्ञान रहेगा, न विनाश की सामग्री… हम अभी ब्राह्मण कुल है, दैवी राजधानी स्थापन करते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें बाबा सर्व सम्बन्धों का सुख ऑफर करते, तो हर एक सम्बन्ध उनसे जोड़ (और निभाते) परमात्मा ज्ञान-गुण-शक्तियों से सदा के लिए भरपूर बन, सदा श्रेष्ठ स्थिति के अनुभवी दिव्यगुण-सम्पन्न बन… सबको भी सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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