दिव्यता अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Divinity
हमारा इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में लक्ष्य ही है मनुष्य से देवता बनना, बाबा नेे भी हमें रोज़ दिव्यगुणों से श्रृंगारकर, हमारा सारा जीवन ही दिव्य और अलौकिक बना दिया है…
तो आज दिव्यता अनुभव करने के 108 संकल्प आपको भेज रहे हैं, इन्हें बहुत खुशी से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!
मैं देवता हूँ!
- मैं ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, खुशी, सुख, आनंद, शक्तियों से भरपूर… सतोगुणी, पावन, सतोप्रधान, फूल चार्ज, दिव्य आत्मा हूँ… पारस-बुद्धि
- मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूँ… दैवी सम्प्रदाय-कुल की महान आत्मा, देवता, देव आत्मा हूँ… दैवी स्वभाव-संस्कार-संस्कृति से सम्पन्न
- मैं सतयुग-स्वर्ग-हैवन-जन्नत, अमरलोक-सचखण्ड, सुखधाम, जीवनमुक्ति-धाम की रहवासी थी
- मैं विश्व का मालिक, डबल ताजधारी, बहुत सुन्दर-सुशोभित, सम्पूर्ण दैवी बनने वाली हूँ
- I’m a Divine soul, full of divinity & divine virtues
मुख्य गुण
- मैं सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण पवित्र, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, अहिंसा परमोधर्म. डबल अहिंसक, सच्चा वैष्णव, श्रेष्ठ धर्म-कर्म करने वाली श्रेष्ठाचारी आत्मा हूँ… आदि-सनातन देवी-देवता धर्म की… सदा आत्म-अभिमानी, बुद्धिमान, फूल-समान गुणवान हूँ
- मैं दिव्यता से भरपूर, दिव्यगुण-सम्पन्न हूँ… मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा भरपूर, सन्तुष्ट-तृप्त, श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हूँ… आँखे शीतल, चेहरा हर्षित रूहानी मुस्कान सम्पन्न है… मेरी चलन रॉयल, बोल मधुर, व्यवहार सुखदाई सम्मान-दायी उदारता-सम्पन्न है… सम्पर्क हल्के, सन्तुष्टता-पूर्वक… सम्बन्ध मीठे है
- मैं तेजस्वी आत्मा हूँ… मेरा चारों ओर दिव्य आभामण्डल है, जो सबको दिव्यता की अनुभुती कराता
- मैं श्रेष्ठ धारणा-मूर्त आत्मा हूँ… सब कहते यह जैसे देवता है
पूज्य!
- मैं देने वाला देवता, दाता हूँ… सब का इष्ट, इष्ट देव-देवी हूँ… पूजनीय, पूज्य, पूजन योग्य हूँ… गायन योग्य, महिमा योग्य हूँ
- मैं मूर्ति, शरीर मन्दिर है… मेरा घर भी मन्दिर है, सभी मेरे दैवी भाई-बहन है
- मैंने 2500 साल देव-रूप में बिताए हैं, मैं महान आत्मा हूँ… इस दिव्यता को फिर जगाना है
- मैं दिव्य पुरुष, शिव शक्ति, मैं वही हूँ जिनकी मन्दिरों में पूजा हो रही है
- मैं अवतरित हुई… अलौकिक-दिव्य सत्ता हूँ
बाबा से सम्बन्धित
- बाबा ने साजन बन, मुझे दिव्यगुणों से श्रृंगारा है… जन्मते ही दिव्य-बुद्धि का वरदान दिया है
- बाबा आए ही है मनुष्य से देवता बनाने… कृृष्ण समान दैवी प्रिन्स-महाराजा… इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में, मेरा एम ऑब्जेक्ट ही है लक्ष्मी-नारायण बनना
- मेरी दिव्यता की पर्सेंटेज हर-रोज़ बढ़ रही है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, अपने देव स्वरूप का प्रत्यक्ष अनुभव करते रहें… तो स्वतः दिव्यता से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश-सन्तुष्ट-तृप्त बन … सबको यह खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
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Om Shanti.Heart touching inspiring induces for meditation
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