Spiritual Significance of Raksha Bandhan & Diwali | Sakar Murli Churnings 31-07-2019

Spiritual Significance of Raksha Bandhan & Diwali | Sakar Murli Churnings 31-07-2019

1. बहनें राखी बांधने जाती है, क्योंकि संगम पर ही बाबा ने पवित्रता की प्रतिज्ञा कराए पावन दुनिया (सुख-शान्ति सम्पन्न) स्थापन की थी… यह ज्ञान-योग हमें ज्ञान सागर बाबा अभी संगम पर सिखाते, जो सबको सुनाकर duban से बचाना है, योगबल से सुनाकर… योग से ही पवित्रता-दिव्यगुण आते, वही सच्चे ज्ञानी की परख है

2. दीपमाला:

  • सतयुग में, लक्ष्मी-नारायण के coronation का यादगार है
  • जब घर-घर में रोशनी थी
  • हर एक की आत्मा-रूपी ज्योति जगी हुई थी

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमने भगवान् से पवित्रता की प्रतिज्ञा की है तो सदा मन्सा-वाचा-कर्मणा सब में पवित्रता धारण रखे:

  • स्मृति में… बाबा की दी हुई श्रेष्ठ स्मृतियां
  • वृत्ति… शुभ-भावना सम्पन्न
  • दृष्टि… आत्मिक
  • कर्म… दिव्य-अलौकिक-निमित्त भाव सम्पन्न

तो हमारा हर दिन दिव्यता-खुशी भरी दिवाली बनते-बनाते, हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!

The fire of God’s love! | (27th) Avyakt Murli Revision 15-09-69

The fire of God’s love! | (27th) Avyakt Murli Revision 15-09-69

1. जितना निराकारी स्थिति में स्थित रह साकार में आते… तो सबको निराकारी स्वरूप का अनुभव-साक्षात्कार कराए, आप समान बना सकते…

2. हम जगत माताएं वारिस-स्टूडेंट तो है ही, अभी नष्टोमोहा बनना है… जिस परिवर्तन के लिए बाबा से स्नेह की अग्नि चाहिए (तो ममता-बन्धन-लोकमर्यादा-आसुरी गुण सब समाप्त हो जाएंगे)

3. जितना याद में रहेंगे, उतना यादगार बनेंगा, यादगार कायम रखने के लिए याद है… और कर्म में सब आत्माओं की विशेषताएं देखनी-ग्रहण करनी है, तो सर्वगुण-सम्पन्न बन जाएँगे

4. चन्द्रमा-समान:

  • गुण (शीतलता)
  • सम्बन्ध (ज्ञान सूर्य के समीप)
  • कर्तव्य (रोशनी देना)

धारण करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… निराकारी स्थिति में स्थित रह, ज्ञान-सूर्य बाबा की स्नेह-भरी यादों में मग्न रहे… सबकी विशेषताएं देखते , सब को शीतल रोशनी देते, आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being a child of the Supreme! | Sakar Murli Churnings 30-07-2019

Being a child of the Supreme! | Sakar Murli Churnings 30-07-2019

सार

हम सब आत्माएं भाई-भाई है, एक बाबा को याद करने से, पाप कट-सतोप्रधान हो स्वर्ग-सुखधाम में ऊंच पद पाते… बाबा आए ही है हमारे निमंत्रण पर पुराने ब्रह्मा तन में, इस पुरानी तमोप्रधान-दुःखधाम को बदल नई सुखधाम की स्थापना करने… वहीं सर्व का सद्गति दाता निराकार कल्याणकारी सुख-शान्ति सागर शिव है, हम उनके adopted ब्राह्मण बच्चें, यह बातें सब को सुनानी है (बड़े मंच पर भी)

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सम्पूर्ण रीति समझ है कि हम सब भाई-भाई एक बाप की सन्तान है, तो सदा बाबा की प्यार भरी यादों में डूबे रहे… यदि कोई देहधारी याद भी आए, उसे भी आत्मा बाबा का बच्चा समझ शुभ-भावना देतै न्यारा बने… तो हम बहुत-बहुत जल्द सर्व खज़ाने से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे … ओम् शान्ति!


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Baba’s elevated vision! | (26th) Avyakt Murli Churnings 27-08-69

Baba’s elevated vision! | (26th) Avyakt Murli Churnings 27-08-69

1. बाबा हमें सिरमोर, नैनों के नूर, नूरे रत्न, रूहें गुलाब, गुलदस्ते की शोभा के श्रेष्ठ रूप में देखते… तो हमें भी अपने को रूह समझ देह से न्यारा-प्यारा रहना है, तो सदा अथक रहेंगे, इसी हिम्मत से बाबा की मदद मिलती, कलियुगी पहाड़ उठता… बाबा अब भी हमारी जिम्मेवारी-सम्भाल करने, तो हमें भी पवित्रता का कंगन पक्का बाँधना है

2. हमें अपने ताज-तख्त को बुद्धि में रख, हमारे लक्ष्य लक्ष्मी-नारायण समान नैन-चलन धारण करने है… ऎसे दिव्यगुणों (नम्रता, सरलता) से स्वयं को सजाकर खुशबू फैलानी है

3. समय कल्याणकारी है, इसलिए सेवा में सफलता मिलती रहेंगी, फिर भी पुरुषार्थ करना है… यज्ञ को आगे बढ़ाते रहना है, बुद्धि चुस्त-दूरांदेशी रख (जिसके लिए ताज-तख्त मिला है)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने को पवित्र रूह समझ बाबा के दिए हुए स्वमानों के स्वरूप बन, लक्ष्मी-नारायण समान दिव्यगुणों की खान बन, दूरांदेशी-कल्याणकारी बन सबकी अथक सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The most wonderful essay! | Sakar Murli Churnings 29-07-2019

The most wonderful essay! | Sakar Murli Churnings 29-07-2019

सार

1. आत्म-अभिमानी बन सबको ज्ञान का भू-भू करते रहना है, इस संगम पर ज्ञान सागर बाबा आए ही है हमें बुद्धिमान-देवता बनाने… इस कलियुगी-पतित-विकारी-भ्रष्टाचारी-दुनिया दुःखधाम को बदल सतयुगी-पावन-निर्विकारी-श्रेष्ठाचारी दुनिया-सुखधाम बनाने

2. जबकि हम विश्व में शान्ति स्थापन कर रहे, तो हमारे अन्दर तो जरा भी भय-आशांति न हो… माया की प्रवेशता, नाम-रूप की बिमारी, आंखें-वृत्ती चलायमान न हो… हमें आने वाले समय का पता नहीं, यही समय है सुन्न-अशरीरी होने का, हमें देह-भान छोड़ घर जाना है

3. यह अविनाशी ज्ञान रत्न पहले अपने में धारण कर श्रेष्ठ अवस्था बनानी है… फिर योगयुक्त हो औरों को सुनाने से तीर लगेगा… लिखत भी श्रेष्ठ तैयार हो, औरों को देने के लिए

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा आए है इस पुरानी-कलियुगी-तमोप्रधान दुनिया को नई-सतयुगी-सतोप्रधान बनाने… तो सदा ज्ञान-चिन्तन द्बारा समझ और याद द्बारा सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनते रहे… तो सदा हम श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते, दिव्यगुणों से सम्पन्न बनते, सहज पुराने संस्कार परिवर्तन करते-करते, सतयुग बनाये रहेंगे… ओम् शान्ति!


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दीदी मनमोहिनी की 125 विशेषताएं | 125 Specialities of Didi Manmohini

दीदी मनमोहिनी की 125 विशेषताएं | 125 Specialities of Didi Manmohini

28 जुलाई हमारी मीठी प्यारी दीदी मनमोहिनी का स्मृति दिवस है… तो आज दीदी मनमोहिनी की 125 विशेषताएं देखते हैं… इन्हीं बहुत प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

मुख्य शिक्षाए

  • अब घर जाना है… पुरानी देह-दुनिया-वस्तु से बेहद का वैराग्य-त्याग, बाबा पर पूरा निश्चय-समर्पण…
  • सुबह 5 केले खाना… अकेले आए है, अकेले जाना है, अकेले में (एकान्त), अकेले बन (अन्तर्मुखी-आत्मा), अकेले (बाबा) को याद करना

बाबा से प्यार!

  • योग पक्का, बाबा के प्रेम में डूबे-मग्न रहना, डांस करना, बाबा की सच्ची दिलरूबा, सच्ची गोपी, बाबा ही नैन-चेहरे-दिल में बस्ता… एक तुम्हीं संग खेलु-खाउ-रहु… सच्ची एकव्रता-पिताव्रता-पतिव्रता
  • बाबा से सर्व सम्बन्ध (मात, पिता, शिक्षक, सतगुरू, सखा, साजन, सर्जन, बच्चा, धर्मराज)

सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन!

  • मुरली क्लास में रेग्युलर, पंचुअल, एकाग्र-चित्त (चश्मा-डायरी-पेन सहित) … श्रेष्ठ चिन्तन, प्रश्न-उत्तर निकालना, चित-चेत करना, ज्ञान-युक्त पालना-खातिरी-सौगात
  • श्रीमत-नियम-मर्यादाओं-धारणाओं पर स्ट्रिक्ट-discipline (संग की संभाल, अन्न की संभाल)… सदा हाँ जी, आज्ञाकारी, वफादार, फरमानवरदार, सपूत, ईमानदार

गुणवान!

  • निमित्त, निर्माण, नम्र-चित्त, निर्मल वाणी… सब को बाबा से जुड़ाना, स्नेही बनाना, प्यार बढ़ाना… गुण-ग्राही, सबको अपनापन मेहसूस कराना, सबकी सखी
  • पहले खुद करना, कर्म से सिखाना, बालक-मालिक का बैलेंस, कथनी-करनी समान
  • अन्तर्मुखी (परचिन्तन-परदर्शन, सुनी-सुनाई बातों से परे), गंभीर-रमणीक, सरलता-सादगी, दिव्यता-रूहानियत, निर्भय, सच्चाई-सफाई

यज्ञ माता!

  • यज्ञ रक्षक, यज्ञ स्नेही… यज्ञ प्रति बहुत प्यार
  • अलर्ट-ऐक्टिव-चुस्त, परख-निर्णय, लीडर-कंट्रोलर, economy… न्यारी-उपराम
  • सबको आगे बढ़ाना, प्रशंसा-खातिरी करना… अनेक रत्नों को तैयार-वफादार-समर्पित कराना
  • 8 बहनों के प्रथम ट्रस्ट मे, बाबा की right hand, मम्मा भी राय करती, सेवा में निकली पहली बहनो में से एक… दादी के साथ सारा कारोबार संभालना (सम्पूर्ण एकता, एकमत), एडवांस पार्टी में मुख्य

सार

तो चलिए आज सारा दिन… दीदी के सभी गुणों को स्वयं में धारण कर, सदा दीदी-समान मर्यादाओं पर स्ट्रिक्ट रह सदा ज्ञान-चिन्तन वा बाबा की प्यार-भरी यादों में मग्न रह दिव्यगुणों की खान बन, सब को बाबा से जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being a great donor! | Avyakt Murli Churnings 28-07-2019

Being a great donor! | Avyakt Murli Churnings 28-07-2019

1. विधाता बाप आए है देखने कि हम मास्टर विधाता कहां तक ज्ञान, गुण (स्नेह-सहयोग, संग-सम्पर्क), शक्तियों (दृष्टि, बल देना) के विधाता बने हैं… एक बाबा से लेना और सबको हर समय-संकल्प से देना बस… ऎसे सदा सम्पन्न-पालनहार-राजवंशी सदा निःस्वार्थ, रिगार्ड का रिकॉर्ड ठीक रह, सब महान दृष्टि से देखेंगे

2. यही समय की पुकार है, अब हद की (नाम-मन-शान-स्नेह-शक्ति-रिगार्ड की) स्वार्थ-इच्छाओं से परे इच्छा-मात्रम-अविद्या सदा-सन्तुष्ट रहना है, तो इच्छाएँ परछाई समान पीछे आएँगे, जितना देंगे उतना स्वयं में बढ़ता रहेगा, प्रकृति भी देगी… हमारा नाम ही है शान्ति-सम्पत्ति देवा, वा देवता

त्रिवेणी संगम!

महाराष्ट्र अर्थात सदा सम्पन्न, महान दाता… UP अर्थात सदा प्राप्ति-स्वरूप, पतित-पावनी… डबल विदेशी सदा डबल नशे में रहने वाले (याद-सेवा का), स्वप्न में भी बाबा के गीत गाने वाले… सभी अल्लाह के स्थान में पहुँचे हैं

सेवाधारी अर्थात

1. सेवाधारी अर्थात त्याग-तपस्या द्बारा खुद भी उन्नति-शक्तिशाली बनते औरों को भी बनाते, पहले फायदा तो खुद को ही होता… सेवा में बिजी रहने से स्वतः मायाजीत-विजयी रहेंगे… सेवा का मेवा-विटामिन्स से सदा तन्दरूस्त रहेंगे

2. सेवाधारी अर्थात सदा सेवा के निमित्त, बाबा करावनहार है… तो सदा न्यारे-प्यारे, आगे बढ़ते-बढ़ाते, उड़ने वाले… सिर्फ बोलने वाले नहीं, लेकिन करने वाले, विघ्न विनाशक

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा से ज्ञान-गुण-शक्तियों के खज़ाने से सम्पन्न बन, सब को फ्राकदिल-निमित्त बन देते रहें… तो सदा भरपूर रहते-करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The beauty of point stage! | (25th) Avyakt Murli Revision 24-07-69

The beauty of point stage! | (25th) Avyakt Murli Revision 24-07-69

1. बाबा हमें बहुत छोटी बात कहते, अपने को छोटी आत्मा समझो और छोटे बाप को याद करो… यह सहज होना चाहिए, जबकि बाबा सम्मुख है… और जबकि आत्मा ही शरीर को चलाती, तो उसी के नशे में रहना है, हम बिन्दु बाप की सन्तान है, स्नेह-सम्पन्न… बाबा के नाम-रूप को भूल जाते हो, तो स्वयं के भी भूल जाते होंगे… जबकि औरों को आत्मा समझा देह-सम्बन्ध भूला सकते, तो स्वयं को तो अनुभव करा ही सकते

2. मैं बिन्दु आत्मा, बिन्दु बाप के सामने हूँ… इसी अवस्था से अव्यक्त स्थिति (व्यक्त- से परे) बनती, , इसमें लम्बा समय रह भिन्न-भिन्न रसों का अनुभव कर सकते, फिर बाबा ही हमें घर ले जाएंगे… कर्म में आते भी न्यारा-प्यारा रहने का अभ्यास करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को बिन्दु आत्मा समझ बिन्दु बाप को सामने देखते रहे, बाकी सबकुछ भूल… तो बिन्दु में सर्व गुण-शक्तियों के सिन्धु का अनुभव करते, अव्यक्त स्थिति में स्थित रह… सबकी न्यारा-प्यारा बन सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The best study! | Sakar Murli Churnings 27-07-2019

The best study! | Sakar Murli Churnings 27-07-2019

सार

हम सतोप्रधान आए थे, अब फिर से ज्ञान धारण कर देही-अभिमानी बन बाबा की याद करते (और भाई-भाई देखते), बहुत खुशी-खुशी से दुःखधाम छोड़ घर जाकर नई दुनिया में आना है, दिव्यगुण-सम्पन्न बन (हल्कापन और गुल-गुल, अर्थात हर्षित-मधुर)… तो जबकि भगवान् ऎसा दी बेस्ट पढ़ाई पढ़ाते-श्रीमत देते, तो सारा दिन बुद्धि में ज्ञान टपकता-धारण होता रहे, सब को सुनाते रहे, जो समझने होंगे वह समझेंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमको इतनी सर्वश्रेष्ठ पढ़ाई-एम ऑब्जेक्ट दी है, तो सदा बार-बार दिन में मुरली को पढ़ते-चिन्तन करते… बहुत सहज हल्की योगयुक्त आनंद-मई स्थिति में स्थित, सदा खुश-सन्तुष्ट रह, सबकी श्रेष्ठ मन्सा-वाचा-कर्मणा सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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A clear Intellect! | (24th) Avyakt Murli Churnings 23-07-69

A clear Intellect! | (24th) Avyakt Murli Churnings 23-07-69

1. बाबा 4 बातें देख रहे:

  • ताज (जिम्मेवारी का, कितना बड़ा है, सदा पहनते वा कभी-कभी… और ताज में मणियां है स्नेही, सरेण्डर -बुद्धि, एवर-रेडी)
  • तख्त (नम्रता का)
  • तकदीर-तदबीर (खुद परख सकते, तब ही औरों को परख सकते, किस रूप से उनकी तकदीर जग सकती), जिससे सेवा में सफलता मिलती (वारिस निकलते)

2. मन-बुद्धि की स्वच्छता के लिए चाहिए ब्रेक-मोड़ने की अव्यक्त शक्ति, जिससे एनर्जी बचकर जमा हो, परख-निर्णय शक्ति बढ़ती, निवारण-सामना कर प्रत्यक्षता की सफलता मिलती… परिस्थिति ठीक परखने से परिणाम ठीक रहता

3. सीधी उतरना-चढ़ना अर्थात एक सेकण्ड में मालिक (विचार देना), और एक सेकण्ड में बालक (नीर्संकल्प स्वीकार करना), जैसा समय… नहीं तो समय-शक्ति-स्नेह नष्ट होता… सब को स्वमान चाहिए, हमें अपने मान का त्याग करना है, तो सब का मान मिलेगा

4. सुनते हुए भी बिन्दु रूप में रहना है, हमें कर्म करते भी न्यारा-निराकार-अशरीरी रहना है… फिर जब चाहे बिन्दु रूप वा चलते-फिरते अव्यक्त फ़रिश्ता बन सकेंगे, अव्यक्त बल भरेगा, संकल्प ही नीचे लाता… लक्ष्य होना से समय निकलता-सफलता मिलती, नहीं तो समय वेस्ट जाता, जैसी परिस्थिति वैसा अभ्यास होना चाहिए

5. आत्म-अभिमानी बनने से स्वतः न्यारे, गुणों का अनुभव, बाबा की याद रहती… फिर कम समय में ज्यादा सफलता मिलती, हमारी प्रजा-पद प्रख्यात होंगा, फिर सारा समय औरों को देना पड़ेगा

6. कुर्सी (अर्थात तख्त) कलम (अर्थात कमल फूल) फाइल (अर्थात चार्ट) भाग-दौड (अर्थात सीधी) और पाँव (अर्थात बुद्धि जहां लगाना चाहे), एसी स्मृतियों से लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करना है, तो अवस्था भी परिवर्तन होंगी… जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख सब करेंगे… छोटों को प्यार, बड़ों को रिगार्ड देना है

7. सोने पे सुहागा करने, मधुबन में बीच-बीच में आना है संगठन में… प्रदर्शनी में नवीनता लानी है (आकर्षण के टॉपिक, सब आपेही समझे ऎसी बातें)… जो दूर भागते, उनकी भी सेवा करनी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… तो सदा ब्रेक-मोड़ने की शक्ति द्बारा स्नेही-समर्पण-स्वच्छ बुद्धि बन आत्म-अभिमानी बिंदु स्वरूप में स्थित चलते-फिरते अव्यक्त फ़रिश्ता बनकर… नम्रता से सबको सम्मान देते, परखने की शक्ति द्बारा सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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