इस स्मृति-समर्थी-ताजपोशी दिवस से मन के टाइमटेबल द्वारा भिन्न स्वमानों के स्मृति-स्वरूप बन, बाप समान अशरीरी स्थिति के अभ्यास द्वारा नष्टोमोहा फरिश्ता स्वरूप बनो | Baba Milan Murli Churnings 18-01-2021
1. आज के दिन को कहते ही हैं स्मृति दिवस। सभी के दिल में बाप के स्नेह की तस्वीर दिखाई दी, अनेक स्नेह के मोतियों की मालायें देखी। हर बच्चे के दिल में आटोमेटिक यह गीत बज रहा – मेरा बाबा, ब्रह्मा बाबा, मीठा बाबा। और बापदादा के दिल में मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे। यह परमात्म स्नेह, ईश्वरीय स्नेह सिर्फ संगमयुग पर ही अनुभव होता, सहजयोगी बना देता, आपका जन्म का आधार स्नेह है। कुछ भी करना पड़ा लेकिन स्नेह के प्लेन में सभी पहुंच गये।
2. आज के दिन को समर्थी दिवस भी कहा जाता, क्योंकि यह दिन विशेष स्नेह से समार्थियों का वरदान प्राप्त करने का दिन है। आज के दिन को ताजपोशी का दिन भी कहा जाता। ब्रह्मा बाप ने निमित्त बने हुए महावीर बच्चों को विश्व सेवा का ताज पहनाया। खुद अननोन हुए और बच्चों को विश्व सेवा के स्मृति का तिलक दिया। बच्चों को करनहार बनाया, स्वयं करावनहार बनें। अपने समान फरिश्ते रूप का वरदान देकर लाइट का ताज पहनाया।
3. जैसे अमृतवेले शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करते, वैसे कर्म में फर्क पड़ जाता। तो अपना जीवन काल समाप्त कब होना है, मालूम है? अचानक कुछ भी हो सकता। तो विश्व के डेट के संकल्प से अलबेला नहीं बनना। कब नहीं कहो, अब। मुझे एवररेडी रहना ही है। तो इतनी तैयारी सबके अटेन्शन में है? अपना कर्मों का हिसाब चुक्तू किया है? चारों ही सबजेक्ट में ऐसी तैयारी है? पूरा बेहद के वैराग्य का अनुभव चेक किया है? नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप
4. ब्रह्मा बाप ने भी स्वयं को पुरूषार्थ करके ऐसा बनाया, अचानक अशरीरी बनने का अभ्यास अशरीरी बनाकर उड़ गये। नष्टोमोहा, बच्चों के हाथ में हाथ होते कहाँ आकर्षण रही? फरिश्ता बन गये। बच्चों को फरिश्ते बनाने का तिलक दे गये। इसका कारण बहुत समय अशरीरीपन का अभ्यास रहा। कर्म करते-करते ऐसे अशरीरी बन जाते।
5. तो जो कर्मयोग में अन्तर पड़ता, कारण स्मृति में इमर्ज नहीं, मैं कौन सी आत्मा हूँ? मैं करावनहार हूँ और यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, इस सीट पर सेट है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय आर्डर में रहेगी। आपको भी चेक करना चाहिए आज विशेष मन-बुद्धि संस्कार का क्या हाल रहा? हर एक को बाप ने मास्टर सर्वशक्तिवान भव का वरदान दिया है। जब आलमाइटी अथॉरिटी का वरदान है, तो वरदान के स्थिति में स्थित रहकरके अगर आर्डर करो तो हो नहीं सकता कि आप आर्डर करो और शक्ति न मानें।
6. हर समय जो काम करते तो भी अपने मन का टाइमटेबल बनाके रखो। यह काम करते हुए मन का स्वमान क्या रहेगा? आज के दिन कौन सा लक्ष्य रखूंगा, भले भिन्न-भिन्न टाइमटेबल बनाओ। बहुत माला है स्वमान की। इतनी बड़ी माला है जो स्वमान गिनती करते जाओ और माला में समा जाओ।
7. कर लेंगे, हो जायेगा, यह अलबेलापन है। जिनको पीछे सन्देश देंगे वह भी आपको उल्हना देंगे, आपने पहले क्यों नहीं बताया तो हम भी कुछ कर लेते। मातेश्वरी जगत अम्बा सदा यह लक्ष्य रखती थी बापदादा ने जो श्रीमत, चाहे मन्सा वाचा कर्मणा दी है, वह हमें करना ही है। ऐसे पूरा वर्सा लेने वाले यही लक्ष्य बुद्धि में रखो कि अचानक एवररेडी और बहुत समय, तीनों ही शब्द साथ में याद रखो।
8. अब फोर्स का कोर्स कराओ। जो वह आत्मायें बाप के सिर्फ स्नेही-सहयोगी नहीं बनें लेकिन हर श्रीमत को पालन करने वाली, सर्व फोर्स भरने वाली समीप का रत्न बनें। क्योंकि अभी प्रकृति कोई न कोई प्रभाव दिखा रही और दिखाती रहेगी, जो ख्याल ख्वाब में बातें नहीं। आप सब तो वारिस हो ना, फुल अधिकारी। हर एक को बापदादा की यह आज्ञा – मुझे कभी शब्द नहीं कहना है। अभी-अभी, कल भी किसने देखा, आज। जो करना है वह करना ही है, सोचना नहीं।
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