Creative Song / Poem | Amritvela Song Brahma Kumaris

Creative Song / Poem | Amritvela Song Brahma Kumaris

(गीत)
अमृतवेला शुद्ध पवन ?️ है, मिलने का नया उमंग है
आँख खुली बाबा याद आया, उत्साह का फैला तरंग है
(अमृतवेला शुद्ध पवन है…)

प्रभु का मधुर निमंत्रण, साथ बैठो आमंत्रण है
संग में रंगने की वेला, सद्गुणों का मेवा ही मेवा है
जीवन में भरे सतरंग ?
(अमृतवेला शुद्ध पवन…)

खज़ानों के खुले भण्डार, सर्व प्राप्ति होती अथाह है
बाबा बैठे हैं दिव्य वरदान लुटाने, पापों को मिटाने
मन को करे सुमन ?
(अमृतवेला शुद्ध पवन…)

शक्तियां पाने की अमर वेला, है भाग्य की निर्मल वर्षा ?️
खुशियों से भरे अन्तर झोली, बांटे दिनभर मधुर बोली
धरती करती जिसे नमन
(अमृतवेला शुद्ध पवन…)


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देकर सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान – कविता

देकर सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान – कविता

(मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा)
देकर यह सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान
लुटाकर अखुट वरदानों की बौछार, जीवन बनाई आलीशान

ज्ञानामृत का मीठा सोमरस पिलाकर, मन बुद्धि किये refine
अलौकिक गुण ईश्वरीय शक्तियां बरसाकर, जीवन बनाई divine
अपनी नजरों से हमें संवारा, बनाया खुद समान
(देकर सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान)

दिखाकर हमारी दिव्य शान्ति प्रेम आनंद से सम्पन्न reality
आई बोल में मधुरता, कर्म में कुशलता, व्यवहार में royalty
साधारण से इंसान को बनाया, इस जग में महान
(देकर सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापद भाग्यवान)

बुराइयों पर कराये विन, बनाया हमे number one
दृष्टि में समाई शीतलता, संकल्पों में बहती पावन निर्मलता
पहनाकर विश्व कल्याण का ताज, पूरे कराये सबके अरमान
(देकर सर्व ख़ज़ानो की चाबी, बनाया पद्मापदा भाग्यवान)


और कविता:

ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन – कविता

ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन – कविता

ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन
हो गये तेरी यादों में लवलीन

देकर हमारी सत्य पहचान, हो गये गुण शक्तियों से धनवान
अब करते, अपनी प्राप्तियों को सदा गीन
(ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन)

पाकर तुम्हारा प्यारा परिचय, संसार हमारा बना सुखमय
अब सुना लगता, तेरे बिन
(ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन)

दिखाकर दैवी मंजिल, जीवन हमारी बनाई सौमिल
सफल हुए हमारे रात-दिन
(ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन)

दिलाकर कल्याणकारी का ज्ञान, जिंदगी ऐसी बनी आसान
सुन्दर लगता ड्रामा का हर सीन
(ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन)

शिक्षायें देकर बेमिसाल, तुने किये बड़े कमाल
अब होते हर परिस्थिति में विन
(ऐसी पिलाई ज्ञान की मीठी सैक्रीन, हो गये तेरी यादों में लवलीन)


और कविता:

स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान – कविता

स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान – कविता

क्या किस्मत है, स्वयं भगवान् बना हमारा बागवान
महक उठे दिव्यगुणों से, बने रूहे गुलाब मूल्यवान
(स्वयं भगवान्‌ बना हमारा बागवान)

प्रेम के शितल जल से है सिंचा, ज्ञान सूर्य ने अपनी शक्तियों से सवारा
देकर श्रेष्ठ धारणाओं की धरती, योग्यताएं सदा हममे है बढ़ती
अपने गुणों से बनाया शक्तिवान
(स्वयं भगवान्‌ बना हमारा बागवान)

भरके शान्ति खुशी के रंग, फैलाई दिव्यगुणों (दिव्यता) की सुगंध
ऐसी जगाई ज्ञान योग की वासधूप, निखर उठा हमारा स्वरूप
सर्व प्राप्तियों से बनाया गुणवान
(स्वयं भगवान्‌ बना हमारा बागवान)

थे कलियुगी कांटे, करके मीठी मीठी बाते
जोड़के प्यारे नाते, अब हम धन्यवाद के गीत है गाते
जबकि बनाया महान सौभाग्यवान
(स्वयं भगवान बना हमारा बागवान)


और कविता:

कविता – पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने

कविता – पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने

ऐसे पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने
विश्व में सब लगते, अपने ही भाई और बहने

देकर पावन लाइट का ताज, बनाया हमे अपने सिर का ताज
लगाकर विजय तिलक, भरी दी गुण-शक्तियां अनगिनत
दिया हमे अपने दिल में रहने, अपनी किस्मत के क्या कहने
(ऐसे पहनाए दिव्यगुणों के गहने)

पहनाकर मर्यादाऔं का कंगन, जीवन हमारा बनाया मंगल
देकर खुशियो का हार, रोज़ प्यार से किया हमे श्रृंगार 
सबकी विशेषताएं देखने के चश्मे हमने है पहने 
(ऐसे पहनाए दिव्य गुणों के गहने)

लगाकर फरिश्ते-पन का रूहानी मेक-अप, बनाया हमे दिव्य परियों सा खूबसूरत
लगाकर सर्व शक्तियों की क्रीम, जीवन हमारी बनायी हसीन
समाप्त हुए वियोग के वर्श और महीने, पूरे किए सब उल्हने
(ऐसे पहनाए दिव्यगुणों के गहने)


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कविता – शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत

कविता – शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत

शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत, ज्ञान सूरज सी है सूरत
निगाहों में समाये जब से, चमक उठी हमारी भी सूरत

श्वेत हंस सी पावन-ता, निर्मल गंगा सी शीतलता
अलौकिक फरिश्ते सी चाल, बनाती हमे सदा खुशहाल
नैनों में मधुर सौम्यता, मस्तक में तेज ललाट
देखते ही मुझमे, भर दी दिव्यगुणों की जड़त
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)

दिव्यता की आभा, प्यार दे अपना बनाने की प्रतिभा
तेरी दिव्य मुस्कान, करती सारे विश्व का आह्वान
लुटाकर अखुट वरदान, पूरी की सबकी मन्नत
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)

तेरी दिव्य शिक्षाए, स्नेह प्यार की दुआएं
तेरे मीठे बोल, ने बनाया हमे अनमोल
सिखाकर श्रेष्ठ धर्म-कर्म, जीवन हमारी बनाई जन्नत
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)


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कविता – ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन

कविता – ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन

ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन, सबको आकर्षित करता यह ईश्वरीय भवन
यहां हर कली है प्रभु प्रेम से खिली, हर फूल है गुण-शक्तियों से भरपूर

जहां नित दिन सुनते परमात्म महावाक्य, जो प्रेरित करते अनेक मनभावन काव्य
यहां बैठकर प्रभु यादों में, पाये ईश्वरीय साथ के दिव्य अनुभव लाखों
जिसकी सेवाओं की सुगंध फैलती सारे भुवन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )

यहां न जाने कितने फूल है महके, बनाया गुलदस्ता बड़ा प्यारा
सिंचकर ज्ञान अमृत से, शक्तिशाली वातावरण की धुप से है नीखारा
निर्मल प्रेम ने बनाया हमे पावन-पावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )

सेवाओं के चांस ने बनाया हमे chancellor, श्रेष्ठ भाग्य के बने हम wholesaler
जहां कण-कण में समाई योग की खुशबू, जगाती जो सदा नये आशाओं की आरजू
जिसकी महक ने जीवन में बरसाया सुख सावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )

बहनों ने देकर श्रेष्ठ धारणाओं का सबूत, बनाया हमे भी बाबा का बच्चा सपूत
ज्ञान-योग से होके स्व परिवर्तन, करेंगे हम विश्व परिवर्तन, अब यही है उमंग
मुंबई में मधुबन का माडल मिला मनभावन
(ऐसा मनमोहक हमारा प्रभु उपवन… )


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कविता – स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य

कविता – स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य

स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य
भाग्य की कलम ही दे दी, हमारे हाथों में

योग की श्रेष्ठ स्व-स्थिति से बने सम्पूर्ण स्वस्थ, मन्मनाभव ने दिलाई खुशियों की खान
ज्ञान-धन सर्वश्रेष्ठ है धन, प्रकृति भी जिनकी बनती दासी
तन-मन-धन बने सम्पूर्ण पावन
(स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य, भाग्य की कलम ही दे दी हमारे हाथों में)

एक बाबा से जोड़ सर्व सम्बंध, सुख-शान्ति की फैली दिव्य सुगंध
होलीहंसो का मिला श्रेष्ठ संग, रंग गये प्रभुयादों के रंग
अविनाशी भाग्य का मिला वरदान
(स्वयं भाग्यविधाता ने ऐसा श्रेष्ठ दिया भाग्य, भाग्य की कलम ही दे दी हमारे हाथों में)


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कविता – आया फिर से क्रिसमस मीठा

कविता – आया फिर से क्रिसमस मीठा

आया फिर से क्रिसमस मीठा, बनना हमे है किशमिश सा मीठा
लाल धाम से बना सफेद पोशधारी, लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी
मेरा सांता क्लाज बाबा…

पाया याद का जादुई कंगन, बनाता हमे सर्व दिव्यगुणों से सम्पन्न
मिली ज्ञान शक्तियों की दिव्य खान, लाके हथेली पर स्वर्ग की सौगात
हर दिन बना आनंद उत्सव, हर पल मौज भरी खुशी (लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

होके ज्ञान अमृत से लवलीन, गाए प्रभु यादों के दिव्य गीत खेले खुशियों की सदा रास, निराला ये अपना अलौकिक संसार
जीवन परिवर्तन की करी दिव्य जादुगरी
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

परम बीज का यह सुन्दर मनुष्य झाड़, जिसके हम है दिव्य तना
सजाना सुखशान्ति से हर शाखा, गुण-विशेषता से चमके हर पत्ता
सारा कल्प सब रहे सौभाग्यशाली
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)

अंधियारा बदल लाना दिव्य सवेरा, आनंद का हो मौसम सदा सुहाना
फरिश्ता बन जोड़े सबका प्रभु से रिश्ता, सबके दिल में समाये प्रेम और एकता
बड़ा दिन बने सबकी सारी जिंदगानी
(लाया स्वर्णिम सौगातें ढेर सारी… मेरा सांता क्लाज बाबा)


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कविता – ऐसा श्रेष्ठ और सुन्दर मिला ईश्वरीय जीवन

कविता – ऐसा श्रेष्ठ और सुन्दर मिला ईश्वरीय जीवन

ऐसा श्रेष्ठ और सुन्दर मिला ईश्वरीय जीवन
सुगंधित है मन, परमात्म प्यार से भरा अन्तर्मन
पाके तुझको प्यारे ते प्यारा, सम्पूर्ण जीवन है नीखरा

दृष्टि में समाई शुद्ध निर्मलता, वृत्ति में सबके लिए है शुभ कामना
बोल में महकाया शीतल माधुर्य, कर्म बने अलौकिक और दिव्य
दिव्यगुणों से श्रृंगारकर, हमारा मीठा दिव्य रूप है सजाया
(पाके तुझको प्यारे ते प्यारा, सम्पूर्ण जीवन है नीखरा)

जहां साथी मिला स्वयं भगवान्‌, बनाता हमे बेहद भाग्यवान
जहां उन्नति होती हर पल, बढ़ता हममे सदा आत्म-बल
कल्प-कल्प का हुआ सौदा, पाना था वह सबकुछ है पाया
(पाके तुझको प्यारे ते प्यारा, सम्पूर्ण जीवन है नीखरा)

श्वासों-श्वास में कृतज्ञता के स्वर, हर धड़कन रंगा आभारों के रंग
दिल सदा गाता धन्यवाद तेरा, अब यह जीवन ही हुआ तेरा
तुझसे संसार का सब सुख है पाया, तू ही तो सदा मुझको है लुभाया
(पाके तुझको प्यारे ते प्यारा, सम्पूर्ण जीवन है नीखरा)


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