परमात्मा के 108+ विभिन्न टाइटल | List of 108+ names of God

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परमात्मा के 108+ विभिन्न टाइटल | List of 108+ names of God

सहजयोग का एक बहुत सुन्दर अभ्यास है, बाबा के भिन्न भिन्न titles को याद करना… तो आज 111 परमात्मा के titles देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं!

परमात्मा के नाम

  • परमात्मा, भगवान, शिव
  • अल्लाह, खुदा, God, Godfather, Lord, Jehovah
  • प्रभु, ईश्वर, रब, मौला, एकओमकार
  • अमरनाथ, सोमनाथ, बबूलनाथ
  • रामेश्वर, गोपेश्वर, पापकटेश्वर, महाकालेश्वर
  • पशुपतिनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ

परमात्मा के गुण

  • ज्ञान सागर, ज्ञान सूर्य, knowledgeful, त्रिकालदर्शी
  • पवित्रता का सागर, पवित्रता का सूर्य, ever-pure, भोलानाथ
  • शान्ति का सागर
  • प्रेम का सागर, दिलाराम, दिलवर, रहमदिल (Merciful), दयालु, कृपालु
  • सुख का सागर, सुखदाता, सुखकर्ता दुखहर्ता
  • आनंद का सागर, सत-चित-आनंद स्वरूप, Blissful
  • शक्तियों का सागर, सर्वशक्तिवान, Almighty Authority, सर्व समर्थ
  • परम सत्य, Truthful, सतनाम, सत्यम शिवम सुन्दरम
  • अभोक्ता, अकालमूर्त, निर्भय, निर्वैर

परमात्मा का कर्तव्य

  • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप, विश्व का रचयिता , ब्रह्माण्ड का मालिक, सदा जागती ज्योत, विदेही, अशरीरी
  • Liberator, Guide, पण्डा
  • उस्ताद, बागवान, माली, खीवैया
  • दाता, विधाता, वरदाता, भाग्यविधाता
  • मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता, गति-सद्गति दाता
  • ऊंच ते ऊंच, बापों का बाप, पतिओं का पति, श्री श्री, बुद्धिवानों को बुद्धि
  • दीपराज, रत्नागर, जादूगर, सौदागर
  • गीता ज्ञान दाता, मुरलीधर, योगेश्वर, महादेव, भक्त वत्सलम्
  • करनकरावनहार, कर्तापुरूष

परमात्मा से सम्बन्ध

  • परमपिता परमात्मा, रूहानी बाप, Supreme Teacher, परम सतगुरु
  • बेहद की माँ, खुदा dost, शिव बालक
  • रूहानी माशूक, रूहानी प्रीतम, साजन, साथी
  • Supreme Surgeon, बड़ा भाई, रक्षक
  • धोबी, सोनार, जौहरी, रूहानी चुम्बक

और नाम

  • ऊपरवाला

सार (List of 108+ names of God)

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को विभिन्न titles के आधार से याद करते हुए, खुशियों और आनंद से भरपूर रहे… और रोज नई नई रीति से, नए titles के आधार से बाबा को याद करते हुए, अपने याद के चार्ट को बढ़ाते जाए!… ओम् शान्ति!


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सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता | The Virtues of Contentment, Unity & Humility | Avyakt Murli Churnings 23-12-2018

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सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता | The Virtues of Contentment, Unity & Humility | Avyakt Murli Churnings 23-12-2018

अज बाबा ने मुरली सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता पर मुख्य चलाई है!

सभी गुणों का राजा, सन्तुष्टता!

सन्तुष्टता से अनेक प्राप्तियां हैं:

  • सन्तुष्टता, रूहानियत (अर्थात soul-consciousness, शान्ति प्रेम और आनंद की निरन्तर अनुभूति) की सहज विधि है
  • जहां सन्तुष्टता है, वहां सभी विशेषताएं, खाझाने और प्राप्तियां स्वतः आती है
  • सन्तुष्टता से प्रसन्नता स्वतः आती है
  • निर्संकल्प रहते, स्थिति एकरस रहती, विजयी रहते
  • स्वमान में सहज स्थिति हो सकते, बेफिक्र बादशाह बनते, और सभी हद के मेरेपन के चक्रों से मुक्त हो स्वदर्शन चक्रधारी बन जाते हैं!
  • बाबा के दिलतख्तनशीन, श्रेष्ठ स्मृति के तिलकधारी, और विश्व सेवा के ताजधारी सहज बन जाते!
  • महादानी, वरदानी, विश्व कल्याणकारी बन सकते हैं
  • ब्राह्मण जीवन का जियदान, उन्नति का सहज साधन है
  • ज्ञान के सब्जेक्ट का प्रत्यक्ष प्रमाण (practical proof) है!

सन्तुष्टता का certificate लेना है… स्वयं से, बाप से, और परिवार से… इसके लिए अभी भी थोड़ा समय है!

सफलता का सहज साधन, एक दो को आगे बढ़ाना!

एक दो को आगे तब बढ़ा पाएंगे, जब:

  • आपस में स्नेह होगा
  • एकता का गुण होगा
  • विशेषताओं का चश्मा पहना होगा, अर्थात सबकी विशेषताएं देखना… कमी होते हुए भी वर्णन नहीं करना, बल्कि शुभ भावनाओं का दान देते रहना… जैसे बाबा करते!

निर्मानता की महानता!

निर्मानता का आधार निमित्त भाव है (अर्थात यह स्मृति की करन-करावन्हार बाबा है)… और निर्मानता से बहुत प्राप्तियां हैं:

  • जो निर्मान है, वही नव-निर्माण का कार्य कर सकते हैं
  • महान बन सकते, निरहंकारी बन जाते हैं, हल्के रहते
  • रोब से मुक्त हो, रूहानियत में स्थित कराता
  • शुभ-भावना वा शुभ-कामना सहज ले और दे सकते, सच्चे सेवाधारी और सभ्यता की निशानी है, सब अनुभव करे को यह हमारा है!
  • सुखदाई बनाता, सबके दिल की दुआएं प्राप्त कराता है, सेवा की सफलता का सहज साधन है, सदाकाल का विजयी बनाता है
  • निर्मानता ही सच्चा स्वमान है, जिससे औरों का भी सम्मान मिलता है, सब दिल से झुकते हैं!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सन्तुष्टमणि रहकर, ब्रह्मा बाप समान निर्मान बन सबको आगे बढ़ाते रहे… जिससे हम खुद बाबा के दिलतख्तनशीन बन सर्व प्राप्तियों के झूले में झूलते रहते!… ओम् शान्ति!

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Sakar Murli Churnings 22-12-2018

Sakar Murli Churnings 22-12-2018

भगवान की यह पढ़ाई प्रत्यक्षफल (अर्थात मनुष्य से देवता, 21 जन्मों के लिए बनाने) वाली है… इसलिए, अशरीरी बन बहुत प्यार से बाबा को याद करना है (और बाबा से बातें भी करनी है!)… उस पर बलिहार जाना है, नष्टोमोहा बनना है… सेवा भी जरूर करनी है!

ओम् शान्ति!

शिवबाबा की याद में कैसे टिके | Stabilising in God’s remembrance | Sakar Murli Churnings 21-12-2018

शिवबाबा की याद में कैसे टिके | Stabilising in God’s remembrance | Sakar Murli Churnings 21-12-2018

आज का wonderful रात्रि क्लास!

सिर्फ एक बाप को याद करना अव्यभिचारी याद हैं, औरों को याद करने से याद व्यभिचारी हो जाती है… और हमारा लक्ष्य है एक की याद में रहना, इसलिए जब भी हमारी बुद्धि और तरफ भटके, तो बाबा ने आज 15 स्मृतियाँ दिलाई जिससे फिर से हम बाबा की याद में टिक जाएं!

  • बाबा हमें विश्व का मालिक बनाते, पतित से पावन बनाते, ज्ञान का सागर है… ऎसे wonderful बाप को कैसे भूल सकते हैं!
  • हमारा वायदा है, मेरा तो एक… भक्ति में भी कहते थे, जब आप आएंगे तो आप की ही याद में रहेंगे… उसमें ही फायदा है, और सब में नुकसान है
  • बाप की याद से पाप कटते है, हम दैवी dynasty में जाएँगे, दैवी सम्बन्धी मिलेंगे… बाबा की श्रीमत है ‘मामेकम् याद करो’, औरों को याद करना ठगी है!
  • नई दुनिया आ रही है, जिसके लिए पवित्रता चाहिए, जो योग से ही बढ़ती है!… अभी याद करेंगे तो, कल्प कल्प की श्रेष्ठ नूंढ़ हो जाएगी!
  • हमारी लगन एक बाप से हैं!

और भी कई संकल्प हैं:

  • बैठकर योग करने लिए समय निर्धारित करना है, भल 10-15 मिनट के लिए… और उस समय दूसरी बात याद आए, तो उसको 10 मिनट बाद सोचेंगे!
  • सहजयोग की भिन्न भिन्न विधि use करे, जैसेकि:
    • बाबा से बातें करे… पत्र लिखे
    • बाबा के भिन्न भिन्न titles याद करे
    • बापदादा (शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त शरीर में) को याद करें
  • जैसे अर्जुन को सिर्फ चिड़िया को आंख दिखाई दी… हमें भी शिव पिता बिन्दु ही दिखाई देता!

और बाबा ने कहा यदि योग बढ़ाना चाहते हो, तो:

  • योग में बैठो… तो मेहनत करनी है, attention रखना है, कि बुद्धि इधर-उधर न जाए… फिर यह अभ्यास सहज हो जाएगा, और हम शान्ति प्रेम और आनंद के झूले में झूलते रहेंगे!
  • अपनी डायरी (chart) रखना है, कि हम कितना समय बाबा की याद में रहते हैं?

यह रात्रि क्लास ब्रह्मा बाप के सम्पूर्ण होने के 6 दिन पहले चली थी… तो हम देख सकते कि शिवबाबा कितनी wonderful रीति से ब्रह्मा बाबा को तैयार कर रहे हैं, और ब्रह्मा बाबा का पुरुषार्थ भी कितना ऊंचा स्तर पर चल रहा था!… हमें भी ऎसा श्रेष्ठ पुरुषार्थ करना है!

आज के अन्य पॉइन्ट्‍स

  • शुभ काम में देरी नहीं करनी है… अपने भाई-बहनों को ठोक्कर खाने से बचाना है… ज्ञान की भूं-भूं करते रहना है!
  • हम निश्चयबुद्धि बच्चे हैं, ईश्वरीय संप्रदाय, जो बाबा से राजयोग सीख रहे हैं… और फिर बाबा के पास जाकर, हमारा अगला जन्म नई दुनिया में होगा!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बार-बार योग में बैठकर अपनी बुद्धि की लिंक बाबा से जोड़ने रखने का पुरुषार्थ करे… ऎसे कुछ समय के Attention से, योग में रहने का हमारा संस्कार बन जाएगा, और हम सदा के लिए शान्ति प्रेम और आनंद से भरपूर होते रहेंगे!… ओम् शान्ति!

56 दिव्यगुणों की लिस्ट | List of 56 Divine Virtues

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56 दिव्यगुणों की लिस्ट | List of 56 Divine Virtues

हमारा लक्ष्य है मनुष्य से देवता (अर्थात सर्वगुण सम्पन्न) बनना… तो आज 56 दिव्यगुणों की लिस्ट देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं!

सबके प्रिय गुण! 

  • संतुष्टता, प्रसन्नता, हर्षितमुखता 
  • मधुरता, शीतलता, धैर्यता
  • सरलता, स्वच्छता, नम्रता
  • निमित्त भाव, निर्मान भाव, निर्मल वाणी, निःस्वार्थ भाव
  • उमंग, उत्साह, रमणीकता

आत्मा के अनादि गुण

  • दिव्यता, ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति

और गुण! 

  • गंभीरता, सत्यता, निर्भयता
  • दृढ़ता, सहनशीलता
  • आज्ञाकारी, वफादार, फरमानवरदार, ईमानदार, सपूत 
  • एकांतप्रिय, अंतर्मुखी, एकाग्र-चित
  • एकरस, अचल, अडोल 
  • एकव्रता, एकनामी, व्यर्थ से economy, एकता
  • स्वमान में रहना, औरों को सम्मान देना 
  • स्वचिंतक, शुभचिंतक, गुण-ग्राही दृष्टि
  • अथक, एवररेडी, आल-राउंडर 
  • निश्चयबुद्धि, बेफिक्र, समर्पण भाव, परोपकारी

सार 

बाबा साजन बनकर हमें इन सभी दिव्यगुणों से श्रृंगारने आए हैं… तो चलिए आज सारा दिन, योगयुक्त रहकर इन सभी गुणों का अनुभव करते रहें… जिससे स्वतः इन दिव्यगुणों की खुशबू चारों ओर फैलती रहेगी, और सबका जीवन सुखमय और शान्तिमय बनता जाएगा… ऎसे सहज ही ये संसार स्वर्ग बन जाएगा!… ओम् शान्ति! 


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God, the most humble| भगवान सबसे निरहंकारी है | | Sakar Murli Churnings 20-12-2018

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God, the most humble| भगवान सबसे निरहंकारी है | Sakar Murli Churnings 20-12-2018

कितना मीठा, कितना प्यारा! 

बाबा ने कहा मैं तुमसे अपनी पूजा नहीं करा सकता, क्योंकि:

  • में तुम्हारा most obedient servant हूँ… तुम मेरे मालिक हो 
  • मैं तो तुम्हें नमस्ते करता हूँ… निरहंकारी हूँ 
  • में सदा दाता हूँ… कुछ भी लेता नहीं हूँ 
  • मेरे तो पैर ही नहीं! 
  • तुम विश्व के मालिक बनने वाले हो… बाप समान बनते हो 
  • तुम खुद पूज्य बनते हो, सालिग्राम और देवता रूप मे तुम्हारी डबल पूजा होती है… क्योंकि तुम पवित्र बन, रूहानी सोशल वर्कर बन भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करते हो!
  • माया ने तुम्हें बहुत तंग किया है, और भी बहुत दुःख आने है 

और भी कुछ पॉइंट्स हैं:

  • आधाकल्प बच्चे भक्ति करते थक गए हैं 
  • बाबा हमसे सच्चा प्यार करते… हमको मेहनत करते नहीं देख सकते 
  • बाबा हमें बहुत ऊंची दृष्टि से देखते हैं! 
  • बाबा ज्ञान का सागर है, इसलिए हमे सिर्फ यथार्थ पुरुषार्थ कराते हैं… अर्थात अपने को आत्मा समझ बाप को यथार्थ रीति याद करना हैं, इसमें सब कुछ आ जाता है 
  • वह चाहता है, कि उसके सारे गुण हम अपने में ग्रहण करे, सिर्फ पूजा नहीं! 

आज के अन्य पॉइन्ट्‍स 

  • सतयुग में हम पारसबुद्धि होते हैं, निरोगी रहते हैं, और सम्पूर्ण सुख होता है 
  • हम बाबा की गोद में है… बाबा हमें ज्ञान, गुण, शक्तियों से रॉयल पालना कर रहे हैं… इससे हम छोटी छोटी समस्याएं तो क्या, विनाश के दर्दनाक सीन को भी सहज क्रॉस कर लेंगे! 
  • आज का गीत, निर्बल से लड़ाई बलवान की ये कहानी है दिये की और तूफान की, बहुत अच्छा है.. इसे पूरा अवश्य सुने (Brahma Kumaris Official Madhuban Murli App द्वारा!) 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… ऎसे मीठे निरहंकारी बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहें, और उनके गुण और शक्तियों से भरपूर रहे… जिससे हम सभी दुखों के प्रभाव से पार, अतिन्द्रीय सुख की झूले में झूलते रहें!… ओम् शान्ति! 

कलियुग के विभिन्न नाम | Names of Kaliyuga, Iron Age, Old World, Hell

कलियुग के विभिन्न नाम | Names of Kaliyuga, Iron Age, Old World, Hell

आज कलियुग के 23 नाम देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं… ताकि इस पुरानी दुनिया से हमारा लगाव (जो कि दुःख का कारण है) सहज कम हो… और हमारे संकल्प, स्थिति और vibrations से हम अपने और सबके लिए सतयुगी वातावरण बनाते जाए! 

समय से सम्बंधित नाम

  • कलियुग
  • Iron Age
  • पुरानी दुनिया
  • बेहद की रात
  • ब्रह्मा की रात 

धर्मों में दिए गए नाम

  • नर्क
  • दोझक
  • Hell 

कैसी है यह दुनिया?

विकारी दुनिया

  • वैश्यालय
  • विषय सागर
  • विषय वैतरणी नदी
  • पतित दुनिया 

आसुरी दुनिया

  • रावणराज्य
  • कंसपुरी
  • पाप आत्माओं की दुनिया
  • भ्रष्टाचारी दुनिया

दुःख की दुनिया 

  • दुःखधाम
  • शोक वाटिका
  • कांटों का जंगल
  • मृत्युलोक
  • कब्रिस्तान 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा की मीठी यादों में झूलते रहे, और इतनी ऊँची शान्ति प्रेम और आनंद से भरपूर स्थिति में स्थित रहे, कि सहज हमारी बुद्धि पुरानी दुनिया से उपराम रहे… और हर कदम हमारी स्थिति और vibrations द्वारा सतयुग बनता जाए! … ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | I’m a Brahmin Soul | मैं ब्राह्मण आत्मा हूँ

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योग कमेंटरी | I’m a Brahmin Soul | मैं ब्राह्मण आत्मा हूँ

मैं ब्राह्मण हूँ… ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण… सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल भूषण

मैं भगवान की पालना में पलने वाली… सारे कल्प में सबसे पद्मपडम भाग्यशाली आत्मा हूँ… देवता बनने वाली हूँ

भगवान ने मुझे सम्पूर्ण सत्य ज्ञान दे दिया है… त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री, त्रिलोकिनाथ बना दिया है

मैं ब्रह्ममुहुर्त में उठ, ब्रह्मलोक की सैर करने वाली आत्मा हूँ… ब्रह्मा-ज्ञान (मुरली) सुनने और सुनाने वाली… ब्रह्मा भोजन खाने वाली आत्मा हूं 

में ब्रह्मा-चारी आत्मा हूँ… ब्रह्मा बाप के हर कदम पर कदम रखने वाली…

बाबा की मददगार आत्मा हूँ, विश्व कल्याणकारी हूँ… बाबा के ज्ञान यज्ञ को संभालने वाली सच्ची ब्राह्मण आत्मा हूँ… यज्ञ स्नेही, यज्ञ सहयोगी, यज्ञ रक्षक हूँ 

बाबा सदा मेरे साथ है… मैं बाबा की, बाबा मेरा… ओम् शान्ति! 

Winning the prize of Satyuga | स्वर्ग की प्राइज़ लेने की सहज विधि | Sakar Murli Churnings 18-12-2018

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Winning the prize of Satyuga | स्वर्ग की प्राइज़ लेने की सहज विधि | Sakar Murli Churnings 18-12-2018

परमात्मा का सत्य परिचय 

परमात्मा ऊंच ते ऊंच है… उनका नाम और धाम भी ऊंच ते ऊंच है… महिमा अपरमपार है… वह खुद आकर अपना सत्य परिचय देते हैं:

  • नाम है शिव 
  • रूप है निराकार ज्योति बिन्दु स्वरूप (स्टार मिसल) 
  • देश है परमधाम… वह जन्म-मरण रहित है
  • गुण है… ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों का सागर
  • कर्तव्य है… ब्रह्मा मुख द्वारा राजयोग का ज्ञान सुनाकर, पतितों को पावन (अर्थात मनुष्य से देवता) बनाकर, कलियुग को सतयुग बनाना… अर्थात नई सृष्टि की रचना करता, इसलिए उसे रचता वा मनुष्य सृष्टि का बीजरूप कहा जाता है 
  • कब आते हैं… जब सारी दुनिया पतित हो जाती है, धर्म की अति ग्लानि हो जाती है, कलियुग का अंत होता है 
  • आते हैं भारत में… भारत ही सबसे पुराना अविनाशी खण्ड है, जहां देवताएं निवास करते थे
  • उनसे हमारे सर्व सम्बन्ध हैं… अर्थात वह हमारा माता, पिता, शिक्षक, सतगुरू, सखा, साजन, सर्जन, बच्चा, आदि सब है 

सबसे बड़ी prize!

बाबा सबसे बड़ी prize, स्वर्ग की प्राइज़ देते हैं… उन बच्चों को जो:

  • पवित्र बनते हैं
  • अशरीरी बन, बाप को याद करते है 
  • स्वदर्शन चक्र घुमाते हैं… अपने स्वीट घर और स्वीट राजधानी को याद करते हैं 
  • सेवा करते हैं (अर्थात बाप के रचे हुए इस रुद्र ज्ञान यज्ञ की सच्ची दिल से संभाल करते हैं) 

हम रूहानी warriors (योद्धा) है… जो योगबल से माया पर विजय प्राप्त कर, फिर से अपना स्वराज्य प्राप्त करते हैं… जिससे सदा शान्ति, प्रेम और आनंद के झूले में झूलते रहते हैं… इसके लिए इस पुरानी दुनिया (कब्रिस्तान) से दिल भी हटानी है

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के सत्य परिचय के आधार पर उसकी मीठी यादों में रहे… और हर कदम उसकी श्रीमत पर चल फिर से अपना सुख-शान्ति का स्वराज्य प्राप्त कर ले… ओम् शान्ति! 

Making our Time Successful | अपना समय सफल करें | Sakar Murli Churnings 17-12-2018

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Making our Time Successful | अपना समय सफल करें | Sakar Murli Churnings 17-12-2018

  • यह पढ़ाई है मनुष्य से देवता बनने की… यही पढ़ाई का समय है, फिर सब परिवर्तन हो जाएगा… इसलिए गफलत नहीं करनी है, टाईम वेस्ट नहीं करना है
  • ब्रह्मा बाप समान सब कुछ सफल करना है, भगवान का मददगार बनना है… और सच्ची सेवा तब कहेंगे जब यह ख्याल भी न आए की मैंने दिया… हम जो भी करते अपने लिए करते, हमारा भाग्य बनता… शिवबाबा तो दाता है, उनका यज्ञ चल रहा है और चलता रहेगा
  • इतने सब साधु-महात्मा होते भी सृष्टि की यह हालत क्यूँ?… क्योंकि बाप सिवाए कोई भी 100% आत्म-अभिमानी नहीं है… इसलिए बाप की श्रीमत पर सदा चलते रहना है:
    • पवित्रता बढ़ाने का पुरुषार्थ करना है
    • आत्म-अभिमानी लम्बा समय रहना है
    • याद, पढ़ाई और सेवा में अपना समय सफल करना है 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… अपने हर सेकंड, श्वांस, संकल्प को ज्ञान चिंतन, याद और सेवा में सफल करे… जिससे स्वतः हमारी श्रेष्ठ स्थिति रहेगी, औरों का कल्याण होता रहेगा… अर्थात हमारा वर्तमान और भविष्य भाग्य दोनों श्रेष्ठ बनता जाएगा… ओम् शान्ति!