आत्मा और शरीर के 55 सम्बन्ध | 55 Differences between Body and Soul

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आत्मा और शरीर के 55 सम्बन्ध | 55 Differences between Body and Soul

आत्म अभिमानी (soul conscious) बनने के लिए आत्मा और शरीर का सम्बन्ध (वा अन्तर) अच्छे से समझना बहुत आवश्यक है… तो आज 55 पॉइन्ट्‍स आत्मा और शरीर के अन्तर पर देखते हैं!

आत्मा और शरीर का मुख्य अन्तर

  • मैं आत्मा हूँ, यह मेरा शरीर है
  • मैं रूहानी हूँ, शरीर जिस्मानी है
  • मैं एक हूँ, शरीर अनेक लिए हैं
  • मैं ऊपर से आई हूँ, शरीर यहाँ बना है
  • मैं सूक्ष्म हूँ, शरीर स्थूल है
  • मैं चैतन्य हूँ, शरीर जड़ है
  • मैं निराकार हूँ, शरीर साकार है
  • मैं बिन्दी हूँ, शरीर बड़ा है
  • मैं हल्की हूँ, शरीर का वज़न है
  • मैं ऊर्जा हूँ, शरीर 5 तत्वों से बना है
  • मैं शक्ति (पुरुष) हूँ, शरीर प्रकृति है
  • मैं अजर हूँ, शरीर बूढ़ा होता है
  • मैं अमर हूँ, शरीर की मृत्यु होती है
  • मैं अविनाशी हूँ, शरीर विनाशी है
  • मैं शाश्वत (permanent) हूँ, शरीर temporary है

शरीर है निवास स्थान

  • मैं मकान मालिक हूँ… शरीर मकान है
  • मैं मूर्ति हूँ… शरीर मन्दिर है
  • मैं लाइट हूँ, शरीर house है (अर्थात साथ में light house)
  • मैं मेहमान हूँ, शरीर temporary address है
  • मैं actor हूँ, शरीर costume (चोला) है
  • मैं showpiece हूँ, शरीर showcase है
  • मैं हीरा हूँ, शरीर डिब्बी है
  • मैं अमूल्य हूँ, शरीर का फिर भी मूल्य है
  • मैं फूल हूँ, शरीर गमला है
  • मैं गुणवान हूँ, शरीर जैसे कि निर्गुण है
  • मैं ज्योति हूँ, शरीर मिट्टी का दीपक है
  • मैं पंछी हूँ, शरीर घोसला है

शरीर है वाहन और instrument (यंत्र)

  • मैं driver हूँ, शरीर car है
  • मैं सारथी (वा रथी) हूँ, शरीर रथ है
  • मैं करावनहार हूँ, शरीर करनहार है
  • मैं राजा हूँ, कर्मेन्द्रीयां मन्त्री है
  • मैं सेठ हूँ, कर्मेन्द्रीयां कर्मचारी है
  • मैं मालिक हूँ, कर्मेन्द्रीयां नौकर-चाकर है
  • मैं user हूँ, शरीर साधन (मोबाइल आदि) है
  • मैं programmer हूँ, शरीर computer है
  • मैं operator हूँ, शरीर robot है
  • मैं बिजली हूँ, शरीर यंत्र है
  • मैं दृशता हूँ, आँखें खिड़की है
  • मैं speaker हूँ, मुख mic हैं
  • मैं सुनने वाला हूँ, कान sound-receiver हैं

भ्रूकुटी में विराजमान

  • मैं राजा हूँ… भ्रूकुटी अकाल-तख्त है
  • मैं योगी हूँ… भ्रूकुटी कुटिया है
  • मैं तपस्वी हूँ… भ्रूकुटी गुफा है

और पॉइंट्स

  • मैं आत्मा rocket हूँ
  • मैं स्टार (सितारा) हूँ
  • मैं तिलक-स्वरूप हूँ

शरीर से ममत्व मिटाने लिए

  • शरीर पुरानी जुत्ती है
  • शरीर मिट्टी है
  • शरीर सर्प है, मैं उसके सिर पर मणि हूँ
  • शरीर दूम्ब है
  • शरीर मुर्दा है
  • शरीर पुराना, विकारी, तमोप्रधान, जड़जड़िभूत है

इस लिस्ट से प्राप्ति

  • इन सभी पॉइन्ट्‍स को एक के बाद एक दोहराने से… बहुत अच्छी आत्म-अभिमानी स्थिति बनती है!
  • सारा दिन नैचुरल देही-अभिमानी स्थिति रहतीं हैं
  • सेकंड में अशरीरी बन सकते हैं
  • देह-भान से बचे रहते हैं
  • पुरुषार्थ मैं नवीनता मिलती है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन सभी points को स्मृति में रख नैचुरल आत्म-अभिमानी स्थिति (अर्थात शान्ति, प्रेम और आनन्द के निरन्तर अनुभव!) में स्थित रहे… जिससे हमारा बाबा से कनेक्शन भी मजबूत रहेगा, और हम सबके साथ इन गुणों का अनुभव बांटते रहेंगे… जिससे सहज ही यह संसार स्वर्ग बन जाएगा… ओम् शान्ति!


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सहजयोग का एक बहुत सुन्दर अभ्यास है, बाबा के भिन्न भिन्न titles को याद करना… तो आज 111 परमात्मा के titles देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं!

परमात्मा के नाम

  • परमात्मा, भगवान, शिव
  • अल्लाह, खुदा, God, Godfather, Lord, Jehovah
  • प्रभु, ईश्वर, रब, मौला, एकओमकार
  • अमरनाथ, सोमनाथ, बबूलनाथ
  • रामेश्वर, गोपेश्वर, पापकटेश्वर, महाकालेश्वर
  • पशुपतिनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ

परमात्मा के गुण

  • ज्ञान सागर, ज्ञान सूर्य, knowledgeful, त्रिकालदर्शी
  • पवित्रता का सागर, पवित्रता का सूर्य, ever-pure, भोलानाथ
  • शान्ति का सागर
  • प्रेम का सागर, दिलाराम, दिलवर, रहमदिल (Merciful), दयालु, कृपालु
  • सुख का सागर, सुखदाता, सुखकर्ता दुखहर्ता
  • आनंद का सागर, सत-चित-आनंद स्वरूप, Blissful
  • शक्तियों का सागर, सर्वशक्तिवान, Almighty Authority, सर्व समर्थ
  • परम सत्य, Truthful, सतनाम, सत्यम शिवम सुन्दरम
  • अभोक्ता, अकालमूर्त, निर्भय, निर्वैर

परमात्मा का कर्तव्य

  • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप, विश्व का रचयिता , ब्रह्माण्ड का मालिक, सदा जागती ज्योत, विदेही, अशरीरी
  • Liberator, Guide, पण्डा
  • उस्ताद, बागवान, माली, खीवैया
  • दाता, विधाता, वरदाता, भाग्यविधाता
  • मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता, गति-सद्गति दाता
  • ऊंच ते ऊंच, बापों का बाप, पतिओं का पति, श्री श्री, बुद्धिवानों को बुद्धि
  • दीपराज, रत्नागर, जादूगर, सौदागर
  • गीता ज्ञान दाता, मुरलीधर, योगेश्वर, महादेव, भक्त वत्सलम्
  • करनकरावनहार, कर्तापुरूष

परमात्मा से सम्बन्ध

  • परमपिता परमात्मा, रूहानी बाप, Supreme Teacher, परम सतगुरु
  • बेहद की माँ, खुदा dost, शिव बालक
  • रूहानी माशूक, रूहानी प्रीतम, साजन, साथी
  • Supreme Surgeon, बड़ा भाई, रक्षक
  • धोबी, सोनार, जौहरी, रूहानी चुम्बक

और नाम

  • ऊपरवाला

सार (List of 108+ names of God)

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को विभिन्न titles के आधार से याद करते हुए, खुशियों और आनंद से भरपूर रहे… और रोज नई नई रीति से, नए titles के आधार से बाबा को याद करते हुए, अपने याद के चार्ट को बढ़ाते जाए!… ओम् शान्ति!


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हमारा लक्ष्य है मनुष्य से देवता (अर्थात सर्वगुण सम्पन्न) बनना… तो आज 56 दिव्यगुणों की लिस्ट देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं!

सबके प्रिय गुण! 

  • संतुष्टता, प्रसन्नता, हर्षितमुखता 
  • मधुरता, शीतलता, धैर्यता
  • सरलता, स्वच्छता, नम्रता
  • निमित्त भाव, निर्मान भाव, निर्मल वाणी, निःस्वार्थ भाव
  • उमंग, उत्साह, रमणीकता

आत्मा के अनादि गुण

  • दिव्यता, ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति

और गुण! 

  • गंभीरता, सत्यता, निर्भयता
  • दृढ़ता, सहनशीलता
  • आज्ञाकारी, वफादार, फरमानवरदार, ईमानदार, सपूत 
  • एकांतप्रिय, अंतर्मुखी, एकाग्र-चित
  • एकरस, अचल, अडोल 
  • एकव्रता, एकनामी, व्यर्थ से economy, एकता
  • स्वमान में रहना, औरों को सम्मान देना 
  • स्वचिंतक, शुभचिंतक, गुण-ग्राही दृष्टि
  • अथक, एवररेडी, आल-राउंडर 
  • निश्चयबुद्धि, बेफिक्र, समर्पण भाव, परोपकारी

सार 

बाबा साजन बनकर हमें इन सभी दिव्यगुणों से श्रृंगारने आए हैं… तो चलिए आज सारा दिन, योगयुक्त रहकर इन सभी गुणों का अनुभव करते रहें… जिससे स्वतः इन दिव्यगुणों की खुशबू चारों ओर फैलती रहेगी, और सबका जीवन सुखमय और शान्तिमय बनता जाएगा… ऎसे सहज ही ये संसार स्वर्ग बन जाएगा!… ओम् शान्ति! 


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आज कलियुग के 23 नाम देखते हैं, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं… ताकि इस पुरानी दुनिया से हमारा लगाव (जो कि दुःख का कारण है) सहज कम हो… और हमारे संकल्प, स्थिति और vibrations से हम अपने और सबके लिए सतयुगी वातावरण बनाते जाए! 

समय से सम्बंधित नाम

  • कलियुग
  • Iron Age
  • पुरानी दुनिया
  • बेहद की रात
  • ब्रह्मा की रात 

धर्मों में दिए गए नाम

  • नर्क
  • दोझक
  • Hell 

कैसी है यह दुनिया?

विकारी दुनिया

  • वैश्यालय
  • विषय सागर
  • विषय वैतरणी नदी
  • पतित दुनिया 

आसुरी दुनिया

  • रावणराज्य
  • कंसपुरी
  • पाप आत्माओं की दुनिया
  • भ्रष्टाचारी दुनिया

दुःख की दुनिया 

  • दुःखधाम
  • शोक वाटिका
  • कांटों का जंगल
  • मृत्युलोक
  • कब्रिस्तान 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा की मीठी यादों में झूलते रहे, और इतनी ऊँची शान्ति प्रेम और आनंद से भरपूर स्थिति में स्थित रहे, कि सहज हमारी बुद्धि पुरानी दुनिया से उपराम रहे… और हर कदम हमारी स्थिति और vibrations द्वारा सतयुग बनता जाए! … ओम् शान्ति!


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बाबा हमें बहुत ऊंची दृष्टि से देखते हैं… इस आधार से बाबा हमारे लिए जो भी शब्द उच्चारते, वह हमारे स्वमान बन जाते हैं!

तो आपके लिए, बाबा के दिए हुए 191 स्वमानों की लिस्ट तैयार की है, पुरुषार्थ को अति सहज बनाने के लिए!

अनादि (आत्मिक) स्वरूप

आत्मा का रूप

आत्मा के गुण

  • ज्ञान स्वरूप आत्मा, पवित्र स्वरूप आत्मा, शान्त स्वरूप, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति
  • मास्टर ज्ञान सागर, मास्टर पवित्रता का सागर, मास्टर शान्ति का सागर, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति
  • मास्टर नॉलेजफूल, ज्ञान गंगा, मास्टर ज्ञान सूर्य
  • परम पवित्र, मास्टर पतित पावनी, मास्टर पवित्रता का सूर्य
  • शान्तिदूत, शान्ति का फरिश्ता, शान्ति के भण्डार
  • प्रेम का अवतार
  • रहमदिल, दयालु, कृपालु
  • सुखदेव, मास्टर सुखकर्ता दुखहर्ता
  • सत-चित्-आनंद स्वरूप
  • मास्टर सर्वशक्तिवान, मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी, समर्थ आत्मा

देवता स्वरूप

  • दिव्य आत्मा (देवता)
  • विश्व के मालिक, स्वर्ग के मालिक, विश्व राज्य अधिकारी, डबल ताजधारी
  • सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण
  • सम्पूर्ण पवित्र, सम्पूर्ण निर्विकारी, सच्चे वैष्णव
  • डबल अहिंसक (अहिंसा परमोधर्म)
  • मर्यादा पुरुषोत्तम

पूज्य स्वरूप

  • पूज्य आत्मा, पूर्वज आत्मा, महान आत्मा
  • इष्ट देवी, शिव शक्ति, विघ्न विनाशक
  • आधार मूर्त, उद्धार मूर्त, उदाहरण मूर्त

फरिश्ता स्वरूप

ईश्वरीय जीवन

ज्ञान

  • ईश्वरीय सन्तान
  • गॉडली स्टूडेंट, ज्ञानी तू आत्मा
  • ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण, ब्रह्माकुमार / ब्रह्माकुमारी
  • तीव्र पुरुषार्थी, सहज पुरुषार्थी, सच्चे पुरुषार्थी
  • स्वदर्शन चक्रधारी
  • त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री, त्रिलोकीनाथ
  • अकालतख्त-नशीन 
  • मास्टर क्रिएटर, मास्टर सतगुरू, मास्टर भगवान, मास्टर ब्रह्मा
  • अनन्य रत्न

योग

  • सहज योगी, निरन्तर योगी, स्वतःयोगी, कर्मयोगी
  • योगी तू आत्मा
  • राजयोगी, राजऋशी
  • बेहद के वैरागी, बेहद के सन्यासी, सर्वस्व त्यागी

भगवान का प्यार

  • भगवान के सिरमोर, नैनो के नूर, मस्तक मणी, गले का हार, दिलतख्तनशीन
  • रूहानी आशिक, दिलाराम की दिलरूबा, प्रीतमा
  • सच्ची गोपी, सच्ची सीता, सच्ची पार्वती

दिव्य गुणों की धारणा

  • धारणा-मूर्त, स्व चिंतक, शुभ चिंतक
  • संतुष्टमणी, सरलचित्त, मधुरभाषी, नम्रचित्त, निरहंकारी
  • आज्ञाकारी, वफादार, फरमानवरदार, ईमानदार, सपूत
  • एकनामी, एकव्रता
  • महावीर, महारथी, पाण्डव, रूहानी योद्धा
  • अचल, अडोल, एकरस
  • स्वमानधारी, स्वराज्य अधिकारी
  • एवर-रेडी, समाधान स्वरूप, सिद्धि स्वरूप
  • होली हंस
  • स्नेही
  • माननीय, गायन योग्य, पूजन योग्य

सेवा

  • अंधो की लाठी, रूहानी सेल्वेशन आर्मी, रूहानी सोशल वर्कर
  • भगवान के राइट हैंड, भगवान की भुजाएं, भगवान के मददगार, खुदाई खिदमतगार
  • दानी, महादानी, वरदानी 
  • सहयोगी, परोपकारी
  • सच्चे सेवाधारी, निरन्तर सेवाधारी, रूहानी सेवाधारी, ऑल-राउंड सेवाधारी
  • रूहानी माली, रूहानी सेल्समैन
  • विश्व कल्याणकारी, विश्व परिवर्तक
  • यज्ञ रक्षक

सार (191 स्वमानों की माला)

तो चलिए आज सारा दिन… भिन्न भिन्न स्वमानों का अभ्यास करने हुए सदा ऊंची स्थिति में स्थित रहे, जैसे बाबा हमें देखना चाहते हैं!… ओम् शान्ति!


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हमारी ईश्वरीय पढ़ाई के 4 सब्जेक्ट है:

  • ज्ञान
  • योग
  • दिव्यगुणों की धारणा
  • सेवा

इसमे बहुत महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है योग

तो आपके योग को बहुत सहज, नवीन और आनंदमय बनाने के लिए… यह योग के 50 विभिन्न अभ्यास दिए हुए है (हर एक अभ्यास को dark में लिखा हुआ है)

स्व से संबंधित

  • आत्मा का अभ्यास
    • देही अभिमानी स्थिति (मैं आत्मा इस शरीर द्वारा कर्म कर / करा रही हूं)
    • आत्म अभिमानी स्थिति (आत्मा के 7 अनादि गुणों का अनुभव… ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेेेेम, सुख, आनंद, शक्तियां)
    • अशरीरी स्थिति (बैठे हुए अनुभव हो, कि यह देह अलग और मैं आत्मा अलग हूं)
    • विदेही स्थिति (परमधाम निवासी, बीजरूप स्थिति)
  • फरिश्ता स्वरूप का अभ्यास 
  • देवता स्वरूप का अभ्यास 
  • पांच स्वरूपों की ड्रिल (अनादि, आदि, पूज्य, ब्राह्मण, फरिश्ता) 
  • भिन्न भिन्न स्वमान का अभ्यास (मास्टर ज्ञान सूर्य, स्वराज्य अधिकारी, आदि) 

स्थानों से संबंधित

  • परमधाम में टिकना 
  • सूक्ष्मवतन में रहना 
  • सतयुग में जाना 
  • मन बुद्धि से मधुबन की सैर करना 

बाबा की याद

  • शिवबाबा को याद करना (निराकार ज्योति बिन्दु स्वरूप) 
  • बापदादा की याद (शिव बाबा, अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के तन में)…. (दृष्टि लेना, वरदान लेना, तिलक लगवाना) 
  • बाबा से रूहरुहान (अर्थात बातें) करना 
  • बाबा से सर्व संबंधों का अनुभव (माँ, बाप, शिक्षक, सतगुरु, बंधु, सखा, साजन, सर्जन, बच्चा
  • बाबा को भिन्न भिन्न titles के आधार से याद करना (बागवान, खीवैया, रत्नागर, जादूगर, आदि) 

कर्मयोग के अभ्यास 

  • में आत्मा इस शरीर द्वारा कर्म कर / करा रही हूं (देही अभिमानी स्थिति) 
  • बाबा के साथ का अनुभव (हाथों में हाथ, बाबा की छत्रछाया सिर पर, दुआओं का हाथ सिर पर) 
  • भोजन करते हुए (बाबा मुझे खिला रहे हैं, बाबा की शक्तिशाली किरणें भोजन पर पड़ रही है) 
  • सोते हुए (बाबा की गोद में सोना) 

औरों से संबंधित

  • आत्मिक दृष्टि (अर्थात औरों को आत्मा देखना) 
  • बातें करते हुए (मैं आत्मा बोल रही हूँ, आत्मा से बात कर रही हूं
  • बातें सुनते हुए (मैं आत्मा सुन रही हूँ, आत्मा से सुन रही हूं
  • सकाश देना 
  • किसी की याद आए तो, उन्हें आत्मा देखकर शुभ भावना का दान देना

स्मृति में रखना की

  • अब घर जाना है 
  • यह संगमयुग का समय चल रहा है 
  • बाबा आया हुआ है 
  • आदि

सार (राजयोग के 50 विभिन्न अभ्यास)

तो चलिए आज सारा दिन… योग के विभिन्न अभ्यास करते हुए अपने योग के चार्ट को बढ़ाते जाए, और निरन्तर सहजयोगी बनने के हमारे लक्ष्य तक जल्दी से जल्दी पहुंच जाएं!… ओम् शान्ति! 


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Sakar Murli Churnings 04-12-2018

आज बाबा परमधाम को भिन्न भिन्न नामों से याद कर रहे थे… तो चलिए आज परमधाम के सभी नामों को revise करे, जो बाबा ने मुरलीयों में बताए हैं… यह चिंतन योग में बहुत काम आता है! 

परमधाम के नाम 

  1. मूलवतन
  2. परमधाम… परे ते परे धाम
  3. परलोक… 5 तत्वों से पार, सूर्य चाँद तारागण से भी पार
  4. ब्रह्मलोक… जहां चारो ओर सुनेहरा लाल प्रकाश ही प्रकाश है (ब्रह्म महतत्व)
  5. शान्तिधाम… जहां चारो ओर शान्ति ही शान्ति है
  6. निर्वाणधाम… वाणी (आवाज) से परे धाम
  7. मुक्तिधाम… जहां हम सर्व प्रकार के बंधन से मुक्त है
  8. घर… हमारा प्यारा मीठा घर है (Home Sweet Home)
  9. निराकारी दुनिया… आत्माओं की दुनिया
  10. शिवपुरी… शिव बाबा के रहने का स्थान

तो इन सभी नामों (और उनके अर्थ) को याद करने से … हम परमधाम की असीम शान्ति का लंबा समय अनुभव कर सकते हैं !

तो चलिए आज सारा दिन… शान्ति धाम की शान्ति को अपने अंदर समाते हुए, शान्ति का अति मीठा अनुभव करते रहें!

ओम् शान्ति!

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सतयुग के विभिन्न नाम | Names of Paradise, Heaven | Golden Age names

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बाबा ने मुरली में सतयुग के 28+ नाम सुनाए हैं:

  • नई दुनिया
  • सतयुग
  • बेहद का दिन

धर्मो में दिए गए नाम

  • स्वर्ग
  • वैकुण्ठ
  • परिस्तान
  • जन्नत
  • बहिश्त
  • अल्लाह का बगीचा
  • Heaven
  • Paradise
  • Golden Age

परमात्मा वा देवताओं से संबंधित नाम

  • शिवालय
  • ब्रह्मा का दिन
  • कृष्णपुरी
  • विष्णुपुरी
  • रामराज्य

सतयुग के गुणों के आधार पर नाम

  • अमरलोक
  • सचखण्ड
  • डीटी वर्ल्ड
  • पावन दुनिया
  • निर्विकारी दुनिया
  • श्रेष्ठाचारी दुनिया
  • पुण्यआत्माओं की दुनिया
  • सुखधाम
  • अशोक वाटिका
  • जीवनमुक्ति धाम
  • क्षीरसागर

सार (सतयुग के विभिन्न नाम | Names of Paradise, Heaven | Golden Age names)

तो बाबा हमें कितना उंचा वर्सा दे रहे हैं … तो चलिए आज सारा दिन, ऎसे प्यारे पिता के प्रीत में पिरोए रहे… ओम् शांति!


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