आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious
आत्मा-अभिमानी बनना, हमारे इस सहज राजयोगी जीवन का मुख्य फ़ाउंडेशन है… तो इसे और सहज करने, आपको आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प भेज रहे हैं… इन्हें बहुत रूहानी स्नेह से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!
मैं आत्मा हूँ!
मैं आत्मा, रूह, प्राण, चैतन्य शक्ति, ऊर्जा, soul, spirit, consciousness, conscient-energy, life-force, being हूँ… स्थूल 5 तत्वों से परे, बिल्कुल हल्की हूँ
मैं अजर, अमर, अविनाशी, चैतन्य सत्ता हूँ… सत्-चित्त-आनंद स्वरूप
आत्मा का रूप!
मैं निराकार… बिंदी… ज्योति स्वरूप… बिन्दु स्वरूप… ज्योति-बिन्दु स्वरूप… Point of light-might… प्रकाश का पुंज… चमकती मणि… दिव्य सितारा… अमूल्य हीरा… दिया… खुशबूदार फूल हूँ
मैं आत्म-अभिमानी हूँ
मैं ज्ञान स्वरूप, पवित्र स्वरूप, शान्त स्वरूप, प्रेम स्वरूप, खुश, सुख स्वरूप, आनंद स्वरूप, शक्ति स्वरूप… सतोगुणी, सतोप्रधान, दिव्य आत्मा हूँ
मैं देही-अभिमानी हूँ
मैं देह से उपराम, न्यारी, detached हूँ… यह देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… भ्रूकुटी के बीच विराजमान… भ्रूकुटी की कुटिया, गुफा में अकालतख्त-नशीन हूँ
इस शरीर को चलाने वाली… शरीर की मालिक… आँखों द्बारा देखने वाली… कानों द्वारा सुनने वाली… मुख द्वारा बोलने वाली… शरीर द्वारा कर्म करने वाली शक्ति आत्मा हूँ…
मैं सोचती-महसूस करती… निर्णय लेती… कर्म कर… अनुभव करती… मैं आत्मा ही सबकुछ करती… मुझमे ही संस्कार है
मैं दिव्य मूर्ति, शरीर मन्दिर है… मैं हीरा, शरीर डिब्बी… मैं एक्टर, शरीर वस्त्र है… मैं ड्राइवर, शरीर गाड़ी… और 51 ऎसे संकल्प
आत्मिक दृष्टि!
सभी आत्माएं है… बाबा भी परम-आत्मा है… सभी एक बाप के बच्चे, मेरे भाई-भाई है… सभी आत्माएं सुखी हो / कल्याण हो / आगे बढ़े / खुश रहे / बाबा से जुड़कर, सर्व-प्राप्ति सम्पन्न बने
(बातें करते वक्त) मैं आत्मा से बात कर रही हूँ… कानों द्वारा सुनती हूँ
(फोन use करते)… आत्मा का फोन है, मैं आत्मा से बात कर रही हूँ
आत्मा का पार्ट!
मैं परमधाम-निवासी… अशरीरी… विदेही हूँ… शरीर में प्रवेश कर पार्ट बजाती… इस देह में अवतरीत हुई हूँ… एक शरीर छोड़ दूसरा लेती हूँ…
मैं देव आत्मा, महान आत्मा, विश्व कल्याणकारी, फरिश्ता, हीरो एक्टर हूँ…
मैं जहान का नूर, बाबा की नैनों का नूर, मास्टर ज्ञान सूर्य, मास्टर पवित्रता का सूर्य, मस्तक मणि, स्वराज्य अधिकारी, श्रेष्ठ आत्मा हूँ
सार
तो चलिए आज सारा दिन… इन सभी संकल्पों का प्रयोग कर निरन्तर आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित रह, सदा शान्ति प्रेम आनंद का अनुभव करते रहे… औरों को भी यह खज़ानें बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
गीत: मैं जगमगाती…
गीत: मस्तक सिंहासन पे हम आत्माएं…
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Thanks for reading this article on ‘आत्म-अभिमानी बनने के 150 संकल्प | 150 thoughts for becoming soul-conscious’
Om Shanti
From the date I listen Shivani di and admire BK I notices changes in my and my beloved’s life……Om Shanti
Excellent!!