बाबा के 121 अरमान | 121 aspirations of Baba

बाबा के 121 अरमान | 121 aspirations of Baba

गीत: तुमने किये पूरे अरमान हमारे…

बाबा ने हमारे सभी अरमान पूरे किए हैं, तो हमें भी दिल होती की हम भी उनके सभी अरमान पूरे करे… तो आज बाबा के 121 अरमान देखते है, इन्हें बहुत पुरुषार्थ के उमंग उत्साह से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

प्रैक्टिकल लाइफ में

  • सदा खुश-सन्तुष्ट-तृप्त सर्व प्राप्ति सम्पन्न, श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहे… शीतल दृष्टि, हर्षित चेहरा, रुहानी मुस्कान, मीठे बोल हो… सबके लिए शुभ-भावना, श्रेष्ठ कामना, सम्मान से भरपूर रहे
  • उन्नति-प्रगति हो, आगे बढ़े… विजयी, सफलता-मूर्त, मेहनत से मुक्त बने
  • दुःख-अशान्ति-रोना, चिन्ता-भय से परे रहे… माया-प्रूफ
  • व्यर्थ, पास्ट, पर-चिन्तन, परदर्शन से परे… ज्ञान-चिन्तन, स्व-चिन्तन, प्रभु-चिन्तन में मस्त रहे

ब्राह्मण जीवन में

  • श्रीमत, फोलो फादर, accurate दिनचर्या बनाएं (अमृतवेला, मुरली, याद में शुध्द भोजन, ट्रेफिक कंट्रोल, नुमाशाम, रात योग, चार्ट)
  • सहज-योगी, स्वतः-निरन्तर कर्मयोगी बने, योग का चार्ट बढ़ाते, 4 घंटा-8 घंटा करे… बाबा के प्यार में डूबे, लवलीन रह… अतीन्द्रिय सुख-आनंद में नाचते-गाते रहे
  • स्वयं को प्रत्यक्ष करे, साक्षात्कार कराये, अपने कर्तव्य सार्थक करे… बाबा का कार्य सम्भाले, सेन्टर को आगे बढाए, मधुबन को सहयोग देते, यज्ञ-रक्षक बने… निमित्त, निर्माण, अथक, एवर-रेडी, ऑल-राउंडर, हाँँ-जी का पाठ पक्का
  • बुराईयों का त्याग, पुरानी दुनिया से वैराग्य-न्यारे-प्यारे रहे… श्रेष्ठ भाग्य बनाते, तपस्या करे, बुद्धि से समर्पण 

अपना लक्ष्य प्राप्त करना 

  • बाप समान, सम्पूर्ण, समीप, साथ, अव्यक्त, फ़रिश्ता बनना 
  • सम्पूर्ण पवित्र, दिव्यगुण सम्पन्न, सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला संपूर्ण, देवता, विश्व-महाराजन्, लक्ष्मी-नारायण बनना
  • एकरस-अचल-अडो़ल, शक्तिशाली… सबको देते, पालना करते, भरपूर-सम्पन्न… विश्व कल्याणकारी बने, सबको जियदान देते, आप समान बनाते, सच्ची सेवा करे 
  • कमल-पुष्प समान श्रेष्ठ पवित्र-योगी जीवन बनाएं… श्रेष्ठ कर्म करे… Sample, example, उदाहरण बने 
  • विकर्माजीत, मायाजीत, विकार-जीत (काम-जीत, क्रोध-जीत, लोभ-जीत, मोह-जीत, अहंकार-जीत), व्यर्थ-जीत बने

सार 

वास्तव में बाबा को हमसे कुछ नहीँ चाहिए, उनके अरमानों से हमारा ही (और सबका) सर्वश्रेष्ठ वर्तमान और भविष्य बनता… तो चलिए आज सारा दिन, बाबा के अरमानों को पूरा कर, सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह, सबको भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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बाबा के इस रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ की 108 बातें

बाबा के इस रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ की 108 बातें

कल बाबा ने मुरली में इस रूद्र ज्ञान यज्ञ की बात कही थी… तो आज बाबा के इस रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ की 108 बातें देखते हैं, इन्हे बहुत रुचि से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

राजस्व अश्वमेध अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ

  • राजस्व… स्वराज्य, वा स्वर्ग का राज्य दिलाने लिए
  • अश्वमेध… शरीर रूपी अश्व को स्वाहा करते, अर्थात बाबा को शरीर दे, देह-भान का त्याग करते
  • अविनाशी… सदाकाल की प्राप्ति, 21 जन्मों के लिए, जो कल्प-कल्प रिपीट होती
  • रूद्र… निराकार ज्योति-बिन्दु शिव बाबा का रचा हुआ यज्ञ
  • गीता… भगवान् रथ पर आकर ज्ञान सुनाते, हम अर्जित कर माया के युद्ध में विजयी बन, स्व पर राज्य फिर से प्राप्त करते
  • ज्ञान… बाबा ज्ञान देते
  • नाम… प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय… यह स्कूल, पाठशाला, विद्यालय, कालेज, यूनिवर्सिटी भी है

यज्ञ में क्या-क्या होता

  • लक्ष्य होता… हमारा लक्ष्य है सारे विश्व को सुख-शान्ति सम्पन्न स्वर्ग बनाना
  • नये कार्य पहले करते… नव-विश्व निर्माण का कार्य
  • नये स्थान पर… नया सतयुग स्थापन करने
  • वायुमण्डल परिवर्तन… योग से हमारे स्थान, वा सारे विश्व का वायुमण्डल सतोगुणी बनता
  • सेठ… सबसे बड़ा धनी शिवबाबा
  • अग्नि… योग-अग्नि, जिससे विकर्म-विनाश पाप-कट हो, हम पावन-सतोप्रधान बनते
  • यज्ञ-कुण्ड… शान्ति-कुण्ड
  • आहुति… बुराई, विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) कमी, कमझोरी, खामीयों का… अन्त में सारी पुरानी दुनिया का
  • जऊ-तिल-घी… तन-मन-धन स्वाहा
  • समय… पूरा संगमयुग चलता
  • प्रभाव… फिर आधाकल्प कोई यज्ञ की आवश्यकता नहीं
  • ब्राह्मण सम्भालते… हम ब्रह्मा मुखवंशावली ब्रह्मा कुमार-कुमारी, सच्चे ब्राह्मण कुल भूषण सम्भालते

यज्ञ में और भक्ति की रस्में

  • कथा… बाबा हमें सत्य नारायण, तिज़री की कथा, अमरकथा सुना रहे
  • मंत्र… मनमनाभव-मध्याजीभव का
  • श्लोक-स्तुति… बाबा की महिमा गाते
  • पूजा… हमें पूज्य बनना है
  • गणेश पूजा… हमें विघ्न विनाशक बनना है
  • रक्षा-पोटली बाँधना… पवित्रता की प्रतीज्ञा
  • भक्ति की और क्रियाओं में… बाबा को याद करना
  • सबको बुलाना… सबकी सेवा करना, बाबा का परिचय-पैगाम देना

और पॉइंट्स

  • हम है यज्ञ-स्नेही, यज्ञ-सहयोगी, यज्ञ-रक्षक… हड्डियां देते (दधीची ऋषि मिसल) यज्ञ-सेवा में, मधुबन में सेवा करते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने आकर हमारे लिए इतना सुन्दर ईश्वरीय विश्व विद्यालय स्थापन किया है… तो नम्बर वन स्टूडेंट बन पक्के ज्ञानी, योगी, धारणा-मूर्त, सेवाधारी बन… सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!


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श्रेष्ठ क्लास कराने वाले बाबा के 101 अमूल्य रत्न | List of 101 excellent speakers of Baba

श्रेष्ठ क्लास कराने वाले बाबा के 101 अमूल्य रत्न | List of 101 excellent speakers of Baba

आज बाबा ने मुरली में कहाँ हमे wonderful ईश्वरीय परिवार का श्रेष्ठ संग मिला है!

तो आज आपको श्रेष्ठ क्लास कराने वाले बाबा के 100 अमूल्य रत्न भेज रहे हैं, इनमे से किसी भी (ब्लू रंग में लिखे हुए) स्पीकर के नाम को टच करने से, उनके YouTube videos खुल जाएंगी… इस विशेष अमूल्य खजा़ने को बहुत रुहानी स्नेह से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

Dynamic Speakers

शिवानी बहन, स्वामी भाई, ई.वी. गिरीश भाई, ओंकार भाईडॉ मोहित गुप्ता, डॉ गिरीश पटेल, डॉ सचिन परब, अदिति सिंघल, डॉ अवदेश, शक्तिराज भाई, बलराम भाई

Wing Speakers

  • श्रेया बहन, दीपा बहन, रितु बहन, रूपेश भाई, पीयूष भाई, साहिल भाई, राधिका बहन, शिविका बहन, सुुप्रिया बहन
  • स्पोर्ट्स (गौरव भाई, जगबीर भाई)… IT (बाला-किशोर भाई, बृजेश भाई)… और wings (लीना बहन, राजीव भाई, मोनिका बहन)

मधुबन में

विदेश के भाई-बहने

  • जयन्ती बहन, सुदेश बहन, डेनिस बहन, मोहिनी बहन, चारली भाई, केन भाई, वेदांती बहन, मौरिन बहन
  • मीरा बहन, रजनी बहन, संतोष बहन, सुधा बहन, भावना बहन

भारत के सीनियर भाई-बहनें

  • दिल्ली… आशा बहन, पुष्पा बहन, चक्रधारी बहन, शुक्ला बहन, उर्मिल बहन
  • मुंबई… संतोष बहन, नलिनी बहन, दिव्या बहन, योगिनी बहन, मीरा बहन
  • पंजाब वा राजस्थान… सुषमा बहन, अनीता बहन, अमीरचंद भाई, प्रेम भाई, भारत भूषण भाई
  • गुजरात… चन्द्रिका बहन, शारदा बहन, सरला बहन, तृप्ति बहन, डॉ निरंजना बहन
  • और स्थान… रानी बहन, मनोरमा बहन, अवधेश बहन, हेमलता बहन, कमला बहन, राधा बहन, विद्या बहन, लक्ष्मी बहन, कुलदीप बहन, राज बहन

Wings

Brahma Kumaris, Administration, Art & Culture, Business, Education, IT, Jurist, Media, Medical, Politicians, Religious, Rural, Scientist Security, Shipping, Social, Sparc, Sports, Transport, Women, Youth

TV Channels

Awakening TV, Peace of Mind TV, Om Shanti Channel

सार

तो चलिए आज से… अच्छे-अच्छे क्लासेज देखने की बहुत सुन्दर आदत डाले, जिससे हमें बहुत सहज रीति हमारे सीनियर भाई-बहनों के संग वा अनुभव-पुरुषार्थ-चिन्तन का बहुत-बहुत लाभ मिलता… हमारा भी ज्ञान-योग का पुरुषार्थ और तीव्र बन, हम सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह, सबको भी सम्पन्न करते, सतयुग बनाते रहते… ओम् शान्ति!


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स्वदर्शन चक्रधारी बनने से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Spinning the Discus of Self Realization

स्वदर्शन चक्रधारी बनने से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Spinning the Discus of Self-Realization

आज की पूरी मुरली में बाबा ने स्वदर्शन चक्र फिराने को कहा… तो आज स्वदर्शन चक्रधारी बनने से 108 प्राप्तियां आपको भेज रहे हैं… इन्हे बहुत उमंग से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

प्रैक्टिकल जीवन में

  • चिन्तन होता, खुशी-नशा-उमंग-उत्साह बढ़ता, स्थिति अच्छी-ऊँची बनती… श्रेष्ठ स्मृतियां-स्वमान जागृत होते, बढतेे… बुद्धि बेहद, विशाल, दूरांदेशी होती
  • स्वयं को भाग्यशाली महसूस करते, बाबा से प्यार बढ़ता
  • परिस्थिति, समस्याएं, विघ्न, पेपर छोटे लगते… औरों को समझना, स्वीकार करना सहज

श्रेष्ट स्मृतियों को जागृत

  • अनादि… परमधाम का अनुभव कर सकते, गहरी शान्ति
  • देव स्वरूप… दिव्य गुण, दैवी संस्कार (दिव्यता, पवित्रता, उदारता, मधुरता, रॉयल चलन) जागृत होते, सतयुग के नजारे दिखते
  • पूज्य स्वरूप… महानता जागृत होती, सब को देते रहते
  • ब्राह्मण स्वरूप… स्वयं को ज्ञानी, नॉलेजफुल, त्रिनेत्रि, त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ अनुभव कर सकते
  • फ़रिश्ता स्वरूप… हल्का, न्यारा, उपराम, ऊंच, अलौकिक रहते

बुराइयों से परे

  • परदर्शन, परचिन्तन, पास्ट का चिन्तन, व्यर्थ से मुक्त रहते… रावण-माया से बचे रहते, उसका गला कटता
  • देह-दुनिया वस्तु-व्यक्ति से सहज परे रहते
  • बुराई-विकार-कमी-कमझोरी-खामी से वैराग्य-त्याग-समर्पण सहज

ब्राह्मण जीवन में

  • श्रीमत, फोलो फादर, योग सहज होता
  • मुरली सहज, अच्छे से गहराई से समझ आती… रस आता
  • आत्मिक स्थिति, पाँच स्वरूपों (अनादि, आदि, पूज्य, ब्राह्मण, फ़रिश्ता) का अभ्यास सहज… परमधाम, सूक्ष्मवतन, सतयुग का अनुभव सहज
  • सेवा सहज कर सकते (चलते-फिरते, कोर्स, मुरली सुनाना, प्रश्नों के उत्तर देना)
  • स्वयं-ड्रामा पर निश्चय, पुरुषार्थ बढ़ता… आत्म विश्वास बढ़ता, हम ही कल्प-कल्प के विजयी रत्न, मायाजीत है… धारणा-मूर्त बनते… संगम के समय-श्वास-संकल्प की वैल्यू होती
  • ऊंचा पद बनता… चक्रवर्ती राजा, विष्णु-वंशी, सूर्यवंशी बनते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… स्वदर्शन चक्र फिराते, सदा खुश माया-व्यर्थ पर विजयी रहे… इसी श्रेष्ठ स्थिति में बाबा को बहुत प्यार से याद करते, उनकी सारी ज्ञान-गुण-शक्तियों से सम्पन्न बन… सबको बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

गीत: चलो करें हम सैर रुहानी…


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मुरली सुनने से 121 प्राप्तियां | 121 Benefits of Murli

मुरली सुनने से 121 प्राप्तियां | 121 Benefits of Murli image

मुरली सुनने से 121 प्राप्तियां | 121 Benefits of Murli

बाबा की मुरली हम सभी ब्राह्मण बच्चों का जियदान, जीवन का आधार, सबसे अमूल्य खज़ाना है… आज भी बाबा ने मुरली में कहा, मुरली ही रिफ्रेश करती, सत्य समझ देती, पुज्य-देवता बनाती!

तो आज मुरली सुनने से 121 प्राप्तियां आपको भेज रहे हैं… इन्हें बहुत आनंद से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

सुनते हुए

  • समझानी, सत्य ज्ञान मिलता, ज्ञान से भरपूर होते, ज्ञान से श्रृंगारे जाते… रौशनी-प्रकाश मिलता, समस्याओं का समाधान-शक्ति मिलती
  • स्थिति ऊँची-श्रेष्ठ-शक्तिशाली, निश्चिंत-खुशहाल बनती… स्मृति-स्वमान जागृत होता, उमंग-उत्साह-खुशी पुरुषार्थ बढ़ता

बाबा से सम्बन्ध वा स्वमानों का अनुभव!

  • बाबा को जान सकते, मिलन होता, उनका अनुभव होता, साथ रहते, बातें करते… सुप्रीम टीचर से पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता…
  • सुप्रीम माँ की ममता, बाप की पालना, टीचर की पढ़ाई-डायरेक्शन, सतगुरू की शिक्षा-सावधानी-श्रीमत, सखा से संवाद, साजन का प्रेम-पत्र, बड़े भाई का मार्गदर्शन, बच्चे का आवाज, सुप्रीम सर्जन की प्रिस्क्रिप्शन मिलती
  • अपने को गॉड्ली स्टूडेंट, मास्टर ज्ञान सागर, नॉलेजफुल, त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ, त्रिनेत्रि, सच्ची पार्वती, अर्जुन अनुभव कर सकते

दिन का पक्का फाउंडेशन!

  • मन का भोजन, आंतरिक अवस्था का स्नान हो जाता, ज्ञान धन-रत्न बढ़ते… ज्ञान के अस्त्र-शस्त्र से सम्पन्न रहतेे, विचार चेक-चेंज कर सकते, स्थिति अच्छी-पावरफुल बनती
  • पास्ट मर्ज होता, चिंता कम होती, मन सशक्त, बुद्धि स्थिर होती… संस्कार शीतल-परिवर्तन-दैवी बनते
  • बुद्धि श्रेष्ठ स्मृतियों से भरपूर रहती… मन को श्रेष्ठ दिशा, चिन्तन का सामान मिलता, नवीनता…

सारा दिन

  • एकाग्रता, कार्य क्षमता, रचनात्मकता, कार्य सन्तुष्टता बढ़ती… सारा दिन अच्छा जाता, प्रभाव-मुक्त
  • औरों को भी अच्छे पॉइंट्स सुना सकते, सेवा कर सकते
  • योग के संकल्प मिलते, योग सहज, बाबा के समीप रहते… कर्मयोगी सहज

ब्राह्मण जीवन में

  • श्रीमत पालना, फॉलो फादर होता.. समय सफल, कान शुद्ध, ज्ञान अमृत मिलता.. संगमयुग का अनुभव होता
  • संगम के समय-श्वास-संकल्प.. बाबा के ज्ञान-राजयोग-गुण-शक्तियों की वैल्यू realize होती
  • सब योग के अभ्यास सहज हो जाते (देही-अभिमानी, आत्म-अभिमानी, अशरीरी, विदेही, स्वमानों का अभ्यास, आत्मिक दृष्टि, परमधाम सूक्ष्मवतन सतयुग का अनुभव, बाबा की याद, बापदादा मिलन, बाबा के titles से याद)

सेन्टर पर मुरली से प्राप्ति

  • एकान्त मिलता, अन्तर्मुखी होते, ज्ञान अच्छे से, गहराई से समझ आता
  • सेन्टर का सर्वश्रेष्ठ वातावरण मिलता, सेन्टर पे कुछ समय बीता सकते… बहनों के अनुभव, धारणाओं, मार्गदर्शन का लाभ मिलता… संगठन-संग का बल, योग सहज करता
  • सेवा के चांस मिलते, मुरली सुनाने की सेवा भी मिल सकती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें खास परमधाम से आकर रोज़ सर्वश्रेष्ठ पालना मुरली द्बारा करते, तो ऎसे पक्के स्टूडेंट बने, मिस करना तो दूर की बात, दिन में भी बार-बार मुरली पढ़ते-पढ़ाते रहे… तो स्वतः हमारी स्थिति योगयुक्त, हम सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर-सम्पन्न-शक्तिशाली रहते… सबको भी यह खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते रहेंगे.. ओम् शान्ति!

https://youtu.be/anOp2-3H6lE

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दिव्यता अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Divinity

दिव्यता अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Divinity

हमारा इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में लक्ष्य ही है मनुष्य से देवता बनना, बाबा नेे भी हमें रोज़ दिव्यगुणों से श्रृंगारकर, हमारा सारा जीवन ही दिव्य और अलौकिक बना दिया है…

तो आज दिव्यता अनुभव करने के 108 संकल्प आपको भेज रहे हैं, इन्हें बहुत खुशी से बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

मैं देवता हूँ!

  • मैं ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, खुशी, सुख, आनंद, शक्तियों से भरपूर… सतोगुणी, पावन, सतोप्रधान, फूल चार्ज, दिव्य आत्मा हूँ… पारस-बुद्धि
  • मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूँ… दैवी सम्प्रदाय-कुल की महान आत्मा, देवता, देव आत्मा हूँ… दैवी स्वभाव-संस्कार-संस्कृति से सम्पन्न
  • मैं सतयुग-स्वर्ग-हैवन-जन्नत, अमरलोक-सचखण्ड, सुखधाम, जीवनमुक्ति-धाम की रहवासी थी
  • मैं विश्व का मालिक, डबल ताजधारी, बहुत सुन्दर-सुशोभित, सम्पूर्ण दैवी बनने वाली हूँ
  • I’m a Divine soul, full of divinity & divine virtues

मुख्य गुण

  • मैं सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण पवित्र, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, अहिंसा परमोधर्म. डबल अहिंसक, सच्चा वैष्णव, श्रेष्ठ धर्म-कर्म करने वाली श्रेष्ठाचारी आत्मा हूँ… आदि-सनातन देवी-देवता धर्म की… सदा आत्‍म-अभिमानी, बुद्धिमान, फूल-समान गुणवान हूँ
  • मैं दिव्यता से भरपूर, दिव्यगुण-सम्पन्न हूँ… मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा भरपूर, सन्तुष्ट-तृप्त, श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हूँ… आँखे शीतल, चेहरा हर्षित रूहानी मुस्कान सम्पन्न है… मेरी चलन रॉयल, बोल मधुर, व्यवहार सुखदाई सम्मान-दायी उदारता-सम्पन्न है… सम्पर्क हल्के, सन्तुष्टता-पूर्वक… सम्बन्ध मीठे है
  • मैं तेजस्वी आत्मा हूँ… मेरा चारों ओर दिव्य आभामण्डल है, जो सबको दिव्यता की अनुभुती कराता
  • मैं श्रेष्ठ धारणा-मूर्त आत्मा हूँ… सब कहते यह जैसे देवता है

पूज्य!

  • मैं देने वाला देवता, दाता हूँ… सब का इष्ट, इष्ट देव-देवी हूँ… पूजनीय, पूज्य, पूजन योग्य हूँ… गायन योग्य, महिमा योग्य हूँ
  • मैं मूर्ति, शरीर मन्दिर है… मेरा घर भी मन्दिर है, सभी मेरे दैवी भाई-बहन है
  • मैंने 2500 साल देव-रूप में बिताए हैं, मैं महान आत्मा हूँ… इस दिव्यता को फिर जगाना है
  • मैं दिव्य पुरुष, शिव शक्ति, मैं वही हूँ जिनकी मन्दिरों में पूजा हो रही है
  • मैं अवतरित हुई… अलौकिक-दिव्य सत्ता हूँ

बाबा से सम्बन्धित

  • बाबा ने साजन बन, मुझे दिव्यगुणों से श्रृंगारा है… जन्मते ही दिव्य-बुद्धि का वरदान दिया है
  • बाबा आए ही है मनुष्य से देवता बनाने… कृृष्ण समान दैवी प्रिन्स-महाराजा… इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में, मेरा एम ऑब्जेक्ट ही है लक्ष्मी-नारायण बनना
  • मेरी दिव्यता की पर्सेंटेज हर-रोज़ बढ़ रही है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, अपने देव स्वरूप का प्रत्यक्ष अनुभव करते रहें… तो स्वतः दिव्यता से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश-सन्तुष्ट-तृप्त बन … सबको यह खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for strengthening soul conscious drishti

आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for strengthening soul conscious drishti

आज बाबा ने पूरी मुरली में आत्मिक दृष्टि पक्की करने को कहा… तो आज आपको आत्मिक दृष्टि पक्की करने के 108 संकल्प भेज रहे हैं… इन्हें प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

आत्मा है!

  • वह आत्मा है… शान्त स्वरूप, प्रेम स्वरूप, आनंद स्वरूप, सुख स्वरूप, पवित्र स्वरूप, ज्ञान स्वरूप
  • आँखों द्वारा देखने वाली, कानों द्वारा सुनने वाली, मुख द्वारा बोलने वाली, शरीर द्वारा कर्म करने वाली, सबकुछ आत्मा ही करती है
  • प्रकाश का पुंज, चमकती मणि, दिव्य सितारा है

हमारा उनसे सम्बन्ध

  • एक बाबा के बच्चे… हम सभी भाई-बहन, भाई-भाई है
  • मुझे उनको देना है, शुभ-भावना, सकाश, गुण देखना है… शान्ति, रुहानी स्नेह, सुख, खुशी, सम्मान देना है
  • उनकी कोई गलती नहीं, वह खुद अपने संस्कारों से परेशान हैं, यह कलियुग है, मुझे उनको देना है

सम्पर्क में!

  • मेरा सम्बन्ध आत्मा के साथ है, लेन-देन हिसाब-किताब, आदि
  • (बातें सुनते) वह आत्मा बोल रही, शरीर द्वारा, भ्रकुटी के बीच बैठे… मैं आत्मा सुन रही हूँ, कानों द्वारा, भ्रकुटी में बैठ
  • (बातें करते) मैं आत्मा बात कर रही हूँ, मुख द्वारा, भ्रकुटी में बैठ… आत्मा को सुना रही हूँ, भ्रकुटी में, वह कानों से सुनती है
  • (फोन की रिंग बजते) आत्मा का फोन है, आत्मा से बात करनी है
  • जो गुस्सा, झगड़ा, तंग करते, वह आत्माएं है

सभी मित्र-सम्बन्धी

  • सभी मित्र (स्कूल, कॉलेज, बिल्डिंग, पड़ोसी) आत्माएं है
  • सभी सम्बन्धी (मात-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची, मौसा-मौसी, दादा-दादी, नाना-नानी, बच्चा-बच्ची, आदि) आत्माएं है
  • ऑफिस में सभी (बॉस, साथी, जूनियर) आत्माएं है
  • विश्व में सभी, आत्माएं है… वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, प्रधान-मंत्री, नेता, अभिनेता, धनवान, आदि

दिन-चर्या में!

  • (उठते) मैं आत्मा हूँ, बाबा परम-आत्मा है, घर में सभी आत्माएं है
  • (सेन्टर पर मुरली) सुनाने वाली टीचर आत्मा है, सुनने वाले सभी आत्माएं है, जिज्ञासू सभी आत्माएं है 
  • (बाबा का कमरा) बाबा मुझे दृष्टि दे रहे, मुझ आत्मा को देखते, मैं भी उनके मस्तक पर शिवबाबा को देखता
  • (भोजन) परोसने वाले आत्मा है, मैं जिसको परोस रहा वह आत्मा है, भोजन पर बैठे सभी आत्माएं है 
  • (रास्ते में) सभी रास्ते पर आत्माएं है, गाड़ी में भी आत्माएं है, ट्रेफिक पुलिस भी आत्माएं है 
  • (ऑफिस) ईमेल, फोन, मीटिंग में सभी आत्माएं है
  • (छुट्टी के दिन) जो मेहमान आए, वह आत्माएं है… जिसके घर जाते, वह आत्माएं है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, अपनी frequency को बहुत ऊँची, आत्मिक बनाके रखे… जिससे सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर-सम्पन्न रहते, सबको भी यह खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते रहते… ओम् शान्ति!


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बाबा से होने वाली 108 प्राप्तियां | List of 108 attainments from Baba

बाबा से होने वाली 108 प्राप्तियां | List of 108 attainments from Baba

आज वरदान में बाबा के कहा, कि बाबा से मिली हुई सर्व प्राप्तियों को बुद्धि में इमर्ज रखने से सदा खुश, अचल, राज़ी, सन्तुष्ट रहेंगे… तो आज बाबा से होने वाली 108 प्राप्तियां आपको भेज रहे हैं… इन्हें बहुत खुशी से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

सर्व ख़ज़ाने!

सर्व सम्बन्धों से मिलन!

  • परम माँ, बाप, टीचर, बड़ा भाई, सखा, सर्जन, बच्चा
  • सतगुरू (वरदान, श्रीमत, मुक्ति जीवनमुक्ति, गति सद्गति)
  • साजन (परमात्म प्यास, सर्वश्रेष्ठ-सहज राजयोग)

सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन!

  • परमात्म पालना, साथ, सहयोग, शक्ति, सर्चलाइट, मदद … दिव्य अनुभूतियाँ, अनुभव… निश्चिंत, नीर्संकल्प, बेफिक्र जीवन
  • श्रेष्ट धारणाएं (अमृतवेला योग, मुरली, याद में शुध्द भोजन, attention, ट्रेफिक कंट्रोल, नुमाशाम योग, रात को चार्ट)
  • भिन्न-भिन्न योग-अभ्यास:
    • अशरीरी, आत्मिक स्थिति, स्वमानों का अभ्यास, फरिश्ता स्वरूप
    • आत्मिक दृष्टि, गुण देखना, शुभ भावना-सकाश देना
    • बाबा की याद, भिन्न-भिन्न titles से, बापदादा मिलन, अव्यक्त पालना

स्थूल प्राप्तियां

  • मधुवन, सेन्टर, रिट्रीट सेन्टर, गीता पाठशाला, हाल
  • ईश्वरीय परिवार, संगठन, संग, बहनें, ब्रह्मा भोजन
  • बैज, सेवा, भाग्य की कलम, श्रेष्ठ भाग्य
  • बाबा के magazine (ज्ञानामृत, World Renewal, आदि), Peace of Mind और Awakening चैनल, इन्टरनेट पर बाबा के क्लासेज, मैसेज, आदि

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन सभी स्मृतियों को बुद्धि में इमर्ज कर, सदा अतिन्द्रीय सूख वा खुशियों की अनुभुती से भरपूर रहे… मोहब्बत के झूले में बैठ मेहनत से मुक्त हो, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको भी भरपूर करते, सतयुग बनाते चलें… ओम् शान्ति!


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आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Soul Conscious drishti

आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां | 108 Benefits of Soul Conscious drishti

अपने को आत्मा समझ, सबको आत्मिक दृष्टि से देखना, यह हमारे सहज राजयोगी जीवन के मुख्य पील्लर्स है… आज भी मुरली में बाबा ने इसपर बहुत जोर दिया

तो आज आपको आत्मिक दृष्टि से 108 प्राप्तियां भेज रहे हैं… इस सतगुरूवार की सौगात को बहुत प्रेम से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!

स्वयं को

  • देह भान-अभिमान-अहंकार से सहज परे, न्यारा-प्यारा, उपराम रहते
  • मन हल्का, शान्त, एकरस, अचल, अडो़ल… बुद्धि स्थिर, एकाग्र… स्थिति अच्छी, श्रेष्ठ, महान, ऊंची रहती
  • आँखें शीतल, निर्मल, पवित्र, अलौकिक, दिव्य… विशेषताएं देखना सहज, अपनापन-एकता रहती
  • बोल स्वतः कम, धीरे, मीठे, योगयुक्त, युक्तियुक्त, यथार्थ, आवश्यक निकलते… कर्म दिव्य-अलौकिक… स्वभाव मीठा-रॉयल-सम्मान पूर्वक रहता
  • औरों की बुरी दृष्टि-वृत्ति परिवर्तन हो जाती

औरों को

  • उन्हें करन्ट, शक्ति, वाइब्रेशन मिलते… जिससे उनको सहयोग मिलता, अनुभुती-परिवर्तन सहज होता
  • सम्पर्क हल्के, सन्तुष्टता पूर्वक रहते… उन्हें स्वीकार कर, सम्मान-रूहानी स्नेह-शुभ भावना दे सकते, सम्बन्ध मीठे-सुखदाई रहते… पास्ट मर्ज हो जाता, व्यर्थ बातें तुरन्त समाप्त हो जाती,
  • समान भाव, भेद-भाव से परे (जाती, धर्म, रंग, देश, भाषा, धन, पोस्ट-पोज़ीशन, पढ़ाई, व्यवसाय)
  • बुरे, व्यर्थ, नकारात्मक, अपवित्र विचार से बचे रहते… नाम-रूप से उपर रहते… प्रभाव-परमत से परे… डिस्टर्ब-चिड़चिड़े नहीं होते

ब्राह्मण जीवन में

  • योग में गिना जाता, सच्ची पवित्रता, श्रीमत, फॉलो फादर है… सभी योग के अभ्यास (आत्मिक स्थिति, बाबा की याद, फरिश्ता स्वरूप, बाबा की दृष्टि लेना) सहज हो जाते… अशरीरी सेकण्ड में, योग तुरन्त लग सकता, अच्छा होता
  • सबसे ऊंच सब्जेक्ट में पास होते, विश्व का मालिक बनते … पावन, सतोप्रधान, दिव्य बनते जाते
  • आभामण्डल दिव्य, वायुमण्डल शुध्द, मन्सा सेवा होती… वाणी में जौहर भरता, प्रभाव पड़ता, बुद्धि में बैठता, सहज आगे बढ़ते, सेवा होती
  • दृष्टि-टोली देने की सेवा भी मिल सकती… भाषण का डर नहीं रहता, आत्म-विश्वास बढ़ता, सफलता मिलती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने को आत्मा समझ, सबको आत्मिक दृष्टि से देखते रहे… इससे सम्पूर्ण पावन बनते जाते, सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रह… औरों का भी कल्याण करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Soul World

परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Soul World

परमधाम का अनुभव करना हमारे इस सहज राजयोगी जीवन का मुख्य अभ्यास है, जिससे बाबा को याद करना भी बहुत सहज हो जाता… तो आज आपको परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प भेज रहे हैं, इन्हें बहुत प्रेम से स्वीकार करना जी!

परमधाम का अनुभव!

  • आकाश, सूर्य, चन्द्र, तारागण, अंतरिक्ष से भी पार-ऊपर
  • परमधाम, परलोक… परे ते परे… परमात्मा के रहने का स्थान है
  • ब्रह्मलोक… स्वयं प्रकाशित… चारों ओर सुनहरा-लाल प्रकाश ही प्रकाश, लाइट ही लाइट है… छठा ब्रह्म महतत्व है
  • शान्तिधाम… चारों ओर शान्ति ही शान्ति है… बेहद-असीम चेन, सुकून, विश्राम है… डेड साइलेंस… स्वीट साइलेंस… शान्तिधाम की शान्ति मुझमें समा रही है… मैं बिल्कुल शान्त हो चुकी है
  • निर्वाण-धाम… वाणी से परे, वानप्रस्थ, पार निर्वाण… यहां कोई आवाज़ भी नहीं… साइलेंस वर्ल्ड है
  • मुक्तिधाम… मैं सम्पूर्ण मुक्त, आज़ाद, स्वतंत्र, निर्बंधन, बन्धन-मुक्त हूँ
  • मूलवतन, निराकारी दुनिया, आत्माओं की दुनिया… आत्माओं का घर, सुहावना होम स्वीट होम है… शिवबाबा के भी रहने का स्थान,शिवपुरी है
  • देह, देह-भान, देहधारी, पदार्थ, दुनिया, हीलना, हलचल कुछ नहीं… दुख-दर्द-तकलीफ-पीड़ा कुछ नहीं… समय भी नहीं

परमधाम में शिवबाबा!

  • ज्योति-बिन्दु स्वरूप बाबा दिखाई दे रहे, उनसे चारों ओर सफेद किरणें फैल रही है… सारा परमधाम जगमगा उठा है
  • मैं उनके पास-समीप-संग में… पावन, गुणवान, शक्तिशाली हो रही हूँ
  • बाबा ने मुझे खुला निमन्त्रण दिया है… मैं जब चाहे, यहां आ सकती… अधिकारी-त्रिलोकीनाथ हूँ… मुझे बार-बार यहां आना है

मैं आत्मा, परमधाम में!

और संकल्प

  • लाल आसमान परमधाम में, मैं रूहानी सितारा चमक रहा हूँ… खड़ा हूँ
  • दूर-देश परमधाम से… बाबा रोज़ मुझे पढ़ाने आते…
  • मैं भी वहीं से आया हूँ, वहीं मुझे जाना है… मैं सबको मुक्ति का रास्ता दिखाता, मेरी एक आँख में मुक्ति है
  • परमधाम मेरा पियर-घर है… बाबा बीजरूप है, मैं बाबा के बिल्कुल समीप हूँ, बाकी सब अपने-अपने सेक्शन में है… कल्प वृक्ष में
  • भक्ति में यहां आने लिए ही पुरूषार्थ किया, बाबा ने अब बहुत सहज रास्ता बता दिया, अब एक सेकण्ड में मन-बुद्धि द्वारा पहुँच सकता
  • मोक्ष धाम, सिद्ध शीलापति, ज्योति धाम है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, परमधाम की असीम शान्ति को अपने अन्दर समाते, बाबा की यादों में झूमते रहे… सभी ज्ञान-गुण-शक्तियों के खज़ानों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

1) गीत: जाना है हमें, अपने परमधाम…

2) गीत: बाबा के संग जाना है…

3) गीत: आवाज़ से परे…


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