शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प | 111 Thoughts for experiencing Peace
शान्ति आत्मा का मुख्य गुण है, जिसके आधार से ही प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों स्थाई रहती… और हम ओम् शान्ति वाले, शान्ति के लिए ही जाने जाते… तो आज आपको शान्ति अनुभव करने के 111 संकल्प भेज रहें हैं… इन्हें बहुत खुशी से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी!
मैं शान्त-स्वरूप हूँ!
- मैं शान्त, शान्त-स्वरूप आत्मा हूँ… ओम् शान्ति… शान्ति मेरा स्वधर्म, निजी गुण, अनादि संस्कार, गले का हार है… मेरी शक्ति है
- I am Peace, Peaceful, Peaceful Soul, Peace is my original nature… Patient, Calm, Relaxed, Silent, Light, Cool
मैं शान्ति के सागर की सन्तान हूँ!
- उनकी शान्ति की किरणें-लहरें-वाइब्रेशन-प्रकंपन मुझ पर पड़ रही है… मैं शान्ति अनुभव कर रही हूँ… शान्ति से भरपूर-सम्पन्न हो रही हूँ, हो चुकी हूँ… मुझे सच्ची शान्ति, शान्ति का भण्डार-खज़ाना मिल गया है… शान्ति ही शान्ति है… मैं मास्टर शान्ति का सागर-सूर्य हूँ
- मेरे चारों ओर शान्ति को किरणें फैल रही है… वायुमण्डल शान्त हो, सबको शान्ति के प्रकंपन मिल रहे हैं, मेरा स्थान शान्ति कुण्ड बन चुका है…
मैं शान्तिधाम की रहवासी हूँ!
निर्वाणधाम, आवाज़ से परे, मेरे चारों ओर शान्ति ही शान्ति है… Sweet Silence… Dead Silence… बेहद चेन-सुकून-विश्राम-आराम अनुभव हो रहा है… इस मुक्तिधाम में, मैं सम्पूर्ण-मुक्त, निर्बंधन, स्वतंत्र, आजाद, उड़ता पंछी हूँ
मैं शान्ति की दुनिया स्थापन करती हूँ!
मैं शान्ति दूत, शान्ति का फरिश्ता, शान्ति का अवतार, शान्ति देवा, शान्ति दाता हूँ… सबको शान्ति का पैगाम, सन्देश दे… शान्ति की दुनिया (अथवा विश्व में शान्ति) स्थापन करती हूँ
शान्ति-दाता!
सबका स्वधर्म शान्त है… सब शान्ति चाहते, सब को शान्ति मिले, सभी शान्ति से भरपूर हो, शान्त रहे… मैं सबको शान्ति का वरदान-अंचली-सहयोग दे रही हूँ
शान्ति बढ़ाने के लिए और संकल्प
- जो हुआ अच्छा, जो हो रहा और अच्छा, और जो होने वाला वह और भी अच्छा… ड्रामा accurate-कल्याणकारी है, कोई बड़ी बात नहीं, बाबा मेरे साथ है… मैं निश्चिंत, भय-मुक्त, बेफिक्र, निर्संकल्प हूँ
- मेरा मन शान्त, बुद्धि स्थिर (श्रीमत मिल गई है, अभी दूसरा कोई संकल्प नहीं, एक बल एक भरोसा), संस्कार शीतल है, चित्त मौन है … मैं मायाजीत हूँ… मेरा तो एक बाबा, दूसरा ना कोई
- मैं धैर्यता-सम्पन्न शीतल हूँ… मेरे संकल्प धीरे, बोल कम है
- मैं शान्त-चित्त, क्रोध-मुक्त, आशा-वादी, निश्चय-बुद्धि हूँ
- मैं पुरानी देह-दुनिया-वस्तु-व्यक्ति से परे-न्यारी-उपराम हूँ… अशरीरी-विदेही हूँ… देह की चंचलता समाप्त, मैं बिल्कुल शान्त हो चुकी हूँ
- पास्ट बीत गया, मुझे वर्तमान सुन्दर बनाना है, भविष्य तो स्वर्णिम है ही… सिर्फ़ थोड़ा समय है… बाबा मुझे धीरज दे रहे हैं… धीरज धर मनुआ
सार
तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, बहुत शान्ति-सुख-हल्केपन का शक्तिशाली अनुभव करते रहे… औरों को भी ऎसी श्रेष्ठ शान्ति की अनुभूति कराते, विश्व में शान्ति का राज्य सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!
1) गीत: शान्ति सागर की लहरें…
2) गीत: शान्ति की शक्ति से…
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