परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प | 108 Thoughts for experiencing Soul World
परमधाम का अनुभव करना हमारे इस सहज राजयोगी जीवन का मुख्य अभ्यास है, जिससे बाबा को याद करना भी बहुत सहज हो जाता… तो आज आपको परमधाम अनुभव करने के 108 संकल्प भेज रहे हैं, इन्हें बहुत प्रेम से स्वीकार करना जी!
परमधाम का अनुभव!
- आकाश, सूर्य, चन्द्र, तारागण, अंतरिक्ष से भी पार-ऊपर
- परमधाम, परलोक… परे ते परे… परमात्मा के रहने का स्थान है
- ब्रह्मलोक… स्वयं प्रकाशित… चारों ओर सुनहरा-लाल प्रकाश ही प्रकाश, लाइट ही लाइट है… छठा ब्रह्म महतत्व है
- शान्तिधाम… चारों ओर शान्ति ही शान्ति है… बेहद-असीम चेन, सुकून, विश्राम है… डेड साइलेंस… स्वीट साइलेंस… शान्तिधाम की शान्ति मुझमें समा रही है… मैं बिल्कुल शान्त हो चुकी है
- निर्वाण-धाम… वाणी से परे, वानप्रस्थ, पार निर्वाण… यहां कोई आवाज़ भी नहीं… साइलेंस वर्ल्ड है
- मुक्तिधाम… मैं सम्पूर्ण मुक्त, आज़ाद, स्वतंत्र, निर्बंधन, बन्धन-मुक्त हूँ
- मूलवतन, निराकारी दुनिया, आत्माओं की दुनिया… आत्माओं का घर, सुहावना होम स्वीट होम है… शिवबाबा के भी रहने का स्थान,शिवपुरी है
- देह, देह-भान, देहधारी, पदार्थ, दुनिया, हीलना, हलचल कुछ नहीं… दुख-दर्द-तकलीफ-पीड़ा कुछ नहीं… समय भी नहीं
परमधाम में शिवबाबा!
- ज्योति-बिन्दु स्वरूप बाबा दिखाई दे रहे, उनसे चारों ओर सफेद किरणें फैल रही है… सारा परमधाम जगमगा उठा है
- मैं उनके पास-समीप-संग में… पावन, गुणवान, शक्तिशाली हो रही हूँ
- बाबा ने मुझे खुला निमन्त्रण दिया है… मैं जब चाहे, यहां आ सकती… अधिकारी-त्रिलोकीनाथ हूँ… मुझे बार-बार यहां आना है
मैं आत्मा, परमधाम में!
- मैं परमधाम निवासी, अनादि स्वरूप में…
- ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, खुशी, सुख, आनंद, शक्ति से भरपूर-सम्पन्न हूँ…
- अशरीरी, विदेही, बीजरूप स्थिति में स्थित हूँ
और संकल्प
- लाल आसमान परमधाम में, मैं रूहानी सितारा चमक रहा हूँ… खड़ा हूँ
- दूर-देश परमधाम से… बाबा रोज़ मुझे पढ़ाने आते…
- मैं भी वहीं से आया हूँ, वहीं मुझे जाना है… मैं सबको मुक्ति का रास्ता दिखाता, मेरी एक आँख में मुक्ति है
- परमधाम मेरा पियर-घर है… बाबा बीजरूप है, मैं बाबा के बिल्कुल समीप हूँ, बाकी सब अपने-अपने सेक्शन में है… कल्प वृक्ष में
- भक्ति में यहां आने लिए ही पुरूषार्थ किया, बाबा ने अब बहुत सहज रास्ता बता दिया, अब एक सेकण्ड में मन-बुद्धि द्वारा पहुँच सकता
- मोक्ष धाम, सिद्ध शीलापति, ज्योति धाम है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, परमधाम की असीम शान्ति को अपने अन्दर समाते, बाबा की यादों में झूमते रहे… सभी ज्ञान-गुण-शक्तियों के खज़ानों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
1) गीत: जाना है हमें, अपने परमधाम…
2) गीत: बाबा के संग जाना है…
3) गीत: आवाज़ से परे…
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Wah baba wah shukria
Om shanti
That which is said in Adhyay-2 Shlok-16 of Shrimad Bhagavad Gita is the supreme abode and that which is the red light, that is the truth and this is the Tattvadarshan.
Shukriya baba tera koti koti shukrana