योग कमेंटरी | सर्वगुणों के सागर का सच्चा सेवाधारी | Sakar Murli Churnings 09-02-2021

तपसया के बल से… सारे विश्व में शान्ति फैलाती… मैं विश्व सेवाधारी हूँ

मैं सच्ची सेवाधारी… ज्ञान स्वरूप, मन्सा से भी बुराईयों का त्याग कर… शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद के सागर में लवलीन-समाई रहती

मैं अमरलोक का सम्पूर्ण देवता… शुद्घ भोजन-धारी वैष्णव… बाबा को अति-प्रिय हूँ

मेरे सुप्रीम बाप-टीचर-सतगुरू, पतित-पावन… शिवबाबा का सालिग्राम… मैं अविनाशी पवित्र आत्मा हूँ


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योग कमेंटरी | उड़ता पंछी, खुशबूदार फूल, विरला व्यापारी | Sakar Murli Churnings 08-02-2021

मैं उड़ता पंछी… परिस्थितियों की दीवार-पहाड़ से परे… अपनी मंजिल पर पहुंचने वाली, बाप समान आत्मा हूँ

मैं महावीर, अनुभवी आत्मा… श्रेष्ठ स्थिति के मेडल से सुशोभित… साक्षी, सेकण्ड में फुलस्टॉप लगाती हूँ

एवर-हसीन बाबा… मुझ अपनी सजनी को हसीन बना रहे… मोस्ट ब्यूटीफुल फ़ूलों के बगीचे, स्वर्ग ले जा रहे

मोस्ट बिलवेड बाबा मुझे पढ़ाते… इसी नशे से… मैं कांटे से फूल बन रहा, खुशबूदार

मैं रत्नागर बाबा से अविनाशी-सच्चा व्यापार कर… बेहद कमाई जमा करने वाला… विरला व्यापारी हूँ


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योग कमेंटरी | मैं पावन महावीर विश्व-परिवर्तक आत्मा हूँ | Sakar Murli Churnings 06-02-2021

मैं परोपकारी आत्मा… अपना समय बेहद सेवा में सफल करती… मान-शान से परे

मैं विश्व-परिवर्तक आत्मा… अपनी रहम-कल्याण की दृष्टि-संकल्प-चलन से… सारे विश्व को ईश्वरीय सुख-शान्ति-शक्ति से सम्पन्न करती

मैं बाबा पर सम्पूर्ण निश्चय-बुद्धि… हिम्मतवान, बहादुर, निर्भय, महावीर हूँ… पवित्रता के आधार पर अतीन्द्रिय सुख-नशे से भरपूर हूँ

मेरा रहमदिल, सत्य, पतित-पावन बाबा… मुझे पावन देवता बन रहा… सारे विश्व का मालिक, सबके दिलों पर राजा


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योग कमेंटरी | शक्तिशाली अतीन्द्रिय सुख का नशा | Sakar Murli Churnings 06-02-2021

मैं कर्मयोगी आत्मा… अपनी पावरफुल मन्सा से… शक्तिशाली वायुमण्डल बनाती

मैं अतीन्द्रिय सुख की अधिकारी… त्रिकालदर्शी, मायाजीत हूँ… तुच्छ आकर्षणों से परे

मैं श्रीमत पर पढ़ाई-योग द्वारा… राजतिलक की अधिकारी… पूज्य-पावन दैवी आत्मा हूँ

बेहद बाबा द्वारा अटल-अखण्ड-अडोल-अद्वैत राज्य का वर्सा प्राप्त कर रहा… एक धर्म-राज्य-मत की दुनिया… इसके ही गुप्त नशे में रहता


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योग कमेंटरी | मैं शिव-साजन का कल्याणकारी हीरा हूँ | Sakar Murli Churnings 04-02-2021

मैं बाबा का कोहिनूर हीरा… परचिन्तन-परदर्शन की धूल से परे… बेदाग अमूल्य हीरा हूँ

कल्याणकारी ड्रामा के ढाल की स्मृति से… मैं सदा खुश रहने चली… शक्तिशाली आत्मा हूँ

मैं मेरे राम की सच्ची सीता… शिव की पार्वती… सलोने साजन की सजनी हूँ

मैं अविनाशी पार्टधारी मुसाफिर… दैवी प्रिंस-प्रिंसेस बन रहा… याद-बल से मायाजीत

मेरा भोला बाबा… सुख-कर्ता… एवर-pure है


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योग कमेंटरी | सम्पूर्ण पावन फरिश्ता | Sakar Murli Churnings 03-02-2021

देह भान भी बाबा को अर्पण करने वाली… मैं हल्की, डबल लाइट आत्मा… फ़रिश्ता हूँ

सदा गुणग्राही बन… गुण देखने में दृढ़ रहने वाली… मैं अचल अड़ोल आत्मा हूँ

मैं सम्पूर्ण पावन देव आत्मा… संकल्प-बोल-कर्म में सर्वगुण सम्पन्न… पुरूषोत्तम, सुखदाई हूँ


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योग कमेंटरी | सार-स्वरूप राजयोगी | Sakar Murli Churnings 02-02-2021

मैं राजयोगी आत्मा… सेकण्ड में सार-स्वरूप में स्थित… सारा विस्तार समा गया है

मैं खुदा दोस्त की अधिकारी… व्यर्थ की दगमग से परे… मीठे बाबा पर एकाग्रचित्त हूँ

मैं पावन दिव्य आत्मा… शान्त स्वरूप स्थिति में स्थित… सबकी आशीर्वाद की पात्र हूँ

योग कमेंटरी | मैं सहजयोगी डबल सिरताज हूँ | Sakar Murli Churnings 01-02-2021

मैं सहजयोगी आत्मा हूँ… हर संकल्प-कर्म से… सबको स्नेह की अनुभूति कराती

सदा बाबा से सुख-शान्ति-प्रेम-खुशी का अनुभव कर…. बाबा मिला सबकुछ मिला, इसी खुमारी-नशे में रहती… स्वयं भगवान् मुझपर कुर्बान है

बाबा मुझे सर्वश्रेष्ठ राजयोग सिखाते… पतित-पावन बाबा को याद कर… मैं सतोप्रधान, सुन्दर बन रहा

कर्म करते भी बाबा की याद से सोने की बुद्धि बन रही.. मैं हीरे-तुल्य बन रहा… डबल-सिरताज श्रेष्ठ देवता


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योग कमेंटरी | अपने दिव्य स्वरूपों का अनुभव | Sakar Murli Churnings 30-01-2021

सभी जिम्मेवारी निभाते हुए… मैं डबल लाइट… बाबा का समीप रत्न हूँ

एकान्तवासी-अन्तर्मुखी बन… बाबा-प्राप्तियों की स्मृतियों के… शक्तिशाली अनुभव से मायाजीत रहता

मैं सूक्ष्मवतनवासी फरिश्ता… स्थूल हड्डी-मास से परे…. याद की खुशी में रहता

मैं सम्पूर्ण पावन… देव आत्मा… स्वराज्य अधिकारी हूँ

मैं ब्राह्मण आत्मा हूँ… निराकार शिवबाबा से वर्सा प्राप्त कर रही… प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा


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योग कमेंटरी | डबल अथॉरिटी स्वरूप | Sakar Murli Churnings 29-01-2021प

मैं हर ज्ञान की प्वाइंट को स्वयं में समाकर… उस स्थिति-स्वरुप का अनुभव कर… शुभ संकल्पों के ख़ज़ाने से भरपूर मेहसूस करता

मैं ज्ञान-अनुभव की डबल अथॉरिटी… मस्त फकीर रमता योगी हूँ

बाबा मेरी सेवा पर उपस्थिति हुआ है, बुलावे पर… बहुत सहज रास्ता बताते… मन्मनाभव

मैं आत्मा मुसाफिर हूँ… बाबा आए हैं मुझे अपने साथ ले जाने… नई दुनिया का दैवी फूल बनाने

मैं ज्ञान-नेत्र से सदा अपने आत्मिक स्वरूप… बाबा के स्वरूप को देख… बाबा पर बलिहार जाती


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