योग कमेंटरी | मैं सहजयोगी डबल सिरताज हूँ | Sakar Murli Churnings 01-02-2021

मैं सहजयोगी आत्मा हूँ… हर संकल्प-कर्म से… सबको स्नेह की अनुभूति कराती

सदा बाबा से सुख-शान्ति-प्रेम-खुशी का अनुभव कर…. बाबा मिला सबकुछ मिला, इसी खुमारी-नशे में रहती… स्वयं भगवान् मुझपर कुर्बान है

बाबा मुझे सर्वश्रेष्ठ राजयोग सिखाते… पतित-पावन बाबा को याद कर… मैं सतोप्रधान, सुन्दर बन रहा

कर्म करते भी बाबा की याद से सोने की बुद्धि बन रही.. मैं हीरे-तुल्य बन रहा… डबल-सिरताज श्रेष्ठ देवता


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