योग कमेंटरी | सर्वगुणों के सागर का सच्चा सेवाधारी | Sakar Murli Churnings 09-02-2021

तपसया के बल से… सारे विश्व में शान्ति फैलाती… मैं विश्व सेवाधारी हूँ

मैं सच्ची सेवाधारी… ज्ञान स्वरूप, मन्सा से भी बुराईयों का त्याग कर… शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद के सागर में लवलीन-समाई रहती

मैं अमरलोक का सम्पूर्ण देवता… शुद्घ भोजन-धारी वैष्णव… बाबा को अति-प्रिय हूँ

मेरे सुप्रीम बाप-टीचर-सतगुरू, पतित-पावन… शिवबाबा का सालिग्राम… मैं अविनाशी पवित्र आत्मा हूँ


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