स्वमान कमेंटरी | मैं सम्पूर्ण पवित्र पूज्य पावन देव आत्मा हूँ | Avyakt Murli Churnings 07-03-2021

मैं महान्… परमात्म-भागयवान… ऊँच ते ऊँच ब्राह्मण आत्मा हूँ

मैं चैतन्य… पूज्य पावन… शुद्घ आत्मा, इष्ट देव हूँ

मैं सम्पूर्ण पवित्र आत्मा… संकल्प, वृत्ति-वायुमण्डल, वाणी-सम्पर्क सब शुद्ध है… हर संकल्प-सेकण्ड सफल कर, श्रेष्ठ जमा करता

मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा… सदा भाग्य-भाग्यविधाता की स्मृति में… ‘वाह मेरा भाग्य’ का गीत गाता, उड़ती कला का अनुभवी हूँ

मैं रूहानी योद्धा… सदा बाबा को साथ रख… विजयी रहता, आशा-विश्वास से सम्पन्न



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योग कमेंटरी | मैं ज्ञान-स्वरूप मास्टर-सर्वशक्तिमान सन्तुष्टमणि सेवाधारी हूँ | Avyakt Murli Churnings 07-02-2021

स्वयं सर्वशक्तिमान बाप ने मुझे सर्वशक्तियों का वर्सा-वरदान दिया है… मैं अधिकारी आत्मा, मालिक हूँ… राजयोगी राजा, सदा सन्तुष्ट हूँ

मैं मास्टर सर्वशक्तिमान के नशे-खुशी में स्थित हूँ… सब कार्य सहज सफल हो रहे… तन स्वस्थ, मन एकाग्र, धन सहज, सम्बन्ध सहयोगी है

शुभ-भावना सम्पन्न… मैं इष्ट देव आत्मा, सिद्धि स्वरुप हूँ… सिर्फ एक दृष्टि-direction से सबके कष्ट हल होते

मैं सच्ची सेवाधारी हूँ… मुझसे सबको शीतलता-शान्ति के झरनों का अनुभव होता… कामधेनु बन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हूँ

मैं ज्ञान-स्वरूप आत्मा… पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन देती… बाबा और मुरली से समान प्यार है


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योग कमेंटरी | पवित्रता का श्रृंगार | Avyakt Murli Churnings 24-01-2021

योग कमेंटरी | पवित्रता का श्रृंगार | Avyakt Murli Churnings 24-01-2021

मैं परम पूज्य आत्मा… पवित्रता की धारणा से सम्पन्न… जहान की नूर हूँ

मैं डबल लाइट फरिश्ता… सदा खुशियों में नाचती… प्रभु प्राप्तियों के गीत गाती

स्वयं भाग्यविधाता मेरा है… मैं अविनाशी भाग्य के ख़ज़ाने से सम्पन्न… इच्छा मात्र अविद्या हूँ

मैं सदा बाबा के समीप… सुखों के संसार-झूले में झूलती रहती… सर्व प्राप्तियों से हर्षित हूँ

सदा बाबा के हाथों में हाथ… मैं बाप-समान आत्मा हूँ… विजय माला का मणका


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कविता | रूहानी माशूक और रूहानी आशिकों की निराली यह महफ़िल | Avyakt Murli Churnings 13-12-2020

कविता | रूहानी माशूक और रूहानी आशिकों की निराली यह महफ़िल | Avyakt Murli Churnings 13-12-2020

रूहानी माशूक और रूहानी आशिकों की निराली यह महफ़िल
इसी मिलन-आकर्षण में खोके, पाया सर्व-प्राप्तियों का यथार्थ ठिकाना

गॉडली-गार्डन के खिले-खुशबूदार हम फूल, ज्ञान-सागर की स्नेह-शक्ति लहरों से होते रिफ्रेश
स्वच्छ-रमणीक-सुन्दर यह स्थान, मोहब्बत की लकीर में बने मेहनत-मुक्त सहजयोगी

पायी समय पर दिल से सर्व सम्बन्धों की अनुभूति, वर्से-वरदान की प्राप्ति से हुए सम्पन्न-शक्ति स्वरूप
किया हमे रॉयल, तृप्त और सन्तुष्ट

मोहब्बत की स्नेह-प्रीत के रूहानी-पवित्र है नाज़-नखरे
है मन की लगन और बुद्धि का साथ, यही स्थिति दिलाती हर सेवा में सहयोग का हाथ
एक में समाकर होंगे समान, जबकि सर्व-सम्पन्न सर्वशक्तिमान है हमारा माशुक

संकल्पों से है नई-श्रेष्ठ सेवा, संकल्पों से ही दिलानी सहजयोग की सुक्ष्म-शक्ति
बहानेबाजी को करके मर्ज, बेहद वैराग्य-वृत्ति को करे इमर्ज


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Answers from Avyakt Murli 26-04-2020



Answers from Avyakt Murli 26-04-2020

1. जितना स्वयं खुश रहेंगे उतना दूसरों को _____ सुनायेंगे।
° *खुशखबरी*

2. बाप का वर्सा बच्चों का अधिकार है। तो अधिकार सदा _____ मिलता है।
° *सहज*

3. कौन किससे मिलने आये है?
° हम *गाडली फ्रैन्डस* (स्नेही-सहयोगी-शक्तिशाली) को, हमारे *मन के मीत* मिलने आए हैं

4. हर कर्म _____ के रूप में गायन योग्य बनाने वाले महान आत्मा भव
° *चरित्र*

5. भरपूर चीज कभी _____ में नहीं आती। सम्पन्न बनना अर्थात् _____ बनना।
° हलचल, *अचल*

6. *रूहानी गुलाब* अर्थात् कौन?
° सदा अविनाशी रूहानियत की खुशबू में रहने वाले और रूहानी खुशबू देने वाले (माया से मूर्च्छित न हो)

7. संकल्प और स्वरूप दोनों ही समान हो। यही _____ है।
° *महानता*

8. जितना _____ बनेंगे उतनी नवीनता टच होगी। और _____ के बल से सफलता होगी।
° योगयुक्त, *याद*

9. सेवा के निमित्त बनना अर्थात् _____ मिलना … सेवा के निमित्त बनने से और क्या प्राप्तियां होती?
° *गोल्डन चांस*
° सहज उन्नति, मायाजीत बनते, जितना बढ़ना चाहे बढ़ सकते
° अपनी हिम्मत से बाबा की मदद, आशीर्वाद के रूप में अनुभव होती

10. जैसे आजकल सूर्य की शक्ति जमा करते । यह भी _____ इकट्ठी करो।
° *संकल्प की शक्ति*

11. पहले _____ में नवीनता लाओ तो सेवा में नवीनता वा प्रभाव स्वत: आ जायेगा
° *स्व*

12. मान परछाई के समान पीछे कब आयेगा?
° जब मान की इच्छा छोड़, *स्वमान* में टिक जाओ

13. संगमयुग का हर कर्म _____ में जाने का है।
° *उड़ती कला*

14. जिसको भी देखें तो _____ की अनुभूति हो तब नवयुग आयेगा।
° *परमात्म स्वरूप*

15. *प्रभावशाली सेवा* किसे कहेंगे? (3)
° हम *राजयोगी फरिश्ते* लगे, रूहानियत है तो यहाँ ही है
° यही *परमात्म कार्य* चल रहा, यही परमात्म बच्चे है
° जीवन हो तो ऐसी, हमें भी *अच्छा* बनना है


Serving with a broad heart & attitude! | Avyakt Murli Churnings 19-04-2020

Serving with a broad heart & attitude! | Avyakt Murli Churnings 19-04-2020

1. हम स्नेही-सहयोगी-सहजयोगी बच्चों से स्नेह सागर-सर्व खजानों के विधाता-वरदाता बाबा स्नेह-रूहानी मिलन-मेला मनाने आए है… हम थोड़ी सी आत्माएं स्वयं-बाप को पहचान पूज्य बन रही (जिनको सब पूजते), सिर्फ स्नेह-भावना के आधार पर बाबा ने अपना बना लिया (नाउम्मीद से उम्मीदवार बन गये)… अब सबको यह वरदान दिलाने के बेहद उमंग-उत्साह में स्थित है

2. विशाल-कार्य के साथ विशाल दिल-उमंग रखने सिर्फ अपनी ड्यूटी में कुछ नवीनता-रूहानियत ऐड कर बाप के समीप लाना है (दूर हो, तो विश्व-कल्याण की भावना से सेवा करनी)… इसलिए अब हद में समय-संकल्प व्यर्थ नहीं गंवाना (मोल्ड हो रियल गोल्ड बनना), हम जिम्मेवार-सहयोगी है, नाउम्मीद-भयभीत आत्माओं को भविष्य-गोल्डन ऐज की खुशखबरी सुनाने लिये

3. (कुमारियां से)… हम निर्दोष-श्रेष्ठ-महान-पूज्य आत्माएं, विश्व-सेवाधारी बनने की कमाल दिखाने वाली है… अपने जीवन (चाल-चलन-दृष्टि) से पाठ पढ़ाते, सब यही देखना चाहते

Being powerful, sweet & free from desires this Christmas! | Avyakt Murli Churnings 12-04-2020

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मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम पवित्रता के किले में सुख-शान्ति सम्पन्न छोटा संसार है… पवित्रता अर्थात्‌ कामना-जीत (चाहे वस्तु-व्यक्ति-सम्बन्ध निभाने-सेवा में)… कामना की परख आकर्षण-अच्छाई से भी परे (जिसकी परख लगाव-झुकाव), और ईर्षा-वैर से भी परे (जिसकी परख जिद्द-सिद्ध-दिखाना-मैं मैं… इसलिए अभिमान-अपमान से परे शुभ भावना-स्वमान में रहना)… जबकि बाबा के पास आने का भाग्य मिला है, तो अब सभी विघ्न-रूप कमजोरी का त्याग

2. क्रिसमस का आध्यात्मिक रहस्य:

  • आज बाबा ने कहा… इस मनुष्य सृष्टि वृक्ष में… निराकार बाबा है बीजदो पत्ते है आदि मात-पिता… तना है हम ब्राह्मण… फिर शाखाएं
  • बुरे दिन समाप्त हो बड़े दिन आना, इसलिए बुजुर्ग-ब्रह्मा दिखाते
  • ज्ञान-गुण-शक्तियों की सौगात, जो 21 जन्म चलती (कमाने की भी आवश्यकता नहीं!)
  • किशमिश डे… सदा मीठी दृष्टि-बोल-कर्म से कड़वी धरणि को भी परिवर्तन करना (जैसे बाबा ने हमे किया)

3. कुमार अर्थात् शक्तिशाली हो तीव्र गति से आगे बढ़ने वाले, विघ्नों-पेपर पर भी अपना श्रेष्ठ प्रभाव डालने वाले… कुमार अर्थात्‌ निर्बन्धन-उड़ती कला द्वारा श्रेष्ठ शान्ति-स्थापना के कार्य में निमित्त बनना

4. (यादप्यार)… मधुरता से श्रेष्ठ बनने-बनाने के वरदान द्वारा आगे बढ़ते-बढ़ाते… मिठास की बधाई


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The beauty of Follow Father! | Avyakt Murli Churnings 05-04-2020

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मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम सर्व-स्नेही बच्चों के स्नेह का respond देने, विदेही बाप हमे भी आप-समान विदेही बनाते (करावनहार बन कर्म कराने वाले)… यही फॉलो फादर है:

  • शिवबाबा को फोलो करना अर्थात्‌… विदेही-अशरीरी-निराकारी भव
  • ब्रह्मा-बाप को फोलो करना अर्थात्‌… आकारी-अव्यक्त-फरिश्ता भव

लौकिक में भी फोलो सहज है… हर प्रश्न (धन-सम्बंध-आदि) का उत्तर है साकार-बाबा का जीवन (यही computer है)…. जिससे सदा प्रसन्न-चित्त रहते

2. इस रथ को आदि समय से भोले-इनोसेन्ट स्वभावजीवन कारण बाप-समान पार्ट बजाने का वरदान मिला था, यही रथ नून्ध है

3. सेवाधारी अर्थात्‌:

  • मास्टर सर्वशक्तिमान की स्व-स्थिति द्वारा आगे बढ़ते-बढ़ाते
  • श्रेष्ठ त्याग के प्रत्यक्षफल भाग्य द्वारा उड़ते-उड़ाते
  • सेवा द्वारा जन्म-जन्म लिए सम्पन्न बन रहे, इसी स्मृति की खुशी से अथक
  • शक्तिशाली वायुमण्डल द्वारा बाप-समान क्वालिटी बनने-बनाने वाले
  • स्वयं-सम्बन्ध-सेवा से सन्तुष्ट रह, सन्तुष्टता की किरणों द्वारा तीनों सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले

4. कुमार अर्थात्‌ कमज़ोरी को तलाक दे समर्थ बनने वाले… बाबा-परिवार के प्रिय, सबके श्रेष्ठ कर्म की रेखा खिंचवाने वाले (याद-सेवा से ही आगे बढ़ते)


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Ensuring conviction on family, by empowering the mind through spiritual efforts! | Baba Milan Murli Churnings 03-04-2020

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1. हम स्नेह-लगन से बाप-समान समर्थ बन रहे, बाबा भी वाह-वाह कर हमे सिरताज कह आगे बढ़ाते… हमारे जीवन का फाउण्डेशन ही है निश्चय, जिससे विजयी होते… चारों निश्चय:

  1. बाबा पर निश्चय… सबको अटूट है ही (तब तो उनके बने-मिलने आए)… मैं बाबा का बाबा मेरा, इस स्मृति द्वारा बाबा-सर्व खजानो के अधिकारी बन गए
  2. स्व पर निश्चय… हम बाप-समान स्वमान-धारी, स्वराज्य अधिकारी, कोटों में कोई है (कितने स्वमान-टाइटल स्वयं भगवान् ने हमे दिए है)… इनकी स्मृति में खुशी-भाग्य-नशे में उड़ते रहते (जो चेहरे-चलन में भी दिखता), सदा विजयी-सफल रहते
  3. ड्रामा पर निश्चय… जिससे समस्या भी परिवर्तन हो समाधान होती, हम अचल-अडोल रहते… कल्प-पहले भी सफल हुए थे, अब भी और सदा रहेंगे (इस नशे में रहना है)
  4. परिवार पर निश्चय… जबकि स्वयं भगवान् ने यह परिवार दिया है, सबसे बड़ा परिवार, जो 21 जन्म साथ चलेगा… भिन्न संस्कार भल हो (माला हमारा ही यादगार है, एक बाप-परिवार-राज्य), बड़ी दिल-शुभ भावना से चलना… क्योंकि भल बाबा सकाश देते, परन्तु साकार साथी तो परिवार ही है, इसलिए संस्कार मिलाकर कल्याण-भाव से चलना है (ऐसे बाप-समान नॉलेजफुल-साक्षी ही फर्स्ट आते, सदा स्वभाव-संस्कार क्यों-क्या की गलतियों से परे, कैसे के बदले ऐसे)… छोड़कर तो जाना नहीं, उन्हें भी आप-समान बनाना है (हमारा ही ईश्वरीय-परिवार है)

एक भी निश्चय में कमी है, तो हलचल होंगी, इसलिए सदा वाह-वाह… समय की समीपता प्रमाण प्रकृति पर बोझ बहुत है, माया भी जाने बाली है (हम ही उसका आह्वान करते), इसलिए अब एवर-रेडी बनना है

2. परिवार पर निश्चय ही मुख्य सब्जेक्ट है… जबकि बाबा लास्ट बच्चे की भी विशेषता देखते (सदा मीठे-मीठे मेरे कहते, महात्मा से भी ऊँच समझते), ब्रह्मा-बाबा ने भी कितना बड़ा संगठन सम्भाला (भागन्ती भी कुछ हुए)… तो जबकि हमारा दोनों बाबा पर 100% प्यार हैं (तो दिन में 12-12 बार शिवबाबा-समान निराकारी-स्वरुप, ब्रह्मा-बाबा समान फरिश्ता स्वरुप में स्थित होना)… कोई के कैसे भी संस्कार हो, हमारे संस्कार तो अच्छे है ना

3. बहुतकाल का अभ्यास ही अचानक के लिए एवर-रेडी बनाता … तीव्र-पुरुषार्थ द्वारा कारण को निवारण कर, सबको तीव्र-सन्देश दे मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाना है

4. (यादप्यार)… हम स्नेही-सब बातों में सहयोगी, लवलीन है… समय-संकल्प के अमूल्य ख़ज़ाने को बाबा के कार्य में लगाकर प्रालब्ध बनाने वाले तीव्र-पुरूषार्थी… सर्व गुण-शक्तियों को जीवन में लाकर गुण-शक्ति सम्पन्न बनने वाले

सार (चिन्तन)

जबकि हम दिन में 12-12 बार बाप-समान निराकारी वा फरिश्ता स्थिति का अनुभव करने वाले है… तो सदा स्वयं को स्वमान-धारी स्वराज्य-अधिकारी अनुभव कर, मेरा बाबा की स्मृति द्वारा सर्व गुण-शक्ति-खजानों से सम्पन्न बन… हर समस्या का समाधान कर, परिवार में बड़ी दिल-शुभ भावना-कल्याण भाव से चलते, चारों ही प्रकार के निश्चयबुद्धि-विजयी बन… ऐसे बहुतकाल एवर-रेडी हो, सबको भी मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being God’s right hand! | Avyakt Murli Churnings 29-03-2020

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मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

हम बाबा की भुजाएं है… भुजाओं का कार्य है:

  • कर्म करना… जो जीवन-चेहरे-दृष्टि में प्रत्यक्ष अनुभव होता (और बाबा को प्रत्यक्ष करता)… राइट हैन्ड अर्थात्‌ शुभ-श्रेष्ठ कर्म करने वाले
  • सहयोग देना… तो हर समय तन-मन धन से बाबा के सहयोगी (देह-सम्बंधी की प्रवृत्ति के विस्तार से परे)
  • शक्ति का प्रतीक… तो सदा शक्तिशाली दृष्टि-वृत्ति संकल्प:
    • संकल्प… श्रेष्ठ सृष्टि रचे
    • वृत्तिवायुमण्डल बनाएं
    • दृष्टि… अशरीरी-आत्मा का अनुभव कराएं
  • स्नेह की निशानी… बाबा-समान:
    • संकल्प… व्यर्थ से परे समर्थ
    • बोल… सुखदाई-मधुर-महावाक्य, अव्यक्त-आत्मिक भाव
    • संस्कार… उदार-चित्त, कल्याणकारी, नि:स्वार्थ

पार्टियों से

  • बाबा रोज़ हमें स्वदर्शन चक्रधारी-शक्तिशाली कहते, जिससे माया पर विजयी रहते
  • सदा पावन बनना-बनाना, यही असम्भव को सम्भव करना है
  • बहादुर ही मायाजीत है, कमजोरी माया का आह्वान करती… हम तो विश्व कल्याणकारी-बेहद-सच्चे सेवााधारी है… बाप समन समर्थ-सम्पंन (फूल होने से हलचल नहीं होती)
  • सम्पूर्णता अर्थात निंदा-स्तुति में भी समानताbalance, जिससे bliss होती (दुःख में भी सुख, निंदा में भी दृष्टि-वृत्ति न हिले)
  • देही-अभिमानी अर्थात्‌ इशारे को समाकर उन्नति करना

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