Giving peace & power to all | शान्ति की लहरें-किरणें बांटना | Avyakt Murli Churnings 28-04-2019

Giving peace & power to all | शान्ति की लहरें-किरणें बांटना | Avyakt Murli Churnings 28-04-2019

1. हम पूर्वज-पूज्य आत्माएं हैं, जिनके द्वारा सबको शान्ति-शक्ति मिलती (हम मास्टर शान्ति-सागर, शान्ति-सूर्य है), सब यही चाहते … तो मन्सा को ऎसे मजबूत करना है, क्योंकि मन के अनुभव ही मन तक पहुँचते, औरों को श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा देते

2. बेहद के वैरागी अर्थात इस शरीर-घर से भी न्यारे, तो पुराने स्वभाव-संस्कार-साधन से स्वतः परे रहेंगे… सिर्फ़ निमित्त साधनो को मालिक-करावनहार-उड़ता योगी बन सेवा-पुरूषार्थ के लिए विधि बनाकर सिद्धि को प्राप्त करना है… फिर वशीभूत-परवश-परेशान नहीं होंगे, परन्तु सदा देह-भान (धरती), विकारों (अग्नि), साधनो के आकर्षण (बहाव) से ऊपर रहेंगे

3. हलचल में अलबेलापन (यह तो होता ही है, अभी तो समय है), वा आलस्य (कर रहे हैं, हो जाएँगा, कौन बना है) की चद्दर ओढ़ने के बजाए… सदा अचल बन सबको अपनी सेवा द्वारा शान्ति-शक्ति-उमंग दिलाते रहना है… हम समय-परिस्थिति से श्रेष्ठ है, तो सिर्फ उनके कारण तीव्र पुरूषार्थ करने के बजाए, हमें समय को समीप लाना है

4. हमें सिर्फ निमित्त बन स्नेह-पूर्ण सेवा-संदेश देना है, इससे स्नेह-सम्बन्ध बढ़ता, और बीज पड़ता आगे फलीभूत जरूर होगा (अर्थात सब अपना भाग्य अवश्य बनाएँगे, विदेश देश को जगाएगा), हमारा जमा तो होता ही है… अभी तो साधन भी सहज, जितना दिल से सेवा में busy रहते उतना मायाजीत रहते, आगे बढ़ने का वरदान तो हमें मिला ही हुआ है

5. हम सदा मिलन मेले में है (जहां भी हो), इसलिए सदा सर्व प्राप्तियां-सुख से सम्पन्न झूल रहे है… शान्ति की शक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है (जिससे ही सर्व शक्तियां-साइंस निकली है), इससे असम्भव भी सम्भव-सहज होता, तो इसके द्वारा सहजयोगी जरूर बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… समय से पहले ही सदा बाबा के मिलन मेले में सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बन, मास्टर शान्ति सागर-सूर्य बनके सबको शान्ति-शक्ति की अनुभुती कराते, सत्य प्राप्ति कि realization कराते रहे… बाबा से जुड़ाते सतयुग बनाते चले

योग कमेंटरी | ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा से मिलन | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019

योग कमेंटरी | ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा से मिलन | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019

सूक्ष्मवतन में… ज्ञान-सूर्य बाबा… ज्ञान-चन्द्रमा में प्रवेश कर… दोनों मुझे देख रहे हैं

बहुत प्यार-भरी… शीतल… मीठी दृष्टि दे रहे हैं

मुझे शक्ति का वरदान, स्नेह का वरदान देकर… लवली, लाइट-हाऊस… सफलता का सितारा बना दिया है

मैं बापदादा से मिलन मनाते… बहुत हल्की, निश्चिंत… आनंद-मई स्थिति में स्थित हूँ

सब को सफलता का वरदान देती… सुखशान्ति सम्पन्न बनाती हूँ… बाबा ने मुझे विश्व कल्याणकारी बना दिया है… ओम् शान्ति!

गीत: तुम तो यहीं कहीं बाबा…


और योग कमेंटरी:

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Becoming a star of success | सफलता का सितारा बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019

Becoming a star of success | सफलता का सितारा बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019 image

Becoming a star of success | सफलता का सितारा बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019

1. इस मधुबन-मण्डल में हम ज्ञान-सितारों को दोनों ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा अर्थात शक्ति-स्नेह के वरदान मिले हैं, जिससे सहज लवली वा लाइट-हाउस, सफलता-स्वरूप सफलता के सितारे बन गए हैं… सबका लक्ष श्रेष्ठ रहता, सिर्फ स्वार्थ के कारण सफलता नहीं मिलती (और कलह-क्लेश, सब विकार आते), इसलिए स्वार्थ के बदले सेवा-भाव लाना है

2. वर्तमान स्मृति और भविष्य राजतिलक के साथ हमें मिला है, फरिश्ता स्वरूप का सम्पन्न-समान तिलकसर्व विशेषताओं की मणियों से सजा ताज, और डबल लाइट तख्त… बाबा भी स्नेह-शक्ति-वरदान की मालाएँ हमें पहनाते, हम भी याद-प्यार-स्नेह की मालाएँ वा उमंग-उत्साह के पुष्प उनको चढ़ाते, इसी का यादगार भक्ति में चला आया है

3. हम शक्तिशाली आत्माओं ने स्व-अध्ययन और सेवा द्वारा वर्तमान और भविष्य जन्म-जन्मान्तर का श्रेष्ठ भाग्य बना लिया है… सदा साथ रहने के वरदानी होते, सब को ऎसा वरदानी बनाना है, कैसे मोहब्बत द्वारा मेहनत से मुक्त रहना… यही सेवा विशेष लॉटरी है, जिनका सेवा से जन्म-पालना मिली वा आगे बढ़ रहे हैं, उन्हेंं इसका रिटर्न-सहयोग अवश्य मिलता है

4. ऊंच ते ऊंच बाबा के साथ पार्ट बजाने वाले (और ऊंच युग के रहवासी होते), मैं विशेष पार्टधारी हूँ इसी स्मृति में रहना है… तो स्वतः हर बॉल-कर्म विशेष होगा, औरों को भी ऎसे विशेष बनने की आकर्षण होगी… सिर्फ़ जो विशेषताएं मिली है उन्हें कार्य में लगाना है

5. मन के वश होने के बजाए, एकाग्रता की शक्ति द्वारा मालिक बनना है… तो स्वतः फरिश्ता स्वरूप की अनुभुती, एक बाबा दूसरा ना कोई, निर्विघ्न स्थिति और सर्व के प्रति स्नेह-कल्याण-सम्मान की वृत्ति रहेंगी… आगे चल ऎसा सहज फरिश्ता स्वरूप में स्थित रहेंगे सबकुछ करते, कि खुद भी देह भान से न्यारे उड़ते औरों को भी उड़ाते रहेंगे

वरदान-स्लोगन!

सेन्ट अर्थात व्यर्थ से इनोसेंट, इसलिए सदा सत्यता-यथार्थता-दिव्यता से सम्पन्न रहते… ऎसे ब्रह्मा बाप को फॉलो करने से फ़र्स्ट डिविजन में आ जाएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा के साथ एकाग्रता-चित्त रह वरदानों से भरपूर बन, हर पल विशेष कर्म करते सब को विशेष बनाते रहें… फरिश्ता बन, फरिश्ता बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019 image

Earning Blessings through the Art of Balance | बैलेन्स की कला द्वारा ब्लैसिंग की प्राप्ति | Avyakt Murli Churnings 14-04-2019

हम प्रेम-स्वरूप बच्चों से प्यार का सागर मिलने आए हैं, यह प्रेम के सम्बन्ध की महफिल है, जो राहत-राह-प्राप्ति-प्रोपर्टी सब दिलाता… सभी की याद, प्यार, लक्ष्य श्रेष्ठ है (108 की माला में आना, लक्ष्मी-नारायण बनना)… फिर भी सदा एकरस-उड़ती कला के अनुभवी, बाबा के प्यार में सूद-बूद खोये नहीं रहते… क्योंकि बैलेन्स की कमी है, इसलिए ब्लैसिंग नहीं मिलती और मेहनत करनी पड़ती

बैलेन्स से ब्लैसिंग!

कौन से बैलेन्स?

  1. याद और सेवा का बैलेन्स, अर्थात याद में रह सेवा करना… Priority याद को, ऎसे नहीं समय मिला तो याद करेंगे
  2. इस बैलेन्स से स्वतः स्वमान और निर्मानता का बैलेन्स रहता… ज्ञान का नशा भी आवश्यक है, साथ मेंं कारावनहार बाप की स्मृति निमित्त-निर्मान रखती
  3. अलौकिक-ईश्वरीय सेवा की जिम्मेवारी निभाते भी डबल लाइट, बाबा करा रहे हैं… जीतना न्यारा, उतना प्यारा
  4. श्रेष्ठ अनुभव द्वारा श्रेष्ठ ज्ञानी-योगी-सेवाधारी बनने के नशे के साथ याद रखना है… कि हमें हर पल उड़ती कला-उन्नति के अनुभवी, सर्व के लिए एक्जैम्पुल बनना है

और पॉइन्ट

1. बॉम्बे से मुलाकात…ऎसा अविनाशी खज़ानों के खान की प्राप्ति के सम्पत्ति-वान बनना है, कि स्थूल सम्पत्ति वाले भी हमको देख अपना अविनाशी भाग्य बनाने की प्रेरणा ले… हमनेेे तो माया को सागर के तले में डाल दिया है… अब तो सिर्फ, सर्व के लिए example बन, मम्मा-बाबा की सेवाओं का श्रेष्ठ रिटर्न देना है

2. बाबा ने हमें रूहानी जिम्मेवारी का ताज दिया है… यह जितना बड़ा, उतना ही हल्का, सुखदाई, खुशी देने वाला ताज है… यह हर कर्म में साथ रहता, और सतयुग में भी साथ आता, एसी wonderful ताजपोशी बाबा ने हमारी करा दी है!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं प्यार का सागर हमारे लिए आया है, तो हम भी सदा याद द्वारा निर्मान, डबल लाइट, उड़ती कला अर्थात सदा शान्ति प्रेम आनंद के अनुभवी बन… सर्व को श्रेष्ठ प्राप्तियां कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

हम हैं ज्ञान सूर्य के समीप लक्की सितारे | Lucky Stars sparkling in God’s remembrance | Avyakt Murli Churnings 07-04-2019

हम हैं ज्ञान सूर्य के समीप लक्की सितारे | Lucky Stars sparkling in God’s remembrance | Avyakt Murli Churnings 07-04-2019

1. ज्ञान चंद्रमा और ज्ञान सूर्य के रूहानी रोशनी मिलने से हम सितारे भी चमक उठे हैं, स्नेही सहयोगी सहजयोगी श्रेष्ठ ज्ञानी वा सेवाधारी बन गए हैं… लेकिन कोई मेहनत वाले, कोई सहज सफलता प्राप्त करने वाले सितारे है

2. जो बाबा के अविनाशी प्राप्ति के सम्बन्ध के समीप है, वह औरों को भी समीप सम्बन्ध में जोड़ते… पूरा कनेक्शन ने होने कारण यथाशक्ति रह जाते, फिर और भी विघ्नों में रुकते रहते… इसलिए यथा शक्ति से मास्टर सर्वशक्तिमान बनना है, तो ज्ञान सूर्य सदा साथ रहने से प्राप्तियां परछाइ समान पीछे- पीछे आएँगी

पार्टियों से मुलाकात!

1. एक मत पर दोनों पहिए चलने से रफ्तार तीव्र रहती, एक दो को आगे बढ़ाते, आगे बढ़ते रहना है… विशेष आत्माओं का संग-सहयोग-शिक्षाएं मिलना भी श्रेष्ठ भाग्य है, इसके रिटर्न में सदा उड़ती कला में जरूर रहना है

2. बाबा की याद ही छत्रछाया है, जिसमे माया से सेफ रहते, बाबा का सहयोग मिलती रहता, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहते… बाबा को भूल इससे बाहर नहीं आना है, नहीं तो ठोकर दुःख-दर्द मिलता

3. बाबा को भी अपने समान बच्चें, जो बाप से भी विशेष कार्य करते, उनपर नाज़ है… इसके लिए सिर्फ़ याद और सेवा की लगन में मगन रहना है, महावीर बन पहले याद फिर सेवा रखना है

4. संगमयुग है ही मिलन का युग, यह मिलन की आश बाबा की याद दिलाती, मायाजीत बनाती… अव्यक्त रूप में मिलन तो सदा चलता रहेगा (जिसमे कोई समय-शरीर का बन्धन नहीं!), सर्व शक्तियों से सम्पन्न होते रहेंगे… हमारा तो हर मार्निंग शुभ और श्रेष्ठ है

5. वृद्धि होना तो अच्छा है, हमारे भाई-बहनो का कल्याण हो रहा है… हमें सदा सन्तुष्ट रह समय को सफल करते रहना है, आगे यह भाग्यवान दिन भी याद आएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… “मैं लक्की सितारा, ज्ञान सूर्य के सदा समीप हूँ”, इसी स्मृति में रह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनें, और सब को बाबा के समीप सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं नये विश्व की तकदीर हूँ | Avyakt Murli Churnings 31-03-2019

योग कमेंटरी | मैं नये विश्व की तकदीर हूँ | Avyakt Murli Churnings 31-03-2019

मैं नये विश्व की तकदीर… विश्व का आधार-मूर्त… विश्व राज्य अधिकारी आत्मा हूँ

मेरे श्रेष्ठ राजयोगी जीवन से… सारा विश्व सुख-शान्ति सम्पन बनता… मेरे योग से सारा विश्व पावन बनता… मेरी श्रीमत-पालना से नये विश्व का विधान बन रहा है

मैं पवित्रता की लाइट का ताजधारी… बाबा के दिल-तख्त-नशीन… स्वराज्य का तीलकधारी हूँ… मेरे हाथो में स्वराज्य का गोला है

मैं सदा सन्तुष्ट… प्रसन्न-चित्त… प्रसन्नता-स्वरूप हूँ

मेरी सन्तुष्टता, सारे विश्व को सन्तुष्ट करती… यही जिम्मेवारी, उन्नति का साधन है… बाबा मेरे साथ है… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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हम हैं पद्मपद्म भाग्यशाली, विश्व की तकदीर | Creating the illustrious fortune of the world | Avyakt Murli Churnings 31-03-2019

हम है पद्मपद्म भाग्यशाली, विश्व की तकदीर आत्माएं | Creating the illustrious fortune of the world | Avyakt Murli Churnings 31-03-2019 image

हम हैं पद्मपद्म भाग्यशाली, नये विश्व की तकदीर | Creating the illustrious fortune of the world | Avyakt Murli Churnings 31-03-2019

हम सारे विश्व की तकदीर है, सारे विश्व के आधार-मूर्त, हमारे श्रेष्ठ सहज राजयोगी जीवन से सारा विश्व सुख-शान्ति-सम्पन्न बन जाता… हम श्रीमत पर जो योग करते, उससे सारा विश्व परिवर्तन हो नये विश्व का विधान बन जाता, इसलिए आज तक सभी भगवान्-देवताओं की कसम उठाते, उन्हों के सामने सच बताते… बाबा ने हमें ऎसा वरदानी सन्तुष्टता-मूर्त, सर्व प्राप्ति स्वरूप बना दिया है

हम कौन है?

  • पवित्रता की लाइट के ताजधारी
  • हमारे हाथ में स्वराज्य का गोला रूपी मक्खन है
  • बाबा के दिल-तख्त-नशीन
  • स्वराज्य के तीलकधारी
  • हम महान आत्माएं हैं, हमारे हर कदम-संकल्प-कर्म से विश्व का विधान बनता

तो सदा रूहानी नशे में रहना है, हम यदि सन्तुष्ट रहते तो सारा विश्व सन्तुष्ट बन जाता .. यह जिम्मेवारी सदा उन्नति कराती, और बहुत सहज भी है क्योंकि बाबा हमारे साथ है

हम आत्माएं (कुमार) कैसे है?

1. श्रेष्ठ आत्माएं अर्थात तन-मन की सारी शक्तियां श्रेष्ठ कार्य अर्थात विश्व कल्याण में लगाने वाली… सदा व्यर्थ से मुक्त रह, हर कदम पद्मों की कमाई जमा करने वाले, श्रेष्ठ प्राप्ति के अधिकारी है

2. शक्तिशाली आत्माएं अर्थात जो चाहे कर सकती, एसी अवस्था में बाबा मिलना सबसे श्रेष्ठ भाग्य है… हमारा साथी कुछ नहीं लेता, और सदा अविनाशी सहयोग देते रहता, जब भी याद करते… हम निर्बंधन स्वतन्त्र सेफ बेफिक्र हल्के है, सदा ऎसे श्रेष्ठ रहना है

3. हम समर्थ बाप की सन्तान समर्थ आत्मा, समर्थ कार्य करने वाली है, हमारे संकल्प बोल वा कर्म सब समर्थ है… इसलिए सदा उड़ती कला के अनुभवी है, बाबा की टचिंग द्वारा एक सेकण्ड में सफलता-स्वरूप बनने वाले हैं… व्यर्थ सेे सम्पूर्ण मुुक्त, डबल लाइट, सदा ऊपर रहने वाले

4. हम माया से युद्ध करने के बजाए कमाल करने वाले अर्थात सदा बाबा को साथ रख सब को बाबा का साथी बनाने वाले… अपने वरदानी-स्वरूप द्वारा शुभ भावना देते, सब को अचल बनाते

5. सदा बाबा साथ रखने से विजयी सफलता-रूप रहते अर्थात मेहनत कम, प्राप्ति ज्यादा रहती… ज्यादा सोचने के बजाए, श्रीमत पर कदम पे कदम रखकर सदा मंज़िल पर सहज पहुंचने वाले

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा को साथ रख समर्थ बन, उड़ती कला के अनुभवी अर्थात सदा शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रहे… सब को बाबा का साथी बनाने की श्रेष्ठ सेवा करते, सारे विश्व की तकदीर बदलकर सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!

Singing the Song of God’s love | दिलारम की दिलरूबा के गीत | Avyakt Murli Churnings 24-03-2019

Singing the Song of God’s love | दिलारम की दिलरूबा के गीत | Avyakt Murli Churnings 24-03-2019

दिल के गीत!

  • हम सभी दिलाराम की दिलरूबा एक ही शब्द ‘बाबा’ के गीत गाते… वही हमारा संसार है, उससे ही हम सर्व सम्बन्धों की प्रीत अनुभव करते… वही हमारी दृष्टि, स्मृति, दिल, बोल में समाया हुआ है
  • फिर भी गीत का साज़ भिन्न- भिन्न नम्बरवार है… कोई उड़ने-उड़ाने खुशी के गीत गाते, कोई अभ्यास के… कोई की स्मृति की स्विच सदा ऑन होने कारण सदा गीत बजता रहता, कोई को बजाना पड़ता… कोई प्राप्ति के, तो कोई मेहनत-पुकार-दिलशिकस्त के

रूहानी चमत्कार!

हमारे भाग्य का सितारा चमक उठा है, हम ताज-तख्त-तीलकधारी बन गए हैं… जिसके बाबा भी गुणगान करते, और सारे विश्व के लिए example है… इसलिए यथार्थ पुरूषार्थ की विधि द्वारा शक्तिशाली सिद्धि स्वरूप, सिद्ध सहज योगी बनना… रूहानी अविनाशी सिद्धियों द्वारा रूहानी चमत्कार दिखाने है, जैसाकि:

  • ऎसे उड़ना है, जो औरों को भी पंख मिल उड़ने लगे
  • अप्राप्त के बदले सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन नाचने लगे
  • ज्ञान का तीसरा नेत्र मिल, अपना श्रेष्ठ वर्तमान वा भविष्य देख सके
  • चिंता की चिता वा दुःखों को शैया से उठ खुशी के गीत गाने लगे
  • मांगने के बजाए सर्व खजा़नों के अधिकारी बन जाएँ

क्यूंकि सभी बहुत मेहनत करते हैं, एक प्राप्ति पूरी होते और इच्छाएं खड़ी हो जाती… तो उन्हें सर्व प्राप्ति सम्पन्न जरूर बनाना है

हम आत्माएं (कुमारीयां) कौन है?

  • रूहानी आत्मा अर्थात सदा रूह आत्मा की स्मृति में रहने वाले, देह-भान से माया तरफ गिरते और देही-अभीमानी बाबा तरफ खींचते हैं… बाबा से प्यार होने कारण, प्यार से मुरली सुनने याद करने से सहज सफलता मिलती… माया के आकर्षणों से सहज मुक्त रहते
  • भगवान के ज्ञान वा आज्ञा पर पवित्र बनने कारण हमारी पवित्रता वा महानता 21 जन्म चलती है… हम बाबा के बन गए, अब माया के आगे झुकना नहीं है, पक्का बन सदा खुशी में शक्तिशाली रहना है
  • श्रेष्ठ आत्माएं अर्थात श्रेष्ठ कार्य अर्थात विश्व कल्याण के निमित्त, सारे विश्व के कुल का उद्धार करने वाले… बाबा सदा साथ है, डरने की कोई बात नहीं… हम तो बच गए, सदा इसी खुशी और नशे में हमें है
  • हम ईश्वरीय विश्व विद्यालय की आत्माए, सो ब्राह्मणों से भी उत्तम ही… सदा सेवाधारी बाबा के राइट हैंड है… निर्बंधन भाग्यवान पूज्य है
  • बाबा ने हमें देवी अर्थात सदा सुख देने वाली, मुस्कुराती बन दिया है… दासी के बजाए देवी

सार

तो चलिए आज सारा दिन… स्मृति की स्विच ऑन कर सदा बाबा के प्यार के गीत गाते, उनके प्यार में ऎसा सम्पूर्ण समा जाएं, कि हमसे बाबा ही दिखाई दे… इसी यथार्थ पुरूषार्थ की विधि द्वारा सर्व सिद्धि स्वरूप बन, रूहानी चमत्कार करने हे, अर्थात सभी को सर्व प्राप्ति सम्पन्न सुखी बनाना है… तो हम बहुत ही जल्द खुुशीयों की दुनिया सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन … ओम् शान्ति!

Becoming Holy & Happy always! | होली पर्व का अध्यात्मिक रहस्य | Avyakt Murli Churnings 17-03-2019

Becoming Holy & Happy always! | होली पर्व का अध्यात्मिक रहस्य | Avyakt Murli Churnings 17-03-2019 image

Becoming Holy & Happy always! | होली पर्व का अध्यात्मिक रहस्य | Avyakt Murli Churnings 17-03-2019

होली का अध्यात्मिक रहस्य

वह एक दिन होली मनाते, हमारा तो पूरा संगमयुग होली है!… होली अर्थात holy पवित्र बनने-बनाने का यादगार, बाबा के संग में रंग जाना… यही सार सभी होली की विधियों में समाया हुआ है:

  • पहले है… सभी बुराई रूपी अपवित्रता को जलाकर भस्म कर देना… बाबा के संग द्वारा अविनाशी पवित्रता के रंग में रंग जाना!
  • उसके बाद ही… हम एक बाप की संतान आत्मा भाई-भाई इस स्मृति में रह अविनाशी खुशियां मना सकते… दिव्य बुद्धि रूपी पिचकारी में ज्ञान रंग के संग द्वारा औरों को भी उत्साह में ला सकते हैं
  • फिर है… स्नेह-सम्पन्न हो मिलना सभी से

इस अविनाशी पवित्रता के फल-स्वरूप हमारा मूड सिर्फ एक दिन खुश नहीं रहता, लेकिन सदाकाल का holy और हैप्पी मूड बन जाता!

भक्ति है हमारा यादगार!

सदा खुशी में रहना है, कि हम समझ से देख रहे हैं… कि एक तरफ हम सच्चा त्योहार मना रहे हैं, और दूसरी ओर उसका यादगार मनाना भी देख रहे हैं:

  • हम सदा याद-स्वरूप में रहते हैं, तो हमारे हर कर्म का यादगार पूजा जाता है
  • हम सदा प्रेम स्वरूप रहते, वह प्रेम से कीर्तन गाते
  • हमारी बहुत श्रेष्ठ जीवन कहानी है, तो उसपर भक्ति में कथाएं बनती
  • बाबा नें हमें महिमा-योग्य बनाया, वह महिमा करते

अन्य पॉइन्ट्‍स

3. बाप के वर्से के अधिकारी अर्थात शक्तिशाली (मास्टर सर्वशक्तिमान), कमझोरी से सदा के लिए मुक्त… हमें तो सर्वज्ञ बाबा मिला है, इसलिए अविनाशी खुशी में नाचते रहना है, खुशी प्रेम ज्ञान आनंद के झूले में झूलते रहना है बाबा के साथ… नीचे आना ही नहीं है (मैले होने), कुछ भी हो जाई!

4. एक बल एक भरोसा अर्थात मधुबन से जो मुरली चलती है उस पर पूरा-पूरा निश्चय-बुद्धि… बाकी सब रास्ते माया के है, उनमें भटकना नहीं है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मैं शुध्द-पवित्र आत्मा, पवित्रता के सागर की सन्तान हूँ… इसी स्मृति-संग में रह अविनाशी खुशी में नाचते-झूलते रहे… औरों को भी अविनाशी उत्साह का रंग लगाते, खुशियों की दुनिया सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

गीत: आओ सच्ची होली हम मनाएं…

The greatest fortune, of becoming God’s child! | परमात्मा की नम्बर वन रचना | Avyakt Murli Churnings 10-03-2019

The greatest fortune, of becoming God’s child! | परमात्मा की नम्बर वन रचना | Avyakt Murli Churnings 10-03-2019

विस्तार में सार की सुन्दरता!

कैसे भी बच्चें हो, बाबा उनको मिलन का अधिकार देने अवश्य आ जाते हैं… बाबा दोनों को देख हर्षित हो रहे हैं, विस्तार में वेरायटी के रोनक का श्रूंगार, और उसमें सार-स्वरूप शक्तिशाली बच्चें… ऎसे विस्तार के बीच सार बहुत अच्छा लगता है

ब्राह्मण अर्थात कौन?

  • परमात्मा की नम्बर वन direct सबसे महान रचना, देवताओं से भी ऊंच… ज्ञान स्वरूप, त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री आत्माएं… जिन्होने सबसे पहले साकार में परमात्म मिलन का सुख अनुभव किया
  • सभी सिर्फ महिमा गाते हैं, और हमने सर्व सम्बन्धों से भगवान् को अनुभव किया है, सर्व चरित्र भगवान् के साथ द्वारा अनुभव करते… सर्व अखुट अविनाशी खझानों के मालिक, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन गए हैं
  • सदा ज्ञान अमृत पीने, ब्रह्मा भोजन खाने वाले रूहानी मौज में, दिलाराम द्वारा दिल के आराम से दिल-तख्त पर बैठ सर्वश्रेष्ठ सेवा करने वाले
  • कल्प वृक्ष की जड़े, बीज द्वारा सभी पत्तों को मुक्ति-जीवनमुक्ति का पानी दिलाने वाले, सभी आत्माओं के लिए पूर्वज, आधार-मूर्त, उद्धार-मूर्त… सर्वश्रेष्ठ नवनिर्माण का कार्य करने वाले, ज्ञान यज्ञ रच सबकी भाग्यवान जीवन-पत्री बनाने वाले, सबकी सामूहिक सगाई परमात्मा से कराने वाले, पवित्रता का कंगन बांध, अमर कथा सुनाकर ने अमर बनाने वाले

ब्राह्मण सो देवता वा क्षत्रिय में अन्तर:

  • ब्राह्मण अर्थात सदा बेहद की जिम्मेवारी निभाते उड़ती कला के अनुभवी
  • सदा निशाने पर स्थित विजयी आत्माएं
  • Complaints, मेहनत वा समस्याओं से परे, सदा समाधान स्वरूप

विशेषताओं से सम्पन्न विश्व!

  • Delhi है सदा शक्तिशाली रहने के ताजधारी
  • कर्नाटक है स्नेह-भावना और बुद्धिमान-position का बैलेंस, नम्रता वाले
  • U. P. है सबसे wonderful ऑफ वर्ल्ड सेवा करने वाले
  • महाराष्ट्र है महान बनने और महान आत्माओं का गुलदसता बनाने वाले
  • विदेशी है विश्व के आगे बाप को हाज़िर नाजिर अर्थात नजरों के सामने प्रत्यक्ष करने वाले

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें स्वयं भगवान द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिमा-योग्य ब्राह्मण जीवन मिला है, तो उस अनुसार निरन्तर परमात्म साथ के अनुभवी बन सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सर्व खझानों के मालिक अवश्य बने… जिससे स्वतः औरों को भी ऎसे श्रेष्ठ प्राप्ति-वान बनाते रहेंगे, सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!