The greatest fortune, of becoming God’s child! | परमात्मा की नम्बर वन रचना | Avyakt Murli Churnings 10-03-2019
विस्तार में सार की सुन्दरता!
कैसे भी बच्चें हो, बाबा उनको मिलन का अधिकार देने अवश्य आ जाते हैं… बाबा दोनों को देख हर्षित हो रहे हैं, विस्तार में वेरायटी के रोनक का श्रूंगार, और उसमें सार-स्वरूप शक्तिशाली बच्चें… ऎसे विस्तार के बीच सार बहुत अच्छा लगता है
ब्राह्मण अर्थात कौन?
- परमात्मा की नम्बर वन direct सबसे महान रचना, देवताओं से भी ऊंच… ज्ञान स्वरूप, त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री आत्माएं… जिन्होने सबसे पहले साकार में परमात्म मिलन का सुख अनुभव किया
- सभी सिर्फ महिमा गाते हैं, और हमने सर्व सम्बन्धों से भगवान् को अनुभव किया है, सर्व चरित्र भगवान् के साथ द्वारा अनुभव करते… सर्व अखुट अविनाशी खझानों के मालिक, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन गए हैं
- सदा ज्ञान अमृत पीने, ब्रह्मा भोजन खाने वाले रूहानी मौज में, दिलाराम द्वारा दिल के आराम से दिल-तख्त पर बैठ सर्वश्रेष्ठ सेवा करने वाले
- कल्प वृक्ष की जड़े, बीज द्वारा सभी पत्तों को मुक्ति-जीवनमुक्ति का पानी दिलाने वाले, सभी आत्माओं के लिए पूर्वज, आधार-मूर्त, उद्धार-मूर्त… सर्वश्रेष्ठ नवनिर्माण का कार्य करने वाले, ज्ञान यज्ञ रच सबकी भाग्यवान जीवन-पत्री बनाने वाले, सबकी सामूहिक सगाई परमात्मा से कराने वाले, पवित्रता का कंगन बांध, अमर कथा सुनाकर ने अमर बनाने वाले
ब्राह्मण सो देवता वा क्षत्रिय में अन्तर:
- ब्राह्मण अर्थात सदा बेहद की जिम्मेवारी निभाते उड़ती कला के अनुभवी
- सदा निशाने पर स्थित विजयी आत्माएं
- Complaints, मेहनत वा समस्याओं से परे, सदा समाधान स्वरूप
विशेषताओं से सम्पन्न विश्व!
- Delhi है सदा शक्तिशाली रहने के ताजधारी
- कर्नाटक है स्नेह-भावना और बुद्धिमान-position का बैलेंस, नम्रता वाले
- U. P. है सबसे wonderful ऑफ वर्ल्ड सेवा करने वाले
- महाराष्ट्र है महान बनने और महान आत्माओं का गुलदसता बनाने वाले
- विदेशी है विश्व के आगे बाप को हाज़िर नाजिर अर्थात नजरों के सामने प्रत्यक्ष करने वाले
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें स्वयं भगवान द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिमा-योग्य ब्राह्मण जीवन मिला है, तो उस अनुसार निरन्तर परमात्म साथ के अनुभवी बन सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सर्व खझानों के मालिक अवश्य बने… जिससे स्वतः औरों को भी ऎसे श्रेष्ठ प्राप्ति-वान बनाते रहेंगे, सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!