Becoming truly God-loving & powerful | प्रीत बुद्धि विजयन्ती | Avyakt Murli Churnings 27-01-2018

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Becoming truly God-loving & powerful | प्रीत बुद्धि विजयन्ती | Avyakt Murli Churnings 27-01-2018

स्नेही कि अवस्थाएं

  1. औरों का परिवर्तन वा श्रेष्ठ जीवन को देख स्नेही
  2. गुणों, सुख-शान्ति के कुछ अनुभव की झलक से स्नेही
  3. शुध्द आत्माओं के संग से कुछ सहारा के अधार पर स्नेही
  4. परमात्म स्नेही, सर्वश्रेष्ठ स्नेही

सहयोगी की अवस्थाएं

  1. भक्ति के संस्कार के आधार से सहयोगी… बातें अच्छी है, जीवन अच्छा है, स्थान अच्छा है, अच्छे स्थान पर अच्छा कार्य करना चाहिए, आदि
  2. ज्ञान योग से कुछ प्राप्ति के आधार पर सहयोगी
  3. एक ही बाप है, एक ही प्राप्ति है, बाबा का कार्य सो मेरा कार्य… ऎसे श्रेष्ठ सहयोगी!

शक्तिशाली की अवस्थाएं

  1. ज्ञान के अधार से शक्तिशाली… जब तक स्मृति में रह… कि मैं शक्ति स्वरूप आत्मा हूँ, सर्वशक्तिमान की सन्तान हूँ
  2. ज्ञान के चिन्तन, वर्णन वा सेवा के आधार पर शक्तिशाली… जब तक चिन्तन वा वर्णन करे
  3. सदा मास्टर सर्वशक्तिमान स्वरूप, सर्वशक्तिमान बाबा से combined, श्रीमत का हाथ छत्रछाया के रूप में अनुभव करते… हर संकल्प, बोल, कर्म समर्थ शक्तिशालीदृढ़ता सम्पन्न, प्रश्नों से पार, सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है… वह सर्व-प्राप्ति सम्पन्न, अपने भाग्य केे गुणगान करते, सदा रूहानी नशे में रहते… ऎसी आत्माएं ही विजयी बनती

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • एक बल एक भरोसा अर्थात बाबा और बाबा की श्रीमत… उसके ही अधार से ज्ञान-स्वरूप, महान योगी, अनुभवी मूर्त, एकाग्र-चित्त, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते
  • मधुबन बाबा का घर, सो अपना घर है… यहां आराम है, बाबा की छत्रछाया है, मीठी प्यारी पालना है
  • पंजाब की विशेषता है अमृतवेला और सत्संग… ईस्टर्न है मास्टर ज्ञान सूर्य बन विश्व को प्रकाशित करने वाले, माया के अन्धकार से बचे रहने वाले

प्रीत-बुद्धि की निशानियां

  • शरीर का विनाश कभी भी हो सकता… इसलिए इस विनाश काले प्रीत-बुद्धि बनना है
  • प्रीत-बुद्धि अर्थात संकल्प भी श्रीमत के विपरीत न हो… हर संकल्प, बोल, कर्म बाबा की श्रीमत परबुद्धि के सामने सदा बाबा रहते, एक बाबा दूसरा ना कोई, उनके गुण और शक्तियां का अनुभव होता रहता… ऎसी आत्माएं ही विजयी, सदा सुखी, मायाजीत बनती!… बाबा दिन-रात उनके गुणगान करते, विश्व का राज्य भाग्य दिलाते
  • प्रीत-बुद्धि सदा अलौकिक, अव्यक्त वा न्यारे प्यारे होते… उनके नैन-चेहरे में अन्तर्मुखता वा बाबा ही दिखते, हर कदम सेवा होती
  • वह बाबा का पूरा साथ लेते और सम्बन्ध निभाते… निभाना अर्थात सदा एक बाबा दूसरा ना कोई, उसकि प्रीत में डूबे हुए!… इसलिए माया (पुराने संस्कार), कमी कमझोरी, निर्बलता, कोमलता आदि सब पर विजयी रहते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हर संकल्प में बाबा और उसकी श्रीमत से प्रीत-बुद्धि बन, सदा सुख के झूले में झूलते रहे… और हर कदम सबका श्रेष्ठ बनाते रहे… सतयुग बनाते रहे, ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | हमारा अविनाशी प्यार | Our love with Baba! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

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योग कमेंटरी | हमारा अविनाशी प्यार | Our love with Baba! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

बाबा स्नेह के सागर है… मैं उनका स्नेही, लवली, लवलीन बच्चा हूँ

बाबा कहते मेरे बच्चे, लाडले बच्चे, मेरे सिरताज बच्चे… हम भी कहते मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा

बाबा की याद से… मैं सर्व ईश्वरीय प्राप्तियों से सम्पन्न हूँ… सर्व खजानों का मालिक हूँ

मैं परमात्म पालना में पालने वाली… पद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ

मैं मेहनत से मुक्त… समाधान स्वरूप हूँ

मैं मन्सा वाचा कर्मणा तीनों सेवाएं साथ-साथ करने वाली आत्मा हूँ… सर्व को अच्छा बनने की प्रेरणा देती… सतयुग बनाती जा रही हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: ओ स्नेह सागर…


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और योग कमेंटरी:

हमारा अविनाशी प्यार | Our imperishable love with the Supreme! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

हमारा अविनाशी प्यार | Our imperishable love with the Supreme! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

हमारा अविनाशी प्यार!

आज स्नेह के सागर अपने स्नेही, लवलीन, लवली बच्चों से मिलने आए… बाबा भी कहते मेरे बच्चे, लाडले बच्चे, मेरे सिरताज बच्चे, स्नेह के बाहों की माला पहना रहे… बच्चे भी कहते मेरे बाबा, और स्नेह के मोती की माला बाबा को पहनाते!

स्मृति दिवस की स्मृतियाँ!

बाबा ने ऎसी श्रेष्ठ स्मृतियाँ दिलाई है, जिससे second में समर्थी का नशा चढ़ जाता:

  • हम वही कल्प पहले वाले भाग्यशाली बच्चे है
  • मेरा बाबा है गोल्डेन शब्द… जिससे याद सहज और स्वतः रहने से, सर्व प्राप्ति सम्पन्न सर्व खज़ानों के मालिक बन जाते
  • हम परमात्म पालना में पल रहे हैं… जो एक ही बार एक जन्म में ही मिलती!

और पॉइन्ट्‍स

1. यह वर्ष है न्यारा और सबका प्यारा बनने का, मेहनत और समस्याओं से मुक्त होने का वर्ष, तब ही मास्टर मुक्तिदाता बन औरों को मुक्त कर सकेंगे!

2. अब प्रतिज्ञा की लिस्ट को लंबी करने के बजाए फ़ाइनल करनी है… चाहे सहन करना सुनना झुकना पड़े, लेकिन हमें बदलना है जरूर… इसलिए ऎसा वैसा कि बहानेबाज़ी और औरों को देखने से परे हो, स्वयं कारण को निवारण, समस्या को समाधान में परिवर्तन करना है… यही बाबा की हमसे आश वा उम्मीदें हैं!

3. बाबा की पालना का रिटर्न है स्वयं को टर्न (अर्थात परिवर्तन) करना!

4. मन्सा वाचा कर्मणा तीनों सेवाएं साथ-साथ करनी है, स्नेेह और सहयोग देना है… तो सभी सिर्फ अच्छा-अच्छा कहने के बजाए अच्छा बनने की प्रेरणा भी लेंगे… और हम साथ में नई वर्ल्ड create करेंगे!

5. महाराष्ट्र है महान आत्माओं का राष्ट्र, महान कार्य करने वालेेे महारथीयों का… विदेशी है मधुबन के श्रृंगार

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के प्यार में लवलीन रह, श्रेष्ठ स्मृतियों का सिमरण करते रहे... जिससे सहज ही मेहनत-मुक्त समाधान स्वरूप बन जाएँगे, और मास्टर मुक्तिदाता बन सबको मुक्ति दिलाने के निमित्त भी बनेंगे … ओम् शान्ति!

God’s love, the greatest fortune! | परमात्म प्यार है सबसे बड़ा भाग्य | Avyakt Murli Churnings 13-01-2019

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God’s love, the greatest fortune! | परमात्म प्यार है सबसे बड़ा भाग्य | Avyakt Murli Churnings 13-01-2019

प्रभु प्यार का भाग्य

  • हम स्नेही सहयोगी सहजयोगी आत्माएं बाप के प्रिय सो विश्व के प्रिय है… इसी भाग्य की खुशी व नशे में रहना है
  • परमात्म प्यार बिना जीवन नीरस है, सभी यह चाहते, और हमें रोझ मिलता है!… तो इसे अच्छे से अनुभव जरूर करना है
  • परमात्म प्यार में लवलीन रहने से सहज ही विघ्न-विनाशक, समाधान-स्वरूप, मायाजीत बन जाते हैं!

श्रेष्ठ भाग्य बनाने की सहज विधि

सर्व सम्बन्ध की याद से सहजयोगी बन जाते… और ऎसे बाबा को सदा साथ रखने से समस्याएं खेल बन जाती (अर्थात वह हमें प्रभावित नहीं करती)… तो श्रेष्ठ जमा भी होता और पुराना चुक्यू भी होता रहता, double प्राप्ति!

अनुभव की अथॉरिटी बनने से हर कदम में सफलता मिलती रहती है… और सेवा के निमित्त बनने से लिफ्ट प्राप्त होती, जिससे सहज ही सम्पन्न बन जाते!

हम कई झंझतों से मुक्त है, तो हिम्मतवान बनकर लौकिक में रहते आलोकोक सेवा करते रहना है… एक बाबा को संसार बनाकर उसकी याद में एकरस रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… परमात्म प्यार का सर्व संबंध से अनुभव कर मायाजीत बन श्रेष्ठ भाग्य बनाते चले… और विश्व का भी भाग्य बदल सतयुग बना दे… ओम् शान्ति!


Also read: Experiencing the flying stage | उड़ती कला में रहने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 30-12-2018

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The blissful swing of God’s love | परमात्म प्यार का आनंदमय झूला | Avyakt Murli Churnings 06-01-2019

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The blissful swing of God’s love | परमात्म प्यार का आनंदमय झूला | Avyakt Murli Churnings 06-01-2019

अधिकारों की माला

बाबा के बच्चे बनना, अर्थात सर्व अधिकारों से सम्पन्न बनना:

  • परमात्म बच्चे बनने के नाते… सर्वश्रेष्ठ माननीय पूज्यनीय आत्माएं बनने का अधिकार
  • गॉडली स्टूडेंट होने के नाते… ज्ञान के खजानों के अधिकारी
  • सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अधिकार
  • कर्मेंद्रीय जीत स्वराज्य अधिकारी बनने का अधिकार
  • इन सबके फल-स्वरूप मायाजीत और विश्व राज्य अधिकारी, अर्थात समर्थ आत्मा बन जाते

सफलता का आधार – त्याग, तपस्या और सेवा!

जहां त्याग, तपस्या और सेवा है… वहां सेकण्ड में निश्चित सफलता मिलती है:

  • सबसे बड़ा त्याग है देह-भान का त्याग… जिसमें मैं-पन वा मेरा-पन सब आ जाता है… बेहद की स्मृति रखनी है, मैं शुध्द आत्मा हूँँ, सर्वशक्तिवान बाप मेरा है!
  • तो तपस्वी सहज बन जाएँगे… तपस्या अर्थात एक के है, एक की मत पर चलना, एकरस स्थिति (के कमल पुष्प आसन) में रहना, एक परमात्म स्मृति में!
  • और जहां त्याग और तपस्या है, वहां सेवा स्वतः होती है… सच्चे सेवाधारी बन जाते हैं
  • ऎसे त्यागी, तपस्वी, सेवाधारी ही सदा सफलता स्वरूप रहते… सफलता (वा विजय) हमारे गले का हार बन जाता… हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है सफलता!

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • प्रकृति हलचल भी करे… तो भी हमारा काम है स्वराज्य अधिकारी बन अचल रहनाहम स्वराज्य नेताओं की नीति है श्रीमत! (इसमें धर्म नीति, स्वराज्य नीति सब आ जाता है!)
  • सर्व खझानों व शक्तियों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाने की सेवा करनी है… इसी कार्य में busy रहने में उन्नति है, व्यर्थ से भी बचे रहते… इसलिए बुद्धि का time-table बनाना है, याद और सेवा के balance द्वारा blessing प्राप्त करते रहना है!
  • लगन से, निःस्वार्थ और निमित्त भाव से कार्य करने से… सेवा का प्रत्यक्षफल खुशी प्राप्त होती, और सबकी शुभ भावनाएं भी मिलती! … हल्के ट्रस्टी रहते और निर्णय-शक्ति भी बढ़ जाती!

परमात्म प्यार का सुखदाई झूला!

परमात्म प्यार आनंदमय वा सुखदाई झूला है, जो उड़ती कला में ले जाता… जिससे माया के आकर्षण और परिस्थितियों से बचे रहते!

परमात्म प्यार का प्रमाण है:

  • बाबा कहते तुम जो हो, जैसे हो, मेरे हो!
  • वह रोझ हमें इतना लम्बा पत्र (मुरली!) भेजते, याद-प्यार देते
  • रोज सुबह अमृतवेले हमसे मिलन मनाते, रूहरुहान करते, शक्तियां भरते!
  • सारा दिन साथी बन साथ रहते
  • हमारी सुख-शान्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते
  • बाबा चाहते हम उनसे भी आगे जाएं!… सम्पन्न, सम्पूर्ण और समान बन जाएँ!

परमात्म प्यार के पात्र बनने लिए:

  • जैसे बाबा चाहते हैं, वैसा सहज-योगी जीवन बनाना है, अपसेट नहीं होना है
  • परमात्म प्यार, गुण और शक्तियों से इतना भरपूर हो जाएँ, कि और कोई भी आकर्षण खींचे नहीं!
  • प्यार की निशानी है समान, कर्मातीत बनना… तो करावनहार बन मन बुद्धि संस्कार कर्मेंद्रीयों के मालिक बन कर्म कराना है, उनके वश नहीं होना है
  • न्यारा बनना है, बाबा पर पूरा न्योछावर होना है, सभी कमझोरीयां कुर्बान कर देनी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… परमात्म प्रेम के झूले में इतना लवलीन हो जाए, कि सभी कमझोरी स्वतः समाप्त हो जाए… और सबको भी गुणों और शक्तियों से सम्पन्न करते जाएं, सतयुग बनाते जाएं… ओम् शान्ति!

Welcoming the New Age | नव युग की बधाई हो | Avyakt Murli Churnings 31-12-2018

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Welcoming the New Age | नव युग की बधाई हो | Avyakt Murli Churnings 31-12-2018

नव युग की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो!

जैसे नये वर्ष की स्मृति, आनंद और इन्तज़ार है… वैसे ही मन और नैनों में नव युग की भी बहुत बहुत खुशी रखनी है, कि बाबा हमें कितनी नई बातें दे रहे हैं:

  • नया युग (जो अब आया की आया)
  • नया राज्य
  • नया जीवन
  • नया चमकीला दैवी ड्रेस (शरीर)
  • नया मन, धन वा सम्बन्ध
  • नयी सीन-सीनरीयां
  • नये सर्व प्राप्तियों के भण्डार

पुरानी बातों को विदाई

बाबा चाहते हैं, कि हम दृढ़तापूर्वक हिम्मतवान बनकर सभी पुराने-पन को विदाई दे:

  • पुराने स्वभाव
  • पुराने संस्कार
  • पुरानी चलन
  • माया
  • पुराने व्यर्थ संकल्प, कमझोरी के संकल्प

इसके लिए सिर्फ हिम्मत का एक कदम उठाना है, तो बाबा की हज़ार (वा पदम) गुणा मदद के अधिकारी हो… किसी भी हालत में हिम्मत नहीं छोड़नी है… माया हिल जाए, लेकिन हमारा हिम्मत का पांव न हीले!

नव वर्ष में क्या नवीनता लानी है?

  • हमारा occupation है विश्व कल्याणकारी वा विश्व परिवर्तक बनना… इसलिए परोपकारी, रहमदिल बनकर शुभ भावना वा दुआओं का दान देकर… स्व के, परिवार के और विश्व के कल्याणकारी बनना है
  • सेवा में जैसे लक्ष्य रखते कि बाप को प्रत्यक्ष करना है… वैसे पहले स्वयं को प्रत्यक्ष करना है… शिव शक्ति, पाण्डव वा विजयी रूप में
  • बाप समान जरूर बनना है
  • कारण वा समस्या शब्द सदा के लिए समाप्त करने है… चाहे स्व से, परिवार से, वा संगठन के संबंधित हो… निवारण करना है, समाधान स्वरूप बनना है
  • बीच-बीच में मालिक बन मन-बुद्धि को श्रेष्ठ स्थितियों में एकाग्र करने की ड्रिल जरूर करनी है

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • सदा OK रहने वालो पर बाबा स्नेह भरी दुआओं की वर्षा करते है… और वाह बच्चे वाह के गीत गाते हैं
  • मेरा बाबा कहा, और अधिकारी बन गए… श्रीमत पर चलने के अधिकारी, और सर्व प्राप्तियों के अधिकारी
  • की हुई सेवा के लिए बाबा मुबारक दे रहे है
  • दिल्ली का स्थापना के कार्य में महत्वपूर्ण पार्ट है… इसलिए number 1 (वा गोल्डन कप) लेना है
  • डबल विदेशीयों ने सेवा में वृद्धि अच्छी की… अभी डबल तीव्र पुरुषार्थी बनने का गोल्डेन कप लेना है

बाबा का याद-प्यार

चारों ओर के स्नेही, सहयोगी, श्रेष्ठ… स्व की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विश्व कल्याणकारी बच्चो को बापदादा की बहुत बहुत दुआएं स्वीकार हो… और नमस्ते!

सार

तो चलिए इस सारे वर्ष… अपने श्रेष्ठ नये युग को बार-बार नैनों के सामने लाते बहुत बहुत खुशी में रहे… जिससे सहज ही हम पुराना-पन से मुक्त हो… फिर से अपने कल्प पहले वाले श्रेष्ठ स्वरूप को धारण कर, स्वयं की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करें… जिससे सहज ही स्वर्ग की स्थापना सम्पन्न हो जाएगी… ओम् शान्ति!

Experiencing the flying stage | उड़ती कला में रहने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 30-12-2018

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Experiencing the flying stage | उड़ती कला में रहने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 30-12-2018

बिन्दु का महत्व

  • बिन्दु को समझना बहुत सहज है… बच्चा, बीमार, अनपढ़, कमझोर सब समझ सकते
  • बिन्दु का हिसाब… 10 से 100, 100 से 1000 बन जाता
  • बिन्दु के महत्व को समझने से महान बनते… बिन्दु बनना, बिन्दु बन बिन्दु वाप को याद करना, बिन्दु से मिलन मनाना

सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन!

  • संगमयुग है मिलन मनाने का युग… और मिलन द्वारा उड़ती कला में रहना (अर्थात कर्मों के बन्धन से न्यारा, कर्मातीत)… क्योंकि करन-करावनहार बाप है, हम निमित्त और साक्षी है
  • मेरापन ही मोह का बन्धन है… इसलिए देह बाप को सौपना है, सर्व सम्बन्ध बाप से जोड़ने है
  • तो सबके आशीर्वाद (अर्थात शुभ भावना, शुभ कामना) से उड़ते रहेंगे… बापदादा का आशीर्वाद (वा वरदान) ही हमारे ब्राह्मण जीवन का आधार है

विदेही वा कर्मतीत स्थिति का सहज अनुभव

विदेही वा कर्मातीत अर्थात:

  • मेरेपन वा स्वार्थ भाव से मुक्त, इच्छा मात्रम् अविद्या… कर्म के बन्धन से भी न्यारा
  • पुराने हिसाब-किताब, वर्तमान के स्वभाव-संस्कार, बाहर की परिस्थिति‍यां, देह की व्याधि सब के प्रभाव से परे

विदेही स्थिति का सहज अनुभव

  • कर्म करने के लिए देह मै, और कर्म समाप्त होते ही देह से न्यारे… इसी अभ्यास को बार-बार करना है!

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • मधुबन घर में आराम भी मिलता, राम भी मिलता… हम बाबा के इस घर के श्रृंगार है!
  • अभी सिर्फ क्लास कराना नहीं, लेकिन स्वयं हल्के रह सर्व को हल्का करना है!… हल्के रहनेे से ही ऊँची स्थिति रहती, आनंद और मौज में रहते!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा को सब कुछ सौप सदा उसके साथ रहे… जिससे सहज ही हम उड़ती कला (अर्थात हल्कापन वा शान्ति प्रेम आनंद के निरन्तर अनुभव) द्वारा अपने सम्पूर्णता की मंज़िल तक जल्दी पहुंच जाएंगे… ओम् शान्ति!

सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता | The Virtues of Contentment, Unity & Humility | Avyakt Murli Churnings 23-12-2018

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सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता | The Virtues of Contentment, Unity & Humility | Avyakt Murli Churnings 23-12-2018

अज बाबा ने मुरली सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता पर मुख्य चलाई है!

सभी गुणों का राजा, सन्तुष्टता!

सन्तुष्टता से अनेक प्राप्तियां हैं:

  • सन्तुष्टता, रूहानियत (अर्थात soul-consciousness, शान्ति प्रेम और आनंद की निरन्तर अनुभूति) की सहज विधि है
  • जहां सन्तुष्टता है, वहां सभी विशेषताएं, खाझाने और प्राप्तियां स्वतः आती है
  • सन्तुष्टता से प्रसन्नता स्वतः आती है
  • निर्संकल्प रहते, स्थिति एकरस रहती, विजयी रहते
  • स्वमान में सहज स्थिति हो सकते, बेफिक्र बादशाह बनते, और सभी हद के मेरेपन के चक्रों से मुक्त हो स्वदर्शन चक्रधारी बन जाते हैं!
  • बाबा के दिलतख्तनशीन, श्रेष्ठ स्मृति के तिलकधारी, और विश्व सेवा के ताजधारी सहज बन जाते!
  • महादानी, वरदानी, विश्व कल्याणकारी बन सकते हैं
  • ब्राह्मण जीवन का जियदान, उन्नति का सहज साधन है
  • ज्ञान के सब्जेक्ट का प्रत्यक्ष प्रमाण (practical proof) है!

सन्तुष्टता का certificate लेना है… स्वयं से, बाप से, और परिवार से… इसके लिए अभी भी थोड़ा समय है!

सफलता का सहज साधन, एक दो को आगे बढ़ाना!

एक दो को आगे तब बढ़ा पाएंगे, जब:

  • आपस में स्नेह होगा
  • एकता का गुण होगा
  • विशेषताओं का चश्मा पहना होगा, अर्थात सबकी विशेषताएं देखना… कमी होते हुए भी वर्णन नहीं करना, बल्कि शुभ भावनाओं का दान देते रहना… जैसे बाबा करते!

निर्मानता की महानता!

निर्मानता का आधार निमित्त भाव है (अर्थात यह स्मृति की करन-करावन्हार बाबा है)… और निर्मानता से बहुत प्राप्तियां हैं:

  • जो निर्मान है, वही नव-निर्माण का कार्य कर सकते हैं
  • महान बन सकते, निरहंकारी बन जाते हैं, हल्के रहते
  • रोब से मुक्त हो, रूहानियत में स्थित कराता
  • शुभ-भावना वा शुभ-कामना सहज ले और दे सकते, सच्चे सेवाधारी और सभ्यता की निशानी है, सब अनुभव करे को यह हमारा है!
  • सुखदाई बनाता, सबके दिल की दुआएं प्राप्त कराता है, सेवा की सफलता का सहज साधन है, सदाकाल का विजयी बनाता है
  • निर्मानता ही सच्चा स्वमान है, जिससे औरों का भी सम्मान मिलता है, सब दिल से झुकते हैं!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सन्तुष्टमणि रहकर, ब्रह्मा बाप समान निर्मान बन सबको आगे बढ़ाते रहे… जिससे हम खुद बाबा के दिलतख्तनशीन बन सर्व प्राप्तियों के झूले में झूलते रहते!… ओम् शान्ति!

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Overcoming Weaknesses | कमझोरीयों से मुक्त होने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 16-12-2018

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Overcoming Weaknesses | कमझोरीयों से मुक्त होने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 16-12-2018 

चैतन्य चात्रक! 

बाबा कहते मेरे सभी बच्चे चात्रक है… 3 रीति से:

  • सुनना… इसमे सभी नम्बरवन है… मास्टर मुरलीधर बन सहज ही मास्टर सर्वशक्तिवान बन सकते हैं 
  • मिलना… बाबा के संग में रहना… और गुणों और शक्तियों के रंग में रंगना… इसमें नम्बर है 
  • बनना… अर्थात हर संकल्प, बोल और कर्म में फॉलो फादर करना, हममे बाप दिखाई दे… इसमें सब यथाशक्ति है 

शक्तिशाली संकल्प को फलदायक बनाने की सहज विधि

शक्तिशाली संकल्प होते भी वह फल क्यूँ नहीं देता?… जैसे स्थूल बीज को धरती, पानी, धूप और देख-रेख चाहिए… हमारे शक्तिशाली संकल्प रूपी बीज को भी चाहिए:

  • धारणा रूपी धरती 
  • ज्ञान रूपी जल 
  • याद रूपी धूप (वा गर्मी) 
  • Attention रूपी देख-रेख

तो श्रेष्ठ संकल्प का प्रत्यक्षफल (अर्थात खुशी और अतिन्द्रीय सुख) अवश्य प्राप्त होता है! 

हमारी विशेषताएं! 

बाबा ने कहा हमारी विशेषताओं की लंबी चौड़ी माला है

  • सेवा में उमंग उत्साह अच्छा है, स्नेह है, खुशी के झूले में झूलते हैं, एकता अच्छी है 
  • पहचानने की और मेहसूस करने की शक्ति है, catching power अच्छी है, दृढ़ता है 
  • दूर होते भी समीप है… वाह बाबा, वाह परिवार, वाह ड्रामा के गीत अच्छे गाते हैं… बाप और परिवार के समीप है… मधुबन की शान और शृंगार है 

विशेषताएं बहुत है, और कमझोरी एक है… और वह भी 99% परिवर्तन हो गई है, सिर्फ 1% बाकी है… वह भी हुई पड़ी है

छोटी बातों को मिटाओ, हटाओ, और उड़ो! 

बच्चे जल्दी घबरा जाते हैं… फिर सोच सोचके बात को बड़ा बना लेते हैं… बातें हैं कंकड़, चींटी वा चूहे जैसी छोटी, लेकिन:

  • चींटी माथे में घुस जाती है, tension आदि के रूप में… उसको पांव के नीचे कर देना है
  • चूहा हमारी सहनशक्ति, सरलता, स्नेह को काट लेता… इसलिए उसको सवारी बनाकर, गणेश बनना है! 

अन्य पॉइन्ट्‍स 

  • कल्प पहले भी मिले थे, इसलिए फिर से अपना अधिकार लेने आए हैं… हमारे परिवार में, स्वीट होम में पहुँच गए 
  • ज्ञान, गुण और शक्तियों के अविनाशी खझाने से भरपूर रहते हैं, इसलिए हम जैसा धनवान कोई नहींहमारी ईश्वरीय position भी सबसे ऊंच है, इसे कोई छीन नहीं सकता… सिर्फ कमझोरी के पास्ट के व्यर्थ चिंतन से बचना है 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… हर कदम पर बाबा को फॉलो कर, अतिन्द्रीय सुख और खुशी के झूले में झूलते रहें… और बाबा ने बताई हुई अपनी विशेषताओं को स्मृति में रख, सभी कमझोरियों से मुक्त रहे… ओम् शान्ति!


Also read: How to overcome Weaknesses? | भूतों (अर्थात कमज़ोरियां) को भगाने की सहज विधि | Sakar Murli Churnings 03-12-2018

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Becoming an Angel | फरिश्ता स्वरूप की परिभाषा | Avyakt Murli Churnings 15-12-2018

Becoming an Angel | फरिश्ता स्वरूप की परिभाषा | Avyakt Murli Churnings 15-12-2018

आज बाबा हमारे 3 रूप देख रहे हैं… ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता… यही हम संगमयुगी ब्राह्मणों का लक्ष्य और लक्षण हैं 

फरिश्ता-पन की परिभाषा और लक्षण

हमारा एम ऑब्जेक्ट है लक्ष्मी-नारायण बनना, लेकिन देवता बनने से पहले फरिश्ता बनना है… यही तीव्र पुरुषार्थ करना है, धुन लगानी है, संगमयुग के अन्तिम स्टेज को emerge करना है कि मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ!

फरिश्ता अर्थात स्वराज्य अधिकारी, कर्मेन्द्रियों का राजा, बाबा का राजा बच्चा… लाइट के स्वरूप-धारी

फरिश्ता अर्थात इन सभी बातों में लाइट (अथवा न्यारा):

  • संकल्प, स्वभाव, संस्कार 
  • देह, सम्बन्ध, सम्पर्क (अर्थात औरों के स्वभाव संस्कार), संसार

तो ब्रह्मा बाप, मम्मा और दादीयों समान सबके प्यारे, प्रिय बन जाएंगे… सब कहेंगे यह मेरे हैं!

हमे मस्तक पर आत्मा की लाइट अनुभव होगी, बोलते हुए अशरीरी हो जाएंगे, विस्तार सार में समा जाएगा, हमारी दृष्टि से रूहानियत की लाइट सबको मिलेंगी!

हम सहज कर्मातीत बन जाएंगे! 

अब क्या सेवा करनी है? 

सेवा में उमंग-उत्साह अच्छा है, प्लेन्स अच्छे बनाते हैं, सभी परिवार के प्यार की system से प्रभावित होते हैं, मानते हैं ब्रह्मकुमारियों का ज्ञान अच्छा है 

अब सेवा में addition चाहिए फरिश्ता बनने के धुन की… इससे अशरीरी बनना बहुत सहज हो जाएगा 

अशरीरी बनने के अभ्यास से मेहनत कम, सफलता ज्यादा मिलेगी… अशरीरी-पन के वातावरण से सबको अनुभव करा सकते हैंप्राप्तियों, शक्तियों, शान्ति, आत्मिक प्रेम, खुशी, सुख, आनंद का

इससे सब कहेंगे मेरा बाबा, मैं बाबा का और बाबा मेरा… अर्थात बाप की प्रत्यक्षता हो जाएंगी

सबसे बड़ा विघ्न है अभिमान 

सेवा में वा फरिश्ता बनने में सबसे बड़ा विघ्न है देह भान (63 जन्मों का संस्कार) और देह अभिमान… अर्थात अपने गुण, कला, विशेषता (भाषण करना, कोर्स कराना, हैंडलिंग, आदि) का अभिमान

अभिमान को चेक करने की सहज विधी है:

  • अपमान बहुत जल्दी महसूस होगा 
  • रोब (क्रोध का अंश) आ जाएगा 

(अभिमान को समाप्त करने लिए निमित्त भाव, और बाबा के दिए हुए सभी उपकारों को कभी नहीं भूलना है) 

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… चलते फिरते अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में स्थिति रहे… इससे हर बात में लाइट और सर्व के प्यारे रहेंगे… और अशरीरी-पान के वातावरण द्वारा सर्व को परमात्म प्राप्तियों का अनुभव कराते रहेn… इससे सहज परमात्मा प्रत्यक्षता होगी, और यह संसार पुनः स्वर्ग बन जाएगा… ओम् शान्ति!