योग कमेंटरी | खुशी का अनुभव | Experiencing Happiness

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योग कमेंटरी | खुशी का अनुभव | Experiencing Happiness

खुशियों के सागर की सन्तान… मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ… सदा खुश… सन्तुष्ट हूँ… खुशी मेरे जीवन की विशेषता है

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योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ | Spinning the discus of self-realization

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योग कमेंटरी | मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ | Spinning the discus of self-realization

मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ… भगवान ने मुझे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान दे दिया है… मैं सर्वगुण सम्पन्न देवता थी

मैं भगवान का परम भक्त रहा हूँ… अभी अधिकारी बना हूँ… बाबा का सारा ज्ञान और वर्सा, गुण और शक्तियां मेरी है

मैं ब्राह्मण हूँ… भगवान की पालना में पलने वाली मैं परद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ… सेवा के निमित्त आत्मा हूँ

मुझे फरिश्ता बनना है… अव्यक्त… कर्मातीत…

सम्पन्न और सम्पूर्ण बन घर जाना है… अपने अनादि बीजरूप स्थिति में

इसी चक्र को फिराते रहने से… हम मायाजीत बनते… सदा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहते… ओम् शान्ति!

गीत: चलो करे हम सैर रूहानी…


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योग कमेंटरी | मैं दीपक हूँ | I’m the flame of a diya

योग कमेंटरी | मैं दीपक हूँ | I’m the flame of a diya

इस मिट्टी (शरीर) में, मैं आत्मा रूपी ज्योति चमक रही हूँ… मैं बाबा की आशाओं का दीपक… कुल दीपक हूँ

मुझसे चारों ओर प्रकाश की किरणें फैल रही है… अन्धकार मीट रहा है… मैं सदा जागती ज्योत हूँ

मैं ज्ञान घृत से भरपूर हूँ… स्वयं भगवान ने मेरी ज्योति जगाई है… मेरी हर दिन दीवाली है

मैं दीपमाला का दीपक हूँ… सभी दीपकों के साथ चमक रहा हूँ… भल मिट्टी (शरीर) अलग है, ज्योति एक समान है… एक बाबा के बच्चे, हम सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं

मैं दीपराज बाबा की… बहुत प्यारी दीपरानी हूँ… ज्ञान, गुण, शक्तियों से प्रकाशित हूँ

कोई भी माया के तूफान मुझे हिला नहीं सकते… मैं स्थिर और शक्तिशाली हूँ… सत्यता की शक्ति से सम्पन्न… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | वाह मेरा भाग्य वाह! | My illustrious fortune!

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योग कमेंटरी | वाह मेरा भाग्य वाह! | My illustrious fortune!

मैं भाग्यशाली, सौभाग्यशाली, पद्मापद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ… स्वयं भाग्यविधाता ने भाग्य की कलम मेरे हाथों में दी है… वाह मेरा भाग्य वाह!

भगवान का वरदानी हाथ मेरे सिर पर है… सदा सुखी भव, सफलता मूर्त भव, बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं… मेरे भाग्य का सितारा चमक उठा है

भ्रकुटी के बीच चमकता हुआ दिव्य सितारा… मैं आत्मा, शान्ति प्रेम आनंद स्वरूप हूँ… बहुत सुखद अनुभव हो रहा है

सर्वशक्तिमान शिवबाबा की सन्तान… मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न हूँ… सदा इसी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हूँ

मेरा शरीर स्वस्थ हो रहा है… मेरी कार्य क्षमता भी बढ़ रही है… मेरे सम्बन्ध भी मीठे बन जाएँगे

मेरा हर कर्म श्रेष्ठ व कल्याणकारी है…सबको खुशियां बांटती हूँ… मुझे सब का भाग्य श्रेष्ठ बनाना है

मेरा भाग्य मेरे हाथों में है… ज्ञान योग का अभ्यास कर मुझे सदा के लिए सुख-शान्ति सम्पन्न बनना… और बनाना हैं… ओम् शान्ति!

गीत: मन खुशी में गा रहा है, वाह बाबा वाह!


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योग कमेंटरी | शुभ भावनाएं देना | Giving Good Wishes

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योग कमेंटरी | शुभ भावनाएं देना | Giving Good Wishes

उनका भला हो… कल्याण हो… वह आगे बढ़े

उनकी उन्नति हो… प्रगति हो… उनको जीवन में सफलता मिले

वह सुख-शान्ति, प्रेम और खुशियों से भरपूर रहे… उनका भी सम्बन्ध अपने परमपिता से जुड़ जाए… वह भी अपना सुख-शान्ति का वर्सा प्राप्त कर ले

मेरा चित्त सर्व के लिए शुभ भावनाओं से भरपूर है… मैं फरिश्ता बन चुका हूँ

मुझे सब को देते रहना है… शुभ भावनाएं, सम्मान, प्यार आदि… हर सम्पर्क में, हर आत्मा को… सबकी सेवा करनी है… ओम् शान्ति!

गीत: सभी हो सुखी…

देते चले प्यार देते चले…


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योग कमेंटरी | Experiencing Peace | शान्ति की अनुभूति

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योग कमेंटरी | Experiencing Peace | शान्ति की अनुभूति

मैं शान्त स्वरूप आत्मा हूँ… शान्ति मेरा स्वधर्म है, मेरे गले का हार है… मैं बिल्कुल शान्त हूँ

मैं शान्ति के सागर की सन्तान हूँ… उनकी शान्ति की किरणें मुझ पर पड़ रही है… मैं शान्ति से भरपूर हो रही हूँ… सच्ची सुख-शान्ति अनुभव कर रही हूँ

मैं शान्तिधाम की रहवासी… शान्ति की दुनिया स्थापन करने वाली आत्मा हूँ

मैं सदा हल्की हूँ… बाबा मेरे साथ है… सभी मेरे भाई-बहन है

मुझे सबको शान्ति का खजाना बांटना है… शान्ति का रास्ता बताना है

मैं शान्तिदूत… शान्ति का भण्डार… शान्ति का फरिश्ता हूँ… मेरा स्थान शान्ति-कुण्ड है… ओम् शान्ति!

गीत: शान्ति सागर की लहरें…


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योग कमेंटरी | अशरीरी स्थिति का अभ्यास | Practising the Bodyless stage

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योग कमेंटरी | अशरीरी स्थिति का अभ्यास | Practising the Bodyless stage

मैं अशरीरी हूँ… ये देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… मैं एक दिव्य प्रकाश हूँ

(ऊपर से देखते हुए) देह विश्राम कर रहा है… मैं उसको जरा भी use नहीं कर रही हूँ… आँखे भी स्थिर है

मैं देह से बिल्कुल न्यारी हूँ… एक गहरी शान्ति अनुभव हो रही है… मेरे मन-बुद्धि स्थिर हो रहे हैं

अभी शिवबाबा को लंबा समय देख सकती हूँ… उनके गुणों और शक्तियों की किरणें मुझ पर निरन्तर बरस रही है… मैं भरपूर हो रही हूँ… मेरी प्यास बुझ गई है, मैं तृप्त हो चुकी हूँ…

इसी अभ्यास को बीच बीच में करते रहना है… ये देह अलग, मैं आत्मा अलग हूँ… जिससे सहज आत्म-अभीमानी बन, शान्ति प्रेम आनंद से भरपूर रहेंगे… ओम् शान्ति!


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योग कमेंटरी | हमारा अविनाशी प्यार | Our love with Baba! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

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योग कमेंटरी | हमारा अविनाशी प्यार | Our love with Baba! | Avyakt Murli Churnings 18-01-2019

बाबा स्नेह के सागर है… मैं उनका स्नेही, लवली, लवलीन बच्चा हूँ

बाबा कहते मेरे बच्चे, लाडले बच्चे, मेरे सिरताज बच्चे… हम भी कहते मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा

बाबा की याद से… मैं सर्व ईश्वरीय प्राप्तियों से सम्पन्न हूँ… सर्व खजानों का मालिक हूँ

मैं परमात्म पालना में पालने वाली… पद्मपद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ

मैं मेहनत से मुक्त… समाधान स्वरूप हूँ

मैं मन्सा वाचा कर्मणा तीनों सेवाएं साथ-साथ करने वाली आत्मा हूँ… सर्व को अच्छा बनने की प्रेरणा देती… सतयुग बनाती जा रही हूँ… ओम् शान्ति!

गीत: ओ स्नेह सागर…


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