योग कमेंटरी | सुबह उठते ही अवतरीत
मैं परमधाम-निवासी आत्मा… सूक्ष्मवतन-वासी फरिश्ता… इस देह-सृष्टि में अवतरीत हुआ हूँ
इस कलियुग को परिवर्तन कर… सतयुग स्थापन करने… मैं शान्ति दूत… विश्व कल्याणकारी हूँ
मैं सबको वरदान-दुआएं देता… मेरे नैनों से रूहानियत झलकती… बोल प्रेरणादायी… कर्म दिव्य–अलौकिक है
मैं उपराम-न्यारा… सबका प्यारा… निरन्तर सेवाधारी हूँ
सारा दिन श्रेष्ठ-सहज बितेगा … मैं बाबा से शक्तियां ले रहा… बाबा मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं… औरों को भी यह खज़ाने बांटने हैं… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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