योग कमेंटरी | बाबा मेरी बेहद की माँ
बाबा मेरी बेहद की माँ… मात-पिता है… मेरी ज्ञान-गुण-शक्तियों से… सर्वश्रेष्ठ पालना करते
रोज़ सुबह उठाकर… ज्ञान रत्नों से श्रृंगार कर… सारे दिन के लिए तैयार करते
सदा साथ रहते… भोजन खिलाते गिट्टी-गिट्टी… प्यार करते
ब्रह्मा माँ द्वारा… मुझे प्यार-पुचकार… लाड़-दुलार करते… मुझे माँ की ममता मिल रही
सबको इस बेहद-माँ से जुड़ाकर … परमात्मा प्यार दिलाकर… सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाना है… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
Thanks for reading this meditation commentary on ‘बाबा मेरी बेहद की माँ’