योग कमेंटरी | प्रकृति को पावन वाइब्रेशन देने | Giving pure vibrations to Nature
प्रकृति ने हज़ारों साल मेरी पालना की है… उसका बहुत शुक्रिया है… अभी मुझे उनकी पालना करनी है… प्रकृति-पति बनकर
मैं परम-पवित्र आत्मा… पवित्रता के सागर की सन्तान हूँ… बाबा की पवित्रता की किरणें… मुझमे समा रही हैं
मुझसे चारों ओर पवित्रता की किरणें फैल रही है… वातावरण बहुत शुध्द… सतोगुणी, दिव्य बन रहा है
यह प्रकंपन प्रकृति को पहुँच… पांचों तत्वों को शान्त, शीतल… पावन, सतोप्रधान बना रहे हैं
यही पावन प्रकृति… स्वर्ग में सम्पूर्ण सुख देगी… कल्प-कल्प हमारी सेवा करेंगी… वाह प्रकृति वाह!… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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