योग कमेंटरी | पानी के नीचे
मैं आत्मा, सागर के नीचे हूँ… चारों ओर पानी है… मछलियों की दुनिया… जो अपने नियमों पर चलती
ऊपर सूरज का प्रकाश दिख रहा… मैं उस दुनिया से बिल्कुल दूर हूँ… यहां कोई देहधारी भी नहीं
मैं आसपास घूम रही हूँ… सभी पौधों को देख… बिल्कुल हल्की हूँ
मैं मास्टर सागर की स्थिति में स्थित हूँ… जितना सम्पन्न… उतना ही शान्त-चित्त… प्रेम–सुख–आनंद से भरपूर
गुणों के सागर के साथ सदा combined… ज्ञान-गुण-शक्तियों से सम्पन्न हूँ… सबको भी करती… ओम् शान्ति!
और योग कमेंटरी:
- शान्ति,खुशी,सुुख,अलौकिक,हल्का,पवित्र,ज्ञान,शक्ति,शीतल,नम्र,वाह,नैन,सम्पर्क,भाव,कुण्ड,घर,निर्भय
- स्वमान,श्रेष्ठ,रॉयल,दिव्य,महान,स्वराज्य,भाग्य,गोपी,हंस,सार,दूत,ऋशी,ताज,माला,बालक,स्टुडेंट,हनुमान
- आत्मा(सितारा,बेदाग,हीरा,दीप,फूल,पंछी),रूह,दृष्टि,देहीअभिमानी,अशरीरी,प्रभाव,देहभान,नहीं,भयमुक्त
- प्यार,याद,दृष्टि,बातें,पार्ट,सूर्य,चुम्बक,नूर,मिलन,माँ,पिता,टीचर,गुरू,दोस्त,मुरली,संसार,जीवन,मैं-मेरा,ट्रस्टी
- स्वदर्शन(प्रिंस,देवता,दर्शनीय,पूज्य,शक्ति,ब्राह्मण,निमित्त,सेवा,समर्पित,लाइट,फरिश्ता,अवतार,घर,आस्मान)
- भोजन,सोना,न्यारा,थकावट,हॉस्पिटल,चाँद,बादल,होली,सुबह,बरसात,अंतरिक्ष,पानी,प्रकृति
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